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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/07/050710_londonblast_splcentre
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परिजनों की मदद की ज़िम्मेदारी मंत्री पर
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ब्रितानी सरकार ने लंदन के बम धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों की मदद करने की ज़िम्मेदारी एक मंत्री टेसा जॉवल को दी है.
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टेसा जॉवल का कहना है कि मृतकों और लापता लोगों के परिजनों की मदद के लिए एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने इस हादसे के तीन के बाद भी मृतकों की सूची जारी करने में हो रही देरी के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है शवों की ठीक पहचान होना ज़रूरी है. पुलिस के अनुसार धमाकों में मारे गए लोगों की संख्या अब 49 हो गई है और अब भी 20 से ज़्यादा लोग लापता हैं. पुलिस के अनुसार लंदन पर हमले योजनाबद्ध तरीके से हुए और भूमिगत रेलगाड़ियों में विस्फोट तो 50 सैकेंड के भीतर हुए. पहचान की प्रक्रिया किंग्स क्रॉस स्टेशन के पास सुरंग में धमाके से क्षतिग्रस्त रेल कोचों में अब भी पड़े शवों के बारे में स्थिति साफ नहीं है और पुलिस ने आगाह किया है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है. पुलिस, न्यायिक अधिकारियों, चिकित्सकों और अन्य विशेषज्ञों का एक आयोग बनाया गया है जिसकी देख-रेख में शवों की पहचान की प्रक्रिया पूरी होगी. महत्वपूर्ण है कि गुरुवार को लंदन में मृतकों के सम्मान में सार्वजनिक समारोह होगा जिसमें उन्हें श्रद्धाँजलि दी जाएगी और दो मिनट का मौन रखा जाएगा. पुलिस का कहना है कि वह इस्लामी चरमपंथी संगठन अबू हफ़्स अल-मासरी ब्रिगेड्स का इन धमाकों के बारे में किए गए दावे को गंभीरता से ले रही है. 'धमाके पचास सेकेंड में हुए' पुलिस के अनुसार लंदन पर हुए हमले योजनाबद्ध तरीके से किए गए थे. पुलिस के अनुसार भूमिगत रेलों में तीन बम अलग-अलग जगहों लगभग अचानक फटे थे. इसलिए पुलिस को संदेह है कि धमाकों में टाइमिंग उपकरणों का उपयोग किया गया होगा. यह भी तथ्य सामने आया है कि धमाकों में आधुनिक किस्म के विस्फोटकों का उपयोग किया गया था. पहले माना जा रहा था कि हमलों में देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया होगा. पुलिस मुख्यालय स्कॉटलैंड यार्ड में सहायक उपायुक्त ब्रायन पैडिक ने बताया कि भूमिगत रेलों में तीन धमाके 50 सेकेंड के अंतराल के भीतर हुए थे. धमाके गुरुवार सुबह आठ बजकर पचास मिनट पर हुए थे. लंदन अंडरग्राउंड से मिली विस्तृत तकनीकी सूचनाओं से यह तथ्य सामने आया है. इससे पहले बम धमाकों में अच्छे खासे अंतराल की बात की जा रही थी.
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The responsibility of helping the family rests with the minister.
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The British government has appointed a minister, Tessa Jowell, to help the families of those killed in the London bombings.
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Tessa Jowell says that a centre is being set up to help the families of the dead and missing. A commission of police, judicial officers, medics and other experts has been set up underground to look into the delay in releasing the list of the dead. The bodies need to be properly identified. According to the police, the number of people killed in the blasts in London on Thursday is now 49 and more than 20 people are still missing. According to the police, the attacks on London took place in a planned manner and the explosions in the underground trains took place within 50 seconds. According to the police, the situation is not clear about the fifty bodies still lying in the train coaches damaged by the blast in the tunnel near King's Cross station. The police have warned that the number of casualties may increase. A commission of police, judicial officers, doctors and other experts has been set up underground, which will complete the process of identifying the bodies on Thursday. It is important that on Thursday there will be a public ceremony in honor of the dead. According to the police, they were given separate explosions in London, and within two minutes, they will be kept silent. According to the London police, the technical information about the explosion of the bomb was also taken seriously by the police, according to the fact that it was carried out in the Abu Huffadik, in Abu Huffadik, that was used in the second bomb blasts, according to the fact that the police in Abu Huffadik, fifty police were used in these explosions. According to the police. According to the police, the victims of the explosion, the second bomb, the number of the bomb was used in the second bomb, in these explosions.
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061105_guwahati_blast
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/11/061105_guwahati_blast
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गुवाहाटी में तीन बम धमाके, 15 की मौत
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भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के अधिकारियों ने बताया है कि राज्य की राजधानी गुवाहाटी में हुए तीन बम विस्फोटों में 15 लोगों की मौत हो गई है.
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इन विस्फोटों में कम से कम 30 लोगों के घायल होने की भी ख़बर मिली है. पुलिस के मुताबिक पहला धमाका गुवाहाटी के भीड़-भाड़ वाले इलाके फ़ैंसी बाज़ार में हुआ है. फ़ैंसी बाज़ार में जहाँ पर विस्फोट हुआ है वहाँ असम से लगे हिंदी भाषी राज्य बिहार के कुछ लोग कीर्तन करने के लिए इकट्ठा हुए थे. इस समारोह में हुए धमाके में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई. दूसरा धमाका शहर के दक्षिणी हिस्से में एक ऐसी जगह पर हुआ जहाँ पर पत्थर तोड़ने का काम किया जाता है. इस धमाके में दो लोगों की मौत हो गई. तीसरा धमाका गुवाहाटी के एक अंदरूनी इलाके में स्थित बालाजी मंदिर में हुआ है. इस धमाके से मंदिर की इमारत को नुकसान पहुँचा है पर इसमें अभी तक किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं मिली है. शक की सुई हालांकि अभी तक किसी चरमपंथी संगठन ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है पर पुलिस का कहना है कि इनके पीछे अलगाववादी गुट उल्फ़ा का हाथ हो सकता है. राज्य पुलिस के खुफ़िया विभाग के प्रमुख खगेन सर्मा ने बताया है कि उल्फ़ा ने पिछली कुछ घटनाओं की तरह इस बार भी हिंदी भाषी लोगों को अपना निशाना बनाया है. ग़ौरतलब है कि इसी वर्ष सितंबर महीने में भारत सरकार और उल्फ़ा के बीच बातचीत टूट गई थी. इसके बाद से रविवार की घटना अभी तक की सबसे बड़ी हिंसक घटना है.
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Three bombs explode in Guwahati, 15 killed
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Authorities in India's northeastern state of Assam say three bombs have exploded in the state capital, Guwahati, killing 15 people.
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At least 30 people were also reported to have been injured in the blasts. According to police, the first blast took place in Fancy Bazar, a crowded area in Guwahati. Some people from the Hindi-speaking state of Bihar adjoining Assam had gathered to chant kirtan at the site of the blast in Fancy Bazar. At least 13 people were killed in the blast at the event. The second blast took place at a site in the southern part of the city where stone-pelting work is carried out. Two people were killed in the blast. The third blast took place at the Balaji temple in an interior area of Guwahati. The blast damaged a temple building but no casualties have been reported so far. The needle of suspicion is that no extremist organisation has yet claimed responsibility for the attacks. Police say the separatist group ULFA may be behind them on Sunday. State police intelligence chief Khagen Sarmah has said that the ULFA has been targeted in similar incidents since September last year. ULFA has been the target of some violent incidents in India.
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india-39377028
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https://www.bbc.com/hindi/india-39377028
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शिवसेना सांसद गायकवाड़ पर पाँच एयरलाइन्स ने लगाया प्रतिबंध
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एयर इंडिया के कर्मचारी पर हमला करने के आरोप में शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ पर एयर इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) ने प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के बाद अब गायकवाड़ कई एयरलाइंस में हवाई सफर नहीं कर पाएंगे.
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इस मामले में एयर इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) ने बयान जारी किया है. इस फेडरेशन में इंडिगो, जेट एयरवेज़, स्पाइसजेट और गो एयर शामिल हैं. सबने इस वाकये की कड़ी निंदा की है. इन्होंने गायकवाड़ पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. एफआईए के असोसिएट निदेशक उज्ज्वल डे ने बयान में कहा है, ''हमारे किसी भी कर्मचारी पर हमला हम सब पर हमला है.'' एयर इंडिया और एफआईए सदस्यों ने गायकवाड़ को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने का फ़ैसला किया है. एफआईए ने कहा, ''हमारा मानना है कि यह कार्रवाई मिसाल की तरह होगी ताकि आगे कोई हमारे कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करे. यह लोगों की सुरक्षा के हक़ में है. हम ऐसे यात्रियों को 'नो फ्लाई' लिस्ट में डालने का प्रस्ताव रखते हैं. ऐसे यात्रियों का हम स्वागत नहीं करेंगे और हमें इस मामले में सरकार के साथ सुरक्षा एजेंसियों की मदद चाहिए. एयर इंडिया ने गायकवाड़ के पुणे का टिकट भी रद्द कर दिया है. पीटीआई ने एयरलाइन के सूत्रों को हवाले से यह ख़बर दी है. इससे पहले रविंद्र गायकवाड़ा ने एयर इंडिया के ऑफिसर पर हमले के मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि 'काहे का पाश्चाताप'. गायकवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने एयर इंडिया के मैनेजर पर प्लेन में हमला किया. वह हमले के बाद ख़ुद ही बता रहे थे कि उन्होंने उस अधिकारी को चप्पल से 25 बार मारा. वह एक वीडियो में ऐसा कहते हुए ख़ुश दिख रहे हैं. गायकवाड़ ने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने से साफ़ इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह ख़राब सेवा के लिए एयर इंडिया की शिकायत करेंगे. गायकवाड़ का कहना है कि उनके साथ एयर इंडिया के मैनेजर ने दुर्व्यवहार किया था. महाराष्ट्र में ओसमानबाद से सांसद गायकवाड़ फ़्लाइट में बिज़नेस क्लास के टिकट नहीं मिलने से नाराज़ थे. वह पुणे से दिल्ली आ रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस फ़्लाइट में कोई बिज़नेस क्लास की सीट नहीं थी और इसकी सूचना उन्हें पहले ही दे दी गई थी. उन्हें वीआईपी सुविधा मिले इसके लिए वह पहली पंक्ति में बैठाया गया था. गायकवाड़ इतने भर से ख़ुश नहीं थे. जब फ़्लाइट दिल्ली पहुंची तो उन्होंने उतरने से इनकार कर दिया. इसके बाद ड्यूटी मैनेजर शिव कुमार केबिन में पहुंचे और उन्होंने उन्हें मनाने की कोशिश की. इसी दौरान गायकवाड़ ने उन पर हमला बोल दिया. एयर इंडिया के कर्मचारी ने अपनी शिकायत में लिखा है कि इस देश को भगवान ही बचा सकता है. शिव सेना का कहना है कि वह तथ्यों को देखने के बाद ही कुछ कहेगी. हालांकि पार्टी ने कहा कि वह हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Five airlines ban Shiv Sena MP Gaikwad
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Shiv Sena MP Ravindra Gaikwad has been banned by Air India and the Federation of Indian Airlines (FIA) for assaulting an Air India employee.
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In this case, Air India and Federation of Indian Airlines (FIA) have issued a statement. IndiGo, Jet Airways, SpiceJet and GoAir are part of this federation. All of them have strongly condemned the incident. They have demanded strict action against Gaikwad. FIA Associate Director Ujjwal Dey has said in the statement, "Any attack on any of our employees is an attack on all of us." FIA said, "We believe that this action will be exemplary so that no one will further treat our employees like this. It is in the interest of people's safety. We propose to put such passengers on the 'No fly' list. Such passengers, however, are not welcome and we need the help of security agencies with the government. Air India has also cancelled Gaikwad's ticket to Pune. Air India MP Shivlal Pawar has said in a statement to the news agency. According to PTI, he was happy when Gaikwad's ticket was cancelled. According to the airline's official Twitter handle, Shiv Pawar said," You can't even try to call the Air India Air India staff on Facebook to ask for some information about the attack on the singer's cabin in the Air India V-Class. Ravinder Kumar says that the Air India Air India Airline Manager is not going to show us the 'Businessman's' list. He said that the Air India Air India Airline Manager was attacked in the Air India Air India's Business Class V-Class for this reason. He told the Air India Airline Manager that the Air India Airline Manager was attacked in the Air India's Cabinto-Air, "He said," The Air India Air India can'talka-Bar. "He said that the Air India Air India Air India's Airline staffer can's cabin crew was attacked in the Air India's cabin's cabin," For this, "He said that the Air India Air India Air India Air India Air India can's Airline's Airline's staffer can's's's staff is not show us the Businessman's seat in the Businessman's seat.'s seat.'s seat.'s seat in the flight." For the Air India's. He said that the Air India Air India Air India Air India Air India Air India Airline's cabin, "For the Airline '
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131220_domestic_help_minimum_wage_vr
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https://www.bbc.com/hindi/india/2013/12/131220_domestic_help_minimum_wage_vr
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क्या घरेलू कामगारों को मिलता है न्यूनतम वेतन?
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अमरीका में रह रहीं भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के मामले के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि भारत से विदेश ले जाए जा रहे घरेलू नौकरों की तनख्वाह और वहाँ के न्यूनतम वेतन के बारे में प्लेसमेंट एजेंसियों को कोई जानकारी भी है या नहीं.
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बीबीसी नें जिन कुछ एक प्लेसमेंट एजेंसियों से बात की उनमे से ज़्यादातर को न तो देश में लागू किये नियुनतम मज़दूरी के क़ानून के बारे में जानकारी है और ना ही विदेशों के श्रम क़ानूनों के बारे में ही कोई मालूमात है. कुछ एक एजेंसियों के संचालकों नें गोपनीयता की शर्त पर बताया कि कई मामलों में घरेलु काम के लिए विदेश ले जाए जा रहे लोगों को जिस क़रार के तहत ले जाया जाता है, उनपर कोई खरा नहीं उतरता. यानि मिसाल के तौर पर अगर किसी घरेलू नौकर को तीस हज़ार रूपए देने का क़रार किया जाता है तो उन्हें सिर्फ दस हज़ार तक ही मिल पाते हैं. (सांसद की नौकरानी अस्पताल में भर्ती) हैप्पी होम केयर नाम की प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाले जॉर्ज ने बीबीसी को बताया कि दक्षिण एशियाई देशों में घरों में काम करने वालों का न्यूनतम मानदंड तय है. उनका कहना है कि सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जहाँ घरेलू नौकरों की न्यूनतम मज़दूरी के बारे में कोई चर्चा नहीं की जाती. जो जैसे चाहता है वैसे नौकरों से काम लेता है. एजेंसियों की भूमिका हाल ही में उनके जानने वाली एक एजेंसी ने सिंगापुर में घरेलू काम करने के लिए किसी को भेजा तो उसे 250 सिंगापुरी डॉलर मिल रहे हैं. वो कहते हैं, "अमरीका और यूरोपीय देशों में तो ये दर ज़्यादा है. मगर ज़्यादातर एजेंसियों को पता ही नहीं है कि हमारे देश में ही घरेलू काम करने वालों के लिए भी न्यूनतम मज़दूरी लागू है." वहीं ह्यूमन हेल्पिंग हैंड्स नाम की एजेंसी चलाने वाले विमल मेहता का कहना है कि घरेलू नौकर उपलब्ध कराने वाली एजेंसियां विदेश भेजने का काम नहीं करतीं. वो कहते हैं कि घरेलू नौकर भेजने का काम सिर्फ वो पंजीकृत एजेंसियां करती हैं जो अमूमन विदेशों में मज़दूर भेजने का काम करती हैं. इसके लिए अलग से लाइसेंस लेना पड़ता है. जॉर्ज और मेहता का कहना है कि घरेलु नौकर उपलब्ध कराने वाली ज़्यादातर एजेंसियों को पता ही नहीं है कि न्यूनतम मज़दूरी क्या है और क्या दिया जा रहा है. जॉर्ज ने बताया, "हमें पता है कि नियुनतम मज़दूरी क्या है, इस लिए हम महानगरों में भी सात से आठ हज़ार रूपए प्रति महीना से नीचे नौकरों को नहीं भेजते. आस्ट्रेलिया जैसे देशों में तो हम 35 से 40 हज़ार रुपये तक दिलवाते हैं घरों में काम करने वाले नौकरों को." न्यूनतम मज़दूरी लंबे अरसे से घरेलू कामगारों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे झारखण्ड निवासी गौतम बोस कहते हैं कि वर्ष 2010 में न्यूनतम मज़दूरी क़ानून लागू किया गया था, मगर कई राज्य ऐसे हैं जहाँ इस क़ानून को लागू नहीं किया गया है. यही कारण है कि शोषण थमने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. उनका कहना है कि ज़्यादातर राज्यों में इस क़ानून की अधिसूचना ही जारी नहीं की गई है जबकि कुछ राज्यों ने इसे न्यूनतम मज़दूरी के दायरे में रखा है. वो कहते हैं, "काफ़ी संघर्ष के बाद ये क़ानून लाया तो गया मगर श्रम विभाग के लोगों ने इसे सख़्ती के साथ लागू करने की कोशिश ही नहीं की. न्यूनतम मज़दूरी की दर 180 रुपए प्रतिदिन तय की गई है. मगर ऐसे भी मामले हैं जब घर में काम करने वालों को महीने में 200 रुपए भी नहीं मिल पाते हैं." (इनके पास न तो संगठन है...) घरेलू काम करने के क्षेत्र में मज़दूरी की अनियमितता ने मानव तस्करी को ही बढ़ावा दिया है. बड़े बड़े महानगरों में छोटे शहरों, कस्बों और गावों से बड़ी संख्या में लड़कियां घरेलू नौकरानियों के रूप में काम कर रही हैं. आयोग इनमें से ज़्यादातर लड़कियां औने पौने मजदूरी में ही काम करने को मजबूर हैं. कई मामलों में इनके साथ हुए शोषण के किस्से अख़बारों की सुर्ख़ियां बने. बढ़ रहे शोषण और तस्करी के मामलों के बाद झारखंड की सरकार ने इसे रोकने के लिए एक आयोग का गठन किया है. इस आयोग के उपाध्यक्ष संजय मिश्रा ने बीबीसी से बात करते हुए स्वीकार किया कि न्यूनतम मज़दूरी के क़ानून के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है और महानगरों से काम करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियां ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से ही काम कर रही हैं. वो कहते हैं कि यही एजेंसियां घरेलू काम के लिए लोगों को अन्य देशों में भेजने का काम भी कर रही हैं. काम की न्यूनतम उम्र को लेकर अभी विचार चल रहा है. निर्धारण होने के बाद अभियान चलाया जाएगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Do domestic workers receive a minimum wage?
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After the case of Devyani Khobragade, an Indian diplomat living in the United States, there is now a debate about whether placement agencies have any information about the salaries and minimum wages of domestic servants being taken abroad from India.
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Most of the placement agencies that the BBC spoke to, for example, could only get up to ten thousand rupees if they were contracted to pay a domestic worker thirty thousand rupees. (MP's maid admitted to the hospital) George, who runs a placement agency called Happy Home Care, told us that the 200-year-old girls, who work in the metropolitan city of Jharkhand. George, who runs a recruitment agency called Town Home Care, told us that the 200-year-old girls, who work in the metropolitan city of Jharkhand, told us that the employment agencies are not sending 180-year-old men to work every day. Twitterati, who read out the news, told us that the minimum wage law in most of the big metropolitan states is not the minimum wage in many cities, and the minimum wage in many cities is not the minimum wage in many countries. The operators of some agencies, on the condition of confidentiality, told us that the minimum wage of domestic workers is not the same as the minimum wage in many countries. What is the role of Armaan, who runs the non-domestic domestic workers, and what is the long-term domestic worker's job in many countries, is not the minimum wage available in the name of domestic workers, that is not the minimum wage in the name of helpers, that is not the minimum wage in the name of helpers. (MP's maid's job is the reason). George, who runs a placement agency named Happy Home Care, who runs the placement agency. The 200-year-a-a-money agency, the 200-a-day-a-day-day-day-a-day-day-day-a-day-day-a-a-day-day-day-a-a-day-day-a-day-day-a-day-a-day-day-a-day-a-day-a-day. George, who runs the 200-year-year-year-year-year-year-year-year-a-a-a-day agency-day-day-a-day-day-day-day-day-day-a-day-day-a-day-day-day-day-day-a-a-day-day-day-a-day-day-day-day-day-day-day-day-a-day-day-day-day-a-
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international-55715773
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https://www.bbc.com/hindi/international-55715773
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पीएम मोदी की तस्वीरों के साथ पाकिस्तान के सिंध में अलग देश के लिए निकली रैली
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रविवार को कुछ अलगाववादी समूहों ने रैलियां निकालीं. ये रैलियां सिंधी राष्ट्रवादी नेता जीएम सईद के 117वें जन्मदिवस समारोह के दौरान निकाली गईं.
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इन रैलियों की अगुआई कुछ राष्ट्रवादी संगठन कर रहे थे. रैलियां सन बाईपास से शुरू हुई थीं और जामशुरू ज़िले में मौजूद जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुईं. इन रैलियों में कुछ भी नया नहीं था. हर साल सिंधी राष्ट्रवादी और अलगाव समूह जीएम सईद की जयंती बड़े धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन इस साल इन रैलियों में कुछ चौंकाने वाले दृश्य दिखे. इस बार 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' नाम के संगठन के लोग दुनिया के अलग-अलग नेताओं के पोस्टर और बैनर लेकर चल रहे थे उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तस्वीरें थीं. कुछ लोग तख़्तियां लिए हुए थे, जिनमें लिखा था 'सिंध को पाकिस्तान से आज़ादी चाहिए.' ये रैलियां बहुत बड़ी नहीं थीं. स्थानीय मीडिया में इसे ज़्यादा कवरेज भी नहीं मिली लेकन इनमें शामिल नरेंद्र मोदी की तस्वीरें तुरंत पूरे भारत में छा गईं. समाप्त रैलियों में शामिल लोग स्वायत्त 'सिंधुदेश' और अलगाववादी नेता जीएम सईद के समर्थन में नारे लगा रहे थे. रैली जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुई. उनके अनुयायियों ने वहां गुलाब की पखुंड़ियां बिखेरकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. कौन हैं जीएम सईद? जाने-माने सिंधी नेता जीएम सईद पाकिस्तान की स्थापना करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. उन्होंने बंटवारे से पहले सिंध की असेंबली में पाकिस्तान की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था. पाकिस्तान की संसद की ओर से 1973 में देश के संविधान को मंज़ूरी मिलने के बाद जीएम सईद ने ख़ुद को संसदीय राजनीति से अलग कर लिया था. उनका मानना था कि इस संविधान के ज़रिये कभी भी सिंध के अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे. उसी साल छात्रों की एक रैली में जीएम सईद ने एक आज़ाद 'सिंधुदेश' की अवधारणा पेश की. इसी दौरान उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़-ए-अवाल' की स्थापना की. बाद में कुछ और अलगवादी संगठन इस बैनर के तले इकट्ठा हो गए और नए संगठन का नाम रखा गया- 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़'. जीएम सईद एक सिंधी लेखक, राजनीतिज्ञ और आंदोलनकारी थे. उनका विश्वास अहिंसक संघर्ष में था. उन्होंने सिंधुदेश आंदोलन की नींव रखी और फिर जीवन भर वह सिंध के लोगों की पहचान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे. उन्हें सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक माना जाता है. सईद की नज़र में पाकिस्तान की हुकूमतों का रवैया 'सिंध विरोधी' था. लिहाज़ा उन्होंने इसका विरोध शुरू किया और इस वजह से उन्हें अपनी ज़िंदगी के लगभग 35 साल नज़रबंदी में बिताने पड़े. 1995 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हे 'प्रिज़नर ऑफ कॉन्शस' का दर्जा दिया. उसी साल नज़रबंदी के दौरान कराची में उनकी मौत हो गई. यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी टीवी प्रेजेंटर इक़रारुल हसन भारत की तारीफ़ कर निशाने पर आए अहिंसक आंदोलन से चरमपंथ तक साल 2000 में 'जिए सिंध मुत्ताहिदा महाज़' का शफ़ी मोहम्मद बारफ़त के नेतृत्व में पुनर्गठन हुआ. संगठन का वैचारिक आधार वही था, जिसे जीएम सईद ने स्थापित किया था. लेकिन बारफ़त के आने से संगठन में चरमपंथी तत्व जुड़ गए. उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' के चरमपंथी धड़े को खड़ा किया. इस संगठन का नाम था- 'सिंध लिबरेशन आर्मी'. इसके बाद रेल पटरियों पर बम धमाके होने शुरू हुए. सिंध के अंदरूनी इलाक़ों में हाई पावर ट्रांसमिशन लाइनों पर हमले किए गए. ठीक इसी समय बलोच अलगाववादी आंदोलन भी ज़ोर पकड़ रहे थे. लेकिन 2003 से पाकिस्तानी सुरक्षा एंजेंसियों ने सिंध में हो रहे विद्रोह को दबाना शुरू किया. कई अलगाववादी नेता लापता हो गए. बारफ़त समेत कुछ दूसरे नेताओं को पश्चिमी देशों में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी. बाद में जिये सिंध आंदोलन से जुड़े कई अलगाववादी गुटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जिन संगठनों पर बैन लगाया वो राजनीतिक मुहिम नहीं चला सकते थे और न ही पैसा इकट्ठा कर सकते थे. उन पर पाकिस्तान में कहीं भी एक जगह इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. यह भी पढ़ें: कोरोना वैक्सीनः चीन और रूस के भरोसे पाकिस्तान, पर राह आसान नहीं पाकिस्तान को बारफ़त की चरमपंथ हमलों से जुड़े कई मामलों में तलाश है. फ़िलहाल वह फ़रार हैं. ज़्यादातर सिंधी अलगावादी समूह खुलकर सक्रिय नहीं हैं. लेकिन हर साल जी.एम. सईद की जयंती पर वे अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. इस साल जिस तरह की रैलियां हुईं वैसी ही रैलियां हर साल होती हैं. हालांकि इस साल रैलियों में जो बैनर दिख रहे थे उसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें दिख रही थीं. एक बैनर पर लिखा था, "श्रीमान मोदी जी, सिंध पाकिस्तान से आज़ादी चाहता है." यह बैनर सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया गया. 'हम हर क्रांतिकारी तरीक़े का इस्तेमाल करेंगे' जीएम सईद की जयंती पर जो रैलियां निकाली गईं, उनमें एक की अगुआई नवगठित 'जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट' कर रहा था. ह्यूस्टन में रहने वाले सिंधी ज़फ़र सहितो इस संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि वह पाकिस्तान से सिंध की आज़ादी के लिए हर संभव तरीक़ा अपनाएंगे. उन्होंने कह, "चाहे वह राजनीतिक आंदोलन हो या सोशल मीडिया के ज़रिये आंदोलन का रास्ता हो. चाहे हमें इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की ज़रूरत पड़े. हम हर उस चीज़ की मदद लेंगे जो सिंध फ्रीडम मूवमेंट को उसका मक़सद हासिल करने में मददगार साबित होगी." यह भी पढ़ें: हज़ाराः पाकिस्तान में ‘निशाने’ पर रहते मुसलमान सहितो 2004 से ही विदेश में रह रहे हैं. वह आख़िरी बार 2015 में पाकिस्तान आए थे. जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान में जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट के लोग आंदोलन करते क्यों नहीं दिखते तो उन्होंने कहा कि संगठन ने अभी यहां किसी को अपना प्रतिनिधि नहीं बनाया है. कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की चिंता की वजह से संगठन ने ऐसा नहीं किया है. हालांकि सहितो ने रैलियों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के सवालों पर दूरी बनाए रखी. उन्होंने कहा कि वह दूसरे समूहों की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वैसे उनका मानना है कि इस तरह के विवाद इस मुक़ाम पर आंदोलन के मक़सद को नुक़सान पहुंचाएंगे. विश्लेषकों का मानना है कि अलगावादी संगठन अभी तक सिंध में अपनी पहचान बनाने में नाकाम रहे हैं. ये संगठन साल के ज़्यादातर समय निष्क्रिय रहते हैं और सिर्फ़ मीडिया के ज़रिये एक बार जीएम सईद की जयंती पर दिखते हैं. ऐसा नहीं है कि ये संगठन सिर्फ़ दमन के डर से बाहर नहीं निकलते बल्कि हक़ीक़त यह कि इनके पास सिंध में ज़्यादा लोगों का समर्थन नहीं है. अर्नब गोस्वामी के बारे में क्या बोले इमरान ख़ान? (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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A rally for a separate country was taken out in Pakistan's Sindh with pictures of PM Modi
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Some separatist groups held rallies in Pakistan's Sindh province on Sunday, coinciding with the 117th birthday celebrations of Sindhi nationalist leader GM Saeed.
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These rallies were led by posters and banners of various leaders of the world, including Indian Prime Minister Narendra Modi. These rallies this time had some shocking visuals. Some people were carrying placards that said, 'Sindh needs freedom from Pakistan.' These rallies were called anti-Russian media, 'We don't need to take refuge in Pakistan.' We are looking for a new political identity, including GM's name, 'Pakistan's political identity. GM's political identity, including GM's identity,' Pakistan's political identity, including GM's identity, 'Pakistan's political identity, including GM's identity,' Pakistan's political identity, Mr. Syed's political identity, including GM's political identity, Mr. India's internal media identity, Mr. Saeed's political identity, including GM's identity, 'Pakistan's political identity, Mr. Saeed's political identity,' Pakistan's political identity, Mr. Hussain's political identity, 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan', 'Sindh's political identity', 'Sindh' Sindh ',' Sindh's history ',' Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh, Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ',
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070508_clinton_aidsdeal
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2007/05/070508_clinton_aidsdeal
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क्लिंटन फ़ाउंडेशन का अहम समझौता
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पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने घोषणा की है कि उनकी फ़ाउंडेशन ने दो भारतीय दवा कंपनियों से समझौता किया है ताकि एचआईवी या एड्स से पीड़ित लोगों को कम क़ीमत पर दवाएँ उपलब्ध हो सकें.
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बिल क्लिंटन ने घोषणा की है कि वे चाहते हैं कि विकासशील देशों में एचआईवी-एड्स दवाओं की कीमत में 25 से 50 फ़ीसदी तक की कमी हो. क्लिंटन फ़ाउंडेशन ने भारत की दो दवा कंपनियों सिपला और मैट्रिक्स लेबोरेटरीज़ के साथ एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के लिए समझौता किया है. दूसरी श्रेणी की ये एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ तब इस्तेमाल होती हैं जब एचआईवी-एड्स का सस्ती दवाओं से इलाज संभव नहीं होता है. ये दवाएँ अफ़्रीका, एशिया, लातिनी अमरीका और कैरिबियाई 60 से अधिक देशों में उपलब्ध होंगी. सस्ती दवाएँ बिल क्लिंटन ने कहा कि इन देशों में सात करोड़ लोगों को एचआईवी-एड्स के इलाज की आवश्कता है लेकिन महंगी दवाओं के कारण लोग इलाज नहीं करा पाते हैं. उनका कहना था,'' कोई कंपनी एड्स की दवाओं में कमी से ख़त्म नहीं होगी लेकिन इससे पीड़ित रोगी की मौत हो सकती है.'' साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वो बौद्धिक संपदा में विश्वास रखते हैं और चाहते हैं कि दवा निर्माता अपनी दवा की खोज की लागत और लाभ निकालें. क्लिंटन फ़ाउंडेशन यूनिटेड नामक संगठन के सहयोग से काम कर रहा है जिसे फ्रांस, ब्राज़ील, चिली, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे देशों ने स्थापित किया है और वह इस कार्यक्रम को वित्तीय सहयोग प्रदान कर रहा है. उल्लेखनीय है कि भारत एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए सस्ती जेनेरिक दवाएँ बनाता है जो कई देशों में निर्यात भी की जाती हैं. लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बौद्धिक संपदा क़ानूनों के तहत जेनरिक दवाए बनाए जाने का विरोध करती हैं. ग़ौरतलब है कि दुनिया भर में लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग एचआईवी का शिकार हैं. उनमें से दो तिहाई तो अफ़्रीकी देशों में रहते हैं और जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज़्यादा है वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है.
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The Clinton Foundation's landmark agreement
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Former US President Bill Clinton has announced that his foundation has tied up with two Indian pharmaceutical companies to make low-cost medicines available to people living with HIV or AIDS.
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Bill Clinton has announced that he wants the price of HIV-AIDS drugs to be reduced by 25 to 50 percent in developing countries. The Clinton Foundation has signed agreements with two Indian pharmaceutical companies, Cipla and Matrix Laboratories, for antiretroviral drugs. The second category of antiretroviral drugs are used when HIV-AIDS cannot be treated with cheap drugs. These drugs will be available in more than 60 countries in Africa, Asia, Latin America, and the Caribbean. Cheaper adult drugs. Bill Clinton said that 70 million people in these countries need treatment for HIV-AIDS, but people are not able to get treatment due to expensive drugs. He said, "No company will end up with a shortage of AIDS drugs, but the patient suffering from it can die." He also made it clear that he believes in remarkable intellectual property and wants drug manufacturers to benefit from the cost of their intellectual property and African drug discovery. These drugs will be available in more than 60 countries in Africa, Asia, Latin America, and the Caribbean. Cheap adult drugs Bill Clinton said that people need treatment for HIV-AIDS in these countries, but because of the expensive drugs, people are not able to get treatment due to the expensive vibrations. He said, "In every country like Chile, where India, three million people are victims of HIV, but in every country," Clinton establishes financial support for this financial assistance to countries like France, France, France, Germany, Germany, Germany, Germany, Germany, France, Germany, Germany, Germany, Germany, and the United Kingdom, which is providing financial assistance to every country, to every country for every country where people suffering from HIV infection.
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160510_bangladesh_execution_fma
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https://www.bbc.com/hindi/international/2016/05/160510_bangladesh_execution_fma
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बांग्लादेश में शीर्ष इस्लामी नेता को फांसी
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बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी के नेता को युद्ध अपराध के लिए फांसी पर लटका दिया गया है.
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मुतीउर रहमान निज़ामी की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी. अधिकारियों का कहना है कि मुतिउर रहमान निज़ामी को ढाका की केंद्रीय जेल में फांसी दी गई. जमाते इस्लामी के नेता निज़ामी को 1971 में पाकिस्तान से आजा़दी के लिए हुई जंग में मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का दोषी पाया गया थाय साल 2013 से लेकर अबतक फांसी दिए जाने वाले वो पांचवे बड़े नेता हैं. पहले दी गई फ़ांसियों का मुल्क में विरोध हुआ है. समाप्त बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निज़ामी की दया याचिका ख़ारिज कर दी थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Top Islamist leader executed in Bangladesh
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The leader of Bangladesh's largest Islamic fundamentalist party has been hanged for a war crime.
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Mutiur Rahman Nizami's mercy petition was rejected by the Supreme Court. Officials say Mutiur Rahman Nizami was hanged in Dhaka's Central Jail. Nizami, the leader of Jamaat-e-Islami, was found guilty of crimes against humanity in the 1971 war for independence from Pakistan. He is the fifth major leader to be executed since 2013. The earlier sentences have been met with protests in the country. The Bangladesh Supreme Court rejected Nizami's mercy petition on Monday. (For BBC Hindi's Android app, you can click here. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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060918_somalia_attack
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2006/09/060918_somalia_attack
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सोमालिया के राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला
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सोमालिया के अंतरिम राष्ट्रपति अब्दुल्लाही युसूफ़ पर जानलेवा हमला हुआ है. राष्ट्रपति युसूफ़ के काफ़िले के पास हुए एक कार बम धमाके में पाँच लोग मारे गए हैं.
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लेकिन राष्ट्रपति युसूफ़ को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा है. सोमालिया के विदेश मंत्री इस्माईल हूरे ने कहा है कि हमले में राष्ट्रपति के भाई भी मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि हमला करने वाले छह लोग गोलीबारी में मारे गए. ये हमला बैदोवा शहर में अंतरिम संसद भवन के बाहर हुआ. उन्होंने बताया कि हमला राष्ट्रपति को जान से मारने की कोशिश थी. सोमवार को संसद भवन में इस पर चर्चा शुरू हुई है कि क्या सरकार को इस्लामी गठबंधन के साथ सत्ता में भागीदारी करनी चाहिए. नियंत्रण राजधानी मोगादीशू के साथ-साथ दक्षिणी सोमालिया में भी इस इस्लामी गठबंधन का नियंत्रण है. जबकि अंतरिम सरकार बैदोवा और इसके आसपास के छोटे इलाक़े पर भी नियंत्रण रख पाई है. अमरीका का आरोप है कि द यूनियन और इस्लामिक कोर्ट का संबंध अल क़ायदा से है. लेकिन यह गुट इन आरोपों से इनकार करता है. बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि इन धमाकों के कारण युद्ध से ग्रस्त सोमालिया में और तनाव बढ़ने की आशंका है. सोमालिया में पिछले 15 वर्षों से पूर्ण कामकाज संभालने वाली राष्ट्रीय सरकार नहीं है. दस दिन पहले ही बैदोवा के विद्रोही नेता मोहम्मद इब्राहिम हबसदे ने बीबीसी को बताया था कि अगर सरकार के सदस्य शांतिपूर्वक बैदोवा छोड़कर नहीं जाएँगे, तो विद्रोही उन्हें वहाँ से निकाल बाहर करेंगे.
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Deadly attack on Somalia's president
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Somalia's interim president Abdullahi Yusuf has been fatally attacked. Five people have been killed in a car bomb explosion near President Yusuf's convoy.
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But President Yusuf is unharmed. Somalia's Foreign Minister Ismail Hooray says the president's brother was also killed in the attack. He says the six attackers were killed by gunfire. The attack took place outside the interim parliament building in the city of Baidoa. He says the attack was an attempt to kill the president. On Monday, the parliament building began discussing whether the government should share power with the Islamist coalition. The Islamist coalition controls the capital Mogadishu as well as southern Somalia. The interim government also controls Baidoa and a small area around it. The United States alleges that The Union and the Islamic Court are linked to al-Qaeda. But the group denies the allegations. BBC reporters say the blasts are likely to further inflame tensions in war-torn Somalia. The national government in Somalia has not been fully functioning for the past 15 years. Baidoa's leader, Mohamed Ibrahim, told the BBC that the rebels would not leave the government there if Baidoa were to leave peacefully.
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050824_najaf_fighting
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/08/050824_najaf_fighting
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नजफ़ में शिया गुटों में संघर्ष, पाँच मरे
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इराक़ के दक्षिणी शहर नजफ़ में कट्टरपंथी शिया नेता मुक़्तदा अल सद्र समर्थकों की एक प्रतिद्वंद्वी शिया समूह के लोगों से भिड़ंत में कम से कम पाँच लोग मारे गए हैं.
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संघर्ष के दौरान सद्र के दफ़्तर में आग लगा दी गई. नजफ़ में संघर्ष की शुरूआत तब शुरू हुई जब सद्र समर्थकों ने इमाम अली के मज़ार के पास अपना दफ़्तर फिर से खोल दिया. एक सद्र समर्थक मंत्री ने कहा है कि स्थिति को नियंत्रित किए जाने तक वह सरकार के कामकाज़ से ख़ुद को अलग रखेंगे. नजफ़ का तनाव ऐसे समय सामने आया है जब इराक़ी संसद देश के नए संविधान पर मतदान की तैयारी कर रही है. सद्र प्रस्तावित संविधान के विरोधी हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले साल सद्र समर्थकों ने इराक़ में मौजूद अमरीकी सैनिकों के ख़िलाफ़ विद्रोह शुरू किया था. इस बीच सुन्नी समुदाय के एक नेता ने कहा है कि शियाओं के प्रभाव वाला आंतरिक मंत्रालय सुन्नियों को गिरफ़्तार करने का अभियान चला रहा है ताकि वो संविधान पर होने वाले जनमतसंग्रह में हिस्सा न ले सकें. सुन्नी नेताओं ने संघीय ढाँचे के मुद्दे को लेकर संविधान का मसौदा तैयार करने में सहयोग न करने की बात कही है. हिंसा का दौर उधर इराक़ की राजधानी बग़दाद में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस के अनुसार बुधवार को बग़दाद में एक कार बम धमाके समेत हिंसा की विभिन्न घटनाओं में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है. कार बम धमाके में पुलिस को निशाना बनाया गया था. उसके बाद नकाबपोश बंदूकधारियों ने जम कर गोलियाँ चलाईं. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस हमले में मारे गए लोगों में कम से कम तीन पुलिसकर्मी शामिल थे. इस घटना में 50 से ज़्यादा लोग घायल भी हुए.
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Five killed as Shia groups clash in Najaf
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At least five people have been killed as supporters of hardline Shi'ite leader Muqtada al-Sadr clashed with those of a rival Shi'ite group in Iraq's southern city of Najaf.
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Sadr's office was set on fire during the conflict. The conflict in Najaf began when Sadr supporters reopened their office near Imam Ali's Mazar. A pro-Sadr minister has said he will stay away from government activities until the situation is brought under control. Najaf's tensions have come to the fore as the Iraqi parliament prepares to vote on the country's new constitution. Sadr opposes the proposed constitution. Sadr supporters launched an insurgency against US troops in Iraq last year. Meanwhile, a Sunni community leader says the Shiite-dominated Interior Ministry is campaigning to arrest Sunnis so they cannot participate in a referendum on the constitution. Sunni leaders have said they will not cooperate in drafting a constitution over the federal structure. A round of violence in the Iraqi capital Baghdad has left more than 50 people injured. According to sources, 17 people, including police officers, have been killed in various car bomb attacks since Wednesday. Less than one person has been killed in car bomb attacks in Baghdad.
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050709_london_investigation
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/07/050709_london_investigation
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बड़ा जाँच अभियान, अपनों की तलाश भी
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लंदन पुलिस ने गुरूवार को हुए बम धमाकों के मामले में एक बड़ा जाँच अभियान शुरू किया है जिसमें बड़े पैमाने पर ख़ुफ़िया एजेंसियों और फ़ोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.
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इन धमाकों में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. स्पेन से एक जाँच दल लंदन रवाना हो रहा है जो मार्च 2004 में मैड्रिड में रेलगाड़ी में हुए भीषण धमाकों की जाँच में अपनी विशेषज्ञता लंदन पुलिस को मुहैया कराएगा. इस बीच ज़मीन के क़रीब सौ फुट नीचे बने लंदन के भूमिगत रेल स्टेशन किंग्स क्रॉस में शव ऊपर पहुँचाने का काम जारी है. पुलिस इन चार बम धमाकों के समय पर फिर से ध्यान दे रही है. पुलिस इस तथ्य पर ध्यान दे रही है कि सभी धमाके पाँच-पाँच मिनट के अंतराल पर हुए. पहले पुलिस ने समझा था कि चारों धमाके 25 मिनट के भीतर हुए. फ़ोरेंसिक जाँच दल भूमिगत रेल सुरंगों और अन्य घटनास्थलों पर तेज़ी से काम कर रहे हैं और वहाँ से जाँच क लिए नमूने इकट्ठे कर रहे हैं. ये दल यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन धमाकों के लिए कौन से विस्फोटक और तरीक़ा इस्तेमाल किया गया. मैट्रोपोलिटन पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, "अगले कुछ दिनों में बहुत कुछ काम होगा और फ़ोरेंसिक जाँच के लिए बहुत से नमूने इकट्ठे किए जाएंगे." कैमरों की जाँच लंदन में बड़ी संख्या में ऐसे कैमरे लगे हैं जिनमें हर समय रिकॉर्डिंग चलती रहती है और कोई भी संदिग्ध गतिविधि उनमें रिकॉर्ड हो जाती है. पुलिस सभी घटनास्थलों के आसपास लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग की जाँच में लग गई है. पुलिस ने आम लोगों से कोई भी सूचना तुरंत देने की अपील की है जिसके लिए एक आतंकवाद निरोधक हॉटलाइन बनाई गई है. मैट्रोपोलिटन पुलिस के आयुक्त सर इयन ब्लेयर ने कहा कि पुलिस इन बम धमाकों के ज़िम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा, "ऐसी कोई भी ठोस सूचना या सबूत नहीं है जिसके आधार पर इसे आत्मघाती हमला बताया जा सके या इस संभावना को नकारा जा सके." बीबीसी के सुरक्षा मामलों के संवाददाता फ्रेंक गार्डिनर का कहना है कि जाँच अधिकारी बहुत से सवालों का विश्लेषण कर रहे हैं. "सबसे अहम सवाल ये है कि क्या हमलावर ब्रितानी ही थे, ब्रितानी आतंकवादी या फिर ये लोग हमला करने के लिए किसी अन्य देश से आए थे." इस संभावना की भी जाँच की जा रही है कि बम बनाने वाला कोई विशेषज्ञ रहा होगा जिसने हमलावरों को समुचित दिशा निर्देश दिए होंगे. तलाश इस बीच धमाकों के बाद से लापता लोगों के परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में लगे हैं और जगह-जगह भटक रहे हैं. लंदन में बने आपात केंद्र में ऐसे परिजनों के अब तक एक लाख से ज़्यादा टेलीफ़ोन आ चुके हैं. रिश्तेदार और दोस्त अपने प्रियजनों की तलाश के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं और उनके फ़ोटो घटनास्थल पर भी ले जाकर लोगों को दिखा रहे हैं. इस बीच देश भर में प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया और लंदन में भी श्रद्धांजलि सभाएँ हुईं जिनमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया. इस बीच लंदन में परिवहन व्यवस्था सामान्य हो रही है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि भूमिगत रेल का जो हिस्सा धमाकों से प्रभावित हुआ उसे बहाल होने में कई सप्ताह का समय लग सकता है.
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A big investigation campaign, also looking for their own
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London police have launched a major investigation into Thursday's bombings, drawing on a wide range of intelligence agencies and forensic experts.
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The number of people killed in these blasts has risen to 50 within a span of five minutes. The police are looking at the fact that all four blasts occurred within 25 minutes. The forensic investigation team is moving to London to find out more than a thousand people missing in the underground railway tunnels and other places. The London Metropolitan Police are trying to find out which family members and explosive devices were used in the London underground hospitals. Meanwhile, a spokesman of the Metropolitan Police said, "In the next few days, the important information of the London underground railway station King's Cross, which is about a hundred feet below the ground, is being sent up. The police are looking at the timing of these four bombings. The police are paying attention to the fact that these four bombings will be shown on the scene of the London underground railway station or the site of the suicide bombing, which is also a solid tribute to the families of the victims of the terrorist attack," said Blankensky. The police have not been able to find out any concrete information about the possibility of a terrorist attack taking place in the vicinity of this meeting, and the police officers have been called "a large number of people in the country," and the security guards have been instructed to conduct an investigation of the terrorist attack. "A large number of security personnel have been sent to the site for investigation." It is said that the possibility of such a terrorist attack. "A large number of people have been killed in this time."
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080222_mills_boon
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2008/02/080222_mills_boon
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भारत पहुँचा 'किताबी' रोमांस
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रोमांस को किताब की शक्ल में लोगों तक पहुँचाने वाले ब्रितानी प्रकाशक ‘मिल्स एंड बून’ ने अब अपनी किताबें बेचने के लिए भारत का भी रुख़ किया है.
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कंपनी को उम्मीद है कि उसका कामुक कथानक भारत के लोगों के दिलों में जगह बना लेगा और उसका साहित्य यहाँ अपने लिए बाज़ार तलाश कर लेगा. तो दिल्ली के महिला रीडिंग ग्रुप में रोमांटिक उपन्यास के बारे में क्या सोच है, जहाँ एक विचारमग्न नायक हमेशा कुँवारी स्त्री से ही विवाह करता है. पढ़ने का शौक रखने वाले औरत के इस वर्ग से मैं राजधानी दिल्ली के एक कैफ़े में मिली. बातचीत में सीमा मोनहॉट ने बताया कि उनके लिए किसी भी उपन्यास का मुख्य आकर्षण 'फ़ील गुड फ़ैक्टर' होता है. सीमा को किसी भी कहानी का सुखद अंत पसंद हैं. सीमा कहती हैं, “रोमांस, किसी लड़की के लिए तब तक चलने वाली अनवरत प्रक्रिया है जब तक वो मर न जाए. उम्र का इससे कोई ताल्लुक नहीं होता, आपको हमेशा वही प्यार चाहिए होता है जिसकी अनुभूति पहली बार अपने ब्वायफ़्रैंड के साथ, मंगेतर के साथ या जिसे आप सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं उसके साथ हुई होती है.” हालांकि 'मिल्स एंड बून'- जिसका अपने शहर ब्रिटेन में प्यार के बाज़ार में तीन चौथाई हिस्सा है, केवल भारत में ही शुरुवात कर रहा है. इनकी किताबें देश में पहले से ही प्रचलित हैं, उसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि ये अनाधिकृत रूप से विदेश से आतीं रहीं हैं. किताबों के शौकीन ख़ुद को लंबे समय से इनका मुरीद बताते हैं. रचना श्रीवास्तव की ही बात करते हैं. वो कहती हैं, "इन्हीं किताबों के बीच वो बड़ी हुई हैं, इससे उनके ज़ेहन में एक आदर्श आदमी की छवि को आकार मिला है. मैं हमेशा एक ऐसी रात की कल्पना करती हूँ जिसमें चमकदार कवच में, लंबा, गहरे रंग का और ख़ूबसूरत... कोई आ रहा है, मुझे नींद से जगा रहा है और कहीं दूर ले जा रहा है.” “वो मेरे लिए हमेशा इसी तरह का रहा है.” मैंने समूह में औरतों से पूछा कि उनका भारतीय पुरुषों में आदर्श ख़याली नायक कौन होगा. उनका जवाब था कि ‘वो’ बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रौशन और शाहरुख़ ख़ान, व्यवसायी अनिल अंबानी और उद्दोगपति सुनील मित्तल का मिलाजुला रूप होना चाहिए. वाकई ये दिलचस्प है, यही आज के आदर्श भारतीय पुरूष हैं - महिलाएँ अब पुराने महाराजाओं की तरफ़ नहीं देखतीं. डार्क एंड हैंडसम सविता जैन कहती हैं, “समकालीन भारत की पसंद समकालीन पुरुष है, एक ऐसा पुरुष जिसने ख़ुद को अपने आप बनाया हो, पूर्वजों की संपत्ति पर निर्भर न हो. ये उन्हे ज़्यादा रोचक बनाता है.” सविता की सहेलियाँ इस पर चुटकी लेने से नहीं चूकीं कि सपनों का शहज़ादा लंबा, गहरे रंग वाला, ख़ूबसूरत, अमीर होगा और उसके पास ख़ुद का हवाई जहाज़ होगा. उन्होंने बताया कि वास्तविक जीवन में पुरुषों में जितनी अच्छाइयाँ होती हैं उतनी ही बुराइयाँ भी रहती हैं लेकिन इन काल्पनिक कहानियों के पुरुषों में अलग ये होता है कि उसकी कमियों का कोई अस्तित्व नहीं होता है. शायद बदक़िस्मती से लेकिन वास्तविक भारतीय पुरुष के बारे में महिलाएँ कहतीं हैं कि उपन्यास के हिस्से कई बार वास्तविक जीवन में उनकी पसंद को प्रभावित करते हैं. सविता जैन कहतीं हैं, “जब आप किताब पढ़ें, उन क्षणों को अपने प्रियतम के साथ फिर से जिएँ जब आप उन्हें मिलें.” किरन चौधरी कहती हैं, “मुझे तो लगता है कि ये कहानियाँ केवल कल्पना हैं. जब आप इन्हें पढ़ रहे होते हैं तब तक उनके साथ खुश रहते हैं, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसे हीरो नहीं मिलते हैं.” “अपने लिए आदर्श जीवन साथी तलाश करना बहुत मुश्किल है.‘मिल एंड बून’ के हिसाब से, आप सपनों की दुनिया में पहुँच जाते हैं और बाद में निराश होते हैं.” वास्तव में इस एक आलोचना ने मिल्स एंड बून के स्तर को समान कर दिया है - वास्तविता का पूर्ण अभाव कथानक में और चरित्रों दोनों में दिख रहा है लेकिन एक और रीडिंग समूह की मीनाक्षी जैन का मानना है कि वास्तविकता उनकी पसंद की चीज़ों में सबसे आख़िरी स्थान पर आती है. उन्होंने कहा, “जिस दुनिया में हम रह रहे हैं, वो तनाव से भरी है. इस तरह की किताबें उस तनाव से कम से कम कुछ देर की राहत तो देती हैं. आप ख़ुद को हीरोइन की जगह रख कर कल्पना की दुनिया में खो सकते हैं.”
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'Booked 'romance reaches India
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Mills & Boon, the British publisher that brought romance to the masses in book form, has now turned to India to sell its books.
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The company really hopes that its erotic plot is the 'feel good factor' of any novel. Sima Monhaut says, "Romance, for a girl, is a continuous process that lasts until she dies, and Savita Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the beautiful Rani, the beautiful Rani, the Queen, the Queen of the Queen, the Queen of the City, the Queen of the City, the Queen of the City, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length and the hero, the hero, the hero, the
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https://www.bbc.com/hindi/international-38403620
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पाकिस्तान: हिंदुओं को मिली मंदिर और श्मशान के लिए जगह
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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की एक प्रशासनिक इकाई ने बताया है कि हिंदू समुदाय के लोगों को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ख़ास जगह मुहैया कराई गई है.
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बीबीसी से बात करते हुए इस्लामाबाद के डिप्टी मेयर ज़ीशान नक़वी ने बताया, "हिंदू समुदाय की लंबे समय से यह मांग थी कि राजधानी में उन्हें कुछ जगह दी जाए, ताकि अंतिम संस्कार के लिए वे श्मशान घाट बना सकें. साथ ही एक सामुदायिक केंद्र और मंदिर भी बना सकें." ज़ीशान नक़वी ने बताया कि हिंदुओं को इस्लामाबाद के सेक्टर-एच में एक प्लॉट दिया गया है और हिंदू समुदाय के परामर्श से ही यहां निर्माण कार्य किया जाएगा. नक़वी ने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग अब तक अंतिम संस्कार के लिए बौद्धधर्मियों के श्मशान घाट का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन अब उनके पास अपना श्मशान घाट और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इन्हें भी देख सकते हैं: समाप्त पाकिस्तान में हिंदू होने का मतलब... पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों पर एक किताब किस हाल में हैं पाकिस्तान के हिंदू मंदिर? इस्लामाबाद में हिंदू पंचायत के महासचिव अशोक चंद के अनुसार शहर में हिंदुओं की धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जगह देने की मांग काफी पुरानी है. बेनज़ीर भुट्टो की सरकार में भी इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. हालांकि बीते सात-आठ सालों में इस मांग ने बहुत तेज़ी पकड़ी है. अशोक ने कहा कि इस समय इस्लामाबाद में करीब 125 हिंदू परिवार बसे हैं और कुल एक हज़ार के करीब लोग हैं. लाहौर के एक मंदिर में प्रार्थना करता हिंदू परिवार. (फ़ाइल फ़ोटो) अशोक चंद ने जगह मिलने पर हिंदू समुदाय की ओर से खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ी, जिसमें नेशनल कमीशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ने उनकी बहुत मदद की. उन्होंने बताया कि पहले उन्हें कहा गया था कि बौद्धधर्मियों के लिए आरक्षित जगह को ही हिंदू अपने अंतिम धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन मानवाधिकार आयोग ने इसका विरोध किया और कहा कि बौद्धधर्मियों के अधिकारों को मारा नहीं जाए. साथ ही हिंदू भी पाकिस्तान के नागरिक हैं, इसलिए उन्हें उनके अधिकार दिए जाएं. अशोक की मानें, तो इस्लामाबाद स्थित हिंदू समुदाय के ज्यादातर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए सिंध जाना पड़ता है. इसके अलावा रावलपिंडी और अटक में एक श्मशान घाट है, जो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता है. अशोक चंद ने बताया कि जल्द ही आवंटित ज़मीन पर सामुदायिक केंद्र, मंदिर और श्मशान घाट बनाए जाएंगे. अगर सरकार की ओर से कोई वित्तीय मदद नहीं मिली, तो हिंदू समाज चंदा इकट्ठा करके यहां मंदिर और अन्य सुविधाएं तैयार करेगा. तस्वीरों में: पाकिस्तान के हिंदू मंदिर शरणार्थी वक्फ संपत्ति बोर्ड के चेयरमेन रशीद ने बीबीसी को बताया कि वह इस्लामाबाद में हिंदुओं को मंदिर और अन्य सुविधाएं तैयार करने में मदद करेंगे. स्थानीय लोगों की मानें, तो इस फैसले के बाद पाकिस्तान को उस नकारात्मक प्रचार से छुटकारा मिल सकेगा, जिसके तहत उसे दुनिया के 'अल्पसंख्यकों के प्रति कट्टर' देशों में शामिल किया गया है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Hindus in Pakistan get space for temple, crematorium
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An administrative unit of Pakistan's capital Islamabad has said that the Hindu community has been provided with a special place for religious rituals.
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Speaking to the BBC, Islamabad's Deputy Mayor Zeeshan Naqvi said, "It has been a long-standing demand of the Hindu community that they should be given some space in the capital, Islamabad, so that they can build cremation grounds for Hindus in the city. Also a community centre and a temple can be built." Zeeshan Naqvi reported that Hindus have been given a plot in Sector-H of Islamabad and construction work can be done here only in consultation with the Hindu community. The issue was also raised in Benazir Bhutto's government. Most of them were given no religious facilities except for a hearing in the Sindh Civil Society. The government of Sindh, and the Hindu citizens of Pakistan have been demanding that they can build a Hindu crematorium in Islamabad. The Hindu Waqf Board and the Hindu Waqf Board can also be used for this purpose. "If the Hindu community gets a donation from the Hindu community for the last rites of the Hindu family in Pakistan, then they will get the final rights of the Hindu family," he said.
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https://www.bbc.com/hindi/social-39645758
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सोशल: एक लड़की के सोनू निगम से पूछे गए सवाल हुए वायरल
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धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर सवाल उठाने वाले गायक सोनू निगम से एक लड़की ने सवाल किया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
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ख़ुद का नाम यासमीन अरोड़ा मुंशी बताने वाली इस लड़की ने 17 अप्रैल को अपने फ़ेसबुक पेज पर सोनू निगम से सवाल करते हुए एक लाइव वीडियो पोस्ट किया था. 8 लाख बार देखा जा चुका है और डेढ़ लाख लोगों ने इसे शेयर किया है. इस लड़की ने सवाल किया था, "सोनू निगम जी, आप करीब 50 साल के हो गए हैं. आपको पचास साल बाद अचानक कैसे याद आया कि आपको अज़ान से तकलीफ़ होती है. क्या यह सवाल देश की हुकूमत देखकर उठाया गया है." सोनू निगम ने ट्विटर पर अपने पोस्ट में धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर सवाल उठाए थे, जिसमें सबसे पहले अज़ान का ज़िक्र किया गया था. सोनू निगम ने कहा था कि ये 'धार्मिक गुंडागर्दी है बस'. अपने वीडियो में यासमीन ने कहा, "जब गोमांस खाने के नाम पर महिलाओं से बलात्कार कर दिया जाता है, क्या उसे गुंडागर्दी नहीं कहते?" यासमीन ने अपने वीडियो में कहा कि गौरक्षा के नाम पर पहलू ख़ान और अख़लाक़ की हत्या गुंडागर्दी नहीं थी? लेकिन तब आपने ट्वीट नहीं किया. अपने वीडियो में यासमीन ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया. वहीं सोशल मीडिया पर कई अन्य मुस्लिम महिलाओं ने भी सोनू निगम के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी. इनमें लोगों ने सोनू के पक्ष और विपक्ष में राय पेश की. एरीना अकबर ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''मैं सोनू निगम से इस बात पर सहमत हूं कि सुबह की अज़ान के लिए लाउडस्पीकर इस्तेमाल नहीं होना चाहिए लेकिन इसको गुंडागर्दी का नाम देना कुछ ज़्यादा हो गया. गुंडागर्दी का मतलब होता है लूट-मार करना, ख़ून-ख़राबा करना, लेकिन किसी को नींद से उठाना गुंडागर्दी में शामिल नहीं है.'' एक और पोस्ट में एरीना सोनू निगम के ज़रिए गुंडागर्दी शब्द के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हुए लिखती हैं, ''एक ग़लत शब्द का इस्तेमाल एक उचित दलील को भी नष्ट कर देता है. हां, मुसलमानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना चाहिए. लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच नहीं करना चाहिए. लेकिन अज़ान को गुंडागर्दी कहना अत्यंत असंवेदनशील है.'' एरीना अक़बर के सवाल लेकिन इसी के साथ वो आगे ये भी लिखती हैं, ''जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं वहां मुसलमानों को अपने पड़ोसियों की नींद का ख़्याल रखना चाहिए और सुबह को लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ये मामूली सा शिष्टाचार है.'' उनके अनुसार रमज़ान में ख़ासकर सुबह की अज़ान से पहले बार-बार घोषणा करना कि अब रोज़े में 10 या पांच मिनट बाक़ी हैं, ग़ैर-मुस्लिम लोगों को परेशान करना है. वो आगे लिखती हैं, ''क़ुरान में भी मुसलमानों को पड़ोसियों के अधिकारों के बारे में नसीहत दी जाती है, लेकिन रमज़ान में लाउडस्पीकर से लगातार घोषणा करते रहने से हम अपने पड़ोसियों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. मैं खाड़ी के एक देश में रही हूं और लाउडस्पीकर का ऐसा इस्तेमाल मैंने वहां नहीं देखा. तमाशाबाज़ी तो हम भारतीयों को ही आती है, चाहे वो जागरण हो या रमज़ान में बार-बार की जाने वाली घोषणाएं.'' (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Social: A girl's question to Sonu Nigam goes viral
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Singer Sonu Nigam, who has questioned the use of loudspeakers in religious places, has been questioned by a girl, whose video is going viral on social media.
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The girl, who identified herself as Yasmeen Arora Munshi, had posted a live video on her Facebook page on April 17 questioning Sonu Nigam. It has been viewed 8 lakh times and shared 1.5 lakh times. This girl had questioned, "Sonu Nigam ji, how did you suddenly remember after fifty years that you are disturbed by the azaan in the name of cow vigilantism. Sonu Nigam had raised this question after seeing the ruling of the country." Sonu Nigam had raised this question in his post on Twitter. Sonu Nigam had also used the word azaab along with Ram Nigam in the same way for Muslims to sleep for six consecutive nights. Sonu Nigam has also used the word azaab in the same way. "Sonu Nigam has also used the word azaab in favor of Ram Nigam." Sonu Nigam has also used the word azaab several times in his tweets. Sonu Nigam has also used the word azaab in the name of Ram Nigam. "But Sonu Nigam does not use the word azaab in the same way in the name of Muslims. But according to Sonu Nigam's tweet," But I do not use the word azaab in the name of Yasmeen Nigam, "But according to Sonu Nigam's tweet," But I do not use the word azaab in the name of Ram Nigam in the social media, "But Sonu Nigam does not use a word in the same word in the social media," Yes, "Yes," La La La La La La La La, La La La La La, La, La La La, La, La, La, La, La.
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india-55201464
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https://www.bbc.com/hindi/india-55201464
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#FarmersProtest: सरकार ने किसानों से कहा- बुज़ुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दें
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दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार की बातचीत में ये तय हुआ है कि दोनों पक्ष अगले दौर की बातचीत अब 9 दिसंबर को करेंगे.
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समाचार एजेंसियों के मुताबिक, सरकार ने 9 दिसंबर को फिर बैठक की पेशकश करते हुए किसान यूनियनों से समय मांगा ताकि आगे की बातचीत के लिए ठोस प्रस्ताव तैयार किया जा सके. बैठक के बाद विज्ञान भवन से बाहर निकले किसान नेताओं के मुताबिक, केंद्र सरकार का कहना है कि वो उन्हें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेगी. किसान नेता उस प्रस्ताव पर किसानों के बीच चर्चा के बाद उसी दिन बैठक में हिस्सा लेकर अपनी बात रखेंगे. किसान नेताओं से बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं से कहा, "हमने किसानों से कहा है कि सरकार उनके सभी पक्षों पर विचार करेगी. यदि हमें किसान नेताओं से सुझाव मिलें तो समाधान खोजना आसान होता. हमने किसान यूनियंस से कहा है कि ठंड और कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए बुजुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दें." साइलेंट प्रोटेस्ट इस नतीजे पर पहुंचने से पहले विज्ञान भवन के भीतर सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कठोर रुख़ दिखाया और सरकार से जानना चाहा कि किसानों की मांग पर 'हाँ' या 'ना' में से उनका क्या कहना है. समाप्त बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा के मुताबिक, बैठक में मौजूद किसान नेता ने बताया कि सरकार ने पुरानी बातें दोहराई, जिसके बाद किसान नेताओं ने चुप रहकर "साइलेंट प्रोटेस्ट' किया." इससे पहले, किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से कहा कि वो पिछली बैठक के बारे में बिंदुवार जवाब दे. सरकार ने इस पर सहमति जताई. बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से कहा कि उन्हें समाधान चाहिए, सरकार की प्रतिबद्धता चाहिए. किसान नेताओं ने बैठक के दौरान कहा कि वो इस बारे में और चर्चा नहीं करना चाहते और ये जानना चाहते हैं कि सरकार ने किसानों की मांग के बारे में क्या फ़ैसला किया है. बैठक में सरकार ने कहा कि वो पंजाब के किसानों की भावनाएं समझती है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है. विज्ञान भवन में दोनों पक्ष शनिवार को दूसरी बार बैठक कर रहे थे. इससे पहले गुरुवार को दोनों पक्षों में बातचीत हुई थी जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी. प्रदर्शनकारी 'किसान विरोधी काले क़ानून' वापस लेने की बात कर रहे हैं जबकि सरकार उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश कर रही है. सरकार की ये कोशिश शनिवार को नाकाम हुई और अब दोनों पक्ष नौ दिसंबर को एक बार फिर बैठक करेंगे. दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की पड़ोसी राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर आज भी किसान डटे रहे. हरियाणा-दिल्ली के बीच सिंघु बॉर्डर पर जानेमाने सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ ने प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि किसानों ने नया इतिहास रच दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दिलजीत दोसांझ ने कहा, "केंद्र से हमारा एक ही आग्रह है... प्लीज़ हमारे किसानों की मांगें पूरी करो. यहां हर कोई शांतिपूर्ण तरीक से बैठा है और पूरा देश किसानों के साथ है." विज्ञान भवन में बातचीत के पिछले दौर की तरह इस बार भी किसान नेताओं ने अपना लाया खाना खाया. इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसान अपने नेताओं के रूख़ को लेकर काफ़ी उत्साहित नज़र आए. टिकरी बॉर्डर पर बीबीसी संवाददाता पीयूष नागपाल ने प्रदर्शनकारी किसानों से बात की जो पूरी तैयारी के साथ आए हुए हैं. बीबीसी संवाददाता ने बताया कि बैठक के दौरान किसान साफ़-सफ़ाई और खाना बनाने में जुटे हुए थे, साथ ही बैठक के नतीजों का इंतज़ार कर रहे थे. दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों का कहना है कि वो अपने साथ कई दिनों के लिए खाना-पानी लेकर आए हैं और मांगें पूरी होने तक इसी तरह डटे रहेंगे. बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा को मिली जानकारी के मुताबिक अब किसान यूनियनों के नेताओं ने रविवार की सुबह 10 बजे बैठक करने का फ़ैसला किया है. दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों के विरोध प्रदर्शन का शनिवार को दसवां दिन था. इतने दिनों से हरियाणा, पंजाब और अन्य प्रदेशों के किसान दिल्ली के बॉर्डर इलाक़ों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है और कहा है कि उस दिन वे दिल्ली के सभी टोल प्लाज़ा को घेरेंगे. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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#FarmersProtest: The government told the farmers - send the elderly and children back home
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At Saturday's talks between the government and farmer leaders in Delhi's Vigyan Bhawan, it has been decided that the two sides will now hold the next round of talks on December 9.
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According to news agencies, the government has assured the farmers that the government will consider all their options. According to news agencies, after the meeting with the farmers, the government has said that it will be easy to find a solution. We have told the farmer unions that the government is ready to talk to the farmers once again. We have told the farmer unions that the central government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The government is ready to talk to the farmers once again. The government is ready to talk to the farmers again. The government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The government is ready to talk to the farmers once again. The government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The central government is ready to talk to the farmers once again. According to the news agency, keeping in mind the cold and the corona virus.
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140530_twitter_treasure_hunt_hidden_cash_rd
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https://www.bbc.com/hindi/international/2014/05/140530_twitter_treasure_hunt_hidden_cash_rd
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ट्विटर पर सुराग़ पाओ और ढूंढो छुपाया हुआ पैसा
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अमरीका के सैन फ्रांसिस्को में एक अज्ञात ट्वीटर ने एक ऐसा चलन शुरू किया है जो दुनिया भर में फैलना शुरू हो गया है- ट्विटर ख़ज़ाने, नक़द पैसे की खोज.
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आख़िर कौन नहीं चाहेगा कि उसे रुपयों से भरा लिफ़ाफ़ा मिल जाए? शायद यही वजह है कि क़रीब 2,50,000 लोगों ने @हिडेनकैश (@HiddenCash) अकाउंट को फ़ॉलो करना शुरू कर दिया है. जैसे कि इस ख़बर में पहले भी बताया गया है कि इस अकाउंट का संचालक अनाम रहना चाहता है. वह सैन फ़्रांसिस्को में घर में किसी अज्ञात जगह पर कुछ पैसे छुपा रहा है और उन्हें ढूंढने के सुराग़ ट्विटर पर दे रहा है. एक हफ़्ते पहले जब इस अकाउंट से पहला सुराग़ ट्वीट किया गया तो इसी तरह के और अकाउंट तुरंत पैदा हो गए. इनमें से ज़्यादातर अमरीका-फ़्लोरिडा, कोलोराडो, टेक्सस और अन्य जगह हैं लेकिन ऐसा लगता है कि यह चलन विश्व भर में फैल रहा है. नाइजीरिया, भारत, हॉंग-कॉंग, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन सभी जगह इस तरह के अकाउंट खोले जा रहे हैं. 'दोनों को फ़ायदा' बुधवार को @हिडनकैश_यूके नाम का नया अकाउंट शुरू करने वाले व्यक्ति कहते हैं, "मैंने इसे इंटरनेट पर वायरल होते हुए देखा और सोचा 'यह सचमुच में एक बहुत मज़ेदार आइडिया है'." ब्रिटेन में ट्विटर, खजाने की खोज, का इनाम जीतने वाले बिजली मिस्त्री हैरी मैकक्यावेन को पहले-पहल इस पर विश्वास ही नहीं हुआ. उन्होंने बीबीसी ट्रेंडिंग को बताया कि वह पैसे से भरे लिफ़ाफ़े को देश के दूसरे कोने में छुपाने की योजना बना रहे हैं. पहली बार- 50 पौंड (क़रीब 4940.96 रुपये) भरा लिफ़ाफ़ा- लीड्स में छुपाया गया था जो एक बिजली मिस्त्री हैरी मैकक्योवन को मिला. उन्हें इस छुपाए गए पैसे के बारे में एक डेंटिस्ट के पास टीवी देखते हुए पता चला. पांच मिनट बाद ही उन्हें ट्विटर पर पहला सुराग़ मिला. वह कहते हैं, "मेरे दोस्त ने कहा कि 'किसी ने मज़े लेने के लिए यह किया होगा' और मैंने सोचा कि मैं ढूंढते हुए थोड़ा मूर्ख लगूंगा. लेकिन यह तो सही निकला." "और मुझे लगा 'यह नहीं हो सकता'." अगला लिफ़ाफ़ा कहीं मैनचेस्टर में छुपा होगा और और उसके बाद शुक्रवार को अगला लंदन में. सैन फ़्रांसिस्को वाले व्यक्ति की तर्ज़ पर ब्रिटेन में इस अकाउंट का संचालने करने वाले व्यक्ति भी अनाम रहना चाहते हैं. वह कहते हैं कि वह पैसे छुपाने के लिए नज़दीकी दोस्तों और देश भर में मौजूद पहचान वाले लोगों पर भरोसा कर रहे हैं. लेकिन वह ऐसा कर क्यों रहे हैं? उनका जवाब है, "मेरे लिए यह मज़ेदार है, और इससे लोगों को मदद मिलती है- इसलिए इससे दोनों को फ़ायदा है." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Find clues and find hidden money on Twitter.
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An anonymous tweeter in San Francisco, USA, has started a trend that is starting to spread around the world - Twitter Treasure, the search for cash.
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After all, who wouldn't want to be the first to tweet the first clue? Maybe that's why almost 2,50,000 people started following the @ह IDenCash (@HiddenCash) account all over the world. 2,50,000 Twitter friends in Nigeria, India, Hong Kong, the Netherlands, and the UK started searching for clues on Friday. @ह Twitter friends on Wednesday @ह ID1 > IDenCash (@HiddenCash). < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID = "ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < /
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https://www.bbc.com/hindi/india/2014/12/141217_spicejet_grounded_flight_rd
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स्पाइसजेट की उड़ान बंद
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भारत की एक एयरलाइंस स्पाइस जेट के नक़द भुगतान करने के बाद तेल कंपनियों ने बुधवार को उसे ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी.
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समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की एक तेल कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने ईंधन की आपूर्ति बंद की ही नहीं थी. हमने कल (मंगलवार) दोपहर बाद तक उन्हें ईंधन की आपूर्ति की थी." "उसके बाद वह ईंधन ख़रीदने आए ही नहीं इसलिए हमने उन्हें दिया भी नहीं. वह आज (बुधवार) दोपहर आए इसलिए हम आपूर्ति कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि स्पाइस जेट को छह महीने पहले ही 'पैसे दो और ले जाओ' की श्रेणी में डाल दिया गया था. इसका अर्थ यह है कि विमान कंपनी को तभी ईंधन आपूर्ति होती थी जब वह इसके लिए भुगतान करते थे. 'उधार की सीमा बढ़ी' स्पाइस जेट रोज़ क़रीब 5.5 करोड़ रुपये का ईँधन भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) से ख़रीदा करता था लेकिन छह महीने पहले उसने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ से भी कुछ ख़रीदना शुरू कर दिया. समाप्त लेकिन तबसे स्पाइसजेट के अपनी उडानों में कटौती करने और बेड़े में कमी करने के चलते यह उपभोग कम हो गया. बुधवार सुबह भुगतान समस्या के चलते स्पाइसजेट का कोई भी विमान उड़ान नहीं भर पाया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि एयरपोर्ट संचालकों को विमान कंपनियों को भुगतान के लिए 15 दिन का समय देने को कहा जाएगा और सरकारी तेल कंपनियों को भी 15 दिन का उधार देने को कहा जाएगा. सूत्रों के अनुसार तेल कंपनियों ने लेटर ऑफ़ क्रेडिट या बैंक गारंटी के ज़रिए भुगतान सुरक्षित होने के बाद ही उधार की सीमा बढ़ाई है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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SpiceJet flights cancelled
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Oil companies started supplying fuel to SpiceJet, an Indian airline, on Wednesday after it made a cash payment.
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According to news agency PTI, a senior official at a public sector oil company said, "We had not stopped fuel supply. We had also started buying fuel from Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries till yesterday (Tuesday) afternoon." "After that, he did not come to buy fuel, so we did not give it to him. He came today (Wednesday) afternoon, so we are supplying." He said that SpiceJet was put in the category of "give and take money" six months ago. This means that the airline used to get fuel supply only when they paid for it. "The borrowing limit has been increased." SpiceJet used to buy fuel worth about Rs 55 million every day from Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) but six months ago, it also started buying some from Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries. But since SpiceJet cut its flights and reduced the fleet consumption, it has not been able to pay for the fuel, "he said." You can also click on the Civil Aviation Ministry's flight time guarantee after 15 days. "" SpiceJet also said on Twitter that companies will start lending fuel to Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries after six months. "But since then, SpiceJet's credit card is safe." "Yes," "" Yes, "" Yes, "" Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes,"
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160603_migrant_crisis_sdp
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https://www.bbc.com/hindi/international/2016/06/160603_migrant_crisis_sdp
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ग्रीस: 340 प्रवासियों को डूबी नौका से बचाया
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ग्रीस के अधिकारियों का कहना है कि भूमध्यसागर में एक नौका के डूबने के बाद लगभग 340 प्रवासियों को बचाया गया है. अभी तक नौ शव भी समुद्र से निकाले गए हैं.
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ग्रीस के क्रेट द्वीप से दक्षिण में 75 समुद्री मील की दूरी पर मिली इस नौका में सवार बाकी लोग लापता माने जा रहे हैं. हवाई जहाज़, पानी के जहाज़ और हेलीकाप्टर्स की मदद से राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है. समचार एजेंसी एपी के मुताबिक, एक अन्य घटना में, लीबिया के तट से 100 से अधिक शव बरामद किए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि क्रेट द्वीप के तट पर डूबी नौका संभवत: अफ्रीका से रवाना हुई होगी. हालांकि अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये नौका कहां से चली थी. समाप्त प्रवासियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रमुख डेनियल एसड्रास ने बीबीसी को बताया कि इस विशाल नौका की लंबाई 25 मीटर है जिस पर कम से कम 700 लोग सवार हो सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वर्ष 2016 में अभी तक पश्चिमी यूरोप की ओर जाते हुए 2500 से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं. मौसम में हाल में आए सुधार की वजह से भूमध्यसागर को पार करने वाली नौकाओं की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Greece: 340 migrants rescued from capsized ferry
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Greek authorities say about 340 migrants have been rescued after a ferry sank in the Mediterranean Sea. Nine bodies have also been pulled from the sea so far.
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In another incident, more than 100 bodies have been recovered off the coast of Libya, according to news agency AP. Officials say the boat that sank off the coast of Crete Island may have sailed from Africa. It is unclear where the boat came from. Daniel Esdras, head of the International Organization for Migration, told the BBC that the boat is 25 metres long and can carry at least 700 people. The United Nations says more than 2,500 people have lost their lives so far in 2016, heading to western Europe. Recent improvements in the weather have led to an increase in the number of boats crossing the Mediterranean. Click here to follow us on Facebook (BBC's Android app).
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india-40990807
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https://www.bbc.com/hindi/india-40990807
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शाम तक तय हो हादसे की ज़िम्मेदारीः रेल मंत्री
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उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले में ख़तौली के पास हुए रेल हादसे पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सेंट्रल रेलवे बोर्ड को आज शाम तक हादसे की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं.
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रेल मंत्री ने ट्वीट किया कि 'रेलवे बोर्ड की तरफ से किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आज का दिन पूरा होने तक सेंट्रल रेलवे बोर्ड प्रथम दृष्ट्या सबूतों के आधार पर हादसे की जिम्मेदारी तय करे.' मुज़फ्फ़नगर रेल हादसे में अभी तक 23 लोगों के मारे जाने की ख़बर है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. प्रभु के इस्तीफे की मांग इस हादसे के बाद से रेल मंत्री सुरेश प्रभु विपक्ष के निशाने पर हैं. उनके इस्तीफ़े की मांग उठने लगी है. आरजेडी प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब लोगों को रेलवे में सुरक्षा की गारंटी ही नहीं है तो वे कैसे रेल में सफ़र कर सकते हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार बनने के बाद से अभी तक सैकड़ों लोग रेल हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं, सरकार कब जागेगी. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया कि रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया गया, नतीजा हमारे सामने है. 'ट्रेन का डिब्बा उछलकर मेरे घर पर गिरा, जैसे फ़िल्मों में होता है' '.... आवाज़ सुनकर लगा कि हम मर जाएंगे' पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश प्रभु ने 9 नवंबर 2014 को रेलमंत्री का पदभार संभाला था. उसके बाद से अभी तक देश में करीब 6 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई है. सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बनने के बाद हुए रेल हादसे: (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Responsibility for the accident should be fixed by the evening: Railway Minister
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Following the train accident near Khatauli in Muzaffarnagar district of Uttar Pradesh, Railway Minister Suresh Prabhu has directed the Central Railway Board to fix responsibility for the accident by this evening.
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The Railway Minister tweeted that "No laxity on the part of the Railway Board will be tolerated. Till the completion of this day, the Central Railway Board should fix responsibility for the accident on the basis of prima facie evidence." The Muzaffarnagar train accident has so far killed 23 people while hundreds of people have been injured. Prabhu's resignation has been demanded by the opposition. There have been calls for his resignation. RJD chief and former Railway Minister Lalu Prasad Yadav told the media that when people are not guaranteed safety in the railways, how can they travel by train. Congress spokesperson Randeep Surjewala tweeted that since the formation of the Modi government, hundreds of people have lost their lives in railway accidents so far, when will the government wake up. CPM leader Sitaram Yechury tweeted that the railway budget was merged with the general budget, the result is in front of us. "Listening to the train accident, hundreds of people took charge of the train. After the accident, Suresh Prabhu has become a chartered accountant in the Indian Railways." You can also click on Suresh Prabhu's Twitter account. "Suresh Prabhu has lost his voice in the country after the accident.
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040504_abrar_dead
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2004/05/040504_abrar_dead
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राजस्थान काँग्रेस अध्यक्ष का निधन
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राजस्थान काँग्रेस के अध्यक्ष अबरार अहमद का मंगलवार तड़के एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया है.
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मंगलवार को सुबह क़रीब साढ़े चार बजे अबरार अहमद की कार टोंक ज़िले में एक ट्रक से टकरा गई. अबरार अहमद की मौक़े पर ही मौत हो गई. वे 48 वर्ष के थे. अबरार अहमद के साथ दो अन्य लोग भी मारे गए हैं. जिनमें उनका ड्राइवर और सुरक्षा गार्ड भी शामिल हैं. एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. अबरार अहमद केंद्र की नरसिंह राव सरकार में वित्त राज्य मंत्री रह चुके थे और उन्होंने पार्टी महासचिव का भी पद संभाला था. अबरार अहमद को नारायण सिंह के स्थान पर पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वे फ़िलहाल राज्यसभा सांसद थे. काँग्रेस ने प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने के लिए अबरार अहमद को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था. उनके निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. कुछ वर्ष पहले राजस्थान के ही वरिष्ठ काँग्रेसी नेता राजेश पायलट का भी एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था.
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Rajasthan Congress chief passes away
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Rajasthan Congress president Abrar Ahmed died in a road accident in the early hours of Tuesday.
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At around 4: 30 am on Tuesday, Abrar Ahmed's car collided with a truck in Tonk district. Abrar Ahmed died on the spot. He was 48 years old. Abrar Ahmed was killed along with two others, including his driver and a security guard. One person is seriously injured. Abrar Ahmed was a minister of state for finance in the Narasimha Rao government at the Centre and also held the post of party general secretary. Abrar Ahmed was appointed president of the party in place of Narayan Singh. He was currently a Rajya Sabha MP. The Congress made Abrar Ahmed the president of the party to woo Muslim voters of the state. His death has come as a shock to the party. A few years ago, senior Congress leader from Rajasthan, Rajesh Pilot, also died in a road accident.
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150529_look_ahead_news_alert_blatter_america_iran_ac
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https://www.bbc.com/hindi/india/2015/05/150529_look_ahead_news_alert_blatter_america_iran_ac
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अमरीका और ईरान में परमाणु विवाद पर चर्चा
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विवादों में घिरे सेप ब्लैटर अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से जीतने के बाद शनिवार को पहली बैटक की अध्यक्षता करेंगे.
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इस दौरान 2018 और 2022 के विश्व कप आयोजनों पर चर्चा होने की उम्मीद है. अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी और ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ स्विटज़रलैंड के जेनेवा शहर में मुलाक़ात करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों देश परमाणु समझौते को लेकर चर्चा करेंगे. ख़बरों के अनुसार आज रूस की राजधानी मॉस्को में 'गे प्राइड मार्च' निकाला जा सकता है. समाप्त हालांकि प्रशासन ने रैली की इजाज़त नहीं दी है लेकिन आयोजनकर्ताओं का कहना है कि वे किसी न किसी रूप में यह इसे ज़रूर निकालेंगे. मिस्र की एक अदालत 73 अभियुक्तों पर फ़ैसला सुनाएगी. इन पर 74 लोगों की हत्या के आरोप हैं. आरोपों के अनुसार इन सभी ने 2012 में पोर्ट सईद स्टेडियम में स्थानीय फ़ुटबॉल टीमों के मैच के दौरान भड़के दंगों के बीच हत्या की थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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US, Iran discuss nuclear dispute
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Controversial Sepp Blatter will preside over the first bout on Saturday after winning re-election as president of the International Football Federation.
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During this time, the 2018 and 2022 World Cup events are expected to be discussed. US Secretary of State John Kerry and Iranian Foreign Minister Mohammad Javad Zarif will meet in Geneva, Switzerland. It is believed that both countries will discuss the nuclear deal during this time. According to the news, a 'Gay Pride March' can be taken out in the Russian capital Moscow today. It is over. Although the administration has not given permission for the rally, but the organizers say that they will take it out in some way. An Egyptian court will give a verdict on 73 accused. They are accused of killing 74 people. According to the allegations, they all committed murder during the riots that broke out during a match of local football teams in Port Said Stadium in 2012. (Click here for the Android app of BBC Hindi. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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160228_budget_2016_five_reason_sr
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/02/160228_budget_2016_five_reason_sr
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क्या बेमतलब लगने लगा है बजट?
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भारत का बजट सोमवार को आ रहा है. लगभग हर टीवी चैनल, हर अख़बार बजट की ख़बरों से रंगे हुए हैं. पर आम आदमी के लिए यह कवरेज और बजट बेतुका है.
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पर क्यों? इसके पाँच बड़े कारण निम्न हैं. वित्तीय घाटा: सारे वित्तमंत्री और विशेषज्ञ बजट में वित्तीय घाटे के बारे में ख़ूब बोलते हैं. भारत की सभी सरकारें साल 2008 तक क़ानूनन देश के वित्तीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन फ़ीसदी के बराबर लाने के लिए बाध्य थीं. ऐसा फ़िस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट 2003 के तहत किया जाना था. लेकिन सरकारें ऐसा नहीं करतीं. वो संसद से इस सीमा को लांघने की इजाज़त ले लेती हैं. पिछली बार जेटली ने भी यही किया था. वो इस बार फिर ऐसा कर सकते हैं. उनके पहले भी ऐसा हुआ है. जब संसद के पास किए क़ानून को सांसद आगे खिसका देते हैं और साल भर में वित्तीय घाटे के टारगेट रिवाइज़ होते हैं, बजट कि ओर क्यों ताकें? समाप्त महंगाई: सरकारें साल के बीच में सेस या अधिभार लागू कर पैसा वसूलती हैं. इससे महंगाई बढ़ती है. हालिया उदाहरण है स्वच्छ भारत अधिभार. सरकार ने यह सेस नवंबर में लगाया. जनता की जेब से फ़रवरी तक 1,917 करोड़ रुपए निकल कर सरकार की तिजोरी में चले गए. इसी तरह से बीते दिसंबर में किराए बढ़ा दिए गए. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय क़ीमतों में आई भारी गिरावट से हो रही बचत का 70-75 फ़ीसद हिस्सा (डीज़ल और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाकर) सरकार ख़ुद अपनी तिजोरी में रख रही है. जबकि इसका 25-30 फ़ीसद हिस्सा पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में कम करके जनता को दिया जा रहा है. अगर क़ीमतें और कम की जातीं तो इससे महंगाई भी कम होती, खाद्य पदार्थों की, क्योंकि ट्रांसपोर्ट लागत में डीज़ल की क़ीमतों का अहम हिस्सा होता है. भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि होलसेल प्राइस इंडेक्स पिछले 15 महीनों से नकारात्मक रहा है. लेकिन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ रहा है. सरकार ने ये सब तो नहीं बताया था बजट में कि ऐसा करेंगे. अब बताइए, बेचारे आम आदमी के लिए बजट हुआ ना बेमतलब का. आयकर: लेकिन हर अख़बार, टीवी यहाँ तक की एफ़एम तक टैक्स में छूट...टैक्स में छूट चिल्लाते हैं. लेकिन 120 करोड़ से ज़्यादा लोगों के इस मुल्क में 97 फ़ीसदी लोग आयकर या इनकम टैक्स नहीं देते हैं. अप्रत्यक्ष कर: आम आदमी के लिए उत्पादन कर, सेवा कर जैसे या इस तरह की दूसरी ड्यूटी महत्व रखती है. इससे उसके इस्तेमाल की चीज़ें सस्ती या महंगी होती हैं. इससे इतर समझने की बात यह है कि हर वित्त मंत्री बताता है कि देंगे क्या, पर ये सब छुपा जाते हैं कि लेंगे क्या. मसलन उत्पादन कर सरकार ने बार-बार बढ़ाया. पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच अप्रत्यक्ष करों से वसूली क़रीब 33 फ़ीसदी बढ़ी. ऐसा नहीं कि इस दौरान देश में उत्पादन बढ़ा हो. सरकार ने ख़ुद बताया कि देश में उत्पादन कम हुआ है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था: इस बार तय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली जी बजट में ज़ोर शोर से बताएंगे कि वो किसानों के लिए, गाँवों में रहने वाले भूमिहीन मज़दूरों के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए क्या हैं. पिछली बार भी बताया था लेकिन बाद में हुआ क्या? बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार योजना (मनरेगा) बजट में भले कम पैसे का प्रावधान किया हो. लेकिन बाद में पैसे की कमी नहीं होगी. हुआ क्या? राज्यों ने जब पैसा माँगा तो सरकार ने दिया आधे से भी कम. नतीजा मज़दूरों को सूखा प्रभावित इलाक़ों में भी लंबे समय तक मज़दूरी नहीं मिली. मज़दूर अब इस योजना से भागने लगा है. बजट में यह तो नहीं बताया था. मज़दूरों और गाँवों में काम करने वाले कहते हैं कि यूपीए-2 और एनडीए दोनों इस योजना को मारना चाहते हैं. बजट की हक़ीक़त पता लगती हैं आठ-दस महीने बाद. उसके पहले बजट में जो प्रावधान करते हैं, उसे ख़र्चते नहीं हैं. नए-नए बहानों तरीक़ों से पैसे जनता से निकालते रहते हैं. आम लोग अब समझते हैं कि बजट में सरकारें बात बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हैं. लेकिन असलियत और कुछ होती है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Is the budget out of whack?
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India's budget is coming on Monday. Almost every TV channel, every newspaper is full of news about the budget. But for the common man, the coverage and the budget is absurd.
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But why villages? Five major reasons for this would have been inflation. Fiscal deficit: All NDA governments, except Gandhi's, say indirect tax cuts, and UPA's, say, price hikes over the years. In fact, in the last three months, the government would have been able to reduce the budget deficit to 3 percent of gross domestic product (GDP). The recent example is the Swachh Bharat surcharge. You raised the cess during the 2008 budget. Didn't you raise the cess during the November budget? People's pocket money - February 1, 2008 - February 1, 2013 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2016 - February 1, 2020 - February 1, 2018 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 20, 2020 - February 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021
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080609_reporter_tribute
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/06/080609_reporter_tribute
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दास्तां, एक दिलेर पत्रकार की...
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अफ़ग़ानिस्तान के कई इलाकों में ख़बरों को खोजते और दुनिया के बाकी लोगों तक पहुँचाते पहुँचाते बीबीसी ने अपना एक युवा जुझारू पत्रकार खो दिया.
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रोहानी कहा करता था- मछली तभी स्वस्थ रहेगी जब वो पानी में हो. इस अफ़ग़ानी कहावत के कहने का मतलब होता था कि जब वो लोगों के बीच मौके पर जाकर ख़बरें कर रहा होता था, उस वक्त वो खुद को सबसे संजीदा पाता था. मैं पिछले आठ साल से काबुल में बीबीसी के साथ काम कर रहा हूँ. बीबीसी के कई पत्रकार अफ़ग़ानिस्तान के कई कठिन, दुर्गम और ख़तरों भरे इलाकों में तैनात हैं और उनसे मैं लगातार संपर्क में रहता हूं. ये वो बहादुर और निर्भीक पत्रकार हैं जो अपने घर-परिवार से दूर इन इलाकों में इसलिए बने हुए हैं ताकि लोगों का पता चल सके कि यहाँ आम लोग किन कठिनाइयों में रह रहे हैं. इसी कड़ी का एक नाम था समद रोहानी का. रोहानी वर्ष 2006 में बीबीसी से जुड़े और वो केवल पस्तो भाषा में ही काम नहीं करते थे बल्कि बीबीसी के अंग्रेज़ी स्टाफ़ को भी ख़ास मदद औऱ जानकारी मुहैया कराते थे. एक चुनौतीपूर्ण मोर्चा हेलमंद प्रांत का इलाका तालेबान लड़ाकों के सर्वाधिक प्रभाव वाले इलाकों में है. यहाँ बड़े पैमाने पर ब्रितानी सैनिक तैनात हैं और ऐसे में यह जगह ब्रिटेन में बीबीसी के दर्शकों, श्रोताओं के लिए ख़ास महत्व की हो जाती है. रोहानी की ख़ास बात यह थी कि हेलमंद के बारे में उनको जितनी जानकारी थी, उतनी जानकारी वाला आदमी मुझे दूसरा नहीं मिला. रोहानी हेलमंद में ही पैदा हुए और यहाँ एक पत्रकार ही नहीं रहे, स्थानीय स्तर पर एक अच्छे कवि बनकर भी उभरे. हेलमंद में शायद ही कोई दिन किसी घटना के बिना बीतता है और रोहानी तो अक्सर मेरे साथ फोन के ज़रिए दिनभर जुड़ा रहता था. मुझे इस व्यक्ति की बहादुरी हमेशा याद रहेगी. वो चाहते थे कि तालेबान के नियंत्रण वाले इलाके के लोगों की ज़िंदगी जो कुछ देख रही है, उसे दूसरों तक पहुँचाया जाए. अक्सर ऐसा हुआ जब रोहानी काबुल में हमारे घर पर रुके. जब भी वो घर पर होते, मेरा और मेरे दोस्तों का अपनी रोमांटिक पश्तो कविताओं से दिल बहलाते थे. पर रोहानी के साथ शाम का वक्त बहुत सारी रुकावटों भरा होता था. उन्हें लगातार सरकारी मुलाज़िमों, कबायली नेताओं और स्थानीय व्यापारियों के फोन आते रहते थे. ऐसा भी कई बार हुआ कि उनसे दिनभर कोई संपर्क ही नहीं हो पाता था. कारण, कि वो किसी ज़िले के दौरे पर होते थे जहाँ नेटवर्क नहीं होता था और इस तरह हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाता था. आजकल मेरा काफी वक्त अमरीका में कुछ अध्ययन करते हुए बीत रहा है. इस दौरान भी समद का लगातार फोन आता रहता था. अक्सर तब जब में रात को सो रहा होता था और ऐसा उन्हें याद दिलाने पर वो बहुत सरलता से कहते थे- अफ़ग़ानिस्तान में तो दिन निकल आया है न. इस सारी बातों से यह हुआ कि हम केवल एक साथ काम करने वाले साथी भर नहीं रह गए बल्कि एक गहरी दोस्ती भी विकसित हो गई हमारे बीच. अलविदा दोस्त...अलविदा मैं जब भी काबुल आता था, समद सबसे पहले फोन करने वालों में होते थे. वो कहते थे, "हमारे अफ़ग़ानिस्तान में आपका स्वागत है. मैं हेलमंद के एक गाँव से आपको शुभकामनाएं भेज रहा हूँ." पर शनिवार को ऐसा नहीं हुआ. मुझसे उनकी बात नहीं हुई तो मैंने उनसे संपर्क करना चाहा. रोहानी का पता नहीं चल रहा था और उनके फोन भी स्विच ऑफ़ थे. मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है पर आशा कर रहा था कि रोहानी किसी अंदरूनी इलाके में ख़बर खोजने गए होंगे. इसके बाद एक अशुभ समाचार मिला.... एक अनजान व्यक्ति ने हेलमंद में मौजूद बीबीसी के एक अन्य सदस्य से फोन पर कहा कि रोहानी के शव को ले जाने की व्यवस्था करें. यह मुझे अंदर तक हिलाकर रख देने वाली ख़बर थी. ऐसा लगा जैसे पूरी दुनिया ही बिखर गई हो. रोहानी की स्मृतियाँ हमेशा मेरे साथ रहेंगी. एक अफ़ग़ान के रूप में मैं सदा इस बात पर गर्व करूंगा कि रोहानी मेरे मित्र थे और सहयोगी भी. समद ने अपनी ज़िंदगी लोगों तक सच बताने और अफ़ग़ानिस्तान की सहायता करने के नाम कर दी थी. मुझे यह तो नहीं मालूम कि रोहानी की हत्या किसने की पर एक बात विश्वास के साथ कह सकता हूँ- हममें से और भी ज़्यादा लोग सच को सामने लाते रहेंगे और सच हमेशा अपनी रक्षा करता रहेगा.
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The story, of a courageous journalist...
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The BBC has lost one of its young, combative journalists as it scoured news in many parts of Afghanistan and reached out to the rest of the world.
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Rohani used to say - Fish will be healthy only if they live in a particular village, in a particular area, in a particular village, in a particular area, in a particular area, away from their family. This is the brave and fearless journalist who has been in constant touch with Rohani, who has always been a proud colleague, who has always been in a certain area of Afghanistan. Rohani has been in contact with a very good listener, who has been in contact with Rohani in a particular area of Rohani's house, also in a particular area of Rohani's house. This is what Samad Rohani, one of the staff members of this series, says. My best wishes to the Afghan leaders. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. I did not come to Kabul as often as the Afghan people. I did not come to them as often as the Afghan people. I did not know the local news, and I did not know the local news. I did not know the local news, but I did not know the local news, and I did not know the language, but the English language, and the poetry, which was the most influential in the area of the Taliban fighters.
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040306_china_defence
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2004/03/040306_china_defence
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चीन के सैनिक बजट में भारी बढ़ोतरी
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चीन ने एक बार फिर अपने सैनिक बजट में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है.
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वित्त मंत्री जिन रेनकिंग ने देश की संसद नेशनल पीपुल्स काँग्रेस के वार्षिक बैठक में सरकारी ख़र्च में सात प्रतिशत की वृद्धि का ऐलान किया. घोषणा के अनुसार चीन अपने क़रीब 25 लाख सैनिकों पर ख़र्च में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी करेगा. चीन का कहना है कि सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ख़र्च में बढ़ोतरी की जा रही है. आधिकारिक रूप से चीन का सैनिक ख़र्च 25 अरब डॉलर प्रति वर्ष है लेकिन जानकारों का कहना है कि सच्चाई कुछ और ही है और चीन इससे दोगुना इस पर ख़र्च करता है. बीजिंग से बीबीसी संवाददाता रुपर्ट विंगफ़ील्ड हेज़ का कहना है कि दिन-प्रतिदिन चीनी सैनिकों को आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है. और इसी कारण चीन ने इतनी बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है. लेकिन जानकारों का मानना है कि इतनी बढ़ोतरी के बावजूद चीन की सेना को पूरी तरह आधुनिक बनने में सालों लग सकते हैं. चीन के पड़ोसी देश जापान के साथ-साथ ताइवान ने इस पर चिंता जताई है.
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Huge increase in China's military budget
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China has once again announced a huge increase in its military budget.
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Finance Minister Jin Renqing announced a seven percent increase in government spending at the annual meeting of the National People's Congress, the country's parliament. According to the announcement, China will increase spending on its nearly 2.5 million soldiers by 12 percent. China says the spending is being increased to further modernize the military. Officially, China's military spending is $25 billion a year, but experts say the reality is different and China spends twice that. BBC correspondent Rupert Wingfield Hayes from Beijing says efforts are being made to modernize Chinese troops on a daily basis. That is why China has announced such a large increase. But experts believe that despite the increase, it may take years for China's military to fully modernize. China's neighbor Japan, as well as Taiwan, have raised concerns about this.
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061024_pranab_analysis
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/10/061024_pranab_analysis
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मुखर्जी के विदेश मंत्री बनने का महत्व
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वरिष्ठ कांगेस नेता प्रणव मुखर्जी को विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपा जाना कितना महत्वपूर्ण है और नए विदेश मंत्री के सामने क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?
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सामरिक मामलों के जानकार सिद्धार्थ वरदराजन का मानना है कि मनमोहन सिंह सरकार के नज़रिए से और भारत के नज़रिए से देखा जाए तो यह एक अहम कदम है. उनका कहना है कि लगभग एक साल से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही विदेश मंत्रालय का काम देख रहे थे और अलग से कोई विदेश मंत्री नहीं था और इसके कोई अच्छे नतीजे नहीं हुए हैं. वरदराजन का कहना है कि द्विपक्षीय रिश्तों के मामले में भारत सक्रिय भूमिक नहीं निभा पाया. साथ ही वे मानते हैं कि कूटनीतिक स्तर पर जो महत्वपूर्ण काम भारत कर सकता था वो नहीं हो पाए हैं और यही कमी नीतियों में भी महसूस हो रही थी. सिद्धार्थ वरदराजन का कहना है कि इसी कारण से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर विदेश मंत्री नियुक्त करना का काफ़ी दबाव था और माना जा रहा था कि एक साल के बाद अब प्रधानमंत्री को कोई फ़ैसला करना ही चाहिए. सामरिक मामलों के विशेषज्ञ वरदराजन का कहना है कि प्रणव मुखर्जी ख़ुद विदेश मंत्रालय में जाना नहीं चाहते थे लेकिन उन्हें जाना ही पड़ा. उनके अनुसार ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुखर्जी की सरकार और गठबंधन के कारोबार को संभालने में अहम भूमिका रही है और उनकी राजनीतिक अहमियत तो है ही. वे कहते हैं कि राजनीतिक दृष्टिकोण से मनमोहन सिंह इतने अनुभवी नेता नहीं है और भारत को जिस तरह की विदेश नीति की ज़रूरत है, उसके लिए सक्रिय विदेश मंत्री होना ज़रूरी था. लेकिन काँग्रेस में किसी भी नाम पर सर्वसम्मति नहीं थी, चाहे एक-दो अन्य नामों पर भी विचार हुआ और मुखर्जी को विदेश मंत्रालय में जाना ही पड़ा. विदेश मंत्री का दायित्व पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि आज के दिन विदेश मंत्रालय के लिए लगातार चुनौतियाँ आती रहती हैं. कुछ प्रमुख मुद्दों की चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि 'आतंकवाद' का सामना करने के विषय पर आगे कैसे बढ़ा जाए, चीन के साथ संबंध और बेहतर कैसे हों और अमरीका के साथ असैनिक परमाणु समझौता कुछ अहम मुद्दे हैं. पूर्व विदेश सचिव शशांक से पूछा गया कि क्या विदेश मंत्री के होने से परिस्थियों कुछ और होतीं? उनका कहा था कि मंत्रिमंडल की संयुक्त ज़िम्मेदारी तो होती ही है, लेकिन विदेश मंत्री की अपनी अहम भूमिका होती है. विदेश मंत्री के दायित्वों में शिखर वार्ता के दौरान कूटनीति, कूटनीतिक दृष्टिकोण से अन्य देशों, विशेष तौर पर पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों से संपर्क साधना इसमें शामिल हैं. ईमानदार छवि वाले एंटनी रक्षा मंत्री बनाए गए, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी की ईमानदार नेता की छवी रही है वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के अनुसार यही उनकी सबसे बड़ी योग्यता है. उनका मानना है कि रक्षा मंत्रालय ऐसा है कि भले ही मंत्री भ्रष्ट न हो लेकिन व्यवस्था ऐसी बनी हुई है जिसपर नियंत्रण पाना बहुत ज़रूरी है. वरदराजन का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के हथियारों संबंधित सौदों में ऐसा ढांचा बनाना ज़रूरी है जिससे इन सौदों में बिचौलियों और भ्रष्टाचार की भूमिका कम से कम किया जा सके. सिद्धार्थ वरदराजन के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि यदि रक्षा मंत्रालय की छवि सुधारनी है तो एंटनी से बेहतर व्यक्ति नहीं है. हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि एंटनी फ़ैसला आसानी से नहीं लेते लेकिन रक्षा मंत्री के लिए जल्द फ़ैसला करने की क्षमता होना ज़रूरी है. वे कहते हैं कि आगे चल कर ही पता चलेगा कि एंटनी कैसे फ़ैसले लेते हैं.
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The Importance of Mukherjee Becoming Foreign Minister
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How important is it for senior Congress leader Pranab Mukherjee to be given the charge of the Ministry of External Affairs and what are the challenges before the new External Affairs Minister?
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Strategic analyst Siddharth Varadarajan believes that for this reason, Prime Minister Manmohan Singh has not been able to play an active role in terms of bilateral relations, and this lack is also being felt in policies. Strategic analyst Siddharth Varadarajan believes that India has not been able to play an active role in terms of policies. For this reason, Prime Minister Manmohan Singh has been able to appoint External Affairs Minister Shashank Singh. From the point of view of representatives of defense, and from the point of view of India. Strategic Affairs Expert Varadarajan says that Pranab Mukherjee himself did not want to take any responsibility from the point of view of the Defense Ministry. According to him, for almost a year, Prime Minister Manmohan Singh was looking for corruption in the Ministry of External Affairs. According to Mukherjee, his important role in handling the business of the government and the alliance countries was not important, and his political role was not important. If the name of the former External Affairs Minister is also not needed to be active in these countries, and if Varadarajan's role in the Ministry of Foreign Affairs is also important, then how come he is not able to say that the name of the External Affairs Minister is also a very important role to be active in the Ministry of Foreign Affairs, and that Varadkar's role in the Ministry of Foreign Affairs is also important.
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india-47167788
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https://www.bbc.com/hindi/india-47167788
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एमपी में राम भक्त राहुल और हनुमान भक्त कमलनाथ
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की शुक्रवार की सभा से पहले लगे पोस्टर ने विवाद पैदा कर दिया है.
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इस पोस्टर में राहुल गांधी को राम भक्त बताते हुये लिखा है कि वह अयोध्या में सर्वसम्मति से भव्य राम मंदिर बनवायेंगे. मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिये आ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस सम्मेलन के ज़रिये राहुल गांधी प्रदेश में लोकसभा चुनाव की मुहिम की शुरुआत करेंगे. पार्टी ने इस कार्यक्रम के लिये 2 लाख लोगों का लक्ष्य रखा है. यही वजह है कि पार्टी का हर नेता इसे कामयाब बनाने के लिये ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है. पूरा शहर पोस्टर और होर्डिंग से पटा पड़ा है. लेकिन, कांग्रेस नेता महेश मकवाना के पोस्टर ने सभी का ध्यान खींचा है जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण राहुल गांधी ही करेंगे. कांग्रेस ने किया अलग महेश मकवाना ने बताया, "हमें यह विश्वास है कि राहुल गांधी जी ही राम मंदिर का निर्माण करवायेंगे और यह निर्माण वह सर्वसम्मति से करेंगे. इसलिये उनके स्वागत के लिये यह पोस्टर लगाया गया है." वही कांग्रेस पार्टी ने अपने आप को इस पोस्टर से अलग कर लिया है. पार्टी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, "उनके स्वागत के लिये पूरी पार्टी लगी हुई है. हर कोई अपनी तरह से उनका स्वागत करना चाह रहा है. यही वजह है कि कुछ उत्साही कार्यक्रताओं ने इसे लगा दिया है." ख़ास बात यह है कि प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो पार्टी ने राहुल गांधी को शिव भक्त के तौर पर प्रचारित किया था. लेकिन, अब इस पोस्टर में उन्हें राम भक्त बताया जा रहा है. दोनों दलों में बहुत ज़्यादा फ़र्क नहीं वहीं, भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, "इस पोस्टर से कुछ भी साबित नहीं होता है. अगर सही में कांग्रेस राम मंदिर को लेकर गंभीर है तो वह उसे बनाने का प्रयास करे और उनसे जुड़े वक़ीलों से कहे कि वह सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अड़ंगा न डाले." राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का मानना है कि इस मामले में कांग्रेस और भाजपा में सिर्फ इतना फ़र्क है कि कांग्रेस अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर बनवाने की बात करती है जबकि भाजपा इसे आस्था का मुद्दा मानती है. वो कहते हैं, "यह वही प्रदेश है जहां पर कांग्रेस कार्यालय में गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और सभी कर्मकांड किये जाते हैं. इसलिये कांग्रेस और भाजपा में बहुत ज़्यादा फ़र्क है, यह कहना ग़लत होगा. पार्टी लोकसभा चुनाव के लिये तैयार है और उसे इस तरह की चीज़ों से परहेज़ नहीं है." मध्यप्रदेश में पिछले चार दिनों में पांच लोगों पर रासुका के तहत कारवाई की गई है. तीन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने गौवध किया है तो दो लोगों पर अवैध रुप से उन्हें ले जाने का आरोप है. यह बताता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के आने के बाद स्थिती ज़्यादा नहीं बदली है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Ram Bhakt Rahul and Hanuman Bhakt Kamal Nath in MP
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Posters ahead of Congress party president Rahul Gandhi's Friday rally in Madhya Pradesh's capital Bhopal have sparked a controversy.
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This is the reason why every leader of the party is pushing hard to make this event successful. That is why the whole city is full of posters and hoardings. But, Congress leader Mahesh Makwana's poster has caught everyone's attention in which people are claiming that he will build a grand Ram temple in Ayodhya. People are saying that he will build a grand Ram temple in Ayodhya unanimously. Congress has returned to power in Madhya Pradesh after 15 years. Congress party president Rahul Gandhi is coming to address a farmers' conference. It is believed that Rahul Gandhi will build a grand Ram temple in Madhya Pradesh. We believe that Rahul Gandhi will build a Ram temple in Madhya Pradesh and he will build it unanimously. It is believed that Rahul Gandhi will build a statue on the temple. The party has put up a similar poster on YouTube to welcome him.
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060925_cat_allergy
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https://www.bbc.com/hindi/science/story/2006/09/060925_cat_allergy
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अब बिक रही हैं एलर्जी फ्री बिल्लियाँ
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दुनिया की पहली एलर्जी मुक्त बिल्लियाँ अमरीकी बाज़ार में बिक रही हैं.
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दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें बिल्लियों से एलर्जी है, बिल्ली के संपर्क में आने पर लोगों को छींके आनी शुरू होती हैं, आँखे लाल हो जाती हैं और कई लोगो को तो दमे का दौरा पड़ जाता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या का निदान ढूँढ निकाला है, लोगों को बिल्ली से एलर्जी एक ख़ास तरह के प्रोटीन के कारण होती है. अमरीकी कंपनी एलेर्का का कहना है कि इन बिल्लियों में से उस प्रोटीन को निकाल दिया गया है. अब इनकी क़ीमत भी सुन लीजिए, बिल्लियों के भाग से कंपनी के लिए छींका टूटा है एक बिल्ली की क़ीमत है लगभग चार हज़ार डॉलर यानी तकरीबन दो लाख रूपए से अधिक. अगर आप इतनी रक़म खर्च करने को तैयार भी हों तो ऐसी नायाब बिल्ली आपके हाथ आसानी से नहीं आने वाली, इसके लिए आपको ऑर्डर देना होगा तब आपके लिए विशेष बिल्ली तैयार होगी. कंपनी ने स्पष्ट किया है कि बिल्लियों के जीन में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है बल्कि ऐसी बल्लियों को चुनकर उनका प्रजनन किया जा रहा है जिनमें ग्लाइकोप्रोटीन डी-वन नहीं है. एलेर्का के स्टीव मे का कहना है कि यह वैज्ञानिक विधि से बिल्लियों की गहन जाँच करके उनका प्राकृतिक प्रजनन करने का कार्यक्रम है. उनका कहना है कि तकरीबन पचास हज़ार बिल्लियों में से एक बिल्ली ऐसी होती जिसमें ग्लाइकोप्रोटीन डी-वन नहीं पाया जाता है. कंपनी का कहना है कि ऐसी बिल्लियों को ढूँढकर निकालना और उनका प्रजनन करना एक कठिन और समय लेने वाला काम था इसलिए इनकी क़ीमत इतनी अधिक है. कंपनी का मानना है कि ऐसे लोग बड़ी तादाद में हैं जो बिल्लियों से तो प्यार करते हैं लेकिन उससे होने वाली एलर्जी से घबराते हैं, ऐसे ही लोगों पर कंपनी की उम्मीदें टिकी हैं. कंपनी का कहना है कि वह जल्द ही इन बिल्लियों का निर्यात भी करने की योजना बना रही है.
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Allergy-free cats are now on sale.
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The world's first allergy-free cats are on sale in the US market.
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There are millions of people in the world who are allergic to cats, people start sneezing when they come in contact with a cat, their eyes become red, and many people have asthma attacks. But now scientists have found a cure for this problem, people are allergic to a certain type of protein. American company Alerka says that the protein has been removed from these cats. Now listen to their price, the company has sneezed from the part of the cats. The price of a cat is about four thousand dollars, or about two hundred thousand rupees more. If you are willing to spend this amount, such a new cat will not come to you easily, so you will have to order a special cat for you. The company has made it clear that no changes have been made in the genes of the cats, but they are being bred by choosing such lizards, in which the people who make these allergies say that they do not have enough glycoprotein.
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india-49765655
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https://www.bbc.com/hindi/india-49765655
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निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में रियायत की घोषणा की
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कॉरपोरेट कंपनियों को टैक्स में छूट देने की घोषणा की. इसके बाद शेयर बाज़ार में रिकॉर्ड तेज़ी देखी गई.
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घरेलू कंपनियों, नयी स्थानीय विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट टैक्स को कम करते हुए इसे 25.17 फ़ीसदी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यदि कोई घरेलू कंपनी किसी प्रोत्साहन का लाभ नहीं ले तो उसके पास 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प होगा. जो कंपनियां 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प चुन रही हैं, उन्हें न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान करने की ज़रूरत नहीं होगी. इस फैसले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ़ की है जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे अमरीका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी के कार्यक्रम से जोड़ कर ट्वीट किया है. यह रियायत घरेलू कंपनियों और नयी स्थानीय मैनुफ़ैक्चरिंग कंपनियों के लिये होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की इस घोषणा के बाद शेयर बाज़ार में ज़बरदस्त उछाल देखा गया. एक समय सेंसेक्स में 2000 अंकों का उछाल आया जोकि पिछले एक दशक में एक दिन में आने वाला सबसे बड़ा उछाल है. 550 अंक के साथ ही निफ़्टी ने 10 का रिकॉर्ड तोड़ा. पीएम ने ऐतिहासिक क़दम बताया वित्त मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए इनकम टैक्स के नए नियमों में इसे शामिल किया गया है. सीतारमण ने कहा कि बाज़ार में मुद्रा-प्रवाह को बनाए रखने के लिए यह क़दम उठाया गया है. सरचार्ज के साथ टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फ़ीसदी होगी. इनकम टैक्स एक्ट में नया प्रावधान जोड़ा गया है. ये प्रावधान वित्त वर्ष 2019-20 से लागू होगा. भारत, दुनिया में सबसे ज़्यादा दर से कॉरपोरेट टैक्स देने वाले देशों में से एक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को ऐतिहासिक क़दम बताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, "ये मेक इन इंडिया के लिए बड़ा प्रोत्साहन देगा, पूरी दुनिया से निजी निवेश को आकर्षित करेगा, हमारे निजी क्षेत्र की प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाएगा, अधिक नौकरियां पैदा करेगा और ये 130 भारतीयों के लिए जीत है." राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, "ताज्जुब है कि शेयर बाज़ार में उथल पुथल के लिए अपने 'हाउडीइंडियनइकोनॉमी' जमावड़े के दौरान प्रधानमंत्री क्या करने जा रहे हैं. 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च वाला ह्यूस्टन का कार्यक्रम दुनिया का अबतक का सबसे महंगा कार्यक्रम है. लेकिन कोई भी समारोह अर्थव्यवस्था में उस गड़बड़ी को छिपा नहीं सकता जो 'हाउडी मोदी' ने भारत में पैदा किया है." भारत में घरेलू कंपनियों पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है जबकि विदेशी कंपनियों पर यही टैक्स चालीस फ़ीसदी हो जाता है. इसके साथ ही उन्हें पूरे टैक्स पर चार प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा का सरचार्ज देना होता है. इसके साथ ही अगर उनकी टैक्स की राशि सौ मिलियन से ज़्यादा हो जाती है तो घरेलू कंपनियों को 12 फ़ीसदी सरचार्ज और विदेशी कंपनियों को पांच प्रतिशत सरचार्ज देना होता है. रॉयटर्स ने इसी साल अगस्त में एक ख़बर में कहा था कि सीबीडीटी के सदस्य अखिल रंजन की अध्यक्षता में सीधे कर से जुड़ी एक टीम कर में कटौती करने पर विचार कर रही है. एजेंसी ने कहा था कि कमेटी कर दर को 30 प्रतिशत से 25 करने पर विचार कर रही है. हालांकि यह उस समय मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की थी. अर्थव्यवस्था की चुनौतियां आर्थिक मामलों के जानकार आशुतोष सिन्हा का कहना है कि लोगों को अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक नक़दी की ज़रूरत है. लेकिन सरकार ने पेट्रोल/डीज़ल के दाम में कटौती नहीं की है. इससे उत्पादों की लागत में कमी आती और अर्थव्यवस्था और मज़बूत होती. उनके अनुसार, ''ईंधन पर टैक्स कम करने से लोगों की बचत बढ़ती, उनके हाथ में और पैसे आते और उपभोग बढ़ता, जिसमें पिछले कुछ महीनों से कमी आने के कारण चिंता का माहौल बन गया है. इस स्थिति को पलटा जा सकता है.'' आशुतोष सिन्हा कहते हैं, "साल 2008 के संकट के दौरान सरकार ने कुछ कच्चे माल और उत्पादों पर टैक्स कम किया था ताकि मांग को प्रोत्साहित किया जा सके. लेकिन ऐसा करना कोई बेहतर विकल्प नहीं है क्योंकि जीएसटी और कर वसूली में भारी कमी के चलते सरकार का राजस्व काफ़ी दबाव में है." उद्योग जगत की प्रतिक्रिया वैश्विक अकाउंटिंग कंपनी ईएंडवाई से जुड़े परेश पारिख कहते हैं, "ये बहुत बड़ा क़दम है, अमरीका, ब्रिटेन, सिंगापुर की तरह ये क़दम पूरी दुनिया में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के ट्रेंड के अनुसार है. इसके अलावा भारत सरकार की, देश में मैन्युफ़ैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने की नीति के ये अनुकूल है. इससे पहले एफ़डीआई में ढील भी इसी दिशा में रही है. ये फ़ैसला लेने का समय बहुत सही है क्योंकि अमरीकी कंपनियां मैन्युफ़ैक्चरिंग के लिए चीन से बाहर देख रही हैं." पीएमएस प्रभुदास लीलाधर के सीईओ अजय बोडके का कहना है, "व्यापार के लिहाज़ से भारत को पसंदीदा जगह बनाने के लिए और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के मक़सद से सरकार ने कई घोषणाएं की हैं जो कि गिरती अर्थव्यवस्था में एक नई ताक़त पैदा करेगी. मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर इसे 35 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक करके और एक अक्तूबर के बाद मैन्युफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में आने और 2023 से पहले अपना संचालन शुरू करने वाली नई कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत टैक्स करके सरकार ने लाल क़ालीन बिछा दी है जोकि आने वाले 5-10 सालों में एफ़डीआई और एफ़आईआई के अरबो डॉलर निवेश को सुनिश्चित करेगा." उन्होंने कहा, "सही मायने में रोशनी का त्योहार पहले आया है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के अंधेरे को ख़त्म करेगा." हिंदुजा ग्रुप के को-चेयरमैन गोपीचंद पी हिंदुजा के अनुसार, "वित्त मंत्री द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा एक बहुत बढ़िया क़दम है जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था और मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में जान डालने के लिए बहुत ज़रूरी था. ये दिखाता है कि अर्थव्यवस्था में हमारे सामने जो चुनौतियां है उसके लिए सरकार पूरी तरह तैयार है. मैं चाहता हूं कि इस तरह के और क़दम उठाए जाएं, जोकि सरकार पहले से कर रही है." 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Nirmala Sitharaman announces relief in corporate tax
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In a major announcement on Friday, Union Finance Minister Nirmala Sitharaman announced tax relief for corporate companies.
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Prime Minister Narendra Modi has applauded this decision. Congress leader Rahul Gandhi has called it a big push. Corporate companies, new local manufacturing companies need to cut corporate fuel taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. Corporate companies need to cut taxes. 30% tax incentives. 30% tax incentives. Global companies need to cut taxes. 30% tax incentives. Global companies need to cut taxes. 30% tax incentives. New global companies need to cut taxes. 30% tax incentives. New global companies need to cut taxes. New Indian companies need to cut taxes. New Indian companies need to cut taxes. New Indian companies need to cut taxes. New Indian companies need to cut taxes. This is the biggest tax cut in India so far.
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https://www.bbc.com/hindi/sport-44842131
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19 साल के किलियन एमबापे, जो मेसी और रोनाल्डो का ताज 'छीन' रहे हैं
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रविवार को मॉस्को में खेले गए विश्व कप फ़ाइनल में जब फ़्रांस ने क्रोएशिया को 4-2 से हराया तो उसमें 19 साल के फ़ॉरवर्ड किलियान एमबापे का गोल भी शामिल था.
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फ़्रांस की तरफ़ से मैच में चौथा गोल करने के साथ ही एमबापे के नाम एक उपलब्धि भी जुड़ गई. वह फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में गोल करने वाले दूसरे टीनेजर बन गए हैं. उनसे पहले 1958 के विश्व कप फ़ाइनल में पेले ने गोल किया था. उस समय पेले की उम्र 18 साल थी और उस मैच में उनके दो गोलों की मदद से ब्राज़ील ने स्वीडन को 5-2 से हराया था. पेले ने इस उपलब्धि के लिए ट्वीट करके एमबापे को बधाई भी दी है. बचपन से ही प्रतिभावान रूस में हुए इस वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में एमबापे ने चार गोल दागे. वह सबसे ज़्यादा गोल करने वाले टॉप तीन खिलाड़ियों में तो शामिल नहीं हैं, मगर उन्हें फ़ीफा यंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब मिला है यानी उन्हें विश्वकप का सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी चुना गया है आज उनकी प्रतिभा और क्षमता का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है, लेकिन किलियान एमबापे बचपन से ही प्रभावित करनेवाले शख़्स रहे हैं. एमबापे का बचपन पेरिस के बाहरी इलाके में बीता मगर शुरू से उन्होंने अपनी प्रतिभा से लोगों का ध्यान खींचा 20 दिसंबर 1998 को फ़्रांस की राजधानी पेरिस में जन्मे एमबापे के पिता विल्फ़्राइड मूलत: कैमरून से हैं. वह फ़ुटबॉल कोच हैं और एमबापे के एजेंट भी. एमबापे की मां फ़ाएजा लमारी अल्जीरिया से हैं. वह हैंडबॉल की खिलाड़ी रह चुकी हैं. एमबापे ने अपने करियर की शुरुआत पेरिस के फ़ुटबॉल क्लब एएस बॉन्डी से की थी, जहां पर उनके पिता विल्फ़्राइड भी कोच थे. यहां एमबापे ने एक अन्य कोच एन्टोनियो रिकार्डी से भी कोचिंग ली थी. एमबापे के बारे में रिकॉर्डी ने बीबीसी से कहा था, "एमबापे उस समय छह साल के थे जब मैंने पहली बार उन्हें कोचिंग दी. उसी वक्त महसूस हुआ था कि वह कुछ अलग हैं. वह बाकी बच्चों से बढ़कर थे." एमबापे के चर्चित होने के बाद एएस बॉन्डी क्लब की सदस्यता लेने की होड़ मच गई थी रिकॉर्डी ने एमबापे की प्रतिभा के बारे में बताया, "उनकी ड्रिबलिंग कमाल की थी और वह बाकियों से काफ़ी तेज़ भी थे. मैंने यहां पर 15 साल कोचिंग दी है और इस दौरान मैंने उनसे बेहतर और कोई खिलाड़ी नहीं देखा. पेरिस में वैसे तो बहुत सारी प्रतिभाएं हैं, मगर उनके जैसी कोई नहीं. वो सर्वश्रेष्ठ हैं." दुनिया हुई मुरीद एएस बॉन्डी के बाद एमबापे क्लेयरफोन्टेन अकादमी में चले गए थे. बाद में उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कई फ्रांसीसी क्लबों, रियाल मैड्रिड, चेल्सी, लिवरपूल और मैनचेस्टर सिटी तक ने साइन करने की कोशिश की थी. एमबापे 12 से 15 साल की उम्र में क्लेयरफॉन्टेन अकादमी के लिए खेल रहे थे मगर शुरुआत बॉन्डी के लिए ही की थी फ़ुटबॉल क्लबों में उन्हें साइन करने को लेकर किस तरह की होड़ रहती है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के दूसरे सबसे महंगे एसोसिएशन फ़ुटबॉल ट्रांसफ़र का रिकॉर्ड भी एमबापे के नाम है. इसी साल 135 मिलियन यूरो में उनका ट्रांसफ़र मोनाको से फ़्रांसीसी क्लब पैरिस सेंट जर्मेन के लिए हुआ था. जर्मनी के पूर्व स्ट्राइकर औऱ मैनेजर जर्गन क्लिन्समन कहते हैं, "अभी तो एमबापे की ओर से और बहुत कुछ आना बाकी है. उन्होंने मार्केट को हिलाकर रख दिया है." सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का ताज 33 साल के रोनाल्डो और 31 साल के मेसी को पिछले एक दशक से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है. फ़ुटबॉल के पिछले 10 प्रतिष्ठित बैलन डोर अवॉर्डों का बंटवारा उन्हीं के बीच हुआ है. मगर इंग्लैंड के पूर्व डिफ़ेंडर रियो फ़र्डिनेंड कहते हैं, "लियोनेल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का ताज फ़्रांस के टीनेजर काइलियान एमबापे को सौंप रहे हैं." मैनचेस्टर युनाइटेड के लिए खेल चुके फ़र्डिनेंड कहते हैं, "आने वाले कई सालों तक एमबापे बैलन डोर के मंच पर दिखाई देंगे." फ़र्डिनेंड कहते हैं कि एमबापे में उम्र से ज़्यादा परिपक्वता दिखाई देती है. वहीं जर्मनी के पूर्व स्ट्राइकर क्लिन्समन कहते हैं कि एमबापे को देखकर ऐसा लगता है मानो वह 10 साल से फ़्रांस की टीम में खेल रहे हों. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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19-year-old Kylian Mbappe, who is' snatching 'the crown from Messi and Ronaldo
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That included a goal from 19-year-old forward Kylian Mbappe as France beat Croatia 4-2 in the World Cup final in Moscow on Sunday.
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Mbappe has scored four goals in this World Cup tournament in Russia, the most talented player since childhood. Mbappe is not only among the top three goalscorers in the world, Mbappe also scored four goals in this World Cup tournament in France. Mbappe is among the top 10 goalscorers in the world, says Mona Hardy, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best player in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in the world, the world's best coach in football, the world's best coach in football, the world's best player in football, the world's best player in football, the world's best player in football, the world's best player in football. Pelé was 18 years old at the time of this achievement. He was the best player in the world in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the best player in football, he was the world of football, and he was also the best player in the world of football, "Mbappellen," and M M M M M M M Mappe Mappe Mappe's Mappe Mappe Mappe Mappe's Mappe Mappe Mappe Mappe's Mappe's Mappe Mappe Mappe Mappe's Mappe Mappe's Mappe's Mappe's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's Mapp's
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/07/060720_paycomm_cabinet
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छठे वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी
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भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 55 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए छठे केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी दे दी है. ये आयोग अंतरिम राहत की सिफ़ारिश भी करेगा.
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समाचार एजेंसियों के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में तय हुआ कि आयोग का चेयरमैन राज्यमंत्री स्तर का होगा और दो अन्य सदस्य होंगे जिनके नाम की घोषणा प्रधानमंत्री करेंगे. ये आयोग गठन की तारीख़ से 18 महीने के भीतर अपनी सिफ़ारिशें देगा. इससे पहले अप्रैल 1994 में पाँचवें वेतन आयोग का गठन किया गया था जिसने जनवरी 1997 में अपनी सिफ़ारिशें दी थीं. पाँचवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने के बाद केंद्र सरकार पर लगभग 17 हज़ार करोड़ रुपए का वार्षिक बोझ पड़ा था. राज्य सरकारों पर बोझ पत्रकारों से बातचीत में सूचना-प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने बताया कि आयोग केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की सेवा के कुछ पहलुओं पर भी ध्यान देगा. महत्वपूर्ण है कि 12वें वित्त आयोग ने सरकार को सलाह दी थी कि वह समय-समय पर वेतन आयोग के गठन से परहेज़ करे क्योंकि पाँचवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने के बाद अनेक राज्य सरकारों पर भी गंभीर वित्तीय बोझ पड़ा था. केंद्रीय वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर ही राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के वेतन बढ़ाती हैं. महत्वपूर्ण है कि भाजपा की सरकार वाले मध्यप्रदेश और गुजरात ने छठे वेतन आयोग के गठन का विरोध किया था.
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Cabinet approves constitution of 6th Pay Commission
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In India, the Union Cabinet has approved the constitution of the Sixth Central Pay Commission for 5.5 million government employees, which will also recommend interim relief.
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According to news agencies, in the cabinet meeting chaired by Prime Minister Manmohan Singh, it was decided that the commission will have a chairman of the level of minister of state and two other members whose names will be announced by the prime minister. This commission will give its recommendations within 18 months from the date of its formation. Before this, the Fifth Pay Commission was formed in April 1994, which gave its recommendations in January 1997. After implementing the recommendations of the Fifth Pay Commission, the central government had an annual burden of about 17 thousand crore rupees. The burden on the state governments. Information and Broadcasting Minister Priya Ranjan Dasmunsi told reporters that the commission will also pay attention to some aspects of the service of the central government employees. Significantly, the 12th Finance Commission had advised the government to avoid the formation of the Pay Commission from time to time because after implementing the recommendations of the Fifth Pay Commission, many state governments also had a serious financial burden. Based on the recommendations of the Central Pay Commission, the salaries of their employees were raised by the sixth pay commission of the Madhya Pradesh government.
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051110_budhia_exploitation
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2005/11/051110_budhia_exploitation
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बाल धावक के शोषण की आशंका
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भारत के उड़ीसा राज्य के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि तीन वर्षीय मैराथन धावक बुधिया सिंह का शोषण हो रहा है.
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हाल ही में दिल्ली में हुए मैराथन में दौड़ लगाने वाले बुधिया सिंह कई टीवी विज्ञापनों में भी नज़र आने लगे हैं. राज्य सरकार का कहना है कि इतनी लंबी दूरी तक दौड़ने की वजह से इस बालक के हृदय और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है. लेकिन बुधिया के कोच बिरंची दास ने इन आशंकाओं को निराधार बताया है और कहा है कि उसकी नियमित मेडिकल जाँच की जाती है. उड़ीसा के खेल मंत्री देवाशीष नायक का कहना है कि "सरकार बच्चे के शोषण की मूक दर्शक नहीं बनी रहेगी और ज़रूरत पड़ी तो उसके भविष्य को बचाने के लिए हस्तक्षेप करेगी." हाल ही में बुधिया ने तीर्थनगर पुरी से भुबनेश्वर तक की दौड़ लगाई है जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है, इससे पहले वह भुबनेश्वर से कटक तक 35 किलोमीटर की दौड़ लगा चुका है. पिछले दिनों उड़ीसा के दौरे पर गईं ओलंपियन पीटी उषा ने भी कहा था कि इतनी लंबी दूरी तक दौड़ना दीर्घकाल में बुधिया के लिए नुक़सानदेह हो सकता है. लेकिन बिरंची कहते हैं, "तीन डॉक्टरों का एक दल बुधिया की नियमित जाँच करता है, बुधिया पूरी तरह स्वस्थ है, मुझे समझ में नहीं आता कि लोगों को इतनी चिंता क्यों है." भत्ता राज्य सरकार ने बुधिया को हर महीने 500 रूपए का भत्ता देने की घोषणा की है लेकिन पेशे से जूडो कोच दास का कहना है कि "इतने पैसे तो दो दिन के लिए भी काफ़ी नहीं हैं." स्थानीय जूडो एसोसिएशन के अध्यक्ष बिरंची दास का कहना है कि बुधिया जन्मजात तौर पर विलक्षण है और उसमें अपार ऊर्जा है. उन्होंने अब बुधिया के लिए बहुत ही अनुशासित दिनचर्या तैयार की है, जिसमें उनके खानपान और अभ्यास का विशेष ध्यान रखा गया है. बुधिया को अपनी माँ के साथ रहने पर सिर्फ़ भात ही खाने को मिलता था लेकिन अब उसे अंडे, दूध और माँस सहित संतुलित भोजन दिया जा रहा है.
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Child runner suspected of abuse
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Officials in the Indian state of Orissa have expressed fears that three-year-old marathon runner Budhia Singh is being exploited.
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Budhia Singh, who recently ran a marathon in Delhi, has also started appearing in several TV commercials. The state government says that running such long distances can have a bad effect on the boy's heart and lungs. But Budhia's coach Biranchi Das dismisses these fears and says that he gets regular medical check-ups. "The government will not be a mute spectator to the child's exploitation and will intervene to save his future if needed," says Orissa's Sports Minister Debashish Nayak. "Budhia Das, who recently ran a race from Tirthnagar Puri to Bhubaneswar, which is about 60 kilometers away, has already run a 35-kilometer race from Bhubaneswar to Cuttack. Olympian PT Usha, who recently visited Orissa, also told her that running such long distances could be detrimental to Budhia in the long run. But Biranchi says," The attention of the three doctors was now focused on Budhia's mother as a regular meat eater, and Budhia's coach Budhia is ready to spend 500 rupees every month on healthy eggs. "Budhia Das is also the president of the local Judo Association." Budhia Das is not prepared to give Budhia a special allowance of food, including milk, "But Budhia's coach Budhia is not so keen on giving Budhia a lot of food every day, and Budhia's gambling," But Budhia's association president Budhia Das says, who runs a special food allowance of Rs 500 every month, "But Budhia's coach Budhia is so much money that Budhia's" every day, "But Budhia 's food allowance of gambling," But Budhia's coach Budhia' s food, which is not so generous, Budhia's coach of gambling, "Budhia 's food, Budhia' s food," Every day, Budhia says that Budhia 's "Every day," Every day, Budhia' s food, "Every day," But Budhia 's "Budhia' s food," Budhia 's food, "Every day," Every day, "Every day," Budhia, "Budhia' s food," Every day, "Budhia," Every day, "Every day,
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150720_tech_
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https://www.bbc.com/hindi/sport/2015/07/150720_tech_
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वेब पर अनचाहे वीडियो की बोलती ऐसे बंद करें
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अक्सर ऐसा होता है कि वेब ब्राउज़र में कोई वीडियो अपने आप चलने लगता है. ये आपकी सर्फिंग को ये धीमा तो करता ही है, आपके इंटरनेट डेटा की भी फ़ालतू खपत होती है.
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मोज़िल्ला ने फ़ायरफ़ॉक्स के लिए अब साइलेंट बटन बनाया है, जिसके इस्तेमाल से आप ख़ुद चलने वाले वीडियो को म्यूट कर सकते हैं. सबसे पहले फ़ायरफ़ॉक्स पर ब्राउज़र खोल लीजिए और साइलेंट टैब्स ऐड-ऑन डाउनलोड करके इनस्टॉल कर लीजिए. अगर आप फ़्लैश नहीं चला रहे हैं तो एचटीएमएल-5 से चलने वाले वेबसाइट जैसे यूट्यूब को खोलकर देख लीजिए. गूगल ने भी दी सहूलियत जब भी एचटीएमएल-5 कंटेंट वाली वेबसाइट खुलेगी, आपके स्क्रीन पर एक ऑडियो आइकॉन आ जाएगा. ऐप पर क्लिक कर दीजिए और एक क्रॉस का निशान आएगा, जिससे आपको पता लगेगा कि आपने वेबसाइट की आवाज़ बंद कर दी है. समाप्त कुछ समय पहले गूगल ने भी ऐसी सहूलियत क्रोम के लिए दी थी. नॉइज़ कंट्रोल नाम का ये क्रोम एक्सटेंशन, फ़्लैश पर चलने वाले वीडियो के मामले में काम नहीं करता है और सिर्फ एचटीएमएल-5 वाली साइट्स पर ही काम करता है. आपकी सहूलियत के नज़र से देखें तो फ़ायरफ़ॉक्स का साइलेंट टैब आपके लिए बेहतर है लेकिन अगर आप ब्राउज़िंग के लिए क्रोम को पसंद करते हैं तो आपको नॉइज़ कंट्रोल से ही काम चलाना पड़ेगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Turn off unwanted video chatter on the web
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It often happens that a video starts playing automatically in the web browser. This not only slows down your surfing, but also consumes your internet data.
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Mozilla has now created a silent button for Firefox, using which you can mute videos playing automatically. First of all, open the browser on Firefox and download and install the Silent Tabs add-on. If you are not running Flash, open an HTML-5 website like YouTube. Google has also given the facility. Whenever a website with HTML-5 content opens, an audio icon will appear on your screen. Click on the app and a cross mark will appear, which will let you know that you have turned off the website's sound. Not long ago, Google also gave such a facility for Chrome. This Chrome extension called Noise Control does not work in the case of videos playing on Flash and only works on sites with HTML-5. If you do not see Flash, then you can click on the Hindi FLOW FLOW tab for your convenience. If you like the Facebook app for browsing, then you can also click on the FLOW FLOW tab.
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080914_blast_site
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/09/080914_blast_site
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कहीं सन्नाटा कहीं भीड़
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दिल्ली में बम धमाकों के एक दिन बाद जहां किसी घटनास्थल पर सन्नाटा है तो कहीं तमाशबीनों की भीड़ लगी हुई है.
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कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क और बाराखंभा रोड पर धमाका हुआ था. रविवार की सुबह जहां सेंट्रल पार्क बिल्कुल खाली था वहीं बाराखंभा पर कई लोग मौजूद थे. साथ ही थी मीडिया और पुलिसकर्मियों की भीड़ भी. कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क जहाँ रविवार को नौजवान जोड़ों की भीड़ होती है. वहाँ सन्नाटा पसरा था. पार्क में एक भी लोग नहीं थे. यहाँ तक के उससे गुज़रने वाली सड़क भी पूरी तरह ख़ाली ख़ाली थी. पार्क से बाहर खड़ी एक युवती ने कहा कि यहाँ आकर बहुत अजीब सा लग रहा है. उसका कहना था, ' मैं डरी नहीं हूँ इसलिए मैं यहाँ आई हूँ और मुझे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर पूरा विश्वास है.' जो लोग कनॉट प्लेस आए थे वो काफी डरे हुए थे और उनका कहना था कि यदि उन्हें ज़रुरी काम नहीं होता तो वो कम से कम आज तो कनॉट प्लेस कतई नहीं आते. लोगो का कहना था कि जीना है इसिलए आना पड़ रहा है. कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क से गुज़र रहे एक ऑटो रिक्शा चालक अनवर आलम जो पिछले दस साल से दिल्ली में ऑटो रिक्शा चलाते हैं का कहना था कि उन्होंने कनॉट प्लेस को इस तरह सूना सूना कभी नहीं देखा. जिस तरह लोग डरे हुए हैं ऐसा ख़ोफ़ का माहौल भी कभी नहीं देखा. बाराखंभा पर भीड़ सेंट्रल पार्क के उलट बाराखंभा रोड के धमाके के स्थान पर तामाशबीनों की भीड़ लगी थी और जो भी राहगीर बाराखंभा रोड से गुज़र रहा था वो अपनी गाड़ी को धीरे कर एक बार ज़रुर धमाके के जगह को देख रहा था. पुलिस ने धमाके के स्थान को घेर रखा था और यहाँ पुलिस भी बड़ी तादाद मौजूद थी. एक तमाशबीन वीर पाल का कहना था कि धमाकों की वजह से बच्चे भी काफी डर गए हैं, वो समझ नहीं पा रहे हैं कि उनको कैसे समझाए. बात करने पर कई लोगों ने अपना गुस्सा सरकार पर उतारा. लोगों का कहना था कि जिस देश में करोड़ो लोग ग़रीब हैं और इससे मर रहे हैं वहाँ सरकार को आम लोगो की चिंता कैसे हो सकती है. सरकार सिर्फ राजनीति कर रही है. धमाकों की उसे चिंतो नहीं. जब दिल्ली सुरक्षित नहीं है तो देश का कौन सा हिस्सा सुरक्षित हो सकता है.' जबकि एक दूसरे शख़्स का कहना था कि चरमपंथी हमारे देश और लोगो के हौसलो को कम नहीं कर सकते हैं. दिल्ली के लोग अब नए सिरे से ज़िंदगी शुरु करेंगे लेकिन शनिवार को जो कुछ हुआ उसकी तल्ख़ यादें दिल्ली वालो का बहुत दिन तक पीछा करेंगे. दिल्ली का दर्द अभी ख़त्म नहीं हुआ है. गौरतलब है कि शनिवार की शाम दिल्ली के तीन विभिन्न स्थानों पर बम धमाके हुए जिसमें 20 लोग मारे गए और लगभग 90 से ज़्यादा लोग घायल हुए.
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Somewhere there is silence, somewhere there is crowd.
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A day after the bomb blasts in Delhi, while there is silence at some places, there is a crowd of tamashbeens.
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Central Park and Barakhamba Road in Connaught Place were bombed. On Sunday morning, when Central Park was completely empty, many people were present at Barakhamba. There was a crowd of media and policemen. There was a crowd of young couples on Sunday. There was silence. There was silence. There was not a single person in the park. Even the road passing through it was empty. It felt very strange to come here, said a young woman standing outside the park. She said, 'I am not afraid, so I have come here and I have full faith in the security system of the country.' People who came to Connaught Place were very scared of life. If they did not finish the necessary work, then at least this evening, people would not come to Connaught Place. People said that they had to live. On Saturday, many people had to come. There was a safe auto rickshaw that was passing through Connaught Place Central Park, which was safe for almost ten years. There was a crowd of people passing through the park. Even a poor man who said, 'I am not afraid, and I have full faith in the security system of the country.' People who came to Connaught Place, the auto rickshaw driver, the auto rickshaw driver, the auto rickshaws driver, could not be able to see such a huge crowd of people, and the government of the country's government, the auto rickshaw driver, the auto rickshaws driver, till this time, the auto rickshaw, the auto rickshaw, the auto, the auto, the auto, the security personnel of the security personnel, the government, the auto, the auto, the auto, the auto, the auto, till the auto, till this day, till this time, the auto, the auto, the auto, the security of the security of the security of the security of the country, the security of the country, so many people of the government, so that the government, could not be able to see such a huge number of people.
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050619_heatwave
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2005/06/050619_heatwave
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भारत में लू से 200 से ज़्यादा मौतें
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भारत के विभिन्न हिस्सों में भीषण गर्मी और लू का कहर जारी है. इस मौसमी मार से अब तक 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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हालाँकि ग़ैरसरकारी सूत्रों के अनुसार मरने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा है. इसबीच मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून के पहुँचने की उम्मीद व्यक्त की है. उल्लेखनीय है कि मानसून इसबार सप्ताह भर देर से केरल पहुँचा था और अब तक यह आंध्र प्रदेश और उड़ीसा नहीं पहुँच पाया है. रविवार को मुंबई में बारिश से लोगों को राहत मिली है. मौतें तेज़ गर्मी और लू से भारत में सबसे ज़्यादा मौतें पूर्वी राज्य उड़ीसा में हुई है. वहाँ पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान 75 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. ग़ैरसरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य में मरने वालों की संख्या 300 से ज़्यादा है. उड़ीसा के तलचेर में शनिवार को तापमान 50 डिग्री सेल्सियस पहुँच गया. पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में 50 से ज़्यादा लोग लू की भेंट चढ़े हैं. ग़ैरसरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य में 200 से ज़्यादा लोगों की मौत तेज़ गर्मी से हुई है. सरकारी सूत्रों के अनुसार उत्तरप्रदेश में तेज़ गर्मी के कारण 70 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड से भी मौतों के समाचार मिले हैं. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार बिहार और झारखंड राज्य सरकारों ने बच्चों को तेज़ गर्मी से बचाने के लिए स्कूलों में गर्मियों की छुट्टी सप्ताह भर और बढ़ा दी है. अब इन राज्यों में स्कूल इस महीने के अंत तक बंद रहेंगे.
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More than 200 deaths from heatwave in India
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Severe heatwaves and heatwaves continue to ravage parts of India, with more than 200 people killed so far.
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However, according to unofficial sources, the death toll is much higher. Meanwhile, the Meteorological Department has predicted the arrival of the monsoon in most parts of the country in the next few days. Notably, the monsoon arrived in Kerala late this week and has not yet reached Andhra Pradesh and Orissa. The rains in Mumbai have brought relief on Sunday. Deaths from the scorching heat and heatwave have been the highest in India in the eastern state of Orissa. More than 75 people have died there in the past few weeks. According to unofficial sources, the death toll in the state is over 300. The temperature in Talcher, Orissa, reached 50 ° C on Saturday. More than 50 people have been hit by the heatwave in neighbouring Andhra Pradesh. According to unofficial sources, more than 200 people have died in the state. According to government sources, the scorching heat in Uttar Pradesh has killed more than 70 people. There are also reports of deaths from West Bengal, Bihar, and Jharkhand. According to the news agency AP, the state governments have extended summer vacations in Bihar and Jharkhand till the end of this month.
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090117_srilanka_civilians_as
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2009/01/090117_srilanka_civilians_as
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उत्तरी श्रीलंका में लड़ाई, हज़ारों विस्थापित
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उत्तरी श्रीलंका में सेना और तमिल विद्रोहियों के बीच भीषण संघर्ष चल रहा है और हताहतों के बारे में परस्पर विरोधी खबरें आ रही हैं. उधर रेडक्रॉस ने इस लड़ाई के दौरान विस्थापित हुए हज़ारों लोगों की देखरेख के बारे में चिंता जताई है.
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तमिल विद्रोहियों की वेबसाइट के मुताबिक विद्रोहियों ने धर्मापुरम के पास सेना को खदेड़ दिया है और इस कार्रवाई में 50 से ज़्यादा सैनिक मारे गए हैं. लेकिन सेना ने इस दावे का खंडन किया है. उधर सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर उदय नानायाकारा ने बीबीसी को बताया है कि सेना ने विद्रोहियों को खदेड़ दिया है और बीस विद्रोही मारे गए हैं. उन्होंने ये भी कहा है कि सात सैनिक भी मारे गए हैं. श्रीलंका की सेना ने पिछले कई हफ़्तों से एलटीटी के कब्ज़े वाले इलाक़ों में भीषण सैन्य अभियान चलाया है और एलटीटीई विद्रोही अब उत्तर-पूर्वी तटवर्ती शहर मुल्लईटिवू में घिर गए हैं. दूसरी ओर भारत के विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंदा राजपक्षे से कोलंबो में बातचीत की है और इसमें देश के उत्तरी भाग में स्थिति पर चर्चा हुई है. हज़ारों का बार-बार पलायन अंतरराष्ट्रीय राहत संस्था रेडक्रॉस के अनुसार भीषण जंग के कारण तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई के कब्ज़े वाले इलाक़े में फँसे हुए हज़ारों लोगों को जान बचाने के लिए बार-बार एक जगह से दूसरी जगह भटकना पड़ा है और उनके लिए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति और चिकित्सा संबंधी समस्याएँ खड़ी हो गई हैं. रेडक्रॉस के अधिकारी पॉल कैसटेलो ने बीबीसी को बताया कि लड़ाई के कारण एक हफ़्ते से तमिल विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाक़े में राहत सामग्री नहीं पहुँच पाई है जिससे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. लेकिन श्रीलंका के सैन्य प्रवक्ता ने ज़ोर देकर कहा है कि खाद्य सामग्री से लदे वाहनों का एक काफ़िला विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाक़े में भेजा गया है और वहाँ पर्याप्त खाद्य सामग्री मौजूद है. 'सुरक्षित रास्ते नहीं' रेडक्रॉस ने इस विषय पर भी चिंता जताई है कि दोनों पक्षों ने आम नागरिकों के बचकर निकलने के कोई 'सुरक्षित रास्तों' पर सहमति नहीं बनाई है. रेडक्रॉस के एक बयान में कहा गया है - "सुरक्षित रास्ते न होने के कारण उन मरीज़ों की जान के लिए ख़तरा पैदा हो गया है जिन्हें घटनास्थल पर उचित चिकित्सा नहीं दी जा सकती और जिन्हें वावूनिया में सरकार के कब्ज़े वाले इलाक़े में अस्पताल में ले जाने की ज़रूरत है." बुधवार को श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि कुल 1707 लोगों ने जनवरी के दो हफ़्तों में सरकार के कब्ज़े वाले इलाक़ों में प्रवेश किया है जहाँ उन्हें आपात मदद और राहत सामग्री दी गई. रेडक्रॉस के अधिकारी पॉल कैसटेलो का कहना था, "बार-बार विस्थापन में कई बार लोगों को बार-बार अपने सब कुछ गँवाना पड़ा है और इसका असर साफ़ दिख रहा है." रेडक्रॉस के अनुसार पलायन करने वाले हज़ारों लोगों को इतने छोटे से इलाक़े में रखा गया है कि उनकी सुरक्षा और हालात के बारे में गंभीर चिंता पैदा हो गई है.
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Fighting in northern Sri Lanka displaces thousands
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Fierce fighting between the army and Tamil rebels is ongoing in northern Sri Lanka, with conflicting reports of casualties. The Red Cross has raised concerns about the care of thousands of people displaced during the fighting.
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According to the Tamil rebels' website, the rebels have now trapped 1707 troops near the northeastern coastal town of Mullaitivu. On the other hand, India's Foreign Secretary Shivshankar Menon has spoken to Sri Lankan President Mahinda Rajapakse in Colombo, who has been briefed on the situation in the northern part of the country. The army has denied the claim. Army spokesman Brigadier Udaya Nanayakkara has also told the BBC that the army has driven the rebels away and that twenty rebels have been killed. The Sri Lankan army has also said that seven soldiers have been killed over the past several weeks in LTTE-held areas. The Sri Lankan government has "insisted on the safe passage of food supplies to the Tamil civilians." The Sri Lankan government has said that the Sri Lankan government has "failed to provide adequate relief supplies to the displaced Tamil civilians," and that the Sri Lankan government has "failed to ensure the safe passage of food supplies to the displaced Tamil civilians." The Sri Lankan government has once again stated that "no food supplies have been delivered to the displaced Tamil civilians." The Sri Lankan government has "failed to provide adequate relief materials to the displaced Tamil civilians," and that the Sri Lankan government has "failed to ensure the safe passage of food supplies to the displaced Tamil civilians in the occupied areas."
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151019_pak_blast_ia
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https://www.bbc.com/hindi/international/2015/10/151019_pak_blast_ia
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पाकिस्तान: यात्री बस में धमाका, 10 मरे
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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा शहर में एक यात्री बस में हुए धमाके में कम के कम 10 लोग मारे गए हैं और 20 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
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क्वेटा में बीबीसी संवाददाता मोहम्मद काज़िम के अनुसार पुलिस अधिकारियों का कहना है कि धमाका शहर के भीड भीड़ वाले चौराहे सरयाब रोड पर बस टर्मिनल के क़रीब हुआ है. पुलिस अधीक्षक अब्दुल वहीद खटक ने बताया कि शुरूआती जानकारी से पता चला है कि विस्फोटक सामग्री बस की छत पर रखा हुआ था. उनके अनुसार इस बात की आशंका जताई जा रही है कि धमाका टाइम डिवाइस की मदद से किया गया है. धमाके के समय बस में लगभग 40 यात्री सवार थे. समाप्त घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सुरक्षाकर्मियों ने पूरे इलाक़े को अपने घेरे में ले लिया है. फ़िलहाल किसी संगठन ने धमाके की ज़िम्मेदारी क़ुबूल नहीं की है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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10 killed in Pakistan bus explosion
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At least 10 people have been killed and more than 20 injured in an explosion on a passenger bus in the city of Quetta in Pakistan's Balochistan province.
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According to the BBC's Mohammad Kazim in Quetta, police officials say the blast occurred close to the bus terminal on the city's busy intersection of Saryab Road. Superintendent of Police Abdul Waheed Khattak says initial information suggests that explosive material was placed on the roof of the bus. According to him, the blast is suspected to have been caused by a time device. There were about 40 passengers on the bus at the time of the blast. The injured have been taken to the civil hospital. Security personnel have cordoned off the area. No organisation has yet claimed responsibility for the blast. (For BBC Hindi's Android app, you can click here. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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081108_economy_crisis
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https://www.bbc.com/hindi/business/story/2008/11/081108_economy_crisis
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बेहाल बाज़ार का ताज़ातरीन हाल
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अमरीका की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स के शेयर 60 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गए हैं.
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लगातार गिर रहे जनरल मोटर्स के शेयर सोमवार को एक झटके में 23 प्रतिशत गिरकर 3.36 डॉलर पर पहुँच गए. शुक्रवार को कंपनी ने पिछली तिमाही में 4.2 अरब डॉलर का घाटा घोषित किया था और लगभग 2000 लोगों को नौकरी से हटाने का ऐलान किया था. जानकारों का कहना है कि जनरल मोटर्स के शेयर एक डॉलर के स्तर तक पहुँच सकते हैं. वोडाफ़ोन दुनिया की सबसे मोबाइल कंपनियों में से एक वोडाफ़ोन ने अपने ख़र्चों में एक अरब डॉलर की कटौती करने की घोषणा की है. वोडाफ़ोन के मुनाफ़े में 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. स्टारबक्स बहुत तेज़ी से तरक्की कर रही अमरीका की जानी-मानी कॉफ़ी कंपनी स्टारबक्स के मुनाफ़े में भारी गिरावट आई है. पिछली तिमाही कंपनी का मुनाफ़ा 15 करोड़ डॉलर से अधिक था लेकिन अब वह गिरकर 30 लाख डॉलर के निकट पहुँच गया है. अमरीका में उसके दुकानों में कॉफी की बिक्री में 8 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. डीएचएल डीएचएल एक्सप्रेस में अमरीका में 9500 लोग अपनी नौकरी गँवाने जा रहे हैं क्योंकि उसके पार्टनर डॉयचे पोस्ट ने अमरीका में अपने कारोबार को कम करने का फ़ैसला किया है. यूरोप की सबसे बड़ी डाक कंपनी डॉयचे पोस्ट अमरीका में अपना सारा घरेलू कारोबार बंद करके सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय डाक सेवा पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है. इस वर्ष के शुरू में ही डीएचएल ने 5400 लोगों को नौकरी से हटाया था. एचएसबीसी वर्ष की तीसरी तिमाही में यूरोप के सबसे बड़े बैंक एचएसबीसी ने अमरीकी बाज़ार में गिरावट की वजह से 4.3 अरब डॉलर का घाटा उठाया है. एचएसबीसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आने वाले दिनों में वित्तीय बाज़ार में क्या दशा होगी. हाल ही में एचएसबीसी ने 1100 नौकरियाँ समाप्त करने की घोषणा की थी. एआईजी बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एआईजी को अमरीकी सरकार और आर्थिक सहायता देने जा रही है, कंपनी को बर्बादी से बचाने के लिए सरकार अब तक 150 अरब डॉलर लगा चुकी है. सरकार कंपनी के 40 अरब डॉलर के शेयर ख़रीदने जा रही है जिसके बाद उसके पास कंपनी का स्वामित्व आ जाएगा. अमरीकी सरकार देश के वित्तीय संस्थानों को उबारने के लिए 700 अरब डॉलर सरकारी ख़ज़ाने से ख़र्च कर रही है और एआईजी पर लगने वाले 150 डॉलर उसी पैकेज का हिस्सा है. तीसरी तिमाही में एआईजी ने 24 अरब डॉलर के घाटे की घोषणा की है. पिछले साल तक उसे 3 अरब डॉलर का फ़ायदा हुआ था. सर्किट सिटी अमरीका में इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बिक्री करने वाली मशहूर चेन सर्किट सिटी दिवालिया होने के कगार पर है, कंपनी सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पूरे अमरीका में 700 से अधिक बड़े दुकान चलाने वाली कंपनी ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि वह 155 दुकानों को बंद करने जा रही है जिसकी वजह से 20 प्रतिशत लोग अपनी नौकरियाँ गँवाने वाले हैं. कंपनी ने 1.1 अरब डॉलर का कर्ज़ लिया है ताकि किसी तरह कामकाज चलता रहे.
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The latest from a troubled market
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Shares of General Motors, America's largest carmaker, have hit a 60-year low.
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Shares of Starbucks, the fastest-growing coffee company in the United States, fell 23 percent to $3.36 on Monday. On Friday, the company announced a loss of $4.2 billion in the last quarter and announced the firing of about 2,000 people. Analysts say that General Motors shares may reach a $1 billion level. Vodafone, one of the world's largest mobile companies, has announced a $1 billion cut in its expenses. Vodafone's profits have fallen 27 percent. Starbucks, the fastest-growing coffee company in the United States, has lost $3 billion in recent years to save the company's $54 billion in debt. The US government is not going to help HSG Bank, the largest insurance company in the entire year. The US government has decided to close the company's post office. The US government is not going to help HSG Bank's post office, which is the largest insurance company in the world. The US government has announced that it is closing the company's post office for $3 billion in order to save the company's $150 billion in debt. The US government is not going to help HSG Bank's $3 billion business until the end of the financial year. Last quarter, AI City's quarterly treasury was applied for $250 million, but now it has come down to AIBC's third circuit, so that its employees are being laid off their jobs.
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060319_khurana_suspend
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/03/060319_khurana_suspend
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मदनलाल खुराना भाजपा से निलंबित
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भारतीय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है.
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पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख़्तार अब्बास नक़वी ने बीबीसी को बताया कि पार्टी के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी के लिए खुराना को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया गया है. नक़वी ने बताया कि खुराना को भी इसकी जानकारी दे दी गई है. इससे पहले राजस्थान के राज्यपाल रह चुके मदनलाल खुराना ने कहा था कि वह भाजपा से निष्कासित नेता उमा भारती की रैली में जाने की घोषणा की थी. मदद लाल खुराना ने कहा था, "मैं कोई लल्लू पंजू नहीं हूँ, मैं राज्यपाल था लेकिन वह पद छोड़कर पार्टी के लिए काम करना चाहता था. अगर मुझे घर में ही बैठना था तो राजनिवास में बैठे रह सकता था. पार्टी ने जो वायदे किए थे वो पूरे नहीं हुए हैं, अफ़सोस तो मुझे यही है." खुराना से जब यह पूछा गया कि उनके इस बयान को पार्टी विरोधी गतिविधि माना जा सकता है और उन्हें नुक़सान भी उठाना पड़ सकता है तो खुराना ने कहा यह राजनीति से ऊपर का मामला है. खुराना ने कहा, "दिल्ली मेरे लिए एक मंदिर जैसी है और मंदिर के पुजारी के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं दिल्ली में हो रही तोड़फोड़ और आम लोगों की परेशानियाँ दूर करने के लिए कुछ करूँ. दिल्ली की सेवा करने के लिए मुझे जो भी बलिदान देना पड़ेगा दूँगा." खुराना ने कहा था, "उमा भारती भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं और वो मेरी छोटी बहन की तरह है और उन्होंने मुझे न्यौता दिया है तो मैं जाउंगा. यह राजनीति से ऊपर का मामला है." मुख़्तार अब्बास नक़वी ने खुराना को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किए जाने का कारण बताते हुए कहा कि खुराना काफ़ी दिनों से पार्टी विरोधी बयानबाज़ी कर रहे थे. नक़वी ने कहा, "इसलिए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए मदनलाल खुराना को तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है और इसकी सूचना खुराना को दे दी गई है."
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Madan Lal Khurana suspended from BJP
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The Bharatiya Janata Party has suspended senior leader and former Delhi Chief Minister Madan Lal Khurana from the primary membership of the party.
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The party's national vice-president, Mukhtar Abbas Naqvi, told the BBC that Khurana had been suspended from primary membership as part of disciplinary action for his anti-party rhetoric.
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entertainment-37657976
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment-37657976
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भारत में 'बॉब डिलन' क्यों नहीं हैं?
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1960 के दशक में अपने गीतों से सामाजिक क्रांतियों में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमरीकी पॉप गायक बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है.
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बॉब डिलन के गीतों में उनके दौर की राजनीति की बारीक़ समझ झलकती थी. गीतकार, संगीतकार, लेखक और अभिनेता पीयूष मिश्रा के मुताबिक भारत में ऐसी सोच और समझ के साथ गीत लिखनेवालों की बेहद कमी है. पढ़ें बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य से उनकी बातचीत के अंश. बॉब डिलन तो बहुत बड़ी शख़्सियत हैं और उनका संदर्भ अमरीका रहा है पर उनके जैसे ही सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में भारत में लिखे जा रहे गीतों को वैसी लोकप्रियता नहीं मिली है. पीयूष मिश्रा ने 'गुलाल' फ़िल्म के गीत लिखे और उन्हें संगीतबद्ध किया बड़ी तक़लीफ़ से ये मानना पड़ता है कि विदेश से अलग भारत में लोकप्रिय होने के लिए बॉलीवुड से जुड़ना पड़ता है. रिकॉर्ड की बिक्री या यूट्यूब पर गाने डालने से वो व्यापक असर नहीं होता जैसा फ़िल्मों से जुड़कर हो सकता है. मैंने भी अपने गीत नाटकों के लिए लिखे और बाद में उन्हें बॉलीवुड में इस्तेमाल किया तो लोगों ने थोड़ा पहचानना शुरू किया. उसके बावजूद मैं व्यावसायिक तौर पर गीतकार नहीं बन पाया. पीयूष मिश्रा ने फ़िल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' के दो गीत लिखे हैं. लेकिन ये समझना मुश्किल है कि बिना सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ लाए, गीत कैसे लिखे जा सकते हैं. अगर प्यार का गीत भी है तो उसके पीछे कोई घटनाक्रम होगा. मेरा एक गीत है जिसके बोल हैं, 'उजला उजला शहर होगा, जिसमें हम-तुम बनाएंगे घर, दोनों रहेंगे क़बूतर से, जिसमें होगा ना बाज़ों का डर'. ये अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरने के माहौल में एक मुसलमान लड़की और हिंदू लड़के के बीच के प्रेम पर आधारित था. पहले मुझे लगता था कि इस तरह के गीत कुछ ही लोग सुनना चाहेंगे. पर ये गीत लोकप्रिय हो रहे हैं और ख़ास तौर पर युवा वर्ग इनसे बहुत प्रभावित है. बॉब डिलन ने अपनी आवाज़ के लिए कभी कोई पुरस्कार नहीं जीता है. मेरा दुर्भाग्य यह है कि जब मैं जवान हो रहा था मैंने तब बॉब डिलन को पढ़ा और सुना नहीं. जब मेरी विचारधारा ने वामपंथी मोड़ लिया और डिलन ने शांति के मुद्दे पर काम किया तब मैंने उन्हें साक्षात सुना और उनसे बहुत प्रभावित हुआ. तब तक मैं क़रीब 30 साल का हो चुका था और काफ़ी कुछ लिख चुका था. उस मायने में मेरा लेखन उनसे प्रेरित नहीं है, पर उनके काम को समझकर मैंने जाना कि मेरी और उनकी सोच काफ़ी एक सी है. शुभा मुद्गल ने ग़ैर-बॉलीवुड संगीत को बढ़ावा देने के लिए रिकॉर्ड लेबल 'अंडरस्कोर रिकॉर्ड्स' की शुरुआत की. भारत में ऐसा लगता है कि गीत लिखनेवाले आंख, नाक, कान खोलकर नहीं सोते हैं. क्योंकि अगर वो इतने सजग रहें तो हमारे आसपास लिखने के लिए मुद्दे भी बहुत है और शब्द भी. और आज का युवा जानना समझना चाहता है कि उसकी दुनिया के मसले क्या हैं, उनका संदर्भ क्या है. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोकटोक की बातें ख़ूब हो रही हैं पर अगर ऐसा होता तो मेरे गीत बैन हो गए होते. पिछले सालों में इस तरह के लेखन को गीतों में ढालने की एक जगह ज़रूर बन रही है, पर इसे अभी और बहुत खुलने की ज़रूरत है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Why is there no 'Bob Dylan' in India?
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American pop singer Bob Dylan, who played a major role in social revolutions with his songs in the 1960s, has won the Nobel Prize for literature.
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Lyricist, composer, writer, and actor Piyush Mishra says that there is a dearth of songwriters with such thinking and understanding in India. Bob Dylan is a very big personality and his reference has been America, but in the same social and political context as him. Piyush Mishra wrote the lyrics of the film 'Gulaal' and composed them. With great difficulty, it has to be believed that to be popular in India, unlike abroad, the lyrics of the songs have to be associated with the left. If the sale of the record or the placement of the songs on YouTube, the Babri Masjid issue would not have been understood by the world. If I also wrote the lyrics for my songs for non-telecoms, and later used them in Bollywood, then people started to understand the last few words. Despite that, I did not become a lyricist professionally. Piyush Mishra wrote the lyrics for the film 'Dilwale' and wrote 'Dilwale' under the label of 'Dilwale' and 'Dilwale' under the label of 'Dilwale' and wrote 'Dilwale' under the label of 'Dilwale' and wrote 'Dilwale' in Hindi. It is very difficult to believe that a song based on a social issue like 'Mujhse Badaaron Ki Jaane Ki Bola Hai' and a song based on the song 'Ujdaan Ki Jaane Ki Jaane Ki Aaj Ki Aaj Ki Aaj Ki Jaane Ki Aaj Ki Aaj Ki Aaj Ki Aaj Ki Rahega Hai' would also have to give a political message. If you listen to a song based on a song based on 'Azadi' Aaj Ki Aaj Ki Baazat Ki Aaj Ki Baaz ', then you would not be able to listen to a song, and listen to a song based on' Aaj Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Jaane Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Baaz Ki Aaj Ki Baaz Ki Baaz Ki
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060515_bbc_figures
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2006/05/060515_bbc_figures
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बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के श्रोताओं की संख्या बढ़ी
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बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के श्रोताओं की संख्या 16 करोड़ तीस लाख प्रति सप्ताह पहुँच गई है. इससे पहले वर्ल्ड सर्विस के श्रोताओं की सबसे ज़्यादा संख्या- 15 करोड़ तीस लाख वर्ष 2001 में दर्ज की गई थी.
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श्रोताओं की संख्या में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी नेपाल, भारत, नाइजीरिया, इंडोनेशिया और कीनिया में हुई है. जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में श्रोताओं की संख्या में ज़बरदस्त गिरावट आई है. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के निदेशक नाइजल चैपमैन ने कहा, "प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भी श्रोताओं की बढ़ती संख्या एक बहुत बड़ी उपलब्धि है." उन्होंने कहा कि एक भरोसेमंद प्रसारक होने के चलते लोगों ने बीबीसी का रुख़ किया, ख़ासकर ऐसे इलाक़ों में जहाँ किसी न किसी तरह का संघर्ष चल रहा है. पिछले साल बीबीसी ने बुल्गारियाई, क्रोएशियाई और थाई समेत दस भाषाओं में अपनी सेवा बंद कर दी थी. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस तीस से ज़्यादा भाषाओं में अपना प्रसारण करती है. तकनीक के नज़रिए से इसमें काफ़ी बदलाव हो रहे हैं. पुराने ट्रांसमिटरों की जगह एफ़एम स्टेशनों से प्रसारण किया जा रहा है. सर्वेक्षण के अनुसार अंग्रेज़ी प्रसारण सुनने वालों की संख्या में तीस लाख की बढ़ोत्तरी हुई है और अब ये चार करोड़ प्रति हफ़्ता के आसपास है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में श्रोताओं की संख्या में गिरावट के पीछे बीबीसी ने एफ़एम फ़्रिकूएंसी की कमी को कारण बताया है. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने पिछले साल अपना अरबी टीवी चैनल शुरू करने की घोषणा की थी.
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BBC World Service audience increases
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Listenership of the BBC World Service has reached 163 million per week. The previous highest number of World Service listeners was recorded in 2001 at 153 million.
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Nepal, India, Nigeria, Indonesia, and Kenya have seen the biggest increases in listenership. Pakistan and Bangladesh have seen sharp declines. BBC World Service Director Nigel Chapman said, "Even in this era of competition, increasing listenership is a huge achievement." He said that being a reliable broadcaster, people turned to the BBC, especially in areas where there is some kind of conflict. Last year, the BBC closed its service in ten languages, including Bulgarian, Croatian, and Thai. BBC World Service broadcasts in more than thirty languages. From a technical point of view, it is changing a lot. It is broadcasting from FM stations instead of old transmitters. According to the survey, the number of listeners of English broadcasts has increased by three million and now it is around 40 million per week. Listeners in Pakistan and Bangladesh were behind the start of BBC World TV's Arabic service, which was announced last year by the BBC.
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140705_indian_nurses_happy_but_frown_sk
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https://www.bbc.com/hindi/india/2014/07/140705_indian_nurses_happy_but_frown_sk
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'इनकार किया तो उन्होंने हम पर बंदूक़ तान दी थी'
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इस्लामी चरमपंथी गुट आईएसआईएस की क़ैद से रिहा होने के बाद 46 भारतीय नर्सें अपने घर केरल पहुंच गई हैं. उनके चेहरे पर घर आने की ख़ुशी छिपती नहीं है.
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लेकिन कुछ नर्सों को इस ख़ुशी के साथ ही रोजीरोटी की चिंता ने भी घेर लिया है. नर्स नीति के भाई सोलोमन जॉन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हमारे सामने बिलकुल नई परिस्थितियां हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमारा गुज़ारा कैसे चलेगा.’’ वह बताते हैं, ''मेरी बहन छह महीने पहले इराक़ गई थी. उसने भर्ती एजेंट के लिए लिए कर्ज़ के एक लाख 60 हज़ार रुपए में से क़रीब 30,000 चुका दिए हैं, पर पिछले चार महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है.’’ आर्थिक संकट जब सोलोमन ने बहन से कर्ज़ का ज़िक्र किया, तो उन्होंने उनसे कहा कि चिंता न करें, किसी तरह कर लेंगे. आईएसआईएस चरमपंथियों के रुख ने नर्सों की सोच को मज़बूत किया. एक वक़्त ऐसा था, जब तिकरित और अस्पताल पर आईएसआईएस का क़ब्ज़ा हुआ, अधिकांश नर्सें भारत नहीं आना चाहती थीं. 46 नर्सों में से केवल 14 नर्सें ही लौटना चाहती थीं. बाक़ी इराक़ में ही किसी दूसरी जगह काम करना चाहती थीं, ताकि वे भर्ती एजेंटों से लिया कर्ज़ और एजुकेशन लोन चुका सकें. मरीना जोस बताती हैं, "कई नर्सें वापस भारत नहीं आना चाहती थीं, लेकिन जब अस्पताल के बाहर और अस्पताल पर बमबारी होने लगी, तो उन्हें फ़ैसला लेना पड़ा." मरीना जोस पहली नर्स हैं, जिसने 10 जून को सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री से जान बचाने के लिए गुहार की थी. मजबूरी में लौटीं पहली जुलाई को इराक़ी फ़ौजों और चरमपंथियों में अस्पताल के काफ़ी नज़दीक संघर्ष होने के बाद नर्सों को तहखाने में ले जाया गया. तभी से स्थितियां बदल गईं. अस्पताल के मात्र 200 मीटर के दायरे में एक बम फटा. एक दिन बाद नर्सों को चरमपंथियों ने बस में सवार होने को कहा. सबने इनकार कर दिया. जोस ने कोच्चि हवाईअड्डे पहुंचने के तुरंत बाद बीबीसी को बताया, "जब तीसरी बार इनकार किया तो चरमपंथी नाराज़ हो गए. उन्होंने हम पर बंदूक़ तान दी और साथ चलने को कहा. हमने अपने मुख्यमंत्री (केरल के) और भारतीय राजदूत को जानकारी दी. उन्होंने हमें उनके निर्देशों का पालन करने की सलाह दी.’’ शर्मिन वर्गीज़ बताती हैं, "हम जब तीसरे दिन भी बस में नहीं बैठे, तो उन्होंने कहा कि अस्पताल को उड़ा देंगे. हमें मजबूरन उनकी बात माननी पड़ी. हम बस में सवार हो गए और ठीक एक घंटे बाद अस्पताल में विस्फोट हो गया.’’ अच्छा बर्ताव वर्गीज़ के मुताबिक़ तिकरित में संकेत मिले कि उन्हें हवाईअड्डे ले जाया जा रहा है, लेकिन जोस को विश्वास नहीं था. जोस ने कहा, "हमें मोसुल की सड़क पर ले जाया गया. हमें लगा था कि वे हमें कभी नहीं छोड़ेंगे. हमें तीन जुलाई को ही पता चला कि हमें हवाईअड्डे ले जाया जा रहा है." वर्गीज़ और जोस दोनों मानती हैं कि उनके साथ चरमपंथियों का बर्ताव अच्छा था. "इरबिल ले जाने के पहले उन्होंने हमें खाना दिया और आराम की भी इजाज़त दी. " (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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"When they refused, they pointed a gun at us." ""
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Forty-six Indian nurses have reached their home in Kerala after being released from captivity by the Islamic extremist group ISIS.
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But to some nurses, this happiness is accompanied by the worry of livelihood. Nurse Neeti's brother Solomon John told BBC Hindi, "We have a new set of circumstances. Only 14 of the 46 nurses want to return. The rest of us don't want to come to India." He explains, "My sister went to Iraq six months ago. My sister wanted to get admitted to a third facility in Iraq. She did not get a salary out of the 160,000 rupees she had borrowed for a recruitment agent. Solomon told her sister not to worry." Don't worry, the nurses have changed their mind. "The nurses were forced to follow Jose's instructions." Jose was taken back to the hospital after the first day of the bomb attack. "We didn't want to take Jose back." Jose was taken to the hospital. "We didn't want to take Jose back." The nurses were forced to follow Jose's advice. "We were forced to take Jose back to the hospital after the first day of the bomb attack." "Don't take Jose back." They were forced to accompany Jose to the hospital. "Don't believe the nurses." The bus was blown up too close to the bus, and Jose was taken to the hospital "after the bus was bombed."
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061009_kanshi_analysis
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/10/061009_kanshi_analysis
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कांशीराम की विरासत का सवाल
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काश! कांशीराम थोड़ा और जी लेते. इसमें और कुछ नहीं तो उत्तर प्रदेश में पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जरूर देख लेते.
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बीमारी वाली अवधि में भी अगर वे सक्रिय रहे होते तो उत्तर प्रदेश ही नहीं अपनी पूरी राजनीति को थोड़ा और मजबूत करते. ऐसी कामनाओं और चाहों का होना यह बताता है कि कांशीराम और उनकी राजनीति की प्रासंगिकता अभी बाकी है और उनके जाने से समाज का, खासकर दलित समाज का काफी नुकसान हो गया है. अकेले दम पर और आरक्षण के ज़रिए निकले दलित अधिकारियों-कर्मचारियों की थोड़ी सी मदद से उन्होंने जो मशाल जलाई उसने मुल्क की राजनीति में भारी बदलाव ला दिया है. लेकिन जाहिर तौर पर उनका मिशन अधूरा है और अगर इसे ढंग से आगे नहीं बढ़ाया गया तो यह बड़ा नुकसान होगा. कांशीराम ने सबसे बड़ा काम तो मुल्क में और खास तौर से हिंदीभाषी प्रदेशों में दलित समाज में प्राण फूंकने का किया है. उपलब्धियाँ हजारों साल से दबा यह समाज आज न सिर्फ मुख्यधारा में आया है बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रांत के शासन की बागडोर तीन-तीन बार एक दलित महिला के हाथ में आई है. दलितों में कांशीराम और बसपा के लिए जो ललक और प्रेम दिखता है वह विलक्षण है. बसपा के नेतृत्व की अगली चुनौती इन आकांक्षाओं को राजनीतिक हथियार में बदलकर उत्तर प्रदेश जैसी स्थिति बाक़ी राज्यों में करने की है. यह काम मुश्किल है पर कांशीराम का उदाहरण आश्वस्त भी करता है कि ईमानदार कोशिश हो तो यह असंभव नहीं है. कांशीराम और उनके आंदोलन की यह उपलब्धि कई मायनों में तात्कालिक या अस्थाई किस्म की है. उनकी असली उपलब्धि है दलित समाज के लोगों के बीच स्वाभिमान और आत्मविश्वास जगाना. बाबा साहब तो महानायक थे ही. बसपा आंदोलन ने झलकारी बाई और संभाजी महाराज जैसे अपने नए नायक खड़े किए. उनके ऐतिहासिक योगदान को स्पष्ट किया. उनके अपने आंदोलन में लीडर भी अपनी जाति या अपने पुरखों का नाम करते हैं. इस धारा को इसी सोच में कौन आगे बढ़ाएगा? कांशीराम ने अपने लक्ष्यों को पाने के लिए समझौते किए, पर लक्ष्य कभी ओझल नहीं हुए. नया नेतृत्व बसपा के अब के नेतृत्व ने भी अभी तक कोई बड़ी चूक नहीं की है, पर उस पर कांशीराम जैसा भरोसा नहीं होता. इस भरोसे पर खरा उतरना भी नए नेतृत्व की चुनौती होगी. कांशीराम की राजनीति की एक और बड़ी खूबी यह है कि उसमें बाहर से थोपा हु्आ कुछ भी नहीं है. इस पर अमेरिकी अश्वेत आंदोलन या बाहरी राजनीतिक दर्शनों का ज़्यादा असर नहीं था. उनका अपना जीवन भी न तो अभाव दिखाने वाला था न ब्राह्मणवादी नेतृत्व की विलासिता की कार्बन कापी वाला, दलित नेतृत्व के लिए उनके जीवन जीने का ढंग भी एक चुनौती बना रहेगा. वे बीते दो-तीन साल से बीमार थे. बसपा बनाने से लेकर अब तक की मात्र दो दशक की उनकी राजनीति और उपलब्धियाँ भी सिर्फ दलित नेताओं के लिए ही नहीं सबके लिए चुनौती रहेगी. उन लोगों के लिए और ज़्यादा जो दशकों से मई दिवस, रूसी क्रांति दिवस पर रैलियाँ निकालने का काम, गाँधी और नेहरू का नाम भुनाने या फिर राम का नाम लेकर सत्ता हथियाने के खेल में लगे रहे हैं. आज़ाद भारत के सभी नेताओं की तुलना में अगर कांशीराम 19 नहीं ठहरते तो उनकी गैर मौजूदगी जाहिर तौर पर सबके लिए नुकसानदेह है और उनका नाम और काम समाज राजनीति में नया करने वाले हर आदमी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.
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The question of Kanshi Ram's legacy
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Wish Kanshi Ram had lived a little more. If nothing else, he would have seen the party's best performance in Uttar Pradesh.
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Had he been active in the country and especially in the Hindi heartland for decades, Sambhaji would have been a hero to the entire Dalit society. Had he been active even during the period of illness, the achievements of Gandhiji would have been more than thousands of years. Had all the new leaders of the society been able to stand up to the expectations of the new Dalit leaders, Nehruji would have been in the hands of a Dalit woman three times. The relevance of Kanshi Ram and the new Dalit goal of self-esteem in Uttar Pradesh is still there. And with his departure, the Dalit society, especially the Dalit society, has suffered a lot. The torch that he lit with a little help from the Brahmin officers and employees, who came out of the reservation alone and with a new confidence of the Brahmin society, or the Brahmin society, and the leadership of the Kanshi Ram, who is no longer a real challenge to the leadership of the sick society, and the lack of a revolution, it would be a big loss to the politics of the country. But if Kanshi Ram did not take the name of Sambhaji in the country and especially in the Hindi heartland for the next decade, then it is also a big loss. Kanshi Ram did not change his name to Kanshi Ramji, and Kanshi Ram did not make a new name in the politics of the country and especially in the Hindi heartland for the next decade. It is also a unique example of Kanshi Ramji's leadership.
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040505_jetlag_brain
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https://www.bbc.com/hindi/science/story/2004/05/040505_jetlag_brain
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दिमाग़ की घड़ी कैसे चलती है भला
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क्या आपने कभी इस तह में जाने की कोशिश की है कि जैटलैग क्यों होता है यानी अलग-अलग समय चक्र वाले देशों में जाने पर थकान ज़्यादा क्यों महसूस होती है.
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वैज्ञानिकों ने इस बारे में कुछ ठोस कारण जानने का दावा किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आदमी के दिमाग़ में दो समय केंद्र होते हैं जिनमें से एक तो घड़ी के मुताबिक़ चलता है और दूसरा दिन निकलने और रात होने के प्रभाव में रहता है. पत्रिका 'करेंट बॉयोलॉजी' में कुछ वैज्ञानिकों ने लिखा है कि जब दिमाग़ के ये दोनों केंद्र आपस में तालमेल नहीं बिठा पाते तो जैट लैग महसूस होता है. यह शोध करने वाले वाशिंगटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इन कारणों का पता लगाए जाने के बाद ऐसी दवाई बनाई जा सकती है जिससे जैटलैग पर क़ाबू पाया जा सके. शोधकर्ता डॉक्टर होराशियो दा ला इगलेशिया का कहना है, "अगर हम यह पता लगाने में कामयाब हो जाए कि दिमाग़ के दोनों केंद्र किस तरह से तालमेल बिठाते हैं तो जैटलैग के इलाज का रास्ता खोजा जा सकता है." अलग हिस्से दिमाग़ में सुपराशियास्मेटिक न्यूक्लियस नाम का एक छोटा सा हिस्सा होता है जो नींद, हारमोन और शरीर के तापमान के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करता है. कहा जाता है कि दिमाग़ का यही हिस्सा दिन निकलने और ढलने जैसे बाहरी तत्वों के असर में रहता है. दिमाग़ का दूसरा छोटा हिस्सा 24 घंटे के चक्र से प्रभावित होता है और यह बाहरी तत्वों से अप्रभावित रहता है. शोध शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग किया जिसमें उन्हें 12 घंटे के सामान्य दिन या रात के बजाय 11 घंटे के दिन-रात में रखा गया. प्रयोग में पाया गया कि चूहों ने रात में भी दिन की ही तरह बर्ताव करना शुरू कर दिया. इस प्रक्रिया में चूहों में दो तरह के प्रोटीन पाए गए. एक था पर्ल नामक जो आमतौर पर दिन में सक्रिय होता है और दूसरा बीमाल नामक जो आमतौर पर रात में सक्रिय होता है. जब उन्हें रौशनी करके दिन का वातावरण दिया जाता था तो उनके दिमाग़ में पर्ल नाम का प्रोटीन सक्रिय होता था और अंधेरा करने पर बीमाल नामक प्रोटीन सक्रिय हो जाता था. लेकिन जब चूहे रात में भी दिन का माहौल मिलने पर उसी के अनुरूप बर्ताव करना शुरू कर देते थे तो उनके अंदर दोनों तरह के प्रोटीन मौजूद होते थे. पर्ल दिमाग़ के ऊपरी आधे हिस्से में और बीमाल निचले हिस्से में होता था. इससे यह नतीजा निकाला गया कि दिमाग़ का तलहटी वाला हिस्सा 24 घंटे वाले समयचक्र पर चलता है और रौशनी मिलने पर इसी हिस्से में सक्रियता होती है. इसका यह मतलब भी निकाला गया कि ऊपरी आधा हिस्सा दिन निकलने और रात होने जैसे बाहरी कारणों के ज़्यादा प्रभाव में रहता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि जब दिमाग़ के इन दोनों हिस्सों में तालमेल नहीं बैठ पाता तो आदमी जैटलैग यानी समयचक्र बदलने से थकान महसूस करता है.
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How does the brain clock work?
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Have you ever tried to get to the bottom of why jetlag occurs, i.e. why you feel more tired when visiting countries with different time cycles.
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Scientists at the University of Washington claim to know some concrete reasons why jet lag can be controlled. Researchers Dr. Horacio da la Iglesia says, "If we can find out more about how the two brain centers interact, the brain will be able to find a way to treat jet lag." Some scientists have written in the journal Current Biology that when these two centers of the brain are out of sync, jet lag will be felt. The researchers who did this research also believe that the jet lag will be activated during the day, which means that the outer part of the brain is also activated during the day, which is called light, which is similar to sleep and body temperature. The researchers also found that the outer part of the brain is usually activated during the day, which means that the outer part of the brain is also activated during the day, which is called light or light. The researchers also found that the outer part of the brain is also activated during the day, which means that the outer part of the brain is also activated during the day, which means that the protein B is usually activated during the day, and the outer part of the brain is also activated during the day. The researchers found that the outer part of the brain, which is called light or light, is also activated during the day, and the outer part of the brain, which is usually activated during the night. The researchers found that the outer part of the brain, instead of these two factors, the protein, the protein, the protein B protein, was also activated during the cause of fatigue, so that instead of fatigue, the brain fatigue, they were able to feel tired.
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160517_beef_shops_tamilnadu_cj
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/05/160517_beef_shops_tamilnadu_cj
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क्या हिंदू, क्या मुसलमान, यहां सब खाते हैं बीफ़
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दोपहर के ढाई बजे हैं और सुबह नाश्ते में सिर्फ़ एक सेब खाने से मेरी भूख ने अब सुनना-समझना बंद कर दिया है.
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चेन्नई में बीफ़ बिरयानी की दुकान पर हिन्दू भी आते हैं. तमिलनाडु चुनाव कवर करने के चक्कर में पिछले कई दिनों से इडली-डोसा और उत्थप्पम खाने के बाद अब मुझे ज़ायका भी बदलना है. टैक्सी ऐसे इलाके से गुज़रती है, जिसकी हवा में सिर्फ़ खड़े मसालों और शोरबेदार खानों की ख़ुशबू है. अब भूख हिंसक भी हो सकती है, इसलिए मैं गाड़ी रुकवा कर सबसे पहली दुकान पर ही ऑर्डर दे बैठता हूँ. बड़ी से डेग में बिरयानी बिक रही है और नीचे बैनर पर 40 रुपए प्लेट लिखा है. समाप्त मुझे पता है कि ये बीफ़ बिरयानी ही हो सकती है, क्योंकि इतने में अगर दुकानदार मटन बिरयानी बेचेगा तो जल्दी दिवालिया हो सकता है. वैसे भी, लखनऊ शहर में हुई परवरिश के चलते आप 'बड़े की बिरयानी और बड़े का कबाब' से दर्जनों बार, दो चार होते रहते हैं. स्कूल के दिनों में सहारा 'बड़े' का ही था, क्योंकि पॉकेट मनी में दस्तरख़्वान तो सजा नहीं सकते. लौटिए चेन्नई में जहाँ बीफ़ बिरयानी परोसने पर, मैं उस पर टूट तो पड़ा हूँ, लेकिन ध्यान मेरा कहीं और है. अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि यहाँ पर बीफ़ बिरयानी खाने या पैक कराने वालों में हिंदू-मुसलमान दोनों हैं. अभी तो भूख मिटानी थी, इसलिए छोड़ दिया. लेकिन दो किलोमीटर बाद फिर से बीफ़ बिरयानी के बोर्ड दिखने लगे, तो ट्रिप्लीकेन मोहल्ले की एक दुकान पर रुक ही गए. रहमत बीफ़ बिरयानी के मालिक एेहतशाम ने कहा, "50 रुपए प्लेट है और चावल की क्वालिटी भी अच्छी है. दिन में 80-100 किलो बिकती है और इलाके के हिंदू-मुसलमान और ईसाई हमारे यहाँ बीफ़ खाने आते हैं. मेरे तमाम हिंदू दोस्त हैं, जिनके घर रोज़ के एक-डेढ़ किलो पैक हो कर भी जाती है." तामिलनाडु राज्य के लगभग हर शहर में ऐसे इलाके हैं, जहाँ बीफ़ और उसके पकवान बिकते हैं और राज्य में अगर मटन 500 रुपए प्रति किलो बिक रहा है, तो बीफ़ का दाम 240 रुपए है. एक दूसरे इलाके परियमएट में तीन दोस्तों, सुशील, रामकुमार और किशोर से मुलाक़ात हुई, जो असम और पश्चिम बंगाल से चार साल पहले चेन्नई आए थे. बीफ़ बिरयानी के मज़े लेकर काम पर जा रहे सुशील ने बताया, "40-50 रुपए में नॉन-वेज खाने को मिलता है और साफ-सुथरा. अच्छी बात यही है कि यहाँ बीफ़ के नाम पर कोई आपको घूर कर नहीं देखता". चेन्नई के ज़ाम बाज़ार इलाके में भी बीफ़ बिरयानी की लगभग सभी दुकानें खचाखच भरी दिखीं और कुछ में बीफ़ के बोटी कबाब भी मिल रहे थे. चेन्नई बीफ़ बिरयानी के मालिक अमीर ने बताया कि तमिलनाडु में बीफ़ मतलब बीफ़ है, गोमांस नहीं. उन्होंने कहा, "देखिए बीफ़ में प्रोटीन होता है और ये सस्ता भी है. साधारण लोग चाहे वो हिंदू, मुसलमान कोई हो, सभी का पेट भी भरता है और पौष्टिकता भी मिलती है. यही इसके हिट होने का राज़ है". स्थानीय लोगों को भी लगता है कि उत्तर प्रदेश के दादरी में 2015 में कथित रूप से बीफ़ रखने पर हुई हत्या और उसके बाद की राजनीति का चेन्नई पर शायद ही कोई असर पड़ा हो. वरिष्ठ पत्रकार वलियप्पन बताते हैं, "दादरी की घटना और दूसरे राज्यों में हो रही राजनीति के चलते चेन्नई में कई संगठनों ने एक दिन का बीफ़ फेस्टिवल आयोजित किया और मद्रास हाई कोर्ट में वकीलों ने उस हत्या के विरोध में बीफ़ खाया और बांटा. तमिलनाडु में इस तरह एक मुद्दे से किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता". मैं भी सोचने पर मजबूर हो गया हूँ कि स्कूल के दिनों में हफ़्ते में कम से कम एक बार, बड़े का कबाब खाने के बाद भी कभी पीछे पलट कर नहीं सोचा कि कोई क्या कहेगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Whether Hindu or Muslim, everyone eats beef here.
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It's two-and-a-half in the afternoon and with just an apple for breakfast, my appetite has stopped listening.
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Hindus also come to the beef biryani shop in Chennai. I know it's a beef biryani. I know it's a beef biryani, because if a shopkeeper kills a mutton biryani, it'll go bankrupt soon. Look at all the IDs. Look at all the non-vegetarian shops in Madras. Look at the non-vegetarian food in the city of Chennai. Look at all the non-vegetarian food in the city of Chennai. Look at all the non-vegetarian food in the city of Madras. Look at the non-vegetarian food in the city of Chennai. Look at the non-vegetarian food in the city of Chennai. After eating 500 idli-dosa and uttappam, you will find that after 500 days of protest in the city of Tamil Nadu, you will find that after 50 kilometers of non-vegetarian food, you will find that after 50 days of non-vegetarian food, you will find that after 50 days of protest in the school. In the school days, the journalists of Sahara and Bada Raj, who were in the court for almost a year and a half, you will think that the food in the city of Assam, the biryani in the city, the biryani in the region of a kilo, and the biryani in the state of a day, the biryani in the city of a day, the biryani in the area of a good quality, the biryani in the area of a day, and the biryani in the city of a biryani, the biryani in the city of a biryani in the city of a day, the biryani in the biryani in the biryani area of a day, biryani in the biryani of a biryani in the biryani, biryani in the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of Chennai, biryani of the biryani of the biryani of a biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani of the biryani,
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160410_kerala_kollam_fire_pics_md
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/04/160410_kerala_kollam_fire_pics_md
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मोदी केरल पहुंचे: हादसे की ताज़ी तस्वीरें
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केरल के कोल्लम ज़िले से 25 किमी दूर पारावुर में पुत्तिंगल देवी मंदिर में आग लग गई.
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इस हादसे में कम से कम 108 लोगों की मौत हो गई है. हादसे में 200 से ज़्यादा घायल हुए हैं. कोल्लम के ज़िलाधिकारी ए शाइनामोल ने बीबीसी को बताया कि मंदिर में आतिशबाज़ी की अनुमति नहीं दी गई थी. सुनें ऑडियो. प्रधानमंत्री कार्यालय ने पीड़ितों के परिजनों के लिए मुआवज़ा देने की घोषणा की है. समाप्त मारे गए लोगों के परिवारों को दो लाख रुपए और घायलों को 50 हज़ार रुपए दिए जाएंगे. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आतिशबाज़ी के दौरान कुछ चिंगारियां उस जगह जाकर गिरीं जहां पटाख़े रखे हुए थे. इससे भीषण विस्फोट हुआ जिससे पास स्थित देवासम बोर्ड ऑफ़िस की इमारत ढह गई. इसकी चपेट में आने से कई श्रद्धालुओं की मौत हो गई. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉयड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Modi arrives in Kerala: Latest pictures of the tragedy
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A fire broke out at the Puttingal Devi temple in Paravur, 25 km from Kerala's Kollam district.
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At least 108 people have died in the tragedy. More than 200 have been injured. Kollam District Collector A Shainamol told the BBC that fireworks were not allowed in the temple. Listen to the audio. The Prime Minister's Office has announced compensation for the families of the victims. Rs 2 lakh will be given to the families of those killed and Rs 50,000 to the injured. Police officials said that during the fireworks, some sparks fell on the place where the firecrackers were kept. This caused a huge explosion that collapsed the nearby Devasom Board office building. Many devotees died after being hit by it. (Click here for BBC Hindi's Android app. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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080712_miss_england
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2008/07/080712_miss_england
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एक सैनिक मिस इंग्लैंड फ़ाइनल में...
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स्त्रियों में सुंदरता और बुद्धिमता के एक साथ होने की कहानी अब पुरानी हो गई है. यह कहानी एक ऐसी स्त्री की है जो सौंदर्य और शौर्य की एक अद्भुत मिसाल है.
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इंग्लैंड की 21 वर्षीय महिला सैनिक कैटरीना हॉज ने मिस इंग्लैंड प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँच कर सब को चौंका दिया है. उल्लेखनीय है कि हॉज ने इराक़ में एक संदिग्ध इराक़ी चरमपंथी का साहसपूर्ण मुकाबला कर अपने दस्ते के कई सैनिकों की जान बचाई थी. वर्ष 2005 में उन्हें इस बहादुरी के बाद 'कामबैट बार्बी' के नाम से जाना जाने लगा था. यदि हॉज यह प्रतियागिता जीत लेती हैं तो वह वर्ष 2008 की विश्व सुंदरी प्रतियोगिता में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करेंगी. वे मिस टनब्रिज वेल्स क्राउन पहले ही जीत चुकी हैं. उन्होंने कहा, "मुझे मिस इंग्लैंड के फ़ाइनल में पहुँच कर काफ़ी खुशी हो रही है. मेरे लिए यह एक प्रतिष्ठा की बात है." 'पार्ट-टाइम' मॉडल इराक़ में जब हॉज का वाहन उलट गया था तब एक इराक़ी विद्रोही ने बंदूक की नोक पर उनके दस्ते को बंधक बना लिया. लेकिन कारपोरल कैटरिना हॉज ने उस चरमपंथी पर घूस्से से वार करते हुए उससे बंदूक छीन ली थी. उन्होंने कहा, "दुर्घटना की वजह से हमारा वाहन तीन बार पलटा था और हम किसी भी सुरक्षा के लिए तैयार नहीं थे. जैसे ही हमने इधर-उधर देखा तो पाया कि इराक़ी चरमपंथी बंदूक लेकर खड़ा है. मैं समझ गई कि यदि मैंने ज़ल्दी कोई कार्रवाई नहीं की तो जीवन ख़तरे में है." उन्होंने कहा, "पार्ट टाइम मॉडल और एक सैनिक की दुनिया काफ़ी अलग हैं. सेना जो काम कर रही है और इस देश के लिए किया है उसे मैं इस प्रतियागित के जरिए सबके सामने लाना चाहती हूँ." वर्तमान में हॉज इंग्लैंड के कैंबरले स्थित फ़र्मली पार्क अस्पताल में काम कर रही हैं और वह एक पार्ट टाइम मॉडल भी हैं. शुक्रवार को मिस इंग्लैंड फ़ाइनल प्रतियागिता होना है.
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A soldier enters the Miss England final...
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The story of the coming together of beauty and intelligence in women is now outdated. This story is of a woman who is a wonderful example of beauty and valor.
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Katrina Hodge, a 21-year-old female soldier from England, has shocked everyone by reaching the final of the Miss England contest. It is noteworthy that Hodge saved the lives of many soldiers of her squad by courageously confronting a suspected Iraqi extremist in Iraq. In 2005, she became known as' Combat Barbie 'after this bravery. If Hodge wins this contest, she will represent England in the Miss World 2008 contest. She has already won the Miss Tunbridge Wells crown. She said, "I am very happy to be in the final of Miss England. For me it is a matter of prestige." The' part-time 'model was in Iraq when Hodge's vehicle was overturned. An Iraqi insurgent wanted to take her squad hostage at gunpoint. But Corporal Katrina Hodge punched the terrorist in front of everyone. She said, "We are not in a position to take part-time models in the security of England." If we are in the security of England at this moment of life, we are not prepared for a security operation. "She said," There is an accident in England, and part-time model, and part-time model, and part-time model, and part-time model, and part-time model, and part-time model, part-time, part-time, part-time, part-time model, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time, part-time model. "
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081114_manmohan_g20_alk
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https://www.bbc.com/hindi/business/story/2008/11/081114_manmohan_g20_alk
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मंदी पर चर्चा के लिए पहुँचे मनमोहन
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भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विकसित और विकासशील देशों के समूह जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने अमरीका पहुँच गए हैं.
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इस बैठक में वैश्विक आर्थिक मंदी और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा होगी. बैठक ऐसे समय में हो रही है जब यूरोपीय संघ के वैसे देश मंदी की चपेट में आ चुके हैं जहाँ यूरो साझा मुद्रा के रुप में स्वीकार्य है. भारतीय समयानुसार रविवार से शुरु हो रहे दो दिवसीय बैठक में भारत को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है. माना जा रहा है कि भारत विकासशील देशों की ओर से अपनी बात रखेगा. लेकिन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने स्पष्ट किया है कि मंदी से निपटने के लिए पश्चिमी देशों की संरक्षणवादी कारगर साबित नहीं होगी. उन्होंने मंदी से जूझ रही कंपनियों को सरकारी संरक्षण देने की बज़ाए वस्तुओं, सेवाओं और पूँजी के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देने पर बल दिया. भारतीय प्रधानमंत्री इस राय से अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधियों को अवगत कराएंगे. भारतीय वित्त मंत्री का कहना है कि संरक्षण देने की रणनीति मौजूदा संकट से निपटने का सबसे ख़राब तरीका साबित होगी. उन्होंने कहा, "अगर हम साझा नियामक मानकों पर सहमत हो जाएँ और सदस्य देश इस पर अमल करें तो ये एक दूरदर्शी क़दम होगा." चिदंबरम ने कहा कि भारत समेत विकासशील देशों को और संसाधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वो विकास दर को जारी रख सकें और दूसरे देशों को भी अपने साथ-साथ विकास करने में मदद कर सकें.
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Manmohan arrives for discussion on slowdown
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Indian Prime Minister Manmohan Singh has arrived in the United States to attend the G-20 meeting of the Group of Developed and Developing Countries.
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The meeting will discuss the global economic slowdown and ways to deal with it. The meeting is taking place at a time when European Union countries are in the throes of a recession where the euro is accepted as a common currency. India has been specially invited to the two-day meeting starting on Sunday, Indian time. It is believed that India will speak on behalf of the developing countries. But Finance Minister P Chidambaram has made it clear that the protectionism of the Western countries will not be effective in dealing with the recession. He stressed on promoting the free flow of goods, services, and capital without government protection to companies struggling with the recession. The Indian prime minister will convey this opinion to the representatives of the United States, Britain, France, and Germany. The Indian finance minister says that the protectionist strategy will prove to be the worst way to deal with the current crisis. He said, "If we agree on common regulatory standards and member countries follow it, it will be a far-sighted step." Chidambaram said that "Developing countries, including India, should be given the resources and support to help other countries to keep up their growth rate."
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120903_jharkhand_mla_sa
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https://www.bbc.com/hindi/india/2012/09/120903_jharkhand_mla_sa
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विधायक का 'कुर्ताफाड़' विरोध प्रदर्शन
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झारखंड विधानसभा में सोमवार को दिन का कामकाज शुरु होने के कुछ ही देर बाद उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब सदन में ही कार्यवाही के दौरान एक विधायक ने अपने कुर्ता फाड़ डाला.
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समरेश सिंह के अपने कपड़े फाड़ने के कारण दो बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. विधायक समरेश सिंह पहले भी इस तरह की हरकत कर चुके हैं. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से बोकारो सीट जीत कर विधानसभा में आए समरेश सिंह और फिर प्रदीप यादव के नेतृत्व में कांग्रेस-आरजेडी विधायक नारेबाज़ी करने लगे. वे राज्य में पार्ट-टाईम काम कर रहे शिक्षकों की सेवाएँ नियमित करने, विस्थापितों की समस्याओं के लिए आयोग बनाने और रांची के बाहरी इलाके स्थित नागड़ी गांव के लोगों की अधिगृहित ज़मीन उन्हें लौटाने की मांग कर रहे थे. कार्यवाही शुरु होते ही हंगामा ये लोग सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होने के साथ ही अपनी मांगों को लेकर हल्ला करते हुए सदन के बीचोंबीच चले आए और विधानसभा अध्यक्ष के सामने अपनी मांगें रखने लगे. विधानसभा अध्यक्ष कुछ कहते इससे पहले ही झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के विधायक समरेश सिंह ने अपना कुर्ता फाड़ लिया. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह को दोपहर 12 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. समाचार एजंसी पीटीआई के अनुसार दोपहर12 बजे जब सदन की बैठक दोबारा शुरु हुई तो भी विपक्षी विधायकों का हंगामा जारी रहा जिस कारण सदन की कार्यवाही को एक बार फिर से 12.30 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा. रांची बंद विपक्षी दलों के विधायक राज्य में पार्ट-टाईम काम कर रहे शिक्षकों को नियमित करने, विस्थापितों की समस्याओं के लिए आयोग बनाने और रांची के बाहरी इलाके स्थित नागड़ी गांव के लोगों की अधिगृहित ज़मीन उन्हें लौटाने की मांग कर रहे थे. "झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से बोकारो सीट जीत कर विधानसभा में आए विधायक समरेश सिंह और प्रदीप यादव के नेतृत्व में कांग्रेस और आरजेडी के विधायक नारेबाज़ी करने लगे." सदन की कार्यवाही दोबारा स्थगित होते ही विपक्षी दलों के अधिकतर सदस्य सदन के मेन गेट पर आ गए और वहां भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा. झारखंड की राजधानी रांची में आज इन्हीं मसलों पर विपक्षी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजांतात्रिक और कुछ अन्य संगठनों ने रांची बंद का आयोजन किया है. समरेश सिंह इससे पहले धनबाद के झरिया से भी विधायक रह चुके हैं. वे सदन में पहले भी कुछ हैरान करने वाली हरकतों के कारण चर्चा में रहे हैं. पिछली बार वे सदन में ही टेबल पर चढ़ जाने के लिए चर्चा में रहे थे. समरेश सिंह का धनबाद- झरिया कोलबेल्ट में भी ख़ासा दख़ल रहा है और वे मज़दूरों से संबंधित राजनीति करते रहे हैं. हालांकि धनबाद सीट से जब वे लोकसभा चुनावों के लिए खड़े हुए तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद वे बोकारो और चंदनकयारी से लगातार विधानसभा चुनाव लड़ते आए हैं. इससे जुड़ी और सामग्रियाँ इसी विषय पर और पढ़ें
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MLA's' kurta-fad 'protest
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Shortly after the start of the day's business in the Jharkhand Assembly on Monday, a strange situation arose when an MLA tore his kurta during the proceedings in the House itself.
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MLA Samaresh Singh had to adjourn the assembly twice due to tearing of his clothes. MLA Samaresh Singh has done this kind of act before. Jharkhand Vikas Morcha Prajatantrik MLA Samaresh Singh, who won the Bokaro seat, and then Congress-RJD MLAs, led by Pradeep Yadav, started sloganeering. They were demanding regularization of the services of teachers working part-time in the state bar, setting up a commission for the problems of the displaced people and returning the acquired land of the people of Nagri village on the outskirts of Ranchi. As soon as the proceedings started, the ruckus started. As soon as the house started functioning at 11 am, these people came to the middle of the house shouting their demands. Jharkhand MLA Samaresh Singh, who is also a member of the Jharkhand Vikas Party, again came to the main assembly hall to discuss the development of the Jharkhand assembly. Jharkhand MLA Samaresh Singh, who is associated with the opposition parties, again tore his kurta. After this, Jharkhand Vikas Morcha MLA Samaresh Singh, who won the Bokaro seat in the Lok Sabha elections, again torendered his resignation to the Jharkhand Legislative Assembly.
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060502_vadodara_court
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/05/060502_vadodara_court
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'ग़ैरक़ानूनी धार्मिक अतिक्रमण हटाए जाएँ'
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गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सार्वजनिक स्थानों से सभी ग़ैर क़ानूनी धार्मिक अतिक्रमण को हटा दिया जाए.
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अदालत का कहना है कि यह राज्य के कई हिस्सों में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान का हिस्सा होना चाहिए. हाई कोर्ट ने सोमवार को वडोदरा की एक स्थानीय अदालत पर हुए हमले के बारे में पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. अदालत ने राज्य पुलिस को भी यह निर्देश दिया कि वह अतिक्रमण हटाने का काम कर रहे अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराए. कार्रवाई अदालत ने अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे इन इलाक़ों में असमाजिक तत्त्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें. अदालत ने वडोदरा में हुई हिंसा के बारे में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर संज्ञान लेते हुए यह निर्देश जारी किया है. वडोदरा में एक दरगाह को हटाए जाने पर रोक लगाने संबंधित आदेश अदालत से न मिल पाने के कारण ग़ुस्साए लोगों ने अदालत पर हमला कर दिया था. स्थानीय मुसलमानों और पुलिस के बीच सोमवार को यहाँ हिंसक झड़पें हुई थी. मुसलमान इस दरगाह को हटाए जाने का विरोध कर रहे थे. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलियाँ चलानी पड़ी थी, जिसमें मरने वालों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है.
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'Illegal religious encroachments to be removed'
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The Gujarat High Court has directed state government officials to remove all illegal religious encroachments from public places.
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The court says this should be part of the ongoing encroachment removal drive in several parts of the state. The high court has sought a report from the police about the attack on a local court in Vadodara on Monday. The court also directed the state police to provide adequate security to the officials carrying out the encroachment removal work. The action court has also asked the authorities to take action against anti-social elements in these areas. The court has issued this direction on the basis of media reports about the violence in Vadodara. Angry people attacked the court for not getting orders from the court to stop the removal of a dargah in Vadodara. There were violent clashes between local Muslims and the police here on Monday. Muslims were protesting against the removal of this dargah. Police had to open fire to control the crowd, in which the death toll has risen to three.
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070507_emirates_airbus
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https://www.bbc.com/hindi/business/story/2007/05/070507_emirates_airbus
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चार और ए-380 ख़रीदेगा एमिरेट्स
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एयरबस के साथ रिश्तों में खटास के बीच संयुक्त अरब अमीरात की सरकारी विमान सेवा एमिरेट्स एयरलाइंस ने चार और ए-380 ख़रीदने का फ़ैसला किया है.
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एमिरेट्स एयरलाइंस की ये घोषणा ऐसे समय आई है जब यूरोप की विमान बनाने वाली कंपनी एयरबस ने कहा है कि विमान देने में हुई देरी के लिए वह भरपाई देने को तैयार है. चार और विमान ख़रीदने की घोषणा के साथ ही एमिरेट्स की कुल मांग 47 एयरबस ए-380 की हो गई है. एयरबस ए-380 दुनिया का सबसे बड़ा यात्री विमान है. माना जा रहा है कि एमिरेट्स का चार और विमान ख़रीदने का ऑर्डर 1.22 अरब डॉलर का है. इस हिसाब से एक विमान की क़ीमत है 28 करोड़ अमरीकी डॉलर. हालाँकि कंपनी छूट भी देती है लेकिन इसकी जानकारी नहीं दी जाती है. पहली खेंप एमिरेट्स को एयरबस ए-380 विमानों की पहली खेंप अगले साल के शुरू में मिलेगी. ए-380 विमानों को समय पर ना दे पाने की वजह से एयरबस को काफ़ी नुक़सान हुआ है. हालाँकि कंपनी ने ये नहीं बताया है कि वे विमान देने में देरी की भरपाई कैसे करेगी या कितने पैसे हर्जाने के रूप में देगी. एयरबस की भरपाई करने की घोषणा और एमिरेट्स की और विमान ख़रीदने का ऑर्डर देने से लगता है कि दोनों के बीच तनाव कम हुआ है. एयरबस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी लुईस गैलोस ने एक बयान जारी करके कहा है कि एमिरेट्स की ओर से नए विमानों के ऑर्डर के कारण कंपनी का उत्साह बढ़ा है. एमिरेट्स के चेयरमैन शेख़ अहमद बिन सईद अल मकतूम पहले कह चुके हैं कि एयरबस की ओर से हो रही देरी के कारण विमान सेवा में विस्तार करने की उनकी योजना प्रभावित हुई है. दूसरी ओर एमिरेट्स के अध्यक्ष टिम क्लार्क ये भी कह चुके हैं कि कंपनी एयरबस की प्रतिद्वंद्वी बोइंग से भी विमान ख़रीदने की योजना बना रही है.
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Emirates to buy four more A-380s
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Emirates Airlines, the UAE's state-owned carrier, has decided to buy four more A-380s amid a souring relationship with Airbus.
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The announcement by Emirates Airlines comes at a time when the European aircraft manufacturer Airbus has said that it is ready to compensate for the delay in the delivery of the aircraft. With the announcement of the purchase of four more aircraft, the total demand of Emirates has reached 47 Airbus A-380. Airbus A-380 is the world's largest passenger aircraft. Emirates's order to buy four more aircraft is believed to be worth $1.2 billion. According to this, the price of one aircraft is US $280 million. Although the company also gives discounts, it is not informed. The first batch of Airbus A-380 aircraft will be delivered to Emirates early next year. Airbus has suffered a lot for not being able to deliver the A-380 aircraft on time. However, the company has not said how they will compensate for the delay in the delivery of the aircraft or how much money they will pay as compensation. Airbus's announcement of compensation and the purchase of the second order of Emirates aircraft is also said to have been affected by the tension between the two companies. Chairman of the Boeing Company Ahmed bin Lewis, Chairman of the Boeing Company, and Chairman of the Boeing Company Tim McClure, Chairman of the Airbus Aircraft Service, have also said that due to the delay in giving the first batch of Airbus A-380 aircraft early next year, Airbus has suffered a lot of losses due to not being able to deliver the A-380 aircraft on time.
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150419_cosmopolitanism_small_towns_pm
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https://www.bbc.com/hindi/india/2015/05/150419_cosmopolitanism_small_towns_pm
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छोटे शहरों के आधे-अधूरे ख़्वाब
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बुकर पुरस्कार विजेता अरविंद अडिगा के उपन्यास ‘द व्हाइट टाइगर’ में एक आधे-अधूरे शहर के बारे में बताया गया है.
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वास्तव में उपन्यास के नायक के जन्मस्थान गया में ही पले-पढ़े होने के नाते मैं उनके विचारों की सच्चाई को पहचानता हूँ. आधे-अधूरे शहर से मतलब ऐसी जगहों से है जिनमें बड़े शहरों जैसा इतिहास, नियोजन और भव्यता तो नहीं होती, लेकिन प्रदूषण, शोर और यातायात वैसा ही होता है. ये आधे-अधूरे शहर, आधे-अधूरे आदमियों के लिए ही बने हैं. पढ़ें, विस्तार से इन आधे-अधूरे शहरों में मुझे महान लेखक वीएस नायपॉल के औपनिवेशिक उपनगरों के बारे में महसूस किए अनुभव भी हुए. समाप्त मैं गया में बड़ा हुआ और यहां के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मेरी पढ़ाई हुई. मैं तब 25 साल का रहा होउंगा, जब मैंने टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में ‘स्टाफ रिपोर्टर’ की नौकरी के लिए शहर छोड़ दिया. मैं तब लगभग 30 बरस का था जब मैं पहली बार विदेश गया. आधे अधूरे शहर जब मैं पीछे मुड़कर अपने शुरुआती 24 सालों को देखता हूँ- तो मैं पाता हूँ गया का आधा-अधूरा शहर, जिसके विचार और अरमान भी आधे-अधूरे ही हैं. मैं उन्हें पहचानता हूँ. नायपॉल और अडिगा- या सलमान रुश्दी जैसे लेखकों ने- इन जगहों के बारे में जो मान्यताएं गढ़ी हैं, वो सच हैं. लेकिन मैं कुछ दूसरी चीजों और लोगों को भी देखता हूँ. मसलन, मैं इस आधे-अधूरे शहर के उपनगरीय इलाके में काम कर रहे एक हिंदी के दाढ़ीवाले लेखक शैवालजी को देखता हूँ. वो भारतीय साहित्य और राजनीति के एक चतुर पाठक हैं, और उनकी लिखी कहानियों में से एक पर बॉम्बे में फ़िल्म भी बनी, जिसे पुरस्कार भी मिला. क़िताबें मैं कलाम हैदरी को देखता हूँ जिनका निकाह संयोग से मेरी चाची के साथ हुआ था. उन्होंने कई दशकों तक एक उर्दू साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया और फ्रांसिसी साहित्य और मार्क्सवाद के बारे में जो कुछ भी पढ़ा जाना चाहिए, पढ़ा. मैं देखता हूँ कि अपनी आधी-अधूरी सोच के बावजूद वे पुश्किन, शेक्सपीयर, ग़ालिब या कालीदास का उदाहरण देते हैं. 1970 के दशक में गया में किताबों की सिर्फ़ दो दुकानें थीं. इनमें से एक गया के रेलवे स्टेशन के मुख्य प्लेटफॉर्म पर लगी रेहड़ी थी, यहीं मुझे आरके नारायण की 'दि गाइड' मिली थी. और दूसरी ‘साहित्य सदन’ थी जहां कोर्स की किताबें मिलती थी, हालाँकि इसमें विज्ञान और साहित्य की पुस्तकों का ऑर्डर भी दिया जा सकता था. पुस्तकों के बिना... दुकान के अंदर घुसकर किताबें देखने का पहला मौका मुझे 17-18 साल की उम्र में पटना में मिला. वहाँ हिंदी और उर्दू किताबों के ढेर लगे थे, लेकिन डेल कार्नेगी और रॉबर्ट लडलम जैसे लेखकों की किताबों का वहां होना किसी आश्चर्य से कम नहीं था. वहां आर्ची कॉमिक्स, अल्फ्रेड हिचकॉक और एनिड ब्लाइटन की किताबों की भरमार थी, और मैं मानता हूँ कि इनके बिना मेरा बचपन कैसा होता? इसके अलावा वहां प्रेमचंद, शेक्सपीयर, हार्डी, टैगोर, ग़ालिब, डिकेन्स की भारी-भरकम किताबें भी थीं. बाद में वहां आरके नारायण, रस्किन बॉन्ड, सलमान रुश्दी और अनिता देसाई की किताबें भी आनें लगीं. इसके अलावा कुछ पुस्तकालय भी थे. मेरे दादाजी के पुस्तकालय में मुझे निकोलाई गोगोल की डेड सोल्स मिली. कमी मैं उस समय हाईस्कूल में था और मुझे गोगोल के बारे में कुछ भी पता नहीं था. उन दिनों इंटरनेट नहीं हुआ करता था. टीवी था पर ट्रांसमिशन नहीं के बराबर था और टीवी पर वीसीआर के माध्यम से फ़िल्में देखी जाती थी. लेकिन वहाँ गोगोल था और जब मैंने इसे पढ़ा तो बिल्कुल नई तरह का साहित्य पाया. मुझे लगता है कि आप अब समझ गए होंगे कि इन आधे-अधूरे शहरों में मुझे किस चीज़ की कमी खल रही थी. मैं समझता हूँ कि अब आप समझ गए होंगे कि आधे-अधूरे शहरों की विविधता में मुझे क्या कमी लगती है. रुश्दी और उनके बाद की पीढ़ी के लेखकों के उभरने से अब विविधताओं को बड़े शहरों से जोड़कर देखने की बात आम हो गई है. इस बात में सच्चाई तो है तो कि गया में देसीपन है. लेकिन मैं फिर कहूँगा कि ऐसा समझने वाले लोग इन छोटे शहरों और कस्बों की जटिलता को नहीं समझते. बड़े-छोटे शहर का भेद मैं महसूस करता हूँ कि मैं उन लोगों के बीच पला बढ़ा जो इस विविधता को उन लोगों से बेहतर समझते थे, जिन्हें मैं बाद में बड़े शहरों और महानगरों में मिला. छोटे शहरों और कस्बों में पलने-बढ़ने से ही आप बाहरी दुनिया के बारे में सोचते-समझते हैं. बड़े शहरों में जीवन अपने आप तक ही सिमटा होता है. आधे-अधूरे शहरों में जीवन हर चीज़ के लिए खुला होता है. बड़े शहरों से ये छोटे शहरों की इस विविधता को नहीं देखा जा सकता. मैं गया जैसे आधे-अधूरे शहर से होने के बावजूद इस विविधता को बेहतर तरीके से देखता समझता हूँ. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Half-hearted dreams of small towns
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Booker Prize winner Aravind Adiga's novel The White Tiger is about a half-naked city.
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In fact, I grew up in Gaya, the birthplace of the hero of the novel, R.K. Harda Desai. I was brought up in Gaya, the colonial suburb of the great writer V.S. Naipaul. I grew up in Gaya. I grew up in Gaya, and I studied in schools, colleges, and universities. I grew up in towns of the 25th century. I grew up in cities where I could not understand Gogol's Hindi literature. I grew up watching Gogol's Hindi films. I grew up in cities like Patna. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in cities of the 1970s. I grew up in books like these. I grew up in these books. I grew up in these books. I grew up reading these stories. I grew up reading these books. I grew up reading these books. I grew up reading these books. I grew up in cities. I read these books. I grew up in schools. I read about Ghalman Ghal's and Ghal's. I read about Ghalibar's and Ghal's. I read about a literature from a literature from a literature from a literature. And a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from a library. I read from a literature from a literature from a library. I read from a literature from a literature from a literature from a literature from a library. I read from a literature from a library. I read from a literature from a literature from a literature from a literature from a library. I read from a literature from a literature from a literature from a literature from there. I read from a literature from a literature from a literature from a library. I read from a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from a literature from there. I read from a literature from
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040609_chirac_g8_nato
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2004/06/040609_chirac_g8_nato
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शिराक़ ने बुश की उम्मीदों पर पानी फेरा
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फ़्रांस के राष्ट्रपति ज्याक शिराक़ ने इराक़ में नैटो की सक्रिय भूमिक के बारे में अमरीका की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
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अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने टिप्पणी की थी कि नैटो की सेना को इराक़ में तीस जून को सत्ता हस्तांतरण के बात सक्रिय भूमिक निभानी चाहिए. लेकिन राष्ट्रपति शिराक़ ने कहा कि नैटो सैनिक अभियान तब ही चला सकता है यदि इराक़ी सरकार इस बारे में ख़ास तौर पर अनुरोध करती है. उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में कोई पहल किए जाने पर आपत्ति है." राष्ट्रपति बुश ने जी-8 के सम्मेलन के दौरान ऐसा सुझाव दिया था. इराक़ में 30 जून को सत्ता हस्तांतरण के बाद इराक़ के भविष्य के बारे में सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव का अनेक देशों के नेताओं ने स्वागत किया है. यह प्रस्ताव अमरीका और ब्रिटेन ने पेश किया था. लेकिन राष्ट्रपति शिराक़ ने इसे इराक़ से जल्द बाहर निकलने की रणनीतिक बताया. उधर अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कॉंडोलीज़ा राइस ने अमरीका के इराक़ में और विदेशी सैनिकों की तैनाती चाहने के सुझाव को ज़्यादा तूल नहीं दिया. उन्होंने कहा कि कुछ ख़ास मकसदों के लिए विदेशी सैनिक लाए जा सकते हैं लेकिन बड़ी संख्या में विदेशी सैनिक इराक़ में लाने से इराक़ी सुरक्षा सेवाओं को बढ़ावा देने की प्राथमिकता पर असर पड़ेगा.
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Chirac dashes Bush's hopes
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French President Jacques Chirac has dashed US hopes for an active NATO role in Iraq.
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US President Bush commented that NATO forces should play an active role in the transfer of power in Iraq on 30 June. But President Chirac said that NATO troops could only operate if specifically requested by the Iraqi government. He said, "I object to any initiative in this regard." President Bush suggested this during the G-8 summit. The Security Council resolution on Iraq's future after the 30 June transfer of power in Iraq was welcomed by many leaders. It was proposed by the United States and the United Kingdom. President Chirac described it as an early exit strategy. US National Security Advisor Condoleezza Rice downplayed the suggestion that the United States wanted more foreign troops in Iraq. He said that foreign troops could be brought in for certain purposes, but that bringing large numbers of foreign troops to Iraq would affect the prioritization of Iraqi security services.
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071129_nasa_mars
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https://www.bbc.com/hindi/science/story/2007/11/071129_nasa_mars
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मंगल ग्रह पर दल भेजेगा नासा
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अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी संस्थान नासा ने अगले कुछ दशकों में मंगल ग्रह पर एक मानव दल भेजने की रणनीति का विस्तृत विस्तृत ब्यौरा जारी किया है.
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नासा इस दल को करीब 30 महीनों के लिए चार लाख किलोग्राम के अंतरिक्षयान में मंगल ग्रह पर भेजने के लिए विचार कर रही है. जनवरी, 2004 में राष्ट्रपति जार्ज बुश ने 2020 तक मानव के चंद्रमा पर जाने और अनिश्चित तिथि तक मंगल ग्रह पर जाने के कार्यक्रम के बारे में एक कार्यक्रम की घोषणा की थी. यह मंगल यान पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसमें नए “हैवी लिफ़्ट लांच व्हीकल” का भी प्रयोग किया जाएगा जिन्हें नासा विकसित कर रहा है. ये विहाकल तीन से चार वर्ग मीटर क्षेत्र के रॉकेट होते हैं. योजना है कि फ़रवरी, 2031 में इसका प्रक्षेपण होगा. मिशन की यह यात्रा उन्नत क्रायोजेनिक ईंधन व्यवस्था से चालित अंतरिक्षयान में छह से सात महीने का समय लेगी. एक अंदाज़ के अनुसार मंगल ग्रह पर मानव भेजने के इस मिशन पर क़रीब 450 लाख डॉलर का ख़र्च आएगा. हालाँकि वहाँ रहने की व्यवस्था के लिए ज़रूरी दूसरा सामान दल के रवाना होने से पहले ही अलग से दिसंबर, 2028 और जनवरी, 2029 के बीच भेज दिया जाएगा. उगाओ और खाओ नासा की इस प्रस्तुति को बीबीसी ने देखा है. इसमें अंतरिक्षयात्री रास्ते में ही फल और सब्ज़ियाँ उगा पाएंगे. वहाँ पहुँच कर मंगल ग्रह की ज़मीन पर अंतरिक्षयात्री 16 महीने तक गुज़ार सकते हैं. वे अपने आवास को बिजली देने के लिए नाभिकीय ऊर्जा का प्रयोग करेंगे. लेकिन कागज़ात संकेत देते हैं कि मिशन को समाप्त करने या मानव दल को नए सामान से सुसज्जित करने के विकल्प कम ही होंगे. सामान की दोबारा आपूर्ति में समस्या आएगी और अंतरिक्षयात्रियों को असाधारण रूप से आत्मनिर्भर होना होगा. उन्हें उपकरणों की देखरेख और मरम्मत की पूरी जानकारी और यहाँ तक कि नए पुर्ज़े बनाना भी आना चाहिए. हवा और पानी अंतरिक्षयान ख़ुद भी जीवन रक्षक प्रणाली से सुसज्जित होगा जिसमें हवा और पानी का फिर से इस्तेमाल किया जा सकेगा. मानव दल के भोजन के लिए यान पर ही पौधे उगाए जाएंगे. इससे अंतरिक्षयात्रियों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का भी ख़याल रखा जा सकेगा. लेकिन एजेंसी की रोबॉटिक्स एंड ह्यूमन लूनर एक्सपीडिशंस स्ट्रेटेजिक रोडमैप कमेटी में बैठने वाले नासा के एक अधिकारी ब्रेट ड्रेक की रिपोर्ट कहती है कि अभी इस दल की सुरक्षित यात्रा के लिए बहुत सी चुनौतियाँ बाकी हैं.
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NASA to send crew to Mars
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The US space agency NASA has released a detailed outline of its strategy to send a human crew to Mars in the next few decades.
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NASA is considering sending the crew to Mars in a 400,000-kilogram spacecraft for about 30 months. In January 2004, President George Bush announced a program to send humans to the Moon by 2020 and to Mars at an undetermined date. The spacecraft will be placed in low Earth orbit. It will also use new "heavy lift launch vehicles," which NASA is developing. These vehicles are expected to be three to four-square-meter rockets. The plan is to launch in February 2031. The mission's mission will take six to seven months in a spacecraft powered by an advanced cryogenic fuel system. The mission's psychological committee estimates that the mission will cost about $450 million to send humans to Mars. However, they will be sent separately between December 2028 and January 2029 before the rest of the crew can be re-equipped for habitation. The rest of the crew will be air-dropped or air-dropped, and the rest of the NASA crew will not have access to the rest of the spacecraft's life support equipment. The astronauts will also be able to use the spacecraft's self-sustaining robotic power supply to re-equip the spacecraft. The astronauts will be able to use the spacecraft's electrical power supply to re-seal the spacecraft for the remainder of the mission.
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061119_russia_wto
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https://www.bbc.com/hindi/business/story/2006/11/061119_russia_wto
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अब डब्लूटीओ में शामिल हो पाएगा रूस
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बारह साल चली बातचीत के बाद रूस और अमरीका ने द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके बाद रूस के विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में शामिल होने का रास्ता खुल गया है.
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हनोई में एशिया प्रशांत के नेताओं के सम्मेलन के दौरान 800 पन्नों के एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. डब्लूटीओ में रूस की सदस्यता कई तरह के उद्योगों में शुल्क को कम करने से जुड़े इस महत्वपूर्ण समझौते पर निर्भर थी. इससे पहले जुलाई में जी-8 देशों के सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच इस व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे. ऐतिहासिक क़दम रूस के व्यापार और आर्थिक मंत्री जर्मन ग्रेफ़ ने कहा कि इस समझौते से रूस को विश्व बाज़ार में 'समान रूप' से प्रतिस्पर्धा का मौक़ा मिलेगा. उन्होंने कहा, "यह एक अति महत्वपूर्ण मौक़ा है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रक्रिया में रूस की जुड़ने का संकेत है. यह एक ऐतिहासिक क़दम है जो विश्व बाज़ार के क़ायदे-क़ानूनों में रूस की वापसी की और इशारा करता है." रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा कि रूस को डब्लूटीओ सदस्यता दिलाने के लिए ज़रूरी यह व्यापार समझौता अमरीका की राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना संभव नहीं था. अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि सूज़ैन श़्वाब ने भी इस समझौते का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "रूस का पूरी तरह से विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ जाना रूस के साथ-साथ अमरीका के लिए भी फ़ायदेमंद है." इस समझौते की पुष्टि दोनों देशों में होनी ज़रूरी है. इसके अलावा रूस को डब्लूटीओ के साथ एक बहुपक्षीय समझौते को भी मंज़ूरी देनी होगी. यानी इसका मतलब ये हुआ कि रूस को डब्लूटीओ की पूर्ण सदस्यता मिलने में अभी छह महीने का समय और लग सकता है. प्रतिरोध विश्व व्यापार संगठन के 149 सदस्य देशों में केवल अमरीका ही ऐसा सदस्य था जिसने डब्लूटीओ में रूस की सदस्यता पर अपनी सहमति नहीं दी थी. रूस के मानवाधिकारों से संबंधित आँकड़े, मुख्य ऊर्जा स्त्रोतों पर सरकारी नियंत्रण, बौद्धिक संपत्ति का अधिकार और विदेशी कंपनियों की गतिविधियों पर रोक जैसी कुछ ऐसी आपत्तियाँ थीं जिनकी वजह से इस समझौते में देरी होती रहीं. इसके अलावा ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं की वजह से रूस ने ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंध का भी विरोध किया था जो अमरीका को पसंद नहीं आया था. इस बीच रूस ने अमरीका से होने वाले मीट के आयात के दौरान उसकी साफ़-सफ़ाई के प्रति चिंता जताई है.
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Russia will now be able to join the WTO
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After twelve years of negotiations, Russia and the United States have signed a bilateral agreement, opening the way for Russia to join the World Trade Organization (WTO).
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An 800-page trade agreement was signed during the Asia Pacific Leaders' Conference in Hanoi. Russia's membership in the WTO was dependent on the United States' political will. This trade agreement could not have been signed earlier during the G-8 summit in July. Russian Trade and Economic Minister German Gref said that this agreement would allow Russia to compete "equally" in the world market. He said, "This is a very important opportunity, which is a signal of Russia's involvement in the international trade process. This is a historic step that also signals Russia's return to the rules of the world market." Russian President Vladimir Putin said that Russia's membership in the WTO was not possible without the political will of the United States. US Trade Representative Susan Schwab also welcomed the U.S. 's choice of the intellectual property rights of the United States during this meeting. In addition to the U.S. member states, Russia's full membership in the World Trade Organization (WTO) would also mean that Russia would not have to ratify the multilateral agreement at this time. Russia' s opposition to the WTO's human rights rules-of-law, which Russia had to ratify only because of its opposition to Russia 's opposition to the WTO's full membership. In addition to the U.S.A.A.' s concerns, Russia 's resistance to the multilateral nuclear deal, Russia said that "Russia' s opposition to the WTO 's human rights-trust' is not a factor. Russia's only reason for Russia to ratify the WTO 's opposition.
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india-54185946
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https://www.bbc.com/hindi/india-54185946
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कोरोना की रूसी वैक्सीन स्पूतनिक भारत में भी लाने की तैयारी -प्रेस रिव्यू
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अगर भारतीय नियामक ने मंज़ूरी दी तो ह्यूमन एडिनोवायरस प्लेटफॉर्म पर आधारित रूस का टीका 'स्पूतनिक-वी' जल्द ही भारत में उपलब्ध होगा.
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रशा डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ़) ने क्लिनिकल ट्रायल और देश में स्पूतनिक-वी की 10 करोड़ डोज़ के वितरण के लिए हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज़ लैब (डीआरएल) के साथ एक क़रार किया है. यह रिपोर्ट अंग्रेज़ी अख़बार बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी है. इसके अलावा वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत के पाँच बड़े मैन्युफैक्चरर से बात चल रही है. ये उत्पादन ना सिर्फ़ भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए होगा. एडिनोवायरस डीएनए वायरस होते हैं, जो सांस से संबंधित बीमारी का सबसे बड़ा कारण बनते हैं. डीआरएल ने बुधवार को बताया कि क्लीनिकल ट्रायल का खर्च दोनों साझेदार मिलकर उठाएंगे. समाप्त घोषणा के बाद डीआरएल के शेयर्स में ज़बरदस्त उछाल देखा गया और बीएसई पर 4.2 फ़ीसदी की बढ़त के साथ प्रति शेयर 4,631 रुपये पर बंद हुए. भारत में होने वाला ट्रायल ब्रिज ट्रायल होगा, क्योंकि रूस में पहले से 40 हज़ार लोगों पर तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है. आरडीआईएफ़ के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने एक टेलीविजन चैनल पर कहा कि तीसरे चरण के ट्रायल के वॉलिंटियर्स की संख्या 45,000 होगी और उनमें रूस के अलावा सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील और भारत जैसे देशों के वॉलिंटियर्स शामिल होंगे. आरडीआईएफ़ और डीआरएल ने आवश्यक ब्यौरे देश के दवा नियामक को दिए हैं और यहां क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए मंज़ूरी का इंतजार कर रहे हैं. डीआरएल ने कहा कि वैक्सीन की डिलिवरी 2020 के आख़िर में शुरू होने की संभावना है. हालांकि ये ट्रायल के सफलतापूर्वक पूरे होने और भारत में नियामकों के टीके का पंजीकरण करने पर निर्भर करेगा. दिमित्रिव का अनुमान है कि टीका यहां नवंबर तक उपलब्ध हो जाएगा क्योंकि रूस से शुरुआती नतीजे अक्टूबर में आने के आसार हैं. हालांकि डीआरएल ने वैक्सीन पेश करने के समय को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. लद्दाख: 10-15 साल से यहां तक नहीं पहुँच पा रही है भारतीय सेना भारतीय सेना पिछले 10-15 वर्षों से ज़्यादा समय से लद्दाख के डेपसांग मैदान के एक बड़े हिस्से तक अपनी पहुँच नहीं बना पाई है. अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से यह दावा किया है. चीन इस साल अपैल से डेपसांग मैदान में पट्रोलिंग पॉइंट्स पर भारत की पहुंच को रोक रहा है लेकिन इसके बड़े हिस्से पर भारत '10-15 वर्ष से ज़्यादा समय से' नहीं पहुँच सका है. सियाचिन का इलाका डेपसांग मैदान से 80 किलोमीटर पूरब की तरफ़ पड़ता है. हाँलाकि अधिकारी के मुताबिक़ पाकिस्तान ने डेपसांग के पश्चिम में भारतीय सेना को लगातार मौजूद रहने पर मजबूर किया है. सैन्य अधिकारी ने कहा कि भले ही इस समय सबका ध्यान पूर्वी लद्दाख पर हो लेकिन पूरी आशंका है कि चीन मौका मिलते ही एलएसी के अन्य हिस्सों में भी अतिक्रमण करने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा, "हमें आशंका है कि चीन कहीं भी सक्रिय हो सकता है. ऐसे में हम सिर्फ़ पूर्वी लद्दाख के बारे में बात क्यों करें?" अधिकारी ने बताया कि भारतीय सुरक्षाबल पूरे एलएसी पर एलर्ट मोड में हैं. उमर ख़ालिद उमर ख़ालिद के ख़िलाफ़ 'X' और 'Y' ग़वाह दिल्ली दंगों मामले में जो दो 'गोपनीय ग़वाह' ने उमर ख़ालिद, नताशा नरवाल और देवांगना कलीता के ख़िलाफ़ ग़वाही देने के लिए आगे आए हैं, अदालती काग़जातों में उनका नाम 'एक्स' (X) और 'वाई' (Y) लिखा गया है. हिंदुस्तान टाइम्स ने इस रिपोर्ट को पहले पन्ने पर एंकर स्टोरी के तौर पर प्रकाशित किया है. दिल्ली पुलिस का दावा है कि दो ग़वाह (X) और 'वाई' (Y) इस साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों में उमर ख़ालिद, नताशा नरवाल और देवांगना कलीता के शामिल होने की जानकारी देने के लिए आगे आए हैं. एक्स (X) और 'वाई' (Y) दोनों ही इस समय सुरक्षात्मक हिरासत (प्रोटेक्टिव कस्टडी) में हैं. दोनों ने पिछले महीने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट फ़हादउद्दीन के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए थे. दोनों ने दावा किया था कि वो सीएए विरोधी प्रदर्शनों में 'पिंजरा तोड़' के सदस्यों और जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ थे. जज के सामने दिया गया बयान मुक़दमे के दौरान मान्य सबूत होता है. ऐसे में अगर एक्स (X) और 'वाई' (Y) अपने बयान से नहीं मुकरते हैं तो उमर ख़ालिद, एक्स (X) और 'वाई' (Y) नताशा नरवाल और देवांगना कलीता के विरुद्ध बड़ा मामला साबिता हो सकता है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अपने आरोपपत्र में 15 लोगों को अभियुक्त बनाया है जिनमें आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की छात्रा सफ़ूरा ज़रगर समेत उमर ख़ालिद, नताशा नरवाल और देवांगना कलीता का भी नाम है. ये भी पढ़ें: उमर ख़ालिद: जेएनयू विवाद से दिल्ली दंगों में गिरफ्तारी तक एलएसी पर पंजाबी गाने बजा रही है चीनी सेना लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो झील और चुशुल सब-सेक्टर इलाके में चीनी सेना (पीएलए) भारतीय सैनिकों को हतोत्साहित करने के लिए हिंदी में चेतावनी दे रही है और यहां तक कि पंजाबी गाने भी बजा रही है. अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सेना के एक अधिकारी के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. सेना के अधिकारी ने अख़बार से कहा, "चीनी सेना हमारे जवानों का मनोबल गिराना चाहती है लेकिन हमारे सैनिक संगीत और गाने-बजाने का लुत्फ़ उठा रहे हैं. ऐसी मनोवैज्ञानिक तरकीबों से हमारे सैनिकों का मनोबल नहीं टूटेगा." इससे पहले गुरुवार को चीन ने भारत से कहा थी कि वो तत्काल अपनी 'ग़लत हरकतों को सुधारे और जल्द से जल्द चीनी सेना से उलझना बंद करे'. इसके अलावा चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन कहा था कि हाल ही में भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए संघर्ष के लिए भारत ज़िम्मेदार है. चीन के इस बयान से एक दिन पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भारत-चीन तनाव पर बयान देते हुए चीन पर सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाया था. भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पिछले चार महीने से टकराव की स्थिति बनी हुई है. ये भी पढ़ें: गलवान घाटी, लद्दाख, डेपसांग और फिंगर एरिया को कितना जानते हैं आप? 'पाकिस्तान में होती है हिंदू लड़कियों की जबरन शादी' भारत ने कहा है कि किसी को मानवाधिकारों के बारे में पाकिस्तान से 'भाषण' सुनने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वो ख़ुद ही हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार जुल्म कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (एनएचआरसी) के 45वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधि पवन बाथे ने पाकिस्तान को 'आतंकवाद का गढ़' करार दिया. उन्होंने ये बातें पाकिस्तान के बयानों पर 'जवाब देने के अधिकार' के तहत कहीं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ग़लत और मनगढ़ंत विमर्श पेश करके भारत की छवि ख़राब करने की कोशिश की आदत हो गई है. भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि वहाँ कश्मीरियों की संख्या बहुत कम हो गई है. पवन बाथे ने कहा कि पाकिस्तान में हज़ारों की संख्या में हिंदू, सिख, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण और धर्मांतरण कर जबरन उनकी शादी कराई जाती है. उन्होंने कहा, "एक भी दिन ऐसा नहीं होता जब बलूचिस्तान में किसी परिवार के किसी सदस्य को पाकिस्तान सुरक्षा बल नहीं उठाते." जनसत्ता ने इस ख़बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. भारत चीन तनाव पर अब चीन की तरफ से क्या जवाब आया? (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Russian corona vaccine Sputnik is ready to be brought to India as well - Press Review
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Russia's vaccine 'Sputnik-V', based on the human adenovirus platform, will soon be available in India if the Indian regulator approves it.
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Chinese Direct Investment Fund (RDIF) is not only for India, but also for the whole world. The production of Adenovirus DNA virus, which is the biggest cause of respiratory disease. Chinese partners are paying for clinical trials. Chinese Chinese Direct Investment Fund (RDIF) is the biggest provider of vaccines. Chinese Direct Investment Fund (RDIF) is the biggest provider of this product. Chinese Direct Investment Fund (RDIF) is the biggest provider of vaccines to the whole world. Chinese partners are paying for clinical trials. After the announcement, the shares of DRL are accessible to the whole of India (China's access to India). India's military (India's access to China's military). India's military (India's access to China's military). India's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (India's access to China's military). China's military (China's access to India's military). India's military (China's access to China's military). China's military (China's access to China's military). India's military (China's military). India's military (China's military's military). India's military (China's military's military). India's military's military's military). India's military (China's military's military). India's military 'security (China'). India 's China' (China 'security). India' (China '), India's military', India's military ', India's military', India's military ', India's military', India's military ', India', India ', India', India's military ', India', India ', India', India ', India', India ', India', India ', India', India ', India', India ', India'
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060302_nucleardeal_nazam
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/03/060302_nucleardeal_nazam
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'पाकिस्तान को अभी कुछ नहीं मिलेगा'
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भारत और अमरीका के बीच हुई परमाणु सहमति के बाद निश्चित तौर पर पाकिस्तान भी चाहेगा कि उससे भी अमरीका इसी तरह का समझौता करे और उसे भी वही सुविधाएँ मिले जो भारत को मिलेंगी.
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पाकिस्तान इसकी माँग करता भी रहा है और उसका तर्क रहा है कि जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तभी पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किया था. लेकिन क्या इसके लिए अमरीका तैयार है, तो मेरी राय में ऐसा नहीं है. पाकिस्तान के साथ अमरीका कोई ऐसा समझौता इस समय नहीं करने जा रहा है क्योंकि भारत ने अपनी परमाणु जानकारी किसी को नहीं दी है जबकि पाकिस्तान के कुछ शरारती तत्वों ने जानकारियाँ दूसरे देशों को दी हैं. और इस तथ्य से अमरीका ख़ौफ़ खाता है. क़दीर ख़ान जहाँ तक ये सवाल है कि क्या अमरीका को इस बात का पता नहीं था कि भारत और पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने जा रहे हैं तो मेरी राय है कि ऐसा नहीं है. मुझे याद आता है कि 1996 में अमरीका ने कहा था कि उन्हें आशंका है कि भारत परमाणु परीक्षण करने जा रहा है और बाद में इसकी पुष्टि हुई कि भारत उस समय परीक्षण की तैयारी कर रहा था. बाद में भारत ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया और पाकिस्तान ने अमरीका के मना करने के बावजूद परीक्षण किया. तो इसका मतलब ये है कि अमरीका को पता भले न रहा हो उसे शक ज़रुर था. जहाँ तक क़दीर ख़ान के परमाणु कार्यक्रम की जानकारी बेचे जाने का सवाल है तो वो बात अब पुरानी हो गई है. राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने बार-बार कहा है कि पहले जो हुआ सो हुआ और अब पाकिस्तान ज़िम्मेदारी के साथ इस मसले पर काम कर रहे हैं. यह मामला वैसे भी बहुत गंभीर नहीं था क्योंकि अगर क़दीर ख़ान ने जानकारी देना पाँच-सात साल और जारी रखा होता तो ये चिंता की बात होती. मुझे लगता है कि अब पाकिस्तान सरकार ज़िम्मेदारी के साथ काम कर रही है. भारत की भूमिका अमरीका और यूरोप भारत को एक उभरती हुई ताक़त के रुप में देख रहे हैं. लेकिन जहाँ तक पड़ोसी देशों का सवाल हैं तो वे दुर्भाग्यजनक रुप से भारत से डरे हुए नज़र आते हैं. यदि भारत ने कूटनयिक स्तर पर और राजनीतिक स्तर पर अपने पड़ोसियों से संबंध ठीक नहीं किए तो यह अच्छा नहीं होगा. भारत को निश्चित तौर पर ज़्यादा ज़िम्मेदारी से काम करना होगा वरना उसके आसपास मुश्किलें दिखाई देती रहेंगी.
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"Pakistan will not get anything right now." ""
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After the nuclear agreement between India and the US, Pakistan would certainly like to have a similar agreement with the US and get the same facilities that India gets.
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Pakistan has been asking for it and arguing that when India conducted a nuclear test, Pakistan also conducted a nuclear test. But if the United States is ready for it, I don't think so. The United States is not going to make a deal with Pakistan at this time. India has not given its nuclear information to anyone, while some mischievous elements in Pakistan have given information to other countries. And the United States is afraid of this fact. Qadeer Khan. As far as the emerging question of whether the United States did not know that India and Pakistan were going to conduct nuclear tests, I think it is not. I remember that the United States said in 1996 that they feared that India was going to conduct a nuclear test, and later it was confirmed that India was preparing for a nuclear test at that time. Later, India conducted a nuclear test in 1998, and Pakistan conducted a test despite the refusal of the United States. So it means that the United States did not know about the issue until now, where Qadeer Khan continued to question the responsibility of the United States to conduct nuclear tests. Even if the US did not know that India and Pakistan were going to conduct a nuclear test at a political level, I think it would not be true. If Pakistan said that they feared that India was going to conduct a nuclear test at a nuclear test at that time, then it would be a serious problem for India, and if the President Khan did not appear to have a serious enough information on the responsibility of the Indian nuclear program till now that Pakistan has done a serious problem with India.
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060310_workshop_iimc
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/03/060310_workshop_iimc
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आईआईएमसी में वेब पत्रकारिता कार्यशाला
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दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान में शुक्रवार को बीबीसी हिंदी डॉट कॉम और वेब दुनिया ने पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं के लिए वेब पत्रकारिता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया.
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कार्यशालाओं के आयोजन के प्रथम चरण के कार्यक्रम का यह अंतिम पड़ाव था. इससे पहले गुरुवार को दिल्ली स्थित जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में कार्य़शाला का आयोजन किया गया. दो अन्य शहरों, इंदौर और भोपाल में भी इसी तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा चुका है. दिनभर चली इस कार्यशाला के समापन पर छात्र-छात्राओं ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से उन्हें काफ़ी कुछ सीखने को मिला है और अब पत्रकारिता पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वे वेब पत्रकारिता में भी काम करने की अपार संभावनाएं देख रहे है. कार्यशाला की शुरुआत में बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की संपादक सलमा ज़ैदी ने वेबसाइट के बारे में छात्रों को बताया और बीबीसी की कार्यशैली की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किस तरह बीबीसी हिंदी डॉट कॉम ख़बरों के अलावा चरमपंथियों से ख़ास मुलाक़ात से लेकर प्रेमचंद और 'मंटो की पचास बरस बाद' जैसे विषयों पर विशेष सामग्री अपने पाठकों को देता रहा है. इसके बाद वेब दुनिया के संपादक जयदीप कार्णिक ने वेब दुनिया की कार्यप्रणाली का विवरण दिया और इंटरनेट के लिए सामग्री जुटाने की प्रक्रिया की जानकारी दी. बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के प्रोड्यूसर आशुतोष चतुर्वेदी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि इस विधा का व्यावहारिक पहलू क्या है. इसके बाद सलमा ज़ैदी और जयदीप कार्णिक ने छात्र-छात्राओं के तमाम सवालों के जवाब दिए. कार्यशाला में वेब पत्रकारिता के तमाम पहलुओं पर चर्चा के बाद छात्रों को '2020 का भारत' और 'कितने भरोसेमंद हैं समाचार माध्यम' विषयों पर वेबसाइट के लिए एक फ़ीचर लेख लिखने को कहा गया. ग़ौरतलब है कि इन लेखों में से सर्वश्रेष्ठ को बीबीसी हिंदी डॉट कॉम और वेब दुनिया पर प्रकाशित किया जाएगा. कार्यशाला के आखिर में इसमें शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए.
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Web Journalism Workshop at IIMC
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On Friday, BBC Hindi.com and Web Duniya organised a workshop on web journalism for journalism students at the Indian Institute of Mass Communication in Delhi.
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This was the last leg of the first round of workshops. Earlier on Thursday, a workshop was held at Jamia Millia University in Delhi. Similar workshops have already been held in two other cities, Indore and Bhopal. At the end of the day-long workshop, the students said that they have learnt a lot from such a workshop and now after completing the journalism course, they see a lot of potential in working in web journalism. At the beginning of the workshop, Salma Zaidi, editor of BBC Hindi.com, told the students about the website and the working of the BBC. She explained how BBC Hindi.com has been giving exclusive interviews to extremists, Premchand and Manto and 'Fifty Years After' to its readers. After this, Jaideep Karnik, editor of Web Duniya, gave details of the working of the web world and information about the Hindi newspaper and Hindi newspaper.After the completion of the workshop, Salma Chaturvedi, editor of BBC Hindi.com, explained to the students about the 'Best Practical Aspects of Journalism' and 'Best Practical Aspects of Web Journalism' to be given to the students.
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https://www.bbc.com/hindi/international-53595115
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तुर्कीः अर्दोआन के नये सोशल मीडिया क़ानून पर क्यों हो रही है बहस
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तुर्की में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण को लेकर नया क़ानून पास किया गया है. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि ये नया क़ानून अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए ख़तरा है.
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दुनियाभर में देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि ऑनलाइन कंटेंट को और बेहतर तरीक़े से कैसे नियंत्रित किया जाए. इसमें हेट स्पीच से लेकर कोरोना वायरस की फ़ेक न्यूज़ तक शामिल है. तुर्की का भी कहना है कि उसने इसी दिशा में कदम उठाया है लेकिन सरकार की मंशा को लेकर विवाद बना हुआ है. नए क़ानून के सोशल मीडिया के लिए क्या मायने हैं? ये क़ानून कहता है कि 10 लाख से ज़्यादा यूज़र वाली सोशल मीडिया फर्म का तुर्की में कार्यालय होना चाहिए और वो कंटेट हटाने के सरकार के अनुरोधों का पालन करे. समाप्त अगर कंपनी इससे इनकार करती है तो उस पर जुर्माना लगेगा या डाटा की स्पीड कम हो जाएगी. ये बदलाव कई बड़ी कंपनियों और प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, गूगल, टिकटॉक और ट्विटर पर भी लागू होते हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन नए क़ानून के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बैंडविथ में 95 प्रतिशत तक की कटौती हो सकती है. इस कटौती से वो इस्तेमाल के लायक नहीं रह पाएंगे. इसके अलावा नया क़ानून कहता है कि सोशल मीडिया नेटवर्क्स को अपना यूज़र डाटा तुर्की में रखना होगा. तुर्की की आठ करोड़ 40 लाख की जनसंख्या के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स काफ़ी लोकप्रिय हैं. खासतौर पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, स्नैपचेट और टिकटॉक वहां काफ़ी पसंद किए जाते हैं. उनके करोड़ों यूजर्स हैं. नए क़ानून से क्या होगा फायदा? सरकार का कहना है कि इस क़ानून का उद्देश्य साइबर-क्राइम से लड़ना है और लोगों को ''अनियंत्रित साजिशों'' से बचाना है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन सालों तक सोशल मीडिया साइट्स को "अनैतिक" ठहराते रहे हैं. इन पर कड़ा नियंत्रण करने की उनकी इच्छा किसी से छुपी नहीं है. तुर्की की संसद में नए क़ानून पर बहस के दौरान ऑनलाइन विनियमन को लेकर अक्सर जर्मनी का उदाहरण दिया गया है. साल 2017 में, जर्मनी ने नेटवर्क एनफोर्समेंट एक्ट यानी नेट्जडीजी लागू किया था जिसमें हेट स्पीच और आपत्तिजनक कंटेंट से निपटने के लिए इसी तरह के नियम थे. जर्मनी में अगर सोशल मीडिया प्लेफॉर्म्स इस तरह के कंटेंट को 24 घंटों में नहीं हटाते हैं तो उन पर 50 मिलियन यूरो तक जुर्माना लग सकता है. हाल ही में इस क़ानून में ये भी नियम बनाया गया है कि संदेहजनक आपराधिक कंटेंट को सीधे जर्मनी की पुलिस के पास भेजा जाएगा. क़ानून में समस्या? लेकिन, इंटरनेट पर नियंत्रण के मामले में तुर्की और जर्मनी का बहुत अलग इतिहास रहा है. लोकतांत्रिक जर्मनी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई आंच ना आए इसकी लगातार कोशिशें होती हैं और चर्चाएं की जाती हैं. लेकिन, तुर्की में ऑनलाइन स्वतंत्रता पर कहीं ज़्यादा बंदिशें हैं. तुर्की में सोशल मीडिया पर पहले ही बड़े स्तर पर पुलिसिंग होती है. कई लोगों पर अर्दोआन या उनके मंत्रियों का अपमान करने का आरोप लगाया है. कई बार विदेशी सैन्य घुसपैठ या कोरोना वायरस से निपटने को लेकर आलोचना के कारण लोगों पर कार्रवाई हुई है. तुर्की का ज़्यादातर मुख्यधारा मीडिया पिछले एक दशक में सरकार के नियंत्रण में आ चुका है. अब आलोचनात्मक आवाज़ों या स्वतंत्र ख़बरों के लिए सोशल मीडिया और छोटे ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल ही बचे हैं. फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन एसोसिएशन (आईएफओडी) के मुताबिक 4 लाख 8 हज़ार वेबसाइट्स को ब्लॉक कया गया है. इसमें विकीपीडिया भी शामिल है, जिस पर इस साल जनवरी से पहले पिछले तीन सालों तक प्रतिबंध लगा था. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नए क़ानून को तुर्की में अभियव्यक्ति की आज़ादी पर खुला हमला बताया है. मानवाधिकार समूह के तुर्की के शोधकर्ता एंड्रयू गार्डनर कहते हैं, ''नया क़ानून ऑनलाइन कंटेंट को सेंसर करने की सरकार की ताकत बढ़ा देगा. इससे उन लोगों को ख़तरा बढ़ जाएगा जो विरोधी विचारों के कारण प्रशासन के निशाने पर रहे हैं.'' हालांकि, राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन इस बात से इनकार करते हैं कि ये क़ानून सेंसरशिप की तरफ़ ले जाएगा. वह कहते हैं कि इसके ज़रिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ वाणिज्यिक और क़ानूनी संबंध स्थापित करने की मंशा है. अन्य देशों में क़ानून सरकारें लगातार इस बात पर विचार कर रही हैं कि सोशल मीडिया स्पीच और ऑनलाइन कंटेंट के मसले से कैसे निपटा जाए. चीन जैसे देशों में सख़्त नियम हैं. यहां हज़ारों-हज़ार की संख्या में साइबर पुलिस राजनीतिक रूप से संवेदनशील पोस्ट और मैसेज को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नज़र रखती है. रूस और सिंगापुर में भी इसे लेकर कड़े नियम हैं कि ऑनलाइन क्या पोस्ट किया जाएगा. इसमें कोई शक नहीं कि ऑनलाइन कंटेंट की इस समस्या को लेकर तुर्की के नज़रिए पर अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के सदस्य अध्ययन करेंगे. इन देशों में भी पहले से सोशल मीडिया विनियमन को लेकर बहस तेज़ है. कुछ मानवाधिकार समूहों को चिंता है कि तुर्की का नया क़ानून अन्य देशों को भी ऐसे ही तरीक़े अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने चेतावनी दी है कि ये क़ानून ''ऑनलाइन सेंसरशिप के नए काले युग'' का संकेत देता है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Turkey: Why Erdogan's new social media law is being debated
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Turkey has passed a new law to regulate social media platforms, which human rights groups say threatens freedom of expression.
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Countries around the world are discussing how to regulate online content in a stricter way or slow down the speed of data. Finally, countries around the world are discussing if the company refuses to comply with the government's requests for stricter regulation of online content. These changes will also apply to many big companies and platforms like Facebook, Google, TikTok, and Twitter. People will send us hate speech laws. Hate speech laws and hate speech laws. Singapore's Internet police refuse to monitor online content for thousands of years. The Internet police, the Internet police, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, the Internet, and the Internet.
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science-57150557
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https://www.bbc.com/hindi/science-57150557
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ऑफ़िस में देर तक काम करने से 'एक साल में 7,45,000 लोगों की मौत'
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ देर तक ऑफ़िस का काम करने के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है.
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पहली बार विश्व स्तर पर की गई इस स्टडी के मुताबिक़ साल 2016 में लंबे समय तक ऑफ़िस का काम करने के कारण स्ट्रोक और दिल की बीमारी से 7 लाख 45 हज़ार लोगों की मौत हो गई. कोरोना महामारी में सेक्स को लेकर दिलचस्पी क्यों कम हुई? गूगल के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई जीतने वाली महिला की कहानी रिपोर्ट के मुताबिक़ दक्षिण-पूर्वी एशिया और पश्चिमी पैसिफिक के इलाक़े इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. समाप्त विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना मारामारी के कारण हालात और ख़राब हो सकते हैं. रिसर्च में पाया गया है कि हर हफ़्ते 35 से 40 घंटे काम करने की तुलना में हर हफ़्ते में 55 घंटे से अधिक काम करने से स्ट्रोक का ख़तरा 35 फ़ीसदी बढ़ जाता है और दिल की बीमारी से मरने का ख़तरा 17 फ़ीसदी बढ़ जाता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) के साथ मिलकर कराई की गई इस स्टडी में पाया गया है मरने वालों में एक तिहाई बूढ़े या मध्यम आयु वर्ग के लोग थे. ज़्यादातर मौतें उस दौर से कई सालों या दशकों के बाद हुईं, जब वो व्यक्ति काफ़ी देर तक काम करता था. कोरोना के कारण ख़राब हो सकती है स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस स्टडी में महामारी के आने बाद के समय को नहीं लिया गया. लेकिन उनका कहना है कि घर से काम करने की व्यवस्था और आर्थिक मंदी के कारण भी लोग लंबे समय तक काम कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के टेक्निकल ऑफ़िसर फ्रैंक पेगा के मुताबिक, "कुछ सबूत हैं जो ये दिखाते हैं कि अगर देशव्यापी लॉकडाउन होता है, तो वहाँ पर काम करने के घंटों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है." कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं और कैसे कर सकते हैं बचाव कोरोना वैक्सीन: क्या वैक्सीन लेने के बाद भी मुझे कोविड हो सकता है? रिपोर्ट के मुताबिक़ ज़्यादा देर तक काम करना काम से जुड़े तनाव का एक तिहाई हिस्सा है. ये इसे काम के कारण होने वाले तनाव का सबसे बड़ा कारण बना देता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक़ देर तक काम करने के कारण दो मुख्य समस्याएँ सामने आतीं हैं - पहला सीधे आपके दिमाग़ पर तनाव का असर और दूसरा ज़्यादा देर तक काम करने के कारण तंबाकू, शराब जैसे नशे की लत लगना, कम सोना, व्यायाम नहीं करना और अच्छा खाना नहीं खाना जैसी समस्याएँ होती हैं. मानसिक बीमारी दुनिया के लिए कितनी बड़ी चुनौती? Duniya Jahan मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर इंग्लैंड के लीड्स में काम करने वाले 32 साल के इंजीनियर, एंड्र्यू फॉल्स बताते हैं कि उनके पिछले ऑफ़िस में उन्हें काफ़ी देर तक काम करना पड़ता था जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा. वो कहते हैं, "वहाँ 50 से 55 घंटे काम करना आम था. मैं कई हफ़्तों तक घर से बाहर रहता था." "तनाव, डिप्रेशन, एंग्ज़ाइटी, ख़राब फीडबैक, ये सब भी आम था. मैं हमेशा परेशान रहता था." पाँच साल काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिया है कि कंपनियों को अपने यहाँ काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य और काम के कारण उनके स्वास्थ्य पर होने वाले असर के बारे सोचना चाहिए. स्पुतनिक V: भारत के कोविड-19 टीकों के बारे में हम क्या जानते हैं कोविन (Co-Win) ऐप: कैसे करें डाउनलोड और वैक्सीनेशन के लिए कैसे कराएं पंजीयन काम करने की समय सीमा तय होनी चाहिए. इससे काम बेहतर होगा. पेगा के मुताबिक़, "इस आर्थिक मंदी के दौर में काम करने का समय नहीं बढ़ाना फ़ायदेमंद साबित होगा." बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Late office work 'kills 7,45,000 people a year'
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According to the World Health Organization, millions of people are dying every year due to late office work.
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According to this first-ever global study, working more than 55 hours a week increases the risk of stroke and heart disease mortality by 35 percent. According to the World Health Organization, the study found that working more than 55 hours a week increases the risk of stroke and stroke by 55 percent. According to the first-ever global study, people are more likely to die from heart disease than from long office hours. India must be doing more brain work. India must be doing more brain work. India must be doing more brain work. Twitter should be doing more than 50 hours of work. We know that many people are working more than 50 hours a day in the last recession. A third of the dead are older or middle-aged people who work less than 50 hours a day. Most of the deaths occurred years or decades later, according to the BBC report, when a woman who won a legal battle against COVID-19 was less interested in sex. According to the report, South-East Asia and Western Pacific regions are the most affected by the COVID-19 pandemic. According to Fauci and Dunya, the study shows that eating out can be a major health benefit, and according to Fauci's World Health Report, it's a big health concern. Even after a week of COVID-19 vaccinations, the World Health Organization has said that "You can leave work for a long time." Due to the global health crisis, and the World Health Organization's two major stress bugs, "You can 't work for five weeks a day." You can' t work a day because of the world because of stress, "You can 't work for a day. You can' t work for the world." The world's have a major stress. You can 't work for the world. You can' t 't' t 't' t 'work the world. "The world. You can' t 't' t 't' work a world," World, "The world 't' t 't' t 't' t 't' work,"
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130911_piyush_mishra_hindi_diwas_akd
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https://www.bbc.com/hindi/india/2013/09/130911_piyush_mishra_hindi_diwas_akd
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हिंदी दिवस पर मेरी प्रिय कविता
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मैंने बहुत सी कविताएं पढ़ी हैं और बहुत सी पसंद भी हैं, लेकिन अगर मुझे किसी एक कविता का नाम लेना पड़े तो कहूंगा कि कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘रश्मिरथी’ मुझे बहुत प्रिय है. ये एक लंबा-चौड़ा महाकाव्य है.
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रामधारी सिंह 'दिनकर' ने कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय जैसी रचनाएं की थीं. उसकी एक सतर मैंने ‘गुलाल’ फ़िल्म में इस्तेमाल की है क्योंकि वो मुझे बेहद पसंद थी. ‘रश्मिरथी’ कर्ण की ज़िंदगी पर लिखी गई थी. उसमें एक प्रसंग है कि कृष्ण भगवान को जब दुर्योधन हस्तिनापुर में बातचीत के लिए बुलाते हैं ज़मीन के बंटवारे के विषय में. वो कृष्ण को बांधने की कोशिश करते हैं. पंक्तियां कुछ इस तरह हैं – हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? दिनकर जी ने 1954 में 'रश्मिरथी' की रचना की थी. एक तो कर्ण मेरे बड़े प्रिय चरित्र हैं और दूसरे इसे मैं अपनी फ़िल्म में इस्तेमाल कर चुका था. फिल्म ‘गुलाल’ मेरी ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण आयाम है. और सबसे अहम बात ये कि जिस तरह ये कविता लिखी गई है, इसमें हिंदी के शब्द हैं और उन्हीं शब्दों से अभिव्यक्ति को एक औदात्य प्रदान किया गया है. लोगबाग कहते हैं कि हिन्दी बहुत ही सहमी सिकुड़ी हुई भाषा है, लेकिन ये कविता बताती है कि हिंदी कितनी ज़बर्दस्त कितनी तीखी भाषा है. ये उर्दू जैसी ही समृद्ध भाषा है. बशर्ते कि किसी को इसका ज्ञान हो और उसे भाषा का सही इस्तेमाल करना भी आता हो. आधे-अधूरे ज्ञान वाले जब हिंदी का इस्तेमाल करते हैं तो बात नहीं बन पाती. इस कविता में जो लय है, जो छंद है, जो ताल है वो बहुत सुंदर है. इसे आप किसी ऐसे व्यक्ति को सुनाएंगे जिसे हिंदी नहीं आती है तो वो भी इसका पूरा आनंद उठा सकता है. दिनकर जी की एक और श्रेष्ठ रचना ‘कुरुक्षेत्र’ भी है लेकिन मुझे ‘रश्मिरथी’ बहुत प्रिय है. मैं तो लोगों से अपील करूंगा कि वो इस किताब को ख़रीदें. मेरे हिसाब से ये इकलौती ऐसी कविता है जिसका पाठ किया जा सकता है. इसीलिए ये कविता मुझे बेहद पसंद है. (प्रस्तुति : अमरेश द्विवेदी) (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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my favorite poem on hindi day
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I have read many poems and liked many, but if I had to name one poem, it would be Rashmirathi by poet Ramdhari Singh Dinkar. It is a long epic.
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Ramdhari Singh 'Dinkar' had composed works like Kurukshetra, four chapters of culture. One of his lines I have used in the film 'Gulaal' because I liked it very much. 'Rashmirathi' was written on the life of Karna. There is an episode in it that Krishna calls Bhagwan when Duryodhan calls him for a conversation in Hastinapur. He tries to bind Krishna. Hari mutters fiercely, expands his form. Staggeringly, the giant staggered, Bhagwan angrily exclaims. 'Zanjeer badha kar saath mujhe, yes, yes Duryodhan! Bandha mujhe'. This is the rhythm in Gagan, this is the rhythm in Pawan, this is the rhythm in me, merges with Jhankar Sakal, this is the rhythm in me. 'Amarthatva phool pathi pathi mujhe, shaharadhan jhulata hai mujhe. Bande mujhe aaya hai, zanjeer badhi kya hai'. If someone writes a poem in Kashmiri, this is the best rhythm in Hindi, this is the best rhythm of Karna's poetry, this is the best rhythm in Hindi, 'Faujda zindagi' is the only language in Kurukshetra'shetra that you can find in Hindi, and 'Bada zindagi' is also an important word in Hindi language. 'Bandha jaana'. But if you give us this beautiful rhythm, this is the language in Hindi, then you can use it in Hindi, 'Bandha bada bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade bade
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101225_gurjar_ss
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https://www.bbc.com/hindi/news/2010/12/101225_gurjar_ss
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गूजरों का आंदोलन जारी
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राजस्थान में आरक्षण की मांग कर रहे गूजरों ने शनिवार को भी रेल और सड़क मार्गों को अवरूद्ध किया हुआ है.
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गूजर पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं गूजरों का आंदोलन छठे दिन प्रवेश कर चुका है और उनके तेवर अभी भी तीखे बने हुए हैं. इन आंदोलनकारियों के रेल पटरियों की घेरेबंदी करने से रेल यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. गूजरों के पटरियों पर आ जाने से भीलवाड़ा और अजमेर के बीच गाड़ियों का आवगमन रुक गया है. इन आंदोलनकारियों ने दिल्ली -मुंबई और जयपुर-दिल्ली मार्ग पहले से ही रोक रखा है. इसकी वजह से यात्री अपनी टिकटें रद्द करा रहे हैं. उत्तर-पश्चिम रेलवे ने सात हज़ार यात्रियों की टिकट रद्द की है जिसके एवज में रेलवे को इक्कीस लाख रूपए का भुगतान करना पड़ा है. ये गूजर सरकार से पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. सरकार से नाराज़ गूजर समुदाय जगह-जगह पर पंचायत कर रहा है और पंचायत में फ़ैसले लेने के बाद वे जगह-जगह सड़कों पर भी यातायात अवरुद्ध कर रहे हैं. बातचीत की पेशकश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गूजर नेताओं से रेल मार्गों को छोड़ कर बातचीत की टेबल पर आने का आग्रह किया है लेकिन आंदोलनकारी टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं. पिछले पांच दिनों से भरतपुर ज़िले के पिलुकापुरा में दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर डेरा डाले बैठे गूजर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने बीबीसी से बातचीत में कहा, ''जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जातीं हम रेल पटरियों से नहीं हटेगें. मेरी राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात हुई है, देखते हैं आगे क्या होता है.'' इस आंदोलन ने तब तेज़ी पकड़ी थी जब भाजपा के विधायक हेम सिंह भड़ाना एक भीड़ को लेकर दौसा ज़िले के बांदीकुई रेलवे स्टेशन के समीप उस मार्ग पर जा डटे जो दिल्ली को जयपुर से जोड़ता है. पुलिस ने जब आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिश की तो वे उन पर पथराव करने लगे. इसके बाद पुलिस पीछे हट गई थी. इस मार्ग के बाधित होने से रेलवे को 55 गाड़ियों का मार्ग बदलना पड़ा था. इससे यात्रियों को भी ख़ासी परेशानी हुई. इस आंदोलन के कारण दिल्ली-मुंबई मार्ग पर हर रोज़ तीस गाड़ियों को अपना रास्ता बदलना पड़ा है.
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Gujjar agitation continues
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In Rajasthan, Gujjars demanding reservation continued to block rail and road routes on Saturday.
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The Gujjars are demanding five percent reservation. The Gujjar agitation has entered its sixth day and is still raging. Rail traffic has been badly affected by the agitators. The movement of trains between Bhilwara and Ajmer has come to a standstill. The agitators have already blocked the Delhi-Mumbai and Jaipur-Delhi routes. Passengers are cancelling their tickets because of this. The North Western Railway has cancelled the tickets of seven thousand passengers in lieu of which the railways had to pay twenty-one lakh rupees. These Gujjars are demanding five percent reservation from the government. The Gujjar community is angry with the government. The Gujjar community is holding panchayats at places and after taking decisions in the panchayat, they are also blocking the traffic on the roads. Chief Minister Ashok Gehlot has offered to negotiate with the Gujjar leaders. The Gujjar leaders were incited to come to the table to discuss the railway routes. The police have also started cancelling their tickets near Bharatpur, in return for this. When the BJP leaders sit on a dharna on the Delhi-Delhi rail route, they are not ready to stop the train for five days. When the BJP leaders go to Jaipur to discuss the demands of the agitating passengers, Hemkuri Singh, the MLA of the BJP, says, "When the BJP is not ready to stop the train on the Delhi-Delhi railway route, the train is not ready to stop the train on the Jaipur-Delhi route." When the BJP leaders sit on the Delhi-Railway to discuss the agitation on the Delhi-Delhi route, Hemkuri, Hemkuri, the BJP's Hemkuri MLA said, the BJP's. When the BJP leaders did not stop the Gujjars stop the train on the train on the railway tracks on the railway tracks on the Delhi-Railway to stop the railway tracks to stop the railway tracks. When the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station. When the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station to stop the railway station. "
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130920_afghanistan_militants_attack_vs
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https://www.bbc.com/hindi/international/2013/09/130920_afghanistan_militants_attack_vs
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अफ़गानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों का हमला
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अफ़गानिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार बदख़्शाँ प्रांत में तालिबानी लड़ाकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 18 अफगान पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए.
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बदख़्शाँ प्रांत में तालिबानी लड़ाकों की तरफ से घात लगाकर हुए हमले में 18 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई. उस समय ये अधिकारी प्रांत की राजधानी से घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कारर्वाई करने के बाद वारदूज ज़िले के रास्ते से वापस लौट रहे थे. हालांकि पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाके अपेक्षाकृत शांत रहते हैं, लेकिन वारदूज ज़िला काफी अस्थिर हो गया है. इस हमले की जिम्मेदारी तालिबानने ली है. तालिबान ने एक वक्तव्य जारी करके कहा कि हमले के बाद उन्होंने हथियार और गाड़ियां ज़ब्त कर ली हैं और कुछ मृतकों के शवों को इलाक़े के वरिष्ठ लोगों को सौंप दिया गया है. इस वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि इस सप्ताह क्षेत्र में पुलिस ऑपरेशन में 47 विद्रोही मारे गए. गृह मंत्रालय ने पुलिस अधिकारियों की मौत के जाँच का आदेश दे दिया है. दुर्गम क्षेत्र इसी साल मार्च महीने में वारदूज ज़िले में 16 सैनिकों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 2010 में ब्रिटिश डॉक्टर कारेन वू की बदख़्शाँ प्रांत में छह अमरीकी, एक जर्मन और दो अफ़गान अनुवादकों के साथ हत्या कर दी गई थी. बदख़्शाँ पामीर और हिंदुकुश पहाड़ियों की पर्वत श्रंखला में स्थित है. काबुल में बीबीसी संवाददाता बिलाल सरवरी ने बताया कि यह इलाक़ा काफी दुर्गम होने के कारण विद्रोहियों के लिए बहत सुरक्षित है. 2014 के पहले अफ़गानिस्तान से विदेशी सेनाओं की वापसीहोनी है. बहुत से लोगों को आशंका है कि इससे तालिबान और उनके समर्थकों को मजबूती मिलेगी. नेटो सेनाएं धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारी अफ़गानिस्तान के सैनिकों को सौंप रही हैं, जो वर्तमान में 90 फीसदी सुरक्षा ऑपरेशनों के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. (बीबीसी हिन्दी के क्लिक करें एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Taliban attacks in Afghanistan
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According to Afghanistan's Interior Ministry, 18 Afghan police officers were killed and 13 others wounded in an ambush by Taliban fighters in Badakhshan province.
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In Badakhshan province, 18 police officers were killed in an ambush by Taliban fighters. Inaccessible territory In March this year, 16 soldiers were killed in the Warduj district. In 2010, although the mountainous areas of the northeast remain relatively calm, the Warduj district has become very unstable. The Taliban claimed responsibility for the attack. The Taliban issued a statement saying that they have seized weapons and vehicles after the attack and the bodies of some of the dead have been handed over to senior people in the area. The Taliban also said that 47 insurgents were killed in a police operation in the area this week. The Interior Ministry has ordered an investigation into the deaths of police officers. Inaccessible territory In March this year, 16 soldiers were killed in the Warduj district, while in Badakhshan province, British doctor Karen Wu was killed by six Americans, a German and two Afghans. The Taliban have also claimed responsibility for the deaths of 47 Afghan soldiers in a police operation in the area after the attack. You can read about the current security situation in Afghanistan, led by the BBC's Hindi-Address Translator on Badakhshan (2014).
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070809_jirga_afghanistan
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2007/08/070809_jirga_afghanistan
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अफ़ग़ान जिरगा में एकता का आहवान
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अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में कबायली नेताओं का सम्मलेन यानी लोया जिरगा शुरू हो गया है. सम्मेलन में तालेबान से लड़ने की रणनीति पर चर्चा होगी.
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पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को भी इस तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेना था, लेकिन वह किन्हीं वजहों से इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने सम्मेलन का उदघाटन करते हुए कहा कि सम्मेलन दोनो पड़ोसियों को नज़दीक लाएगा. चरमपंथ के मुद्दे पर बात करने के लिए जिरगा में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के करीब 700 क़बायली नेताओं, मौलवियों और नेताओं को आमंत्रित किया गया है. तालेबान को इसमें शामिल नहीं किया गया है. तालेबान ने प्रतिनिधियों से इस जिरगा के बहिष्कार का आहवान किया है. पाकिस्तान के उत्तर और दक्षिणी वज़ीरिस्तान के क़बायली नेताओं ने भी सम्मेलन में आने का निमंत्रण ठुकरा दिया है. निराशा करज़ई ने अपने संबोधन में कहा, "हमें बहुत गर्व है कि यह शांति जिरगा दो देशों, दो भाइयों और दो पड़ोसियों को पास लाया है." उनका कहना था, "मुझे विश्वास है अगर अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान दोनों अपने हाथ मिला लें तो हम एक दिन में ही दोनों देशों के ख़िलफ़ हो रहे दमन को दूर कर सकते हैं". उन्होंने कहा, "इसमें शक नहीं होना चाहिए कि ये जिरगा सफल होगा." राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने अपनी जगह प्रधानमंत्री शौकत अज़ीज़ को सम्मेलन में भेजा है और राष्ट्रपति करज़ई को 'पूर्ण समर्थन' का भरोसा दिलाया है. अफ़ग़ानिस्तान सरकार का कहना है कि मुशर्रफ़ का न आना निराशाजनक है. करज़ई के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने सम्मेलन में लोगों को शामिल होने के लिए राज़ी करने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मुशर्रफ़ के नहीं आने से जिरगा का महत्व कम होगा. वजह बीबीसी संवाददाता का कहना है कि हो सकता है कि मुशर्रफ़ ने सम्मेलन में न जाने का फ़ैसला अमरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के उस बयान के बाद लिया हो, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान 'आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध' में विफल रहा है. हालाँकि अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता सीन मैककोरमैक ने मुशर्रफ़ के सम्मेलन में किसी भी दिन हिस्सा लेने की संभावना से इनकार नहीं किया है. चरमपंथी हिंसा से निपटने के उपाय तलाशने के लिए इस जिरगा का आयोजन किया गया है और इसमें अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की मुख्य भूमिका रही है. बुश की मंशा पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान को एक मंच पर लाना था ताकि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में जारी चरमपंथी हिंसा से निपटा जा सके. जिरगा जिरगा अफ़ग़ानिस्तान की एक अनूठी संस्था है जिसमें सभी पख़्तून, ताजिक, हज़ारा और उज़्बेक कबायली नेता एक साथ बैठते हैं, इनमें शिया और सुन्नी दोनों शामिल होते हैं. यहाँ देश के मामलों पर विचार विमर्श कर फ़ैसले लिए जाते हैं. अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान संयुक्त शांति जिरगा का विचार अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने अमरीकी राष्ट्रपति बुश के साथ पिछले दिनों हुई मुलाकात में दिया था. हामिद करज़ई का कहना था कि वे जिरगा को सीमा के दोनों ओर पश्तून समाज को दोबारा शुरु करने की कोशिश मानते हैं ताकि तालेबान के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके. तालेबान के समर्थकों का कहना है कि उनके बगैर की गई बातचीत का कोई फ़ायदा नहीं होगा. पाकिस्तान की जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के महासचिव अब्दुल गफ़ूर हैदरी ने एपी को कहा, "ये सिर्फ़ दिखावा है, ये अफ़गान लोगों के असल विचार नहीं दर्शाता." बीबीसी के बिलाल सरवरी का कहना है कि काबुल में जिरगा को लेकर लोगों को कुछ उम्मीदें हैं. उन्होंने बताया कि काबुल में पाकिस्तानी झंडों का दिखना असामान्य सी बात है क्योंकि दोनों देश के बीच संबंध अच्छे नहीं है.
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Call for unity at Afghan Jirga
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A conference of tribal leaders, the Loya Jirga, has begun in the Afghan capital, Kabul, to discuss strategies to fight the Taliban.
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The President of Pakistan, General Jirga Pervez Musharraf, was also supposed to attend this unusual three-day conference. Pakistani tribal leaders from North and South Waziristan also declined the invitation. President Karzai said in his speech, "We are very proud to say that this peace conference has been sent to Kabul again. We are not going to bring violence to Kabul again, although the spokesman for the people of Pakistan, George A. Bush, said that the American people are looking for President Abdul-Karzan Jirga, without any reason." Afghan President Hamid Karzai, opening the conference, told the BBC that if Afghanistan and Pakistan join hands, then the conference will bring the two neighbors closer. I believe that if Afghanistan and Pakistan join hands, then we can meet in one day to discuss the issue of extremism. Hamid Karzai, the head of the Afghan Taliban, said that the Taliban's decision to come to the Jirga is not a good sign for both countries. The Taliban has not been able to meet the representatives of Pakistan and South Waziristan in order to meet with the Afghan government, and that President Musharraf's role in the conference will not be less important. President Karzai said to the Prime Minister that Pakistan's decision to meet with President Musharraf in order to discuss the issue of peace in the coming days. "President Musharraf's statement that Pakistan's role in the conference is not less important, and President Musharraf's statement to President Musharraf that Pakistan's statement that Pakistan's participation in a joint statement on the issue of terrorism is not a reason for Pakistan's participation in the conference. President Bush's statement that Pakistan's participation in a joint statement with Pakistan's statement, President Bush did not come to Kabul to Kabul to Kabul to Kabul, but President Bush's statement that the Afghan President Bush's statement that Pakistan's statement on the Afghan peace conference is not a joint statement, but President Bush's statement, the Afghan President Bush said that Pakistan's participation in order to Pakistan's statement, the Afghan President Karzai's statement to Pakistan's statement, the Afghan President Bush's statement, the Afghan President Bush's statement was not a joint statement to Pakistan's statement to Pakistan's statement, the Afghan President's statement, which is not a joint statement, which is not a joint statement, which is not a joint statement, which is not a joint statement, which is not a joint statement
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060728_jaipur_rajgharana
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/07/060728_jaipur_rajgharana
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राजघराने के पोते ने जयदाद में हिस्सा माँगा
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भारत के प्रतिष्ठित पूर्व राजघरानों में से एक - जयपुर के पूर्व राज परिवार में संपत्ति को लेकर कलह अब जग ज़ाहिर हो गई है. पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पोते देवराज सिंह ने जायदाद में हिस्सा माँगा है.
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देवराज सिंह पूर्व राजमाता गायत्री देवी के एक मात्र पुत्र स्वर्गीय जगत सिंह की संतान हैं. देवराज की माँ और थाई राजवंश की प्रियवंदना रंगसित भी अपने बेटे को विरासत का हक़ दिलवाने जयपुर आई हैं. प्रियवंदना और देवराज ने आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने जगत सिंह की फर्ज़ी वसीयत प्रस्तुत कर उन्हें संपत्ति के अधिकार से वंचित करने का षड्यंत्र रचा. देवराज और उनकी बहन लालित्या ने जयपुर में मीडिया से कहा,"हमें पिता की विरासत में हिस्सा चाहिए." जगत सिंह ने थाइलैंड की राजकुमारी प्रियवंदना से विवाह किया था. देवराज और लालित्या उन्हीं की संतान हैं. जगत और प्रियवंदना के दांपत्य जीवन का प्रारंभिक समय तो ठीक निकला. लेकिन 1987 में दोनों में तलाक हो गया और प्रियवंदना अपने दोनों बच्चों के साथ बैंकॉक चली गईं. अब यह परिवार भारत में है और जयपुर की भव्य पाँच सितारा होटल जयमहल पैलेस में अपना हिस्सा चाहता है. जगत सिंह जयमहल पैलेस के मालिक थे. पूर्व राजमाता गायत्री देवी इस समय विदेश में हैं और इस बारे में उनके विचारों का पता नहीं चल सका है. अपने पिता की तरह ही ख़ूबसूरत और आकर्षक, 25 वर्षीय देवराज ने ब्रिटेन से प्रबंधन में शिक्षा ग्रहण की है जबकि उनकी बहन लालित्या ने बैंकॉक से राजनीतिशास्त्र में एमए किया है. देवराज कहते हैं कि उन्हें तब झटका लगा जब पिता की मौत के नौ साल बाद एकाएक एक वसीयत पेश कर उन्हें संपत्ति से वंचित कर दिया गया. 23 जून 1996 की तिथि वाली इस वसीयत में जगत सिंह ने अपनी ही संतान को संपत्ति से वंचित करने की बात कही है. लेकिन देवराज इस वसीयत की सच्चाई को चुनौती देते हैं. सवाई मानसिंह द्वितीय जयपुर के अंतिम राजा थे. बाद में सभी राजवंशों का राजस्थान में विलय हो गया था. मानसिंह ने तीन शादियाँ की थी. पहली रानी मरूधर कंवर से ब्रिगेडियर भवानी सिंह पुत्र हैं, तो दूसरी रानी किशोर कंवर से पृथ्वीराज और जयसिंह दो पुत्र हैं. मानसिंह ने तीसरी शादी गायत्री देवी से किया था और जगत सिंह उन्हीं की संतान थे. देवराज की अपनी दादी गायत्री देवी से अच्छे रिश्ते थे. लेकिन अब देवराज कहते हैं कि प्रयासों के बाद भी बात नहीं हो पा रही है. तीन साल पहले देवराज अपनी बहन लालित्या के साथ जयपुर आए थे. तब उन्हें सिटी पैलेस का आतिथ्य मिला जहां भवानी सिंह परिवार सहित रहते हैं. भवानी सिंह की भी अपने भाइयों से ख़ास नहीं बनती. देवराज कहते हैं कि उनके पिता के सौतेले भाई ने संपत्ति पर अधिकार जमाया है. देवराज ने जय महल पैलेस को लेकर भारत के कंपनी लॉ बोर्ड में कार्रवाई की है. भारत के पूर्व राजघरानों में धन संपत्ति को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. जयपुर राजघराने की संपत्ति एक हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा की आंकी जाती है.
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The grandson of the royal family asked for a share in the jaydah
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The feud over property in the erstwhile royal family of Jaipur - one of India's prestigious erstwhile royal families - has now come to the fore. Devraj Singh, the grandson of former Rajmata Gayatri Devi, has asked for a share in the property.
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Devraj Singh is the child of late Jagat Singh, the only son of the former Rajmata Bhawani Gayatri Devi. Devraj's mother and Priyavandana Rangsit of the Thai dynasty have also come to Jaipur to give their son the right of inheritance. Jagat Singh was the owner of the Jaymahal Palace. Priyavandana and Devraj have alleged that some people conspired to deprive Jagat Singh of his property rights by presenting him with a fake will. Devraj and his sister Lalitya told the media in Jaipur, "We want a share in our father's inheritance." Jagat Singh married Princess Priyavandana of Thailand. Devraj and Lalitya are his children. Jagat and Priyavandana are married. Devraj and Devraj divorced in Rajasthan in 1987. Devraj and Kanwar said that Devraj and Devraj did not talk about their two children. Devraj and Devraj said that Devraj's family did not talk about the Hajar 1996. Now this family is in India. Devraj's mother and Priyavandana Rangsit of the Thai dynasty also came to Jaipur to give their son the right of inheritance. While the former Rajmata Gayatri and his sister Jagat Singh lived abroad and did not know about it until the second year of their marriage. Devraj's sister's death. Devraj and Devraj's son Devraj Singh, Devraj's son, Devraj's son, Devraj, Devraj's son, Devraj's son, Devraj's sister, and Devraj's son, Devraj's son, Devraj's son, Devraj's son, Devraj's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's son, Rajmata's brother's son, Rajmata's property, Rajmata's son's property, Rajmata's property, Rajmata's property, Rajmata's property's property,'s property in Jaipur, and Rajgriotri's property in Jaipur. After 25 years of the Rajmoney's estate.
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070626_vv_maoist_strike
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2007/06/070626_vv_maoist_strike
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माओवादियों के बंद का झारखंड में असर
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माओवादियों ने तीन राज्यों बिहार, झारखंड और उड़ीसा में विशेष आर्थिक क्षेत्रों और सरकारों की आर्थिक नीतियों के विरोध में 48 घंटे की आर्थिक नाकेबंदी का आह्वान किया है.
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सोमवार की रात से शुरु हुई इस आर्थिक नाकेबंदी का झारखंड में व्यापक असर दिख रहा है. वहाँ हिंसा की कई घटनाओं के बाद 20 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं और कई का मार्ग बदला गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं और बसें भी नहीं चल रही हैं. बिहार में भी रात को दो विस्फोटों की ख़बरें मिली हैं. तीनों राज्यों में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं. झारखंड में असर सोमवार की रात बारह बजे इसकी शुरुआत करते हुए माओवादियों ने लातेहार के रिचुगुड़ा में बम विस्फोट करके रेलपटरी को उड़ा दिया. उन्होंने साथ में मालगाड़ी के एक इंजन और चार डिब्बों को भी उड़ा दिया. इस विस्फोट से ऊपर से जाने वाली बिजली के तार भी उड़ गए हैं और इस इलाक़े में बिजली ठप्प हो गई है. झारखंड के बीबीसी संवाददाता सलमान रावी के अनुसार माओवादियों ने ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड का अपहरण कर लिया है. इसके अलावा उन्होंने दुमका के अमरापाड़ा में एक कोयला ख़दान में छह ट्रकों को जला दिया और चार कर्मचारियों का अपहरण कर लिया. बाद में सुपरवाइज़र के अलावा बाक़ी तीन कर्मचारियों को छोड़ दिया गया है. माओवादियों ने पटरी पर आकर रात हावड़ा जोधपुर एक्सप्रेस को रोक लिया. इससे यात्री बेहद घबरा गए थे. लेकिन इसे कोई नुक़सान नहीं पहुँचाया गया है. धनबाद मंडल के रेल प्रबंधक अजय शुक्ला ने बीबीसी को बताया, "इन घटनाओं के बाद रेल प्रशासन ने 20 ट्रेनों को रद्द कर दिया है और कई ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए हैं." बीबीसी संवाददाता के अनुसार माओवादियों की नाकेबंदी के चलते राँची-गढ़वा राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सभी राजमार्गों पर यातायात बंद है. उनका कहना है कि बसें नहीं चल रही हैं. राँची के बस स्टैंड से बसों को रवाना नहीं किया गया है. उधर बिहार के संवाददाता मणिकांत ठाकुर ने ख़बर दी है कि आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत करते हुए माओवादियों ने मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में रेल पटरी के किनारे दो विस्फोट किए हैं. उनका कहना है कि इससे किसी नुक़सान की ख़बरें नहीं हैं. सुरक्षा इंतज़ाम माओवादियों की आर्थिक नाकेबंदी को ध्यान में रखते हुए बिहार, झारखंड और उड़ीसा के आला पुलिस अधिकारियों की एक बैठक सोमवार को पटना में हुई थी. इसमें सुरक्षा इंतज़ाम को लेकर व्यापक चर्चा हुई. इसके बाद झारखंड में जगह-जगह सुरक्षा-बलों को तैनात किया गया है. तीनों राज्यों के अधिकारियों ने फ़ैसला किया है कि नक्सलियों का पीछा करते हुए एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य की सीमा लाँघने की अनुमति दी जाएगी और इसको लेकर अधिकार क्षेत्र का सवाल नहीं उठाया जाएगा. बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि घने जंगलों और ग्रामीण इलाक़ों में सुरक्षा का पूरा इंतज़ाम करना सरकार के लिए संभव नहीं दिखता और वहाँ अभी भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं के बराबर है.
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Maoist bandh hits Jharkhand
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The Maoists have called for a 48-hour economic blockade in the three states of Bihar, Jharkhand and Orissa to protest against the Special Economic Zones and the economic policies of the governments.
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The economic blockade, which began on Monday night, has had a cascading effect in Jharkhand. After several incidents of violence, 20 trains have been cancelled and many have been diverted. Six trucks have been burnt and no buses are plying on national highways. Two explosions were also reported in a coal mine in Dumka's Amrapara. Security has been beefed up in all three states. The impact in Jharkhand began at 12: 00 pm on Monday. Security has been tightened in all three states. Maoists blew up a railway track at Richuguda in Latehar. They also blew up an engine and four coaches of a goods train. The blast also blew up overhead power lines and caused power outages in the Patna area. According to Jharkhand's BBC correspondent Salman Ravi, the Bihar police have replaced the highway security forces with security guards. In addition, they have also hijacked six trucks and four employees at a coal mine in Dumka's Amrapara. Three buses have been sent to the state's financial district of Manikabad for a meeting. The Jharkhand government has not yet given permission for a security cordon to be set up in the region. Security has been tightened in the region. The BBC 's security correspondent for the Jharkhand highway, Shukla, reports that the Jharkhand police have not stopped 20 security personnel at a railway station to prevent a possible attack. The Jharkhand government says that the Jharkhand security forces have been allowed to complete the economic blockade of the economic blockade at a railway track in Jharkhand' s Dhanmondi's Dhanmondi area. No security arrangements have been made to stop these state's Dhanmondi's railway station, but the BBC 's railway manager of the Jharkhand state administration says that the Jharkhand security has not stopped 20 security guards have been deployed to stop the railway station to stop it. Security forces have been stopped. Security forces have been stopped at a railway station to stop it. Security forces have been stopped.
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india-52589702
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https://www.bbc.com/hindi/india-52589702
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कोरोना: विदेश में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने की ये है सरकार की योजना
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पिछले 24 घंटों में भारत में कोविड-19 संक्रमण के 3,390 नए मामले सामने आए हैं और इनमें से 1,273 लोग इलाज के बाद ठीक भी हो चुके हैं.
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ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार शाम हुई प्रेस कान्फ्रेस में दी है. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह मंत्रालय की अधिकारी पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जो मज़दूर, छात्रों और पर्यटकों फंसे हुए हैं उन्हें उनके घर पहुंचाया जाए. इसके लिए सरकार ने विशेष बसें और ट्रेनें चलाने की इजाज़त दी है. विदेश से फंसे भारतीयों को लाने की क्या है याजना? इसकी कड़ी में सरकार की दूसरे बड़ी प्राथमिकता है विदेशों में फंसे लोगों को चरणबद्ध तरीके से देश वापस लाना. इसके लिए यात्रा की व्यवस्था नॉन-शेड्यूल्ड कमर्शियल फ्लाइट्स और नौसेना के जहाज़ों के द्वारा की गई है. समाप्त 7 मई से ये काम शुरु हो चुका है. इस कड़ी में नौसेना का एक जहाज़ मालदीव से 700 से ज़्यादा नागरिकों को वापस लाने का मिशन शुरू कर चुका है. इसके लिए विदेशों में फंसे लोगों को वहां मौजूद भारतीय दूतावास में अपना पंजीकरण कराना होगा. इसमें गर्भवती महिलाओं, छात्रों, वीज़ा अवधि समाप्त हो चुके लोगों और मेडिकल इमर्जेंसी वाले मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी. पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि यात्रा शुरु होने से पहले कोरोना के लिए यात्रियों की जांच की जाएगी और जिन यात्रियों में लक्षण नहीं होंगे केवल उन्हीं को यात्रा करने की इजाज़त दी जाएगी. सभी यात्रियों को सरकार को ये लिखित में देना होगा कि भारत आने पर कम से कम 14 दिनों के लिए अपने खर्चे पर क्वारंटीन सेंटर पर अनिवार्य क्वारंटीन में रहना होगा. भारत पहुंचने पर सभी यात्रियों की जांच की जाएगी और उन्हें आरोग्य सेतु ऐप पर खुद को रजिस्टर करना होगा. इस स्टेज पर यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें अस्पताल ले जाया जाएगा और बाकी यात्रियों को क्वारंटीन सेंटर जाना होगा. 14 दिनों के बाद कोरोना के लिए इस यात्रियों की फिर से जांच होगी. जो लोग किसी ज़रूरी कारण से विदेश जाना चाहते हैं उनके लिए भी व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि जिन विदेशी नागरिक वीज़ा अवधि ख़त्म हो रही है वो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, इसके लिए उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस कान्फ्रेस में कहा कि देश में अब तक कोरोना के कुल 56,342 मामले सामने आए हैं. इलाज के बाद अब तक कुल 16,539 लोग ठीक हो चुके हैं और देश में कोरोना के कुल 37,916 सक्रिय मामले हैं. लव अग्रवाल ने बताया कि कोरोना की मौजूदा रिकवरी रेट 29.36 फ़ीसदी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारतीय रेलवे ने 5,231 कोच विशेष 'कोविड केयर सेंटर' में बदल दिए हैं. इन सभी कोच को 215 स्टेशनों पर लगाया जाएगा और इनका इस्तेमाल कोरोना के 'माइल्ड और वेरी माइल्ड' मामलों के इलाज के लिए किया जाएगा. इनमें से 85 स्टेशनों पर स्वास्थ्यकर्मी और ज़रूरी दवाएं भी रेलवे मुहैया कराएगा. बाकी स्टेशनों पर राज्य सरकारें डॉक्टर और दवाएं उपलब्ध कराएंगी. इस योजना के लिए रेलवे ने 2,500 डॉक्टर और 35 हज़ार पैरा मेडिकल स्टाफ़ भी नियुक्त किए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अभी रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन्स की स्थिति की समीक्षा की जा रही है और आने वाले एक-दो दिनों में इस लिस्ट के बदलाव के बारे में जानकारी दे दी जाएगी. एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर जिसमें जून में भारत में संक्रमण का 'पीक' आने की बात कही गई थी, लव अग्रवाल ने कहा कि अगर हम फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करें और हर तरह के एहतियात बरतें तो हो सकता है कि पीक को अवॉइड किया जा सके. लव अग्रवाल ने ये भी कहा कि हमें अभी वायरस के साथ ही जीना पड़ेगा और अपनी आदतें बदलनी होंगी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Corona: This is the government's plan to bring back Indians stranded abroad
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In the last 24 hours, 3,390 new cases of COVID-19 infection have been reported in India and 1,273 people have recovered from the infection.
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These figures have been given by the Joint Secretary of the Union Health Ministry Lav Agarwal in the press conference held on Friday evening. In this press conference, the second big priority of the government is to bring back stranded Indians from abroad in a phased manner. The travel arrangements for this have been made by Lav Agarwal, Joint Secretary of the Union Health Ministry. The second big priority of the government is to bring back stranded Indians from abroad. The travel plan has been made by Randeep Agarwal, Joint Secretary of the Ministry of Health. It has been started since May 7. It has been put into practice online. We will be asked to give visas online. In this stage, the governments will give us information about AIIMS, AIIMS, June, June, June, 2020, in which 700 citizens will be brought back from Maldives. In the same press conference, Punya Salila Srivastava, Health Secretary of the Ministry of Home Affairs, told us that the Indian Railways will be able to reduce their travel time. The Secretary of the Ministry of Health and Family Welfare has also given permission to run 35 special buses and trains for the treatment of stranded Indians who are stranded in different parts of the country. For this purpose, the Ministry of Health Ministry has made it mandatory for the remaining cases to be tested for corona to reach the country in a phased manner. These special cases will also be allowed to be tested for corona to reach the rest of the country. For this reason, the passengers who have been tested in the Ministry of Health Services, the Ministry of Health Ministry of Avania, and Avania staff will be made aware of the status of Punya and Punya for this purpose. The passengers will be tested for this reason that they will be tested for this reason. The passenger's travel time will be conducted in a joint medical check of Punya for this will be done in India, and will be done in 14 days, and the Health Ministry of India. The doctors will be told that they will be told that they will be told about the country's medical staff will be given to the country's medical staff and physical center in India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, India, will be changed.
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040601_julia_pregnancy
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2004/06/040601_julia_pregnancy
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जूलिया रॉबर्ट्स बनेंगी जुड़वाँ बच्चों की माँ
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प्रेटी वूमन,माई बेस्ट फ़्रेंड्स वेडिंग और अमेरिकन स्वीटहार्ट जैसी फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स माँ बननेवाली हैं और वे जुड़वाँ बच्चों को जन्म देंगी.
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उनकी एक प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि जूलिया अगले साल के आरंभ में माँ बनेंगी. प्रवक्ता ने बताया कि जूलिया के परिवार में पहले भी जुड़वाँ बच्चे पैदा होते रहे हैं. उनकी परदादी और कुछ चचेरे-भाई बहन भी जुड़वाँ पैदा हुए थे. पहली बार 36 वर्षीया अमरीकी अभिनेत्री जूलिया पहली बार माँ बनेंगी. जूलिया ने दो साल पहले कैमरामैन डेनियल मोडर से शादी की थी जो उनसे एक वर्ष छोटे हैं. दो साल पहले भी उनके गर्भवती होने को लेकर अफ़वाह उड़ी जो बाद में अफ़वाह ही रह गई. तब जूलिया ने कहा था,"मुझे लगता है कि बच्चे स्वर्ग की देन होते हैं और मेरे पास उसकी समयसारिणी नहीं है". मगर इस बार फिर उनके माँ बनने की हवा उड़ी इटली में उनकी एक तस्वीर के आने के बाद जिसमें वे गर्भवती लग रही थीं. अभिनय जूलिया रॉबर्ट्स को हॉलीवुड में साफ़ सुथरी और सशक्त अभिनय के लिए जाना जाता है. उनकी सादगी भरे अंदाज़ के कारण कई बार उन्हें गर्ल नेक्स्ट डोर का नाम भी दिया गया. जूलिया ने इरिन ब्रोकोविच फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पुरस्कार हासिल किया था. 1990 में उन्हें प्रेटी वूमैन फ़िल्म के लिए सर्वेश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. 1989 में स्टील मैग्नोलिआज़ फ़िल्म में उन्हें ऑस्कर पुरस्कार में सह अभिनेत्री वर्ग में नामांकित किया गया. हाल ही में उन्होंने मोनालिसा स्माइल में मुख्य रोल निभाया और फ़िलहाल वे 2001 की हिट फ़िल्म ओशन्स एलेवन की अगली कड़ी ओशन्स ट्वेल्व में काम कर रही हैं.
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Julia Roberts is going to be a mother of twins
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Actress Julia Roberts, known for films like Pretty Woman, My Best Friend's Wedding and American Sweetheart, is expecting twins.
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A spokeswoman told the BBC that Julia would become a mother early next year. Julia's family has been blessed with twins before. Her great-grandmother and some cousins were also born. Julia, a 36-year-old American actress, became a mother for the first time. Julia married cameraman Daniel Moder two years ago. Julia was one year younger than her. Rumors about her pregnancy began to circulate two years ago. Rumors about her pregnancy were later debunked. Julia said, "I think babies are a gift from heaven, and I don't have a timeline." But this time her motherhood was confirmed after a photo of her in Italy in 2001 appeared to be pregnant. Julia Roberts is known for her clean and strong acting in Hollywood. Her simple style has earned her several nominations, including Best Actress in a Leading Role for Dorianne Broglowitz's next film, Oscar and Best Actress in a Leading Role for Elle. Julia Broglowitz, who was recently nominated for the Oscar for Best Actress in a Leading Role for her performance in the film Elle.
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130709_andy_murray_sb
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https://www.bbc.com/hindi/sport/2013/07/130709_andy_murray_sb
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हार जाता तो शायद उबर ना पाता: मरे
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मैंने जब विंबलडन की ट्रॉफ़ी देखी तो मुझे लगा कि उस पर मेरा नाम नहीं है. मैं समझ नहीं पाया कि ये क्या हो रहा है.
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एंडी मरे ने ब्रिटेन के लिए 77 सालों का सूखा ख़त्म कर दिया सेंटर कोर्ट पर उस ऐतिहासिक ट्रॉफ़ी को उठाना एक अद्भुत अहसास था लेकिन जब मैं विजेताओं की सूची देख रहा था तो उसमें मेरा नाम कहीं नहीं दिखा. ऐसा लगता है कि इतने सालों में विजेताओं के नाम लिखते-लिखते जगह ही नहीं बची है. मेरा नाम सबसे आख़िर में लिखा गया है लेकिन ये तो तय है कि मेरा नाम वहाँ पर है. चैंपियंस डिनर के बाद मुझे सोने के लिए सिर्फ़ डेढ़ घंटा नसीब हुआ लेकिन सुबह उठकर उस विंबलडन ट्रॉफ़ी के बगल में बैठकर नाश्ता करना यथार्थ से परे जैसा एक अनुभव था. इस प्रतियोगिता का इतना वृहद इतिहास रहा है, जिसे मैं बचपन में समझ नहीं पाता था. विंबलडन जीतने की चाहत ज़रूर थी लेकिन ये पता नहीं था कि इतने सालों में यहां पर क्या-क्या हुआ है. जब आप सेंटर कोर्ट की तरफ़ जाते हैं तो तकरीबन 1920 से लेकर अब तक के सभी विजेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं और हर उस मैच को याद करना एक दबाव पैदा करता है. अब ये सोच कर बहुत अच्छा लगता है कि मैं भी उनमें से एक हूं. यक़ीन जानिए विंबलडन प्रतियोगिता से एक हफ़्ते पहले ही मैं अपनी टीम से विंबलडन म्यूज़ियम के बारे में बात कर रहा था. उन्होंने कहा कि वो मुझे ले जाएंगे क्योंकि वो काफ़ी अच्छा है. मैंने ट्रॉफ़ी हाथ में लेकर फ्रेडी पेरी के साथ तस्वीर भी खिंचवाई. वो एक महत्वपूर्ण पल था. हम सभी जानते हैं कि वह टेनिस की दुनिया की कितनी बड़ी शख़्सियत हैं और मेरे पूरे टेनिस करियर में मुझे उनकी याद दिलाई जाती रही है. फ़ाइनल मैच जीतने के लिए मरे को सर्बिया के नोवाक जोकोविच से कड़ा मुकाबला करना पड़ा. पेरी निश्चित तौर पर एक महान खिलाड़ी थे लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि हमें नया चैंपियन मिलने में अब उतना वक्त नहीं लगेगा. फ़ाइनल मुक़ाबला मानसिक तौर पर मेरे लिए अब तक का सबसे ज़्यादा मुश्किल मैच था. मेरे दिमाग़ में बस यही चल रहा था कि यही वो जगह है जहाँ मैं पहले सर्व पर पहला प्वाइंट लूँगा. ये बात मैं बहुत अच्छी तरह से समझता हूं कि आँकड़ों पर उसका क्या असर होता है जब आप सर्व पर पहला प्वाइंट जीतते हैं. मैं सिर्फ़ उसी पर ध्यान लगा रहा था. जब स्कोर 40-30 पर पहुंचा तब मैं वाकई नर्वस महसूस कर रहा था. ख़ासकर जब नोवाक ने ब्रेक प्वाइंट बनाया तो वो डरावना था. मैं ये ज़रूर कहना चाहूंगा कि अगर मैं हार जाता तो पता नहीं उबर पाता या नहीं. उससे बाहर निकलना राहत की बात थी और कह नहीं सकता कि मैं दोबारा कभी उस तरह का दबाव महसूस करूंगा या नहीं. मैं जब से विंबलडन के लिए आने लगा हूं तब से बहुत कुछ बदल चुका है. ज़ाहिर है अपेक्षाएं और दिलचस्पी भी बहुत ज़्यादा बढ़ गई है. इन बातों से निपटना थोड़ा मुश्किल है. जब मैं छोटा था तो ग़ुस्सा आता था क्योंकि उतनी परिपक्वता नहीं थी कि उन बातों को समझ सकूं. ये बात वाकई परेशान करती है जब अनजाने लोग आपकी बुराई करते हैं. लोग जब आपके, परिवार के बारे में और आपके आस-पास के लोगों के बारे में बातें करते हैं तो ये मानसिक तौर पर चुनौतीपूर्ण होता है. कई बार आप ख़ुद पर शक़ करने लग जाते हैं. क्या मैं सही लोगों के साथ काम कर रहा हूं क्या मैं सही जगह से ट्रेनिंग ले रहा हूं क्या मेरा कोच सही है ये सब आसान नहीं होता. हालांकि अच्छी बात ये है कि शायद अब मैं अपनी इस टीम के साथ करियर के अंत तक काम कर पाऊंगा. इस सबके बीच में मुझे एक बात का अहसास और हुआ है कि परिवार बहुत मायने रखता है. जब आप 35 या 40 साल की उम्र के लोगों के साथ काम करते हैं तो वो 40 हफ़्ते तक अपने परिवार से दूर रहना नहीं चाहते. मैंने अपने कोच मार्क पेची के साथ काम करना शुरू किया तो हमारे बीच एक अच्छा तालमेल बना. वह बहुत अच्छे इंसान हैं और मेरा उनके साथ अच्छा रिश्ता बन गया है. जब मैं लंदन में था तो उनके ही परिवार के साथ रहा और हमने साथ में यात्राएं की लेकिन बाद में वह अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे. मरे को लगता है विंबलडन की ये जीत अपेक्षाओं का दबाव और बढ़ा देगी. मुझे ये समझ आ गया कि जब मेरे साथ के लोगों के बच्चे होते हैं तो वो 40 हफ्ते के लिए बाहर रहना नहीं चाहते. पहले लोगों को लगता था कि मैं अपने आस-पास लोगों की टीम क्यों रखता हूं लेकिन अब बाक़ी खिलाड़ी भी ऐसा ही कर रहे हैं. उम्मीद है हम साथ में मिल कर कुछ और ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीत पाएंगे मगर कितने ये नहीं कह सकता. अगर मैं नंबर एक रैंकिंग हासिल कर पाता हूं तो वो बहुत अच्छा होगा लेकिन मेरी नज़र अब ग्रैंड स्लैम जीतने पर ही टिकी है. मैं बड़े मुकाबले जीतने की कोशिश करूंगा. रैंकिंग अगर आनी होगी तो आ जाएगी. मैं समझता हूं कि दबाव बहुत ज़्यादा होगा लेकिन शायद पिछले सालों के मुकाबले ये कुछ भी नहीं है. पूरी उम्मीद है कि दर्शक मुझे वैसा ही हौसला देंगे जैसा उस रविवार को दिया था जब मैने विंबलडन का सबसे बेहतर क्षण महसूस किया. मैं हमेशा से कहता आया हूं कि दर्शकों के हौसले से बहुत मदद मिलती है. मैं सबको धन्यवाद देना चाहता हूं. उम्मीद है कि अगले साल भी हम इसे दोहरा पाएंगे लेकिन उस सबसे पहले फ़िलहाल वक्त है कुछ आराम करने का है. (बीबीसी स्पोर्ट्स के पियर्स न्यूबेरी से बातचीत पर आधारित) (बीबीसी हिंदी का एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें. ख़बरें पढ़ने और अपनी राय देने के लिए हमारे फ़ेसबुक पन्ने पर भी आ सकते हैं और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)
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Had he lost, he might not have recovered: Murray
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When I saw the trophy at Wimbledon, I thought my name wasn't on it. I didn't understand what was going on.
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Andy Murray really woke me up after the Champions Dinner, just woke me up next to that Wimbledon trophy, just had an hour and a half to catch my breath. It's been such a great experience. It's been such a great experience. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so long since I was able to wake up in the morning. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been a week. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It's. It's been a week. It's been so much fun. It's been so much fun. It's been so much fun. It 'said. It' s been so much fun. It 's been so much fun. It' s been so much fun. It 'said. It' s been so much fun. It 's been so much fun. It' s been so much fun. It 's been so much fun. It' s been so much fun. It 's been so much fun. It' s been so much fun. It 's been so much fun. It' s. It 's been so much fun. It' s been
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130117_us_gun_debate_ss
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https://www.bbc.com/hindi/international/2013/01/130117_us_gun_debate_ss
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बंदूकों पर लगाम लगाने का प्रस्ताव
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अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बंदूकों के इस्तेमाल पर नियंत्रण के लिए नए प्रस्ताव सामने रखे हैं.
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ओबामा ने कहा था कि वे बंदूकों पर नियंत्रण के लिए कोई उपाय करेंगे पिछले दो दशकों में ये सबसे व्यापक प्रस्ताव है और इन प्रस्तावों के बाद ही ओबामा और बंदूक रखने का अधिकार रखने के क़ानून की वकालत करने वाले समूह आमने-सामने आ गए हैं. इन प्रस्तावों में हथियारों और उच्च क्षमता वाली गोलियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ बंदूक खरीदने वाले लोगों की पृष्ठभूमि की जांच करना शामिल है. डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति ओबामा ने इसी मुद्दे पर 23 ऐसे फैसले लिए हैं जिसके लिए अमरीकी संसद की सहमति की जरुरत नहीं है. पिछले महीने कनेक्टीकट राज्य में एक बंदूकधारी ने न्यूटाउन के सैंडी हुक एलिमेन्टरी स्कूल में 26 लोगों को गोलियों से भून डाला था. इस हमले में मारे जाने वालो में 20 बच्चे और छह लोग शामिल थे. इसके बाद से वहाँ बंदूकों की आसानी से उपलब्धता पर सवाल उठने लगे थे. प्रस्ताव इस हमले के बाद बराक ओबामा को कई बच्चों ने चिट्ठी भी लिखी थी. बुधवार को व्हाइट हाउस में इन प्रस्तावों को पेश करते समय ये बच्चे भी वहां मौजूद थे. इस घटना के एक महीने बाद बराक ओबामा ने कहा कि बंदूक के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए तुरंत काम करना होगा. उनका कहना था, ''इस हिंसा को कम करने के लिए हम ये एक काम तो कर ही सकते हैं, अगर एक जिंदगी बचाई जा सकती है तो हमारा दायित्व है हम इसके लिए कोशिश करें.'' लेकिन अमरीका में बंदूक रखने की वकालत करने वाले समूह नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन का कहना है, '' हमारा देश जिस तरह के संकंट को झेल रहा है उसे देखते हुए ये प्रस्ताव कोई समाधान नहीं पेश करता.'' इस समूह ने वक्तव्य जारी करके कहा,'' इन प्रस्तावों से बंदूक रखने वाले केवल ईमानदार और क़ानून का पालन करने वाले लोगों पर ही प्रभाव पड़ेगा और हमारे बच्चे ऐसी त्रासदियों में असुरक्षित ही रहेंगे.'' ओबामा ने संसद से अपील की वो सेना के इस्तेमाल में आने वाले घातक हथियारों, जिनका पिछली शूटिंग में इस्तेमाल किया गया था उनकी खरीदारी पर दोबारा प्रतिबंध लगाए जाए. मुश्किल गोलियों की संख्या कम करने और सुरक्षा कवच को भेद कर जानी वाली गोलियों को रखने और उनकी ब्रिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए. जो भी व्यक्ति हथियारों की तस्करी करता है उस पर सख्त जुर्माना लगाया जाए विशेषतौर पर उन गैर लाइसेंसधारी डीलरों के खिलाफ जो अपराधियों के लिए ये खरीदते हैं. लेकिन इन प्रस्तावों को पेश करते हुए उन्होंने ये भी माना कि इन पर संसद में सहमति पाने के लिए काफी विरोध का सामना भी करना पड़ेगा. उनका कहना था, ''ये काफी मुश्किल होगा.'' अगर आकड़ो को देखा जाए तो अमरीका में बंदूक रखने वालों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. अमरीकी संविधान में किए गए दूसरे संशोधन के मुताबिक लोगों के बंदूक रखने के अधिकार है और उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए.
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Proposal to curb guns
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US President Barack Obama has put forward new proposals to curb the use of guns.
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Obama said he would take measures to control guns. This is the most comprehensive proposal in the last two decades. And after these proposals, Obama and the groups advocating gun ownership law have come face to face. These proposals include banning the purchase of firearms and high-capacity bullets, as well as checking the background of people who buy guns. The Democratic President Obama will be present at the White House on Wednesday, according to these proposals. These children will also be present when these proposals are presented to the White House. They will be very strict. This is a very serious proposal to curb the lives of children in the United States after this incident. This is the most lethal proposal that the Obama administration has ever made to the children who use guns in the United States. "If these guns are used in order to reduce the number of children who use them," he said. The gun owners and the association of Barack Obama said, "If we use a special gun to reduce the number of people who use them, then it will be difficult for us to use a special gun." To use a gun in order to "reduce the number of people who are using a particular gun," he said. "If we use a gun in order to reduce the number of people who die in this country," Obama said, "If we use a special gun control law is used in order to reduce the number of people."
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/05/150517_madhvan_bollywood_tanu_weds_manu_interview_ac
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पसंद नहीं लवरबॉय इमेज: माधवन
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आर माधवन ने कई सफल फ़िल्मों में काम करने के बाद तीन साल के लिए फ़िल्मों से भला दूरी क्यों बनाए रखी?
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'रहना है तेरे दिल में', 'रंग दे बसंती', 'तनु वेड्स मनु' और 'थ्री इडियट्स' जैसी फ़िल्मों में उनके काम की ख़ासी चर्चा हुई थी. माधवन ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के साथ अपने बॉलीवुड करियर को एक बार फिर से शुरू कर रहे हैं. 44 वर्षीय अभिनेता ने फिल्मों से इसलिए दूरी बनाकर रखी क्योंकि वो अपने काम से खुश नहीं थे. पर क्यों? पसंद नहीं लवरबॉय इमेज बीबीसी से खास बातचीत में आर माधवन ने बताया," मैं अपने चाहने वालों का मनोरंजन अच्छे से कर सकूं इसलिए मैंने तीन साल का ब्रेक लिया. समाप्त जब से मैं बॉलीवुड में आया हूं, अपनी पहली फ़िल्म, 'रहना है तेरे दिल में' से लेकर अब तक सब लोग मुझे मेरे उस फिल्म के किरदार के नाम 'मैडी' से ही बुलाते हैं. लोग मुझे रोमांटिक फ़िल्मों के साथ ही जोड़ते हैं. 'थ्री इडियट्स' में मेरा किरदार अलग था इसके बावजूद मेरी यह इमेज ख़त्म नहीं हुई. मैं 44 साल का हो गया हूं और मुझे लगता है कि यह इमेज मेरे लिए अच्छी नहीं है. ऐंक्टिंग की भूख अब भी किसी स्कूल जाता हूँ तो 16 साल की लड़कियाँ मुझे मैडी कहकर पुकारती हैं और हॉट कहती हैं. मेरे लिए यह कोई ख़ुशी की बात नहीं, सोचने की बात है कि मैं कर क्या रहा हूँ? मैं अपने अंदर ऐक्टिंग की उसी भूख को दोबारा पैदा करना चाहता हूं. फिर से अपने काम को लेकर असुरक्षित रहना चाहता हूं इसलिए जब लंबे अंतराल के बाद ये फ़िल्म, 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' की तो उसी घबराहट और उसी सोच के साथ की जैसे ये मेरी पहली फ़िल्म हो. कहानी ज़रूरी हैं बॉडी नहीं सिक्स पैक बनाने पर माधवन कहते हैं, ''मरी अगली फ़िल्म है 'साला खडूस' जो पहलवानों पर है." वो कहते हैं, "फ़िल्म में आपको मेरी बॉडी दिख जायेगी. रही बात 6 या 8 पैक की तो वो मैंने नहीं बनाये क्योंकि मेरा मानना हैं कि फिल्म के लिए कहानी ज़रूरी होती है 6 पैक नहीं.'' (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Don't like Loverboy Image: Madhavan
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After working in many successful films, why did R Madhavan keep a distance from films for three years?
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His work in films like Rehnaa Hai Terre Dil Mein, Rang De Basanti, Tanu Weds Manu and 3 Idiots was much talked about. Madhavan is re-launching his Bollywood career with Tanu Weds Manu Returns. The 44-year-old actor stayed away from films because he was not happy with his work. But why? I am 44 years old and I feel that it is important for me to have a Hindi film packaged like a six-year-old and it's not a story for me to be hungry for my next film, "says R Madhavan.
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151223_nargis_fakhri_pakistan_mobile_ad_pkp
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/12/151223_nargis_fakhri_pakistan_mobile_ad_pkp
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नरगिस के विज्ञापन पर पाकिस्तान में हंगामा
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बॉलीवुड हीरोइन नरगिस फाखरी के एक उर्दू अख़बार में छपे विज्ञापन से पाकिस्तान में हंगामा मच गया है.
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लोग इसके लिए अख़बार और नरगिस फाखरी की आलोचना कर रहे हैं तो वहीं कई इस पर चटखारे भी ले रहे हैं. उर्दू अख़बार 'जंग' के 20 दिसंबर के अंक में नरगिस एक मोबाइल फ़ोन के विज्ञापन में पहले पन्ने पर नज़र आ रही हैं. वह लेटी हुई हैं और उनके हाथ में फ़ोन है. पाकिस्तान के कई ट्विटर यूज़र इसे सस्ता और भद्दा विज्ञापन बता रहे हैं. जंग मीडिया ग्रुप के ही एक वरिष्ठ संपादक अंसार अब्बासी ने लिखा, "पहले पन्ने पर छपे इस बेहूदा विज्ञापन पर मैं जंग ग्रुप के टॉप मैनेजमेंट से अपना विरोध जताता हूं." समाप्त वक़्त टीवी के एंकर मतिउल्लाह जन ने ट्वीट किया, "मैं अंसार अब्बासी से सहमत हूं. नरगिस के ख़ूबसूरत फ़िगर का भला इस मोबाइल फ़ोन और उसके सस्ते होने से क्या वास्ता." मोहम्मद आमेर नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, "एक प्रतिष्ठित अख़बार प्लेबॉय जैसी पत्रिका बनने की कोशिश क्यों कर रहा है. ऐसे विज्ञापन पत्रिकाओं में अच्छे लगते हैं, अख़बारों में नहीं." मानवाधिकार कार्यकर्ता जिबरान नासिर ने ट्वीट किया, "एक तरफ़ तो 'जंग' महिला सशक्तीकरण की बात करता है, दूसरी तरफ़ पैसे कमाने के लिए ऐसे बेहूदा विज्ञापन छापता है. कहां गए आपके मूल्य." इस मामले पर नरगिस फाखरी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, "मैं पिछले तीन साल से इस मोबाइल कंपनी की ब्रांड एंबेसडर हूं और इससे पहले ऐसा होहल्ला कभी नहीं हुआ. मैंने इस कंपनी के टीवी विज्ञापन के लिए काम किया था. मुझे नहीं पता था कि वो इस विज्ञापन को उर्दू अख़बार में भी इस्तेमाल करेंगे. ये मोबाइल कंपनी पाकिस्तान में ख़ासी प्रतिष्ठित है. तो मैंने और मेरी टीम ने विज्ञापन को किस तरह से इस्तेमाल करना है, ये उन पर छोड़ दिया था." सैयद अली अब्बास ज़ैदी ने क्रिकेटर शाहिद अफ़रीदी की बिलकुल नरगिस फाखरी वाले अंदाज़ में एक अख़बार के पहले पन्ने पर लेटी हुई तस्वीर डाली और लिखा, "नरगिस फाखरी के विज्ञापन पर पाकिस्तान में हास्यास्पद प्रतिक्रियाएं." पाकिस्तान मीडिया वॉच नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट हुआ, "नरगिस फाखरी ने अकेले ही पाकिस्तान में उर्दू अख़बारों की रीडरशिप एकदम से बढ़ा दी." फ़वाद हुसैन का ट्वीट था, "नरगिस फ़ाखरी के ख़ूबसूरत फ़िगर से जलने के बजाय जिम जाओ और अपनी बॉडी को दुरुस्त करो." ट्विटर यूज़र सैयद अली अब्बास ज़ैदी ने ट्वीट किया, "एक ख़ूबसूरत फ़िगर वाली लड़की का विज्ञापन छपने पर लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं और मुमताज़ क़ादरी जैसे हत्यारे का सम्मान करने से लोगों की शान बढ़ती है." मुमताज़ क़ादरी एक पूर्व पुलिस अधिकारी थे जिन्हें पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई थी. पाकिस्तान में कई लोगों ने सलमान तासिर पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था और उनकी हत्या को जायज़ ठहराते हुए क़ादरी को अपना हीरो बताया था. (बीबीसी मॉनिटरिंग दुनिया भर के टीवी, रेडियो, वेब और प्रिंट माध्यमों में प्रकाशित होने वाली ख़बरों पर रिपोर्टिंग और विश्लेषण करता है. आप बीबीसी मॉनिटरिंग की ख़बरें ट्विटर और फेसबुक पर भी पढ़ सकते हैं.) (बीबीसी हिंदी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Nargis ad sparks outrage in Pakistan
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Bollywood actress Nargis Fakhri's advertisement in an Urdu newspaper has caused an uproar in Pakistan.
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People are criticizing the newspaper and Nargis Fakhri for this. Ansar Abbasi, a senior editor of Jang Media Group, wrote, "I protest to the top management of Jang Group." Matiullah Jan, an anchor of End Time TV, tweeted, "Murdered Urdu cricketer. Nargis's beautiful figure. Mumtaz Abbas Fakhri's beautiful picture. Mumtaz Abbas Fakhri's beautiful picture. Mumtaz Abbas Fakhri's beautiful picture. Mumtaz Abbas Fakhri's beautiful picture. Mumtaz Abbas Fakhri's famous Urdu news. Syed Abbas Fakhri, a Twitter user. Why is Nargis Hussain trying to make a magazine like Playboy, a prestigious newspaper. She is lying on the floor and holding a phone in her hand. Many Twitter users of Jang Media Group called it cheap and vulgar advertisement." Good news. Good news.
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041204_putin_india
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2004/12/041204_putin_india
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भारत के लिए वीटो अधिकार का समर्थन
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय मीडिया में छपे अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि भारत को वीटो अधिकार के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए.
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उन्होंने भारतीय मीडिया में छपी उन ख़बरों से इनकार किया कि उन्होंने कहा था कि उनका देश भारत को वीटो अधिकार के साथ सुरक्षा परिषद की सदस्यता दिए जाने के ख़िलाफ़ है. नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को पुतिन ने कहा था, "संयुक्त राष्ट्र में वीटो की भूमिका और दूसरे अधिकारों के बारे में हमें यह स्वीकार नहीं कि उसके साथ कोई छेड़छाड़ की जाए." पुतिन ने कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो संयुक्त राष्ट्र अपनी भूमिका खो देगा और पुराने राष्ट्रसंघ के नए संस्करण की तरह सिर्फ़ विचार-विमर्श का एक क्लब बनकर रह जाएगा. अर्थ भारत के ज़्यादातर अख़बारों और टीवी चैनलों ने इस बयान का अर्थ ये निकाला कि रूस भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने की स्थिति में उसे वीटो अधिकार दिए जाने के पक्ष में नहीं है. लेकिन शनिवार को भारत के उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ मुलाक़ात के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने इससे इनकार किया कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा था या उनके बयान का ऐसा कुछ मतलब था. पुतिन ने ज़ोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद को प्रभावी बनाए रखने के लिए वीटो के अधिकार को बनाए रखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि रूस सुरक्षा परिषद के नए स्थायी सदस्य के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करता है और वे मानते हैं कि भारत को वे सभी अधिकार मिलने चाहिए तो अन्य स्थायी सदस्य देशों को हैं और उनमें वीटो भी शामिल है.
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Support for veto power for India
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Russian President Vladimir Putin has given clarification on his statement published in Indian media that India should get permanent membership of the UN Security Council with veto power.
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He denied reports in the Indian media that he had said his country was opposed to India being given veto-wielding membership of the Security Council. On Friday, while addressing a press conference in New Delhi, Putin said, "We do not accept that the role of the veto and other rights in the UN should be tinkered with." Putin said that if that happened, the UN would lose its role and would be reduced to a mere club of deliberations, like the new version of the old UN. Most Indian newspapers and TV channels interpreted this statement to mean that Russia was not in favour of India being given veto-wielding permanent membership of the Security Council. But on Saturday, during a meeting with Indian Vice President Bhairon Singh Shekhawat and Leader of the Opposition L. K. Advani, President Putin denied that he had said anything like that or that his statement meant anything. Putin insisted that the Security Council should retain the right to veto, like the new version of the UN, and said that he supported India's bid for permanent membership of the Security Council.
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070830_economy_edit
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2007/08/070830_economy_edit
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एक अरब से भाग देना मत भूलिए
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इंडिया में हो रहे आर्थिक विकास की तेज़ी को लेकर किसी को संशय नहीं है, वर्ल्ड बैंक से लेकर अमरीकी राष्ट्रपति तक सभी अभिभूत हैं.
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लगभग हर रोज़ मैरिल लिंच, स्टैंडर्ड एंड पुअर या प्राइसवाटर हाउसकूपर जैसी कोई प्रतिष्ठित संस्था बताती है कि जल्दी ही इंग्लैंड और जापान जैसे देश पीछे रह जाएँगे. भारत की बात वर्ष में एक बार होती है जब संयुक्त राष्ट्र मानव विकास रिपोर्ट आती है, पिछले वर्ष की रिपोर्ट ने बताया कि दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और शौचालय की उपलब्धता वगैरह के मामले में 126वें नंबर पर है, स्लोवेनिया और टोंगा से जैसे देशों से काफ़ी पीछे. मॉल, मल्टीप्लेक्स, मोबाइल फ़ोन के बीच आरामदेह जीवन गुज़ार रहा इंडिया अक्सर यह भ्रम पाल लेता है कि उसका देश सचमुच दुनिया के विकसित देशों की श्रेणी आ गया है, या बस अब आने ही वाला है. मगर सच यही है कि भारत आज भी इंडिया से बहुत बड़ा है. मीडिया, सरकार, शहरी मध्य वर्ग सभी जाने-अनजाने इंडिया की चादर को भारत के ऊपर तान देना चाहते हैं, लेकिन उस चादर में 70 करोड़ ग़रीब, अशिक्षित, बीमार, बेरोज़गार लोग नहीं लपेटे जा सकते. भारत क्रय क्षमता के मामले में दुनिया की पाँचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जब यह ख़बर आई तो कई समाचारपत्रों ने इसे इस तरह प्रकाशित किया जैसे भारत दुनिया का पाँचवा सबसे समृद्ध देश बन गया हो. यह कहना मुश्किल है कि इसमें ख़बर को समझने की भूल कितनी थी और 'राइजिंग इंडिया' का नया जोश कितना था, जोश जो कई ठोस सचाइयों और कई भ्रमों पर बराबर-बराबर टिका है. एकबारगी लगने लगा है कि अर्थव्यवस्था ही जीती-जागती चीज़ है और लोग आँकड़ों में तब्दील हो गए हैं. देश की एक अरब से अधिक की आबादी का लगभग तीस प्रतिशत हिस्सा एक सक्षम उपभोक्ता वर्ग है जो अमरीका की कुल आबादी के बराबर है. लेकिन बाक़ी के सत्तर प्रतिशत लोगों कब गिना जाता है और किस खाते में रखा जाता है? देश का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ रहा है यह तो रोज़ बताया जाता है लेकिन हम कैसे भूल सकते हैं उसे एक अरब से विभाजित करने पर ही प्रति व्यक्ति आय निकलती है जो लगभग 700 डॉलर सालाना यानी तीस हज़ार रुपए है. इसमें अंबानी, टाटा, बिड़ला, प्रेमजी जैसे अरबपतियों की कमाई भी शामिल है. किसी देश के विकास का सही पैमाना क्या है, उसमें कितने अरबपति हैं या फिर वहाँ कितने लोगों को पीने का साफ़ पानी मिलता है? संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में पिछले पाँच वर्षों से दुनिया का पहले नंबर का देश है नॉर्वे जहाँ सिर्फ़ चार अरबपति हैं जबकि 126वें नंबर के देश भारत में 23 अरबपति हैं. अब तय करना है कि अमरीका के कुल अरबपतियों की संख्या (313) का मुक़ाबला करना है या नॉर्वे का, जहाँ सबको शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पक्की गारंटी है.
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Don't forget to divide by a billion
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No one doubts the speed of economic growth in India, everyone from the World Bank to the US President is overwhelmed.
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Almost every day, a reputable institution like Merrill Lynch, Standard & Poor, or PricewaterhouseCoopers tells us that soon countries like England and Japan will be left behind. India is once a year when the United Nations Human Development Report comes out. Last year's report said that the world's fifth-largest economy is ranked 126th in terms of education, health, food, and toilet availability, and how many countries like Slovenia and Tonga are far behind. India is often deluded that its country has truly become one of the world's developed countries, or is just about to come. But the truth is that India is still far bigger than India. The media, the government, the urban middle class, all want to know that for 700 years, but we have won the population index. The total population of 700 million poor, illiterate, illiterate, homeless, unable to pay for food and toiletries, etc. India has become the richest country in the world in terms of gross human development, which is equivalent to thirty billion people a day, or just about seventy thousand people. But the fact is that India has become the fifth-largest country in the world in terms of income, and how many billion people have forgotten to say that it is the richest country in the world, and how many people have forgotten to say that it is the five billion dollars a day, and how many people have forgotten to say that it is a billion dollars a year, and how many people have forgotten to wake up a billion dollars, and how many people have forgotten to wake up.
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040422_jackson_charges
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2004/04/040422_jackson_charges
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जैक्सन के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलेगा
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पॉप स्टार माइकल जैक्सन के ख़िलाफ़ बाल शोषण से संबंधित मामले में मुकदमा चलाया जाएगा.
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कैलिफ़ोर्निया में 'ग्रैंड ज्यूरी' ने पाया है कि उनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाए जाने के पर्याप्त सबूत हैं. फ़िलहाल उनके ख़िलाफ़ लगाए आरोपों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया गया है. ये माना जा रहा है कि कथित तौर पर पीड़ित बच्चे ने भी जैक्सन के ख़िलाफ़ गवाही दी है. जैक्सन को पिछले साल नवंबर में एक बारह वर्षीय लड़के के शोषण के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जैक्सन लगातार इन आरोपों का खंडन करते आए हैं और कहते हैं कि वे निर्दोष हैं. जैक्सन आठ दिन के बाद 30 अप्रैल को अदालत में पेश होंगे और अपना पक्ष रखेंगे. जैक्सन जो 45 वर्ष के हैं, चौदह साल से कम उम्र के बच्चों के कथित यौन शोषण के सात मामलों को झेल रहे हैं. वे पहले ही इन सब आरोपों से इनकार कर चुके हैं.
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Jackson will be prosecuted.
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Pop star Michael Jackson is to stand trial in a case relating to child abuse.
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A 'grand jury' in California has found that there is sufficient evidence to prosecute him. The charges against him have not yet been detailed. It is believed that the child victim also testified against Jackson. Jackson was arrested in November of last year on a charge of molesting a twelve-year-old boy. Jackson has consistently denied the charges and maintains that he is innocent. Jackson will appear in court eight days later on April 30 and plead guilty. Jackson, who is 45 years old, faces seven counts of alleged sexual abuse of children under the age of fourteen. He has already denied all charges.
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060913_askus_patent_copyright
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2006/09/060913_askus_patent_copyright
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पेटेंट और कॉपीराइट का चक्कर!
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पेटेंट क्या है और पेटेंट और कॉपीराइट में क्या अन्तर है. जानना चाहते हैं गुमला झारखंड से आइज़ैक बेस्तर तमगड़िया.
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पेटेंट एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत किसी भी नई खोज से बनने वाले उत्पाद पर एकाधिकार दिया जाता है. उसके बाद कोई भी उस उत्पाद को न बना सकता है न बेच सकता है. अगर बनाना चाहे तो उसे लाइसैंस लेना पड़ेगा और उसपर रॉयल्टी देनी होगी. इस पेटेंट की अवधि पहले हर देश ने अपने-अपने हिसाब से तय की हुई थी लेकिन अब विश्व व्यापार संगठन ने उसे बीस साल कर दिया है. इसके साथ प्रौसैस पेटेंट भी होता है जिसका संबंध नई प्रौद्योगिकी से है. किसी भी नई तकनोलॉजी पर भी पेटेंट लिया जा सकता है. हरेक देश में पेटेंट कार्यालय हैं. अपने उत्पाद या तकनोलॉजी पर पेटेंट लेने के लिए इस कार्यालय में अर्ज़ी दें और साथ ही अपनी नई खोज का ब्योरा दें. उसके बाद पेटेंट कार्यालय उसकी जांच करेगा और अगर वह उत्पाद या तकनोलॉजी नई है तो पेटेंट का आदेश जारी कर देगा. लेकिन पेटेंट का ये आदेश जिस देश में जारी किया जाता है उसकी सीमाओं के भीतर ही लागू माना जाता है. जहां तक कॉपीराइट का सवाल है तो कॉपीराइट किसी मौलिक लेखन, संगीत, कलाकृति, डिज़ाइन, फ़िल्म या तस्वीरों पर होता है. इलाहबाद उत्तर प्रदेश से अजित कुमार पांडेय जानना चाहते हैं कि कार्बन ट्रेडिंग क्या होती है. कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए क्योतो संधि में एक तरीक़ा सुझाया गया है जिसे कार्बन ट्रेडिंग कहते हैं. यानी कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार. ये योजना केवल विकसित देशों पर ही लागू है. इसमें होता ये है कि कोई विकसित देश किसी विकासशील देश में ऐसी योजना अपनाता है जिससे ग्रीन हाउस गैसों में कमी लाई जा सके. वह इसके लिए धनराशि और तकनीकि सहायता भी देगा और इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में जो कमी आएगी उसका लाभ उसे मिलेगा. उदाहरण के लिए ब्रिटेन, भारत में कोयले की जगह सौर ऊर्जा की कोई परियोजना शुरु करे. इससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा जिसे आंका जाएगा और फिर उसका मुनाफ़ा ब्रिटेन को मिलेगा. विश्व में सबसे अधिक दिनों तक किसने प्रधानमंत्री पद सँभाला. ग्राम लक्ष्मीपुर, सुपौल बिहार से संजय खिरहारी. सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली कुआन यू ने सबसे लंबे समय तक ये पद सँभाला है. वो 1959 से 1990 तक लगातार इस पद पर बने रहे. उनका जन्म 16 सितम्बर 1923 को सिंगापुर में हुआ था. उन्होंने ब्रिटेन के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री हासिल की और 1949 में सिंगापुर की एक कंपनी में वकील की हैसियत से काम करने लगे. फिर उन्होंने कुछ साथियों के साथ मिलकर पीपल्स एक्शन पार्टी के नाम से एक दल का गठन किया और सिंगापुर को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने की मुहिम छेड़ दी. 1959 में जब सिंगापुर आज़ाद हुआ तो ली कुआन यू पहले प्रधानमंत्री बने. उनके नेतृत्व में सिंगापुर का आर्थिक और औद्योगिक विकास हुआ और वो एक मामूली बंदरगाह से एक धनी देश में बदल गया. ब्रिटेन का ईटन कॉलिज कहाँ है, कब स्थापित हुआ और क्या ये यूरोप का सबसे पुराना कॉलेज है. गोलपहाड़ी जमशेदपुर से जंगबहादुर सिंह और उमा सिंह. ईटन कॉलेज की स्थापना इंग्लैंड के राजा हैनरी षष्ठम ने सन 1440 में की थी. इसका उद्देश्य था 70 छात्रों को निशुल्क शिक्षा देना. ये सब कॉलेज में ही रहते थे. कुछ छात्र ईटन शहर में भी रहते थे और फ़ीस देकर पढ़ते थे. ईटन कॉलेज लंदन से कोई बीस मील पश्चिम में इंग्लैंड के बार्कशायर इलाक़े में है. ईटन एक सैकेन्डरी स्कूल है जहाँ आमतौर पर तेरह साल की उम्र में छात्र प्रवेश करते हैं और अठ्ठारह साल की उम्र तक पढ़ते हैं. ये सभी छात्र स्कूल परिसर में ही रहते हैं. यहाँ पढ़ने के लिए कोई 23 हज़ार पाउंड सालाना का ख़र्च आता है. कुछ छात्रों को वज़ीफ़ा भी मिलता है. इस स्कूल की शुरुआत 70 छात्रों से हुई थी लेकिन अब यहाँ लगभग 1290 छात्र पढ़ते हैं. ब्रिटेन के राजपरिवार के सदस्य और दुनिया के बड़े घरानों के बच्चे यहाँ पढ़ते रहे हैं. फ़ॉरबिडन सिटी क्या है और क्यों मशहूर है. आरा बिहार से राम कुमार नीरज. फ़ॉरबिडन सिटी चीन की राजधानी बेइजिंग के केन्द्र में है, थियाननमैन चौक के ठीक उत्तर में. ये मिंग और चिंग राजवंशों का राजप्रासाद हुआ करता था. इसका निर्माण सन् 1406 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में चौदह साल लगे. कहते हैं कि कोई दो लाख लोगों ने इसके निर्माण कार्य में हिस्सा लिया. ये 720 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है, इसमें 800 इमारतें हैं और 9999 कमरे. दस हज़ार कमरे इसलिए नहीं बनाए गए क्योंकि यह संख्या स्वर्ग के कमरों की है. संयुक्त राष्ट ने सन् 1987 में इसे विश्व विरासत घोषित किया. यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
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Patents and Copyrights!
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What is a patent and what is the difference between a patent and a copyright?
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Patents are a system under which any new technology can be patented. There are patent offices in every country. There are patent offices in every country. There are patent offices in every country. There are patent offices in every country. There are patent offices in every country. There are rooms in Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, etc. There will be a monopoly on the production of any new product. There will be 720 carbon emissions in the capital city Uma Bharti 1959, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, New Delhi, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, New Delhi, Singapore, Singapore, New Delhi, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, New Delhi, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, New Zealand, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, Singapore, India, India, India, Singapore, India, India, India, India, India, India, India, Australia, India, India, India, India, Australia, India, Australia, India, South Africa, Sri Lanka, Sri Lanka, South Africa, South Africa, Sri Lanka, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa, South Africa,
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081127_mumbai_eyewitness_iraq
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/11/081127_mumbai_eyewitness_iraq
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'इराक़ में भी इतना डर नहीं लगा था'
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मुंबई के कोलाबा में हुए हमलों के समय इलाक़े में मौजूद इराक़ी नागरिक जमाल अलबक्श कहते हैं कि उन्हें इतना डर कभी इराक में भी नहीं लगा था जितना मुंबई में लग रहा है क्योंकि यह बिल्कुल अप्रत्याशित था.
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वो कहते हैं, "यह असली आतंकवाद है. बिल्कुल अप्रत्याशित था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोलाबा जैसे इलाक़े में कभी लोग गोलियां चलाएंगे और बम फटेंगे. यहां तो बस पर्यटक रहते हैं." पूरी घटना को याद करते हुए जमाल कांप जाते हैं. वो कहते हैं, "मैं इराक़ में रहा हूं लेकिन वहां पता होता है कि किस इलाके़ में दिक्कत होगी वहां लोग नहीं जाते हैं. घर में रहते हैं लेकिन यहां तो कॉफी शॉप में गोलियां चल रही हैं. आप कहां सुरक्षित हैं. मुझे इतना डर तो कभी इराक़ में भी नहीं लगा जितना यहां लग रहा है.’" जमाल कहते हैं, "समझ में नहीं आता कि वो किसको निशाना बनाना चाहते थे. पर्यटकों को या फिर आम लोगों को. ऐसे में तो किसी को भी डर लगेगा अगर कोई सड़क पर आकर अंधाधुंध आप पर गोलियां चलाने लगे तो." जब लियोपोल्ड कैफ़े में गोलियां चल रही थीं तो जमाल के मित्र गफूर आसपास ही थे. गफूर तस्वीर नहीं खिंचवाना चाहते लेकिन पूरी बात बताते हैं. अप्रत्याशित वो कहते हैं, "वो दो लोग थे और उनके पास बड़े हथियार थे. रुसी थे शायद और वो ताबड़तोड़ गोलियां चला रहे थे और ऐसा नहीं था कि किसी को चुनकर मार रहे हो. वो सब पर गोलियां चला रहे थे.मेरे सामने उन्होंने दो लड़कियों पर गोलियां चलाईं." बगदाद के रहने वाले गफ़ूर कहते हैं कि दोनों हमलावर देखने में विदेशी थे और एक के बाल तो सुनहरे थे. वो कहते हैं, "एक के तो लंबे बाल थे और सुनहले थे. ये नहीं बता सकता कि किस देश के होंगे लेकिन उनकी त्वचा भारतीयों जैसी नहीं थी. वो बड़े आत्मविश्वास से चल रहे थे और आराम से गोलियां चला रहे थे." वो कहते हैं कि लियोपोल्ड की एक गली के पास गोली चलाने के बाद ये दोनों हमलावर ताज होटल की तरफ चले गए और फिर वहां से उन्होंने फायरिंग की आवाजें सुनीं. उल्लेखनीय है कि कुछ हमलावरों ने ताज होटल में धमाके किए और लोगों को बंधक बनाकर भी रखा है. जमाल की आवाज़ पूरी घटना बताते बताते कांपने लगती है. वो कहते हैं कि वो घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे लेकिन फिर भी उन्हें डर लग रहा है
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"Even in Iraq, there was not so much fear." ""
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Jamal Albaksh, an Iraqi national who was in the area at the time of the attacks in Colaba, Mumbai, says he has never felt so scared even in Iraq as he does in Mumbai because it was totally unexpected.
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He says, "This is real terrorism. It was totally unexpected. I never thought that in a place like Colaba, people would come and shoot at you indiscriminately. Only tourists live here." Jamal shudders as he recalls the whole incident. "I have lived in Iraq, but Indians don't live there. People don't go there, but they stay at home. Where are you safe? I have never felt so scared even in Iraq," says Jamal. To tourists or to ordinary people. Jamal says that no one would be scared if someone started shooting indiscriminately in the street. "Jamal's friend Gafoor was around when the shots were fired in Leopold Cafe. Gafoor doesn't seem to have taken a picture, but he tells the whole story. The two men and Taj Kanaff and Taj Kanaf and Taj Kanaf and Taj Kana," There was a loud gunshot in the middle of the street. "They couldn't tell me who they were." There was a loud gunshot near the hotel, but Leo says that "The two attackers were not able to tell me that there was a gunshot." They were not able to tell me that "There was a loud gunshot near the hotel. They were shooting near the hotel." They were not able to tell me that there were any foreign hostages. They were shooting in the hotel, but that "There was a loud gunshot in the hotel, and Taj Kana and Taj Roozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoozoo
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150912_kashmir_beef_dp
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https://www.bbc.com/hindi/india/2015/09/150912_kashmir_beef_dp
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गोमांस पर पाबंदी के ख़िलाफ़ कश्मीर में फिर प्रदर्शन
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भारत प्रशासित कश्मीर में गोमांस पर प्रतिबंध लागू करने संबंधी हाईकोर्ट के फ़ैसले के विरोध में प्रदर्शन दोबारा शुरू हो गए हैं.
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अधिकारियों ने गौवध और जुलूस रोकने के इरादे से घाटी के कुछ हिस्सों में शनिवार को कर्फ्यू लगा दिया है. शुक्रवार को घाटी में हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे थे जहां पुलिस के साथ उनका टकराव हुआ था. भारत प्रशासित कश्मीर में गोमांस पर प्रतिबंध संबंधी क़ानून वैसे तो 83 वर्ष पुराना है, लेकिन उस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पाता था. क़ानून भारतीय जनता पार्टी से सम्बद्ध परिमोक्ष सेठ नामक एक वक़ील की जनहित याचिका पर कश्मीर हाईकोर्ट ने बीते बुधवार आदेश दिया था कि प्रतिबंध को कड़ाई से लागू किया जाए. समाप्त तभी से घाटी में मज़हबी और अलगाववादी नेताओं समेत आम लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं. इसी विरोध के तहत शनिवार को घाटी में बंद का आह्वान किया गया है. घाटी में यह मांग ज़ोर पकड़ रही है कि वर्ष 1932 के गोमांस पर प्रतिबंध संबंधी क़ानून को अब बदला जाना चाहिए. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Protests erupt in Kashmir against beef ban
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Protests have resumed in Indian-administered Kashmir against a High Court decision to enforce a ban on beef.
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Authorities have imposed a curfew in parts of the valley on Saturday to prevent cow slaughter and processions. On Friday, thousands of people took to the streets in the valley where they clashed with the police. The law banning beef in Indian-administered Kashmir is 83 years old, but it was not fully implemented. The law was ordered by the Kashmir High Court last Wednesday on a public interest petition by a lawyer named Parimoksh Seth, affiliated with the Bharatiya Janata Party. Since then, the ban has been strictly enforced. It has also been opposed by ordinary people, including religious and separatist leaders in the valley. As part of this protest, a shutdown has been called in the valley on Saturday. There is a growing demand in the valley that the 1932 law banning beef should now be changed. (Click here for the BBC Hindi Android app. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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150717_gender_pay_gap_sr
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https://www.bbc.com/hindi/international/2015/07/150717_gender_pay_gap_sr
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ये महिला है, इसे कम वेतन दो....
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दुनिया भर में महिलाओं को उनके समकक्ष पुरुषों के मुकाबले कम वेतन में असमानता का शिकार होना पड़ता है.
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20 मार्च को पड़ने वाले इक्वल पे डे के अवसर पर होने वाली रैलियों में पूरी दुनिया में महिलाएं हिस्सा लेती हैं. भारत की स्थिति तो दुनिया के उन देशों जैसी है जहां वेतन के मामले में सबसे अधिक गैर बराबरी है. लेकिन लैंगिक आधार पर वेतन में भेदभाव का मामला केवल भारत जैसे विकासशील में ही नहीं है, विकसित यूरोपीय देश भी इससे अछूते नहीं है. पढ़ें विस्तार से हाल ही में ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने एक ही पीढ़ी में पे गैप (लैंगिक आधार पर वेतन में असमानता) ख़त्म करने का वादा किया है. कैमरन ने द टाइम्स में अपने लेख में लिखा, “जब मेरी बेटियां नैंसी और फ़्लोरेंस नौकरी शुरू करें तो, मैं चाहता हूँ कि वो पे गैप को वैसे ही बीते जमाने की बात के रूप में देखें जैसे किसी जमाने में महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं था और वो काम भी नहीं करती थीं.” समाप्त लैंगिक आधार पर वेतन को इतिहास में दफ़न करने की डेविड कैमरन की कोशिश तब सामने आई है, जब ब्रिटेन लैंगिक असमानता को लेकर वैश्विक रैंकिंग में आठ स्थान नीचे खिसक गया है. अब उसका स्थान 26वां हो गया है, जो इक्वेडोर, बुरुंडी और फ़िलिपींस जैसे देशों और अन्य यूरोपीय देशों से 14 स्थान नीचे है. बढ़ी है असमानता लेकिन लिंग के आधार पर वेतन में असमानता का नक्शा क्या दिखाता है? इस मामले में दुनिया आज कहां है? अंकड़े बताते हैं कि लैंगिक असमानता (जिसमें वेतन में गैरबराबरी शामिल है) पिछले दशक से कम हो रही है लेकिन बहुत धीमें और असमान रूप से. विश्व आर्थिक फ़ोरम में लैंगिक समानता के वरिष्ठ निदेशक सादिया ज़ाहिदी कहती हैं, “लैंगिक समानता में सबसे अधिक असर श्रमशक्ति में महिलाओं के शामिल होने से हुआ है.” साल 2005 के बाद से केवल छह देश ऐसे हैं जहां लैंगिक असमानता बढ़ी है. ये हैं- श्रीलंका, माली, क्रोएशिया, मकदूनिया और ट्यूनीशिया. आर्थिक हिस्सेदारी और महिलाओं के लिए अवसरों के मामले में अभी 60 प्रतिशत लैंगिक गैरबराबरी है. यह 2006 के आंकड़े से 4 प्रतिशत ही कम है. ख़त्म हो पाएगी असमानता? अगर इसी रफ़्तार से लैंगिक गैरबराबरी कम हुई तो इसे ख़त्म करने में दुनिया को 81 साल लगेंगे, यानी 2095 तक ही कार्यस्थलों में लैंगिक भेद ख़त्म हो पाएगा. किसी देश में कुल लैंगिक असमानता का आकलन कई वजहों को ध्यान में रख कर किया जाता है. जैसे- आर्थिक कारक, स्वास्थ्य, शिक्षा और राजनीति में पुरुषों के मुकाबले हिस्सेदारी. इस रैंकिंग में शीर्ष पांच देश उत्तरी यूरोप के हैं. उसके बाद निकारागुआ का छठा स्थान है, क्योंकि महिलाओं का स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच और राजनीतिक हिस्सेदारी की दर यहां अधिक है. हालांकि वेतन बराबरी के मामले में इसका बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है. ज़ाहिदी के मुताबिक़, रवांडा का स्थान सातवां है, क्योंकि यहां लगभग उतनी ही महिलाएं नौकरी करती हैं, जितने पुरुष. इसी कारण यह पूरे अफ़्रीका में सबसे कम लैंगिक असमानता वाला देश है. एशिया में सबसे ऊपर नौवीं रैंकिंग फ़िलीपींस की है. और इसका सबसे मुख्य कारण है, पुरुषों और महिलाओं के बीच एक ही काम के लिए समान वेतनमान का होना. सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में माली, सीरिया, चाड, पाकिस्तान और यमन हैं. भारत 114वें नंबर पर इस मामले में भारत का रिकॉर्ड भी ख़राब है. 142 देशों की सूची में भारत 114वें नंबर पर है. दुनिया में 14 देश ऐसे हैं जो आर्थिक हिस्सेदारी और अवसर के मामले में लैंगिक गैरबराबरी का 80 फीसदी ख़त्म कर चुके हैं. इनमें चार अफ़्रीकी देश हैं, पांच देश यूरोप और मध्य एशिया के और बाकी पांच हैं- बुरुंडी, नॉर्वे, मलावी, अमरीका और बहामास. ये कहने की ज़रूरत नहीं कि आम तौर पर देशों में संघर्ष और लोगों के विस्थापन के कारण महिलाओं को सबसे अधिक नुकसान सहना पड़ता है. लेकिन, समावेशी आर्थिक विकास और वेतन बराबरी के मामले में कौन सा देश अच्छा प्रदर्शन कर रहा है? आकलन विशेषज्ञ महिलाओं की आर्थिक हिस्सेदारी और खास तौर पर उनके लिए आर्थिक अवसरों का आकलन करते हैं. यानी देश की कुल श्रमशक्ति में उनकी संख्या और कामकाजी महिलाओं को मिलने वाली नौकरी की गुणवत्ता. विश्व आर्थिक फ़ोरम के अनुसार, उन विकसित देशों में यह खास तौर पर प्रासंगिक है, जहां महिलाएं आसानी से नौकरी पा सकती हैं लेकिन उन्हें और और बेहतर नौकरी और तनख्वाह पाने का मौका नहीं मिलता. विशेषज्ञों का कहना है कि वेतन में असमानता उम्मीदें को दर्शाता है. उदाहरण के लिए यह महिलाओं को मानने के लिए प्रेरित करता है कि एक ही काम के लिए पुरुष सहकर्मियों के मुक़ाबले उन्हें कम वेतन किया जाएगा, यहां तक कि विकसित देशों में भी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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This is the woman, pay her less.
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Worldwide, women suffer from lower pay inequality than their male counterparts.
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British Prime Minister David Cameron recently promised to eliminate the pay gap (pay inequality based on gender) in a single generation. Cameron wrote in his article in The Times, "When my daughters Nancy and Florence get a job, let's call the pay gap in Syria the sixth-worst in the world in terms of gender inequality. I want to call it Syria, the sixth-worst in the world in terms of women's participation in the world's most unequal labor force. If you look at the gender inequality in the world, women are still the fourth-worst country in the world in terms of gender inequality. If you look at the gender inequality in the world's most unequal labor force. Women are still the fourth-worst country in the world in terms of gender equality. If you look at the gender inequality here. If you look at the gender inequality in the world's most unequal labor force, then the gender inequality is the lowest in 2006. If you look at Sri Lanka's gender inequality, then you'll find that the gender inequality in the world's most unequal labor force is the highest in the last decade. It's gender inequality is the worst in the world, and it's gender inequality is the second-worst in the world for the last eight years. It's gender pay gap and gender inequality is the worst in the world."
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060624_argentina_mexico
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https://www.bbc.com/hindi/sport/story/2006/06/060624_argentina_mexico
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रोमांचक भिड़ंत में अर्जेंटीना की जीत
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विश्व कप फुटबॉल में शनिवार को हुए एक बहुत ही रोमांचक मुक़ाबले में अर्जेंटीना ने मैक्सिको एक के मुक़ाबले दो गोल से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है.
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क्वार्टर फाइनल में अब अर्जेंटीना का मुक़ाबला जर्मनी से होगा जिसने शनिवार को ही एक दिलचस्प मुक़ाबले में स्वीडन को 2-0 से हराया. इससे पहले निर्धारित डेढ़ घंटे के समय में दोनों टीमें 1-1 गोल से बराबरी पर रही थीं जिसके बाद नतीजे की उम्मीद में उन्हें आधा घंटे का अतिरिक्त समय दिया गया. अतिरिक्त समय में जब खेल शुरू हुआ तो आठवें मिनट में पहला गोल अर्जेंटीना की तरफ़ से हुआ जिसे मैक्सी रोड्रिग्ज़ ने किया और उन्हें इस गोल के लिए फीफा ने मैन ऑफ़ द मैच भी घोषित किया. अतिरिक्त समय की यह बढ़त आख़िर तक रही और बेहद दिलचस्प मुक़ाबले में मैक्सिको को हार का मुँह देखना पड़ा हालाँकि अतिरिक्त समय का खेल भी बेहद रोमांचक रहा. इससे पहले मैक्सिको ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए छठे मिनट में उस समय बढ़त हासिल कर ली थी जब रफ़ैल मारक्वेज़ ने गोल कर दिया. उससे थोड़ी ही देर बाद यानी दसवें मिनट में हर्नन क्रेस्पो ने गोल करके अर्जेंटीना को बराबरी पर ला खड़ा किया और उसके बाद तो दोनों टीमों ने जैसे अपने पूरे दमख़म के साथ-साथ तमाम हुनर खेल में झोंक दिया. रोमांच पूरे मैच के दौरान बना रहा. इस विश्व कप में यह पहला मौक़ा था कि अर्जेंटीना गोल के मामले में किसी टीम से पीछे रही हो. मैक्सिको के पावेल पार्दो ने दाहिनी तरफ़ से एक फ्री किक मारी जिसे मारियो मेंदेज़ ने हैडर के ज़रिए मारक्वेज़ को दिया जो उस समय गोलपोस्ट के पास ही मंडरा रहे थे. मारक्वेज़ ने गेंद को नॉक किया और अर्जेंटीना के गोलकीपर रोबर्तो को छकाते हुए गेंद सीधे गोलपोस्ट में पहुँचा दी. अर्जेंटीना ने भी चार मिनट बाद गोल करके बराबरी हासिल कर ली. जुआँ रोमन ने दाहिनी तरफ़ से गेंद सरकाई जिसे क्रेस्पो ने आसानी से नैट के अंदर पहुँचा दिया. मैक्सिको के पहले गोल से अर्जेंटीना पर काफ़ी दबाव बन गया था लेकिन क्रेस्पो के गोल के बाद अर्जेंटीना ने कुछ राहत की साँस ली और उसके बाद खेल ने एक सधी हुई रफ़्तार पकड़ ली. कड़ा मुक़ाबला मैक्सिको ने अपनी रक्षा पंक्ति काफ़ी मज़बूत रखते हुए आक्रामक रणनीति भी अपनाई जबकि अर्जेंटीना का ज़्यादा वक़्त गेंद को छीनने और उसे अपने क़ब्ज़े में रखने में गुज़रा. अर्जेंटीना के क्रेस्पो को 23वें मिनट में भी गोल करने का एक बेहतरीन मौक़ा मिला लेकिन गेंद मैक्सिको के गोलकीपर ओसवाल्दो सांचेज़ के ऊपर से होकर निकल गई. 25वें मिनट में बोरगेट्टी ने क़लीब 20 मीटर की दूरी से शॉट मारा लेकिन उसे रोबर्तो ने बार के ऊपर से निकाल दिया. मैक्सिको को 38वें मिनट में एक उस समय झटका लगा जब हुनरमंद खिलाड़ी पावेल पार्दो को टांग की चोट की वजह से बाहर भेजना पड़ा और उनके स्थान पर गैराडो तोरादो को बुलाया गया. उसके बाद तो दोनों टीमों के बीच जैसे आँख मिचौली का खेल चलता रहा, मौक़े मिलते रहे और ख़ाली जाते रहे. दो बार के विश्व चैम्पियन रह चुके अर्जेंटीना ने 1998 में क्वार्टर फाइनल में हार का सामना किया था और चार साल पहले तो यह टीम पहले दौर में ही बाहर हो गई थी. इस बार टीम ज़ोरदार खिलाड़ी के रूप में ऊभरी है और अपने ग्रुप में सबसे ऊँचे स्थान पर रही है. इसे जीतने की संभावना वाली टीमों की श्रेणी में रखा जा रहा है. मैक्सिको लगातार चौथी बार दूसरे दौर तक पहुँची लेकिन चारों बार हार का मुँह देखा है. 1986 में यह क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी. मैक्सिको की टीम कभी भी सेमीफाइनल तक नहीं पहुँच सकी है.
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Argentina win in thrilling encounter
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In a very exciting match on Saturday in the World Cup football, Argentina has made it to the quarter-finals by defeating Mexico one to two goals.
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In the quarter-finals, Argentina will now face Germany, who beat Argentina in a very interesting match on Saturday. In the quarter-finals, Argentina will now face Germany. In the semi-finals, Argentina took the lead in the sixth minute. In the semi-finals, Argentina took the lead in the sixth minute. Rafael Márquez scored a goal in the semi-final of Argentina. Shortly after that, in the tenth minute, Hernán Crespo scored a goal in the fourth defense, after which he was given half an hour of extra time in anticipation of the result. When the game started in extra time, the first goal was scored by Maxi Rodríguez in the eighth minute, which was scored by Maxi Rodríguez in the eighth minute. In this very interesting match, Mexico had to see the defeat of Mexico, although the first time in the final quarter, when Argentina took the lead in the sixth minute. But in the second quarter, the team called the fourth goal, after Hernán Crespo scored a goal in the tenth minute, and then both teams were called out of the first round of the game, with Ospino Torrà's first goal, and in the middle of the game, the player of the game, who did not have a strong hand during the match, made a free pass to Juárez, who was also seen in the final of the group, although the first time in the final game, the ball was also defeated. In this quarter, although Argentina did not get the ball in the quarter, but in the quarter, but in the quarter, Argentina took it in the quarter, Argentina took the quarter, but in the quarter, Argentina did not get the ball, but in the first quarter, but in the quarter, but in the quarter, Argentina, Argentina did not get a ball, but in the ball, but in the quarter, but in the quarter.
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060213_saddam_court
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2006/02/060213_saddam_court
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सद्दाम ने अदालत में कहा- 'बुश मुर्दाबाद'
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इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन अपने ख़िलाफ़ चल रहे मुकदमे का पिछले महीने से बहिष्कार करने के बाद, सोमवार को बग़दाद में न्यायालय में पेश हुए.
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जैसे ही वे न्यायालय में दाख़िल हुए उन्होंने 'बुश मुर्दाबाद' का नारा लगाया. उनका कहना था कि उन्हें अपनी इच्छा के ख़िलाफ़ न्यायालय में सुनवाई के लिए पेश होने पर मजबूर किया गया है. इसके बाद जज और प्रतिवादियों के बीच तीख़ी नोकझोंक हुई और प्रतिवादियों ने अपने वकीलों की अनुपस्थिति पर शिकायत दर्ज की. ग़ौरतलब है कि सद्दाम हुसैन और उनके सात अन्य सहयोगियों पर 1982 में दुजैल गाँव में 148 लोगों की हत्या के सिलसिले में मुक़दमा चल रहा है. अगर उन्हें दोषी पाया जाता है तो फाँसी की सज़ा हो सकती है. प्रतिवादी पक्ष की टीम मुकदमे से इसलिए पीछे हट गई है क्योंकि वह मुकदमे की प्रक्रिया और कार्रवाई की शैली से नाराज़ हैं. 'देशद्रोही मुर्दाबाद...बुश मुर्दाबाद...' उन्होंने नए मुख्य जज राऊफ़ अब्दुल रहमान पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. न्यायालय द्वारा नियुक्त सरकारी वकील उन वकीलों की जगह मुकदमें को दौरान मौजूद रहे. महत्वपूर्ण है कि जनवरी 29 को इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति और उनके साथियों ने न्यायालय से वॉकआउट किया था. इसके बाद उन्होंने अदालत का बहिष्कार जारी रखने की धमकी दी थी. लेकिन अदालत में सद्दाम और उनके सहयोगियों को पेश करने और यदि ज़रूरी हो तो बलपूर्वक लाने की बात उठी थी और फिर सोमवार को वे अदालत में पेश हुए. अदालत में पेश होने पर सद्दाम हुसैन ने कहा, "वे मुझे बलपूर्वक यहाँ लाए हैं. आप मेरी ग़ैर-मौजूदगी में मेरे ख़िलाफ़ मुकदमा चलाएँ. क्या आप ऐसा करने में ख़ुद को सक्षम नहीं मानते?" उनका नारे लगाए, "देशद्रोही मुर्दाबाद, देशद्रोही मुर्दाबाद, बुश मुर्दाबाद. उम्माह (इस्लामी क़ौम) ज़िंदाबाद...इस्लामी क़ौम ज़िंदाबाद..." उनके क़रीबी रिश्तेदार बर्ज़ान इब्राहीम अल-तिकरीती की अदालत में सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हुई. सद्दाम और बर्ज़ान दोनो ही जज को कार्यवाही के दौरान परेशान करते रहे और चुप होने और बैठ जाने के आदेशों को नज़रअंदाज़ करते रहे. सद्दाम फिर चीख़े, "ये अदालत नहीं है. ये अदालत नहीं है. ये तो खेल हो रहा है." जज रहमान का कहना था कि वे उन्हीं क़ानून का पालन कर रहे हैं जो सद्दाम हुसैन के शासनकाल में बनाए गए थे.
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"Bush Murdabad," Saddam said in court.
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Former Iraqi President Saddam Hussein appeared in court in Baghdad on Monday after boycotting a trial against him last month.
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As they entered the court, they chanted 'Bush Murdabad'. They said that they were forced to appear in court against their will. The judge and the public prosecutor appointed by the court were then present during the trial. Significantly, Saddam Hussein and his seven other associates complained about the absence of their lawyers. The trial of Saddam Hussein and his seven other associates in Dujail village in 1982 is going on. If they are found guilty, they can be hanged. The team of the defendants has withdrawn from the trial because they are angry with the trial process and the style of the proceedings. 'Seditious Murdabad... Bush Murdabad...' They accused the new chief judge, Raouf Abdul Rahman, of being biased. The public prosecutor appointed by the court himself was present during the trial. Significantly, during the trial of Saddam Hussein and his seven other associates, who were responsible for the killing of 148 people in Dujail village, on January 29, Saddam Hussein and his companions were upset that the Bush administration was not able to maintain the security of the court. They continued to shout "Seditious Murdabad... Bush Murdabad... Bush Murdabad." But Saddam Hussein was not able to appear in the court again, saying "Seddabad, traitor, traitor, traitor, traitor, judge, judge, judge, judge, judge." But Saddam Hussein was not able to appear in the court again. "Saddam's presence in the presence of the Islamic rule of the court." Islami, "And Saddam was forced to appear in the court again."
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040726_moor_record
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2004/07/040726_moor_record
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मूर की फ़िल्म ने कमाई के रिकॉर्ड तोड़े
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माइकल मूर की विवादास्पद फ़िल्म फ़ारेनहाइट 9/11 पहली ऐसी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बन गई है जिसने अमरीका में दस करोड़ डॉलर की कमाई की है.
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इस फ़िल्म में इराक़ पर राष्ट्रपति बुश की नीति की आलोचना की गई है. अभी एक महीना पहले ही इसे रिलीज़ किया गया और तब से अब तक इसने दस करोड़ तीन लाख डॉलर कमा लिया है. इससे पहले किसी वृत्तचित्र ने ज़्यादा से ज़्यादा दो करोड़ 16 लाख डॉलर की कमाई की है और वह फ़िल्म भी मूर की 'बोलिंग फ़ॉर कोलंबाइन' थी जिसे ऑस्कर पुरस्कार भी मिला. मूर का कहना है कि अमरीका के लोग सच्चाई देखने के लिए सिनेमाघरों में गए थे. वह कहते हैं, "जब मैं डिज़्नी के साथ इसके वितरण को लेकर परेशान था, उस समय यदि कोई मुझसे यह कहता कि यह फ़िल्म इस साल डिज़्नी की किसी भी फ़िल्म से ज़्यादा का कारोबार करेगी तो शायद मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करूँ". डिज़्नी समूह ने मीरामैक्स को इस फ़िल्म को रिलीज़ करने से रोक दिया था, कंपनी का कहना था कि फ़िल्म का विषय राजनीतिक है. लेकिन मीरामैक्स ने इस फ़िल्म को ख़रीदा और स्वंतत्र रूप से इसका वितरण किया. मूर का कहना है, "मुझे लगता है अब लाखों ऐसे लोग जो शायद वोट देने नहीं आते, अब मतदान केंद्रों पर जाएँगे". मूर की फ़िल्म फ़ारेनहाइट 9/11 ने मई में कान फ़िल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का सम्मान हासिल किया था.
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Moore's film breaks box office records
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Michael Moore's controversial film Fahrenheit 9/11 has become the first documentary film to gross $100 million in the United States.
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The film criticizes President Bush's policy on Iraq. It was released just over a month ago and has since grossed $103 million. The most any documentary has ever made is $21.6 million, and it was Moore's' Bowling for Columbine ', which also won an Oscar. Moore says the American people went to the theaters to see the truth. He says, "When I was upset with Disney about its distribution, if someone told me that this movie would do more business than any Disney movie this year, I wouldn't know how to react." The Disney group stopped Miramax from releasing the film, saying that the film's subject was political. But Miramax bought the film and distributed it independently. Moore says, "Now, millions of people who voted for Disney's' May 1st 'film won't go to Cannes."
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120910_aseemtrivedi_katju_ia
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https://www.bbc.com/hindi/india/2012/09/120910_aseemtrivedi_katju_ia
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कार्टूनिस्ट की गिरफ़्तारी अपराध : काटजू
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प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया यानि पीसीआई के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने कथित 'देशद्रोह' के मामले में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ़्तारी का विरोध किया है.
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असीम त्रिवेदी के समर्थन में बहुत सारे लोग सामने आ रहें हैं. भारतीय संविधान को नीचा दिखाने और अपनी वेबसाइट पर कथित तौर पर 'देशद्रोही' सामग्री छापने के अभियोग में गिरफ़्तार किए गए कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को 16 सितंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. लेकिन इस बीच समाज के हर हिस्से से लोग असीम के समर्थन में आगे आने लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस(सेवानिवृत्त) मार्कण्डेय काटजू ने असीम का बचाव करते हुए कहा कि असीम त्रिवेदी ने कोई ग़लत काम नहीं किया है. एक बयान जारी कर जस्टिस काटजू ने कहा, ''मेरे विचार से कार्टूनिस्ट ने कुछ भी ग़लत या अवैध नहीं किया है. लोकतंत्र में बहुत-सी बातें कही जाती हैं. कुछ सही होती हैं, बाकी ग़लत. जिसने कोई अपराध नहीं किया हो, उसे गिरफ़्तार करना भी एक अपराध है.'' नेता सबक़ लें सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल को याद करते हुए जस्टिस काटजू ने कहा, ''मैं अक्सर कहता था कि लोग मुझे कोर्ट या कोर्ट के बाहर बेवक़ूफ़ या कुटिल कह सकते हैं, लेकिन मैं कभी भी अदालत की अवमानना का मामला शुरू करने का क़दम नहीं उठाऊंगा, क्योंकि आरोप सही होने पर मैं इसी लायक़ हूं और ग़लत होने पर मैं उन्हें नज़रअंदाज़ कर दूंगा.'' "मेरे विचार से कार्टूनिस्ट ने कुछ भी ग़लत या अवैध नहीं किया है. लोकतंत्र में बहुत सी बातें कहीं जाती हैं. कुछ सही होती हैं, बाकी ग़लत. जिसने कोई अपराध नहीं किया हो, उसे गिरफ़्तार करना भी एक अपराध है." जस्टिस काटजू उन्होंने कहा कि नेताओं को भी यह सबक़ सीख लेनी चाहिए. मुंबई के जाने-माने वकील माजिद मेमन ने भी असीम की गिरफ़्तारी को विरोध करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित क़रार दिया. राजद्रोह के मामले को लेकर उनके ख़िलाफ़ दायर एफ़आईआर के आधार पर उन्हें शनिवार रात आठ बजे के क़रीब मुंबई में बांद्रा कुर्ला इलाक़े से गिरफ़्तार किया गया था. बाद में बांद्रा की एक अदालत ने उन्हें 16 सितंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सदस्य अमित कतरनयी ने त्रिवेदी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की थी कि उन्होंने पिछले साल यानि कि 2011 में अन्ना हजारे की रैली के दौरान बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में ऐसे पर्चे लगाए थे जिसमें भारतीय संविधान का मज़ाक उड़ाया जा रहा था. त्रिवेदी के ख़िलाफ़ ये आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने अपनी वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री डाली है. असीम राजनीतिक विषयों पर कार्टून बनाते हैं और इंटरनेट पर सेंसरशिप के ख़िलाफ़ सक्रिय रहे हैं. अदालत ने पिछले महीने त्रिवेदी के ख़िलाफ़ एक ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया था. गौरतलब है कि त्रिवेदी को कार्टूनिस्ट बनाने की कला से जुड़ा एक अवॉर्ड हासिल करने के लिए बुधवार को सीरिया के लिए रवाना होना था. इससे जुड़ी और सामग्रियाँ इसी विषय पर और पढ़ें
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Cartoonist's arrest a crime: Katju
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Press Council of India (PCI) president Markandey Katju has opposed the arrest of cartoonist Aseem Trivedi in an alleged "sedition" case.
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Justice (retd) Markandey Katju, former judge of the Supreme Court and chairman of the Press Council of India, has come out in support of Aseem Trivedi. I think the cartoonist has done nothing wrong or illegal. There are many things to be said in a democracy. Some things are right, others are wrong. Some things are right, others are wrong. Anna Hazare September 16, 2011. Arresting Indian leaders is also a crime. Take a lesson from this. Take a lesson from his tenure in the Supreme Court. Meanwhile, cartoonist Aseem Trivedi has been sent to police custody till September 16. Meanwhile, people from all walks of life have started coming out in support of Aseem Trivedi. I often used to say that people associated me with the court or the Mumbai court, that he could be called a fool or a traitor, that Trivedi could be called a traitor, that he could be called a traitor, that he could be called a traitor, that he could be called a traitor, that he could be called a traitor, that he is a traitor, that he is a traitor, that he is a traitor, that he is a traitor, that he is a traitor, that he is a traitor, that is also a traitor, that is a traitor, that is a traitor, that is a traitor of the cartoonist, in a traitor, is a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in democracy, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a political party, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a political party, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a political party, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a traitor, in a political party, in a traitor, in a traitor, in a traitor,
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https://www.bbc.com/hindi/international/2015/06/150618_washington_diary_ps
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फिर भी बंदूकें बिक रही तेल-साबुन की तरह
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अमरीका के चार्ल्सटन शहर के चर्च पर हुए हमले के बाद जब राज्य की भारतीय मूल की गवर्नर निकी हेली टीवी कैमरों के सामने आईँ तो उन्होंने रूंधी हुई आवाज़ में कहा, “साउथ केरोलाइना का दिल टूट गया.”
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लेकिन बहुत लोग शायद कहेंगे कि निकी हेली को कहना चाहिए था कि साउथ केरोलाइना का दिल एक बार फिर से टूट गया. चार्ल्सटन शहर के जिस चर्च में ये कत्लेआम हुआ, ये वही चर्च था जिसे 1820 के दशक में शहर के गोरे नागरिकों ने जला कर राख कर दिया था क्योंकि वहां काले गुलामों के विद्रोह की साज़िश रची जा रही थी. इतिहास में नस्लभेद चार्ल्सटन का ऐतिहासिक चर्च जहां ये घटना हुई. इस चर्च की नींव रखनेवाले डेनमार्क वेसी और उनके कई काले साथियों को फांसी पर लटका दिया गया. वेसी ख़ुद भी गुलाम रह चुके थे और लॉटरी में जीती रकम से उन्होंने अपने मालिक से अपनी आज़ादी खरीद ली थी. समाप्त लेकिन अपनी पत्नी को आज़ाद नहीं करवा पाए थे और तब के कानून के अनुसार उनके जो भी बच्चे हुए वो उस मालिक की संपत्ति थे यानी गुलाम थे. बुधवार की रात को जब एक गोरा नौजवान उस चर्च में घुसा तो वहां बैठे लोगों में थीं, 87 साल की सूज़ी जैकसन, 74 साल के रेवरेंड डैनियल सिमंस और 70 साल की इथल लैंस भी, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में देखा होगा उन जगहों को, जहां लिखा होता था - कालों के लिए यहां घुसना मना है. उन लोगों ने पानी पिया होगा काले और गोरों के लिए बने अलग-अलग नलकों से, तस्वीरें देखी होंगी साल 1963 में पास के ही अलबामा राज्य में एक काले चर्च पर हुए बम धमाके की, जिसमें चार बच्चियां मारी गई थीं. आज भी कायम नस्लभेद लेकिन क्या उन्हें ये डर रहा होगा कि इक्कीसवीं सदी में जब देश का राष्ट्रपति काला है, इंसाफ़ की बागडोर संभालने वाली एटॉर्नी जनरल काली हैं, राज्य की गवर्नर भारतीय मूल की हैं, कांग्रेस में राज्य का प्रतिनिधित्व करनेवाला एक सेनेटर काला है, वहां उनके अपने ही चर्च में घुसकर कोई उनकी जान ले लेगा? इस सवाल का जवाब वो अब नहीं दे सकते लेकिन शायद उन्हें डरना चाहिए था. दो महीने पहले ही पड़ोस के ही एक शहर में एक गोरे पुलिसवाले ने एक निहत्थे काले इंसान को गोली मार दी थी. न्यूयॉर्क में एक काला इंसान चिल्लाता रहा “मैं सांस नहीं ले पा रहा” लेकिन पुलिस ने उसे दबोचे रखा और उसकी मौत हो गई. कभी फ़र्गसन तो कभी बाल्टीमोर, हर रोज़ हो रहे विरोध प्रदर्शन—उन्हें शायद समझना चाहिए था कि अमरीका अभी भी रंग, नस्ल और मज़हब की दीवारों को तोड़ नहीं पाया है. बंदूकों की बिक्री आम और इस माहौल में अगर बंदूक तेल-साबुन की तरह दुकानों में बिके तो फिर तो करेला नीम चढ़ा. इस हमले के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार नौजवान डिलन रूफ़ को उनके एक रिश्तेदार ने हाल ही में उनके जन्मदिन के तोहफ़े के तौर पर एक .45 कैलिबर की बंदूक दी थी. राष्ट्रपति ओबामा ने एक बार फिर से बंदूकों के ख़िलाफ़ आवाज उठाई है. उन्होंने कहा है कि एक बार फिर से बेगुनाह मारे गए हैं और उसकी एक वजह ये है कि हमला करने वालों को बंदूक मिलने में कोई मुश्किल नहीं आती. साल 2008 में ओबामा की जीत के बाद मैं चार्ल्सटन शहर गया था. उनकी जीत, उनकी उम्मीद भरी आवाज़ काले लोगों के लिए एक सपने की तरह थी. वो किसी जादू की उम्मीद कर रहे थे. आज उन्हीं ओबामा की आवाज़ में मायूसी और बेबसी सुनाई देती है. साउथ केरोलाइना में शोक अख़बार में लोगों के मारे जाने की खबर के ठीक ऊपर छपा है बंदूक का विज्ञापन साउथ केरोलाइना में अमरीकी झंडे झुका दिए गए हैं. लेकिन गुलामी और नस्लवाद के हक़ में बंदूक उठाने वालों का प्रतिनिधित्व करनेवाला कॉनफ़ेडरेट फ़्लैग या झंडा लोगों के विरोध के बावजूद अब भी एक इमारत पर लहरा रहा है. मारे गए लोगों की याद में चर्चों में दुआएं मांगी जा रही हैं. स्थानीय अख़बार की हेडलाइन है, “चर्च पर हुए हमले में नौ की मौत” और हेडलाइन के ठीक ऊपर चमक रहा है एक लाल रंग का इश्तहार-- बंदूकों की एक दुकान का. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Still, guns are selling like oil and soap.
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"South Carolina is heartbroken," said the state's Indian-American governor Nikki Haley in a choked voice as she appeared before TV cameras following the attack on a church in the US city of Charleston.
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But most people would probably say that Nicky Haley should have told Nicky Obama that South Carolina's heart was broken once again. The historic church in Charleston, where Denmark Vesey, the founder of this church, and many of his black friends were hanged for winning the lottery. Vesey himself was a slave, and he bought his freedom from his master. Finished but his wife wasn't allowed to be killed. Black people should be allowed to have a voice in the church. Black people should be allowed to have a gun. Black people should be allowed to have a gun in the church again, but I'm not allowed to have a gun in the church today. The local New York Times newspaper should have shot a red gun. The church in Charleston, where the massacre took place, was burned down by the same white citizens of the city in the 1820s, because the city's white citizens were plotting a black slave rebellion. BBC Racist Suzie Jackson, 74, was killed in the first black death of black people in the city, and Daniel Simons, 74, was killed in the 70th year of the Civil War. "Like their white counterparts in California and Illinois, these black children have a gun in their mouths."
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https://www.bbc.com/hindi/international/2015/08/150828_boko_haram_death_sentence_aa
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बोको हराम के दस सदस्यों को मौत की सज़ा
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अफ्रीकी देश चाड में चरमपंथी संगठन बोको हराम के दस सदस्यों को मौत की सज़ा सुनाई गई है.
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राजधानी निजामेय में तीन दिनों तक चरमपंथी गतिविधियों के आरोपों में चले मुकदमे के बाद इस सज़ा की घोषणा की गई. इन लोगों को जून महीने में निजामेय में हुए दो हमलों का दोषी ठहराया गया जिसमें कम से कम 38 लोग मारे गए. मुख्यतः नाइजीरिया में सक्रिय बोको हराम के ये चाड में पहले हमले थे. चाड में ही बोको हराम से लड़ने के लिए बनाए गए क्षेत्रीय बल का मुख्यालय है. समाप्त जुलाई में चाड में चरमपंथी गतिविधियों के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है. विपक्ष और कई नागरिक अधिकार समूह इस नए क़ानून का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसका इस्तेमाल आम लोगों के अधिकारों को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Ten Boko Haram members sentenced to death
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Ten members of the militant group Boko Haram have been sentenced to death in the African country of Chad.
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The sentences were announced after a three-day trial in the capital, Niamey, on charges of extremist activities. The men were convicted of two attacks in June in Niamey that killed at least 38 people. These were the first attacks in Chad by Boko Haram, which is mainly active in Nigeria. Chad is home to the headquarters of the regional force created to fight Boko Haram. Chad introduced the death penalty for extremist activities in late July. The opposition and many civil rights groups are opposed to the new law. They say it can be used to control the rights of ordinary people. (Click here for BBC Hindi's Android app. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2012/11/121120_zoya_pkp
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सितारे जोखिम नहीं उठाते: ज़ोया अख़्तर
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हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री ने 70 और 80 के दशक में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और मौजूदा दौर में शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान और आमिर ख़ान सरीखे सुपरस्टार देखे हैं.
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बॉलीवुड को इस 'स्टार कल्चर' ने फ़ायदा ज़्यादा पहुंचाया है या नुक़सान. लंबे समय से ये बहस चली आ रही है. क्योंकि कई लोगों का मानना है कि फ़िल्म में अगर बड़े सितारे हों तो उसके कामयाब होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है जबकि कई लोगों का ये भी मानना है कि सितारे फ़िल्म में हों तो बाक़ी बातें जैसी उसकी कहानी या निर्देशन गौण हो जाते हैं जिससे अंतत: फ़िल्म की गुणवत्ता प्रभावित होती है. निर्देशक और लेखक ज़ोया अख़्तर क्या सोचती हैं इस बारे में. बीबीसी से ख़ास बातचीत करते हुए ज़ोया अख़्तर कहती हैं, "सच्चाई तो ये है कि इस स्टार कल्चर ने ही हमारी इंडस्ट्री को ज़िंदा रखा है. जिन फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ में सितारे नहीं है वो ख़त्म हो रही हैं. हॉलीवुड, बॉलीवुड और चीनी फ़िल्म इंडस्ट्री में ज़बरदस्त स्टार कल्चर है. और देखिए, ये तीनों ही इंडस्ट्री ना सिर्फ़ ज़िंदा हैं, बल्कि लगातार प्रगति करती जा रही हैं." स्टार सिस्टम का नुकसान ज़ोया, इस महीने के आख़िर में रिलीज़ होने वाली फ़िल्म तलाश की सहलेखिका हैं. तलाश में आमिर ख़ान, करीना कपूर और रानी मुखर्जी जैसे बड़े सितारे हैं. ज़ोया के मुताबिक़ फ़िल्म में बड़ा सितारा हो तो लोग उसे देखने के लिए सिनेमाहॉल में खिंचे चले आते है. इससे फ़िल्म व्यापार को ज़बरदस्त फ़ायदा होता है और इंडस्ट्री में लगातार पैसा आता रहता है. लेकिन ज़ोया इस सिस्टम में एक कमी भी पाती हैं. वो कहती हैं, "बड़े सितारे जोखिम नहीं उठाना चाहते. वो वही करते हैं जो उनके प्रशंसक उनसे चाहते हैं या जो वो पसंद करते आए हैं. फ़िल्म में कुछ मारधाड़ वाले सीन डाल दो. आइटम सॉन्ग डाल दो. लो बन गई फ़िल्म. अब सितारे प्रयोग नहीं करेंगे तो अच्छी फ़िल्में कहां से बनेंगी." लेकिन ज़ोया अपने आपको इस मामले में ख़ुशनसीब मानती हैं कि उनकी फ़िल्म 'तलाश' में आमिर ख़ान जैसे बड़े सितारे हैं जो बाक़ी स्टार्स से अलग हैं और जोखिम लेने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाते. कामयाबी का भरोसा 'तलाश' एक सस्पेंस ड्रामा है. इस तरह की फ़िल्में बनाने में क्या ख़तरा नहीं होता क्योंकि एक बार जो ये फ़िल्म देख ले उसे सस्पेंस का पता चल जाता है और वो दोबारा फ़िल्म को देखने से हिचकिचाएगा. ये सवाल पूछने पर ज़ोया बोलीं, "फ़िल्म सस्पेंस ड्रामा है. लेकिन हमने इसके किरदारों को काफ़ी इमोशनल स्ट्रेंथ यानी भावनात्मक शक्ति दी है. क्योंकि मुझे लगता है कि दर्शकों को भावनात्मक स्तर पर जोड़ना बेहद ज़रूरी है. तभी आपकी फ़िल्म कामयाब हो सकती है. हमने ऐसा किया है इसलिए फ़िल्म की सफलता को लेकर हम आशान्वित हैं." फ़िल्म 'तलाश' ज़ोया अख्तर और रीमा कागती ने मिलकर लिखी है. इसका निर्माण ज़ोया के भाई फ़रहान अख़्तर की एक्सेल इंटरटेनमेंट कंपनी और आमिर ख़ान मिलकर कर रहे हैं. फ़िल्म का निर्देशन रीमा कागती ने किया है और ये 30 नवंबर को रिलीज़ हो रही है.
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Stars don't take risks: Zoya Akhtar
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The Hindi film industry has seen superstars like Rajesh Khanna, Amitabh Bachchan in the 70s and 80s and Shah Rukh Khan, Salman Khan and Aamir Khan in the current era.
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The rest of Bollywood's "star culture" has done more harm or harm than good, Zoya Akhtar tells the BBC. "The truth is, it's the star culture that has kept our industry alive. Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoe, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Zoya, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Karishma Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Karisma Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Taim Khan, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Kareena Kapoor, Karisma Kapoor, Soha Ali Khan, Vicky Kaushal, Alia Bhatt, Vicky Kaushal, Bhumi Pednoo, Vicky Kaushal, Vicky Kaushal, Vicky Kaushal, Vicky Kaushal, Vicky Kaushal, Bhumi Pednewsal, Manieshadi,..... Reader,..... Read more...
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/01/160119_rohith_vemula_dalit_gehlot_da
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विरोध कर रहे छात्र बीजेपी से नाराज़ नहीं: थावर चंद
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केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा है कि रोहित आत्महत्या प्रकरण के बावजूद दलित युवा भाजपा से दूर नहीं हुए हैं.
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उनका दावा है कि केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे पत्र का इस मामले से कोई संबंध नहीं है. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने रविवार को आत्महत्या कर ली थी. उन्हें और चार अन्य को यूनिवर्सिटी ने सस्पेंड कर दिया था और हॉस्टल से निकाल दिया था. तेलंगाना पुलिस ने आत्महत्या के मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री बंडारु दत्तात्रेय के ख़िलाफ़ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया है. केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य से बातचीत में क्या कहा, विस्तार से पढ़ें... समाप्त "एक युनिवर्सिटी के छात्र ने आत्महत्या की है ये दुखद है. लेकिन स्मृति ईरानी जी और बंडारू दत्तात्रेय जी का इस आत्महत्या से कोई संबंध नहीं है क्योंकि उस छात्र को आत्महत्या करने के लिए ना तो उन्होंने प्रेरित किया और ना ही मजबूर किया. जो लोग आरोप लगा रहे हैं वो केवल आरोप लगाने कि लिए ही हैं. स्मृति ईरानी जी ने तो पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने और अपराधियों को दंड दिलाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से दो सदस्यीय समिति बनाकर घटना की जांच के आदेश दिए हैं. समाज कल्याण मंत्रालय की सचिव इसकी जानकारी जुटा रही हैं. अगर ऐसी कोई जानकारी सामने आती है जिसके मुताबिक जाति के आधार पर उत्पीड़न का मामला बनता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी. अगर बंडारू दत्तात्रेय के पास कुछ छात्र (अखिल भारतीय छात्र परिषद) शिकायत लेकर आए कि उनके साथ मारपीट हुई है तो उन्हें उस पर कार्रवाई तो करनी ही थी. अगर वो कार्रवाई ना करते तो भी उन पर सवाल उठते. अगर मारपीट का आरोप किसी और जाति के छात्र पर लगा होता तो उसके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई होती, इसका जवाब विश्वविद्यालय दे तो बेहतर होगा, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता. देश भर में विरोध कर रहे छात्रों में भारतीय जनता पार्टी या सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी नहीं है. भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारें और नरेंद्र मोदी की सरकार ही अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की सर्वाधिक हितैशी है. पिछले डेढ़ साल में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें एक नहीं अनेक योजनाएं पिछले डेढ़ साल से उनके लिए लेकर आई हैं." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Protesting students not angry with BJP: Thawar Chand
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Union Social Welfare Minister Thaawar Chand Gehlot has said that despite the Rohith suicide case, Dalit youth have not moved away from the BJP.
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They claim that Union Minister Bandaru Dattatreya's letter to HRD Minister Smriti Irani has no connection with the case. Rohith Vemula, a Dalit student pursuing a PhD at the University of Hyderabad, committed suicide on Sunday. He and four others were suspended by the university and expelled from the hostel. The Telangana police have also booked Union Minister of State Bandaru Dattatreya under the SC-ST Act in the suicide case. Read in detail. "A university student has committed suicide. It is sad. But Smriti Irani ji and Bandaru Dattatreya ji have no connection with this suicide because neither did they inspire nor compel that student to commit suicide. Those who are making allegations are only to accuse. Smriti Irani ji. If you want to give us some caste-based action on the basis of which the students of the central university are beaten up for the last one and a half years on the basis of a complaint from the Ministry of Human Resource Development or Bandaru Bandaru, according to Smriti Irani ji, to get justice for the victim, and to punish the culprits, then the state government will take action against them." If Smriti Irani ji and the students of the Bharatiya Janata Party (Students Union of India) want to come up with some caste-based complaint on the social media, then they will come up to the Ministry of Human Resource Development and Social Justice.
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sport-48650718
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https://www.bbc.com/hindi/sport-48650718
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विश्व कप 2019: अफ़ग़ानिस्तान को हराकर दक्षिण अफ्रीका ने पहला मैच जीता
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इंग्लैंड में खेले जा रहे 12वें आईसीसी विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में शनिवार को खेले गए दूसरे मुक़बले में दक्षिण अफ्रीका ने बेहद आसानी से अफ़ग़ानिस्तान को नौ विकेट से हरा दिया.
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हाशिम अमला ने नाबाद 41 रन बनाए दक्षिण अफ्रीका के सामने डकवर्थ लूइस नियम के आधार पर जीत के लिए 48 ओवर में 127 रनों का लक्ष्य था. इसे दक्षिण अफ्रीका ने 28.4 ओवर में ही केवल एक विकेट खोकर हासिल कर लिया. दक्षिण अफ्रीका के सलामी बल्लेबाज़ क्विंटन डी कॉक ने 68 और उनके जोड़ीदार हाशिम आमला ने नाबाद 41 रन बनाए. इन दोनों बल्लेबाज़ों ने पहले विकेट के लिए 104 रनों की साझेदारी की. अफ़ग़ान टीम हुई ढेर इससे पहले टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर अफ़ग़ानिस्तान की टीम दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज़ों का सामना नहीं कर सकी. उसकी पूरी पारी महज़ 34.1 ओवर में केवल 125 रन पर ढेर हो गई. अफ़ग़ानिस्तान के सलामी बल्लेबाज़ नूर अली ज़ारदान ने 32 और आलराउंडर राशिद ख़ान ने 35 रन बनाए. इनके अलावा हज़रतुल्लाह ज़ज़ाई ने भी 22 रन बनाए लेकिन बाकि कोई अन्य बल्लेबाज़ दहाई तक भी नहीं पहुंचा. दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर इमरान ताहिर ने 29 रन देकर चार और क्रिस मॉरिस ने 13 रन देकर तीन विकेट हासिल किए. यह विश्व कप में अफ़ग़ानिस्तान की लगातार चौथी हार रही जबकि दक्षिण अफ्रीका के खाते में पहली जीत आई. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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World Cup 2019: South Africa beat Afghanistan to win first match
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South Africa comfortably beat Afghanistan by nine wickets in the second match of the 12th ICC World Cup cricket tournament being played in England on Saturday.
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Hashim Amla scored 41 not out. South Africa had a target of 127 runs to win in 48 overs based on the Duckworth-Lewis rule. South Africa achieved it in 28. 4 overs for the loss of only one wicket. South African opener Quinton de Kock scored 68 and his partner Hashim Amla scored 41 not out. These two batsmen shared a partnership of 104 runs for the first wicket. The Afghan team could not face the South African bowlers after losing the toss and getting a chance to bat first. Their entire innings was bowled out for only 125 runs in 34. 1 over. Afghanistan opener Nur Ali Zardan scored 32 and all-rounder Rashid Khan scored 35. Apart from Hazratullah Zazai also scored 22 runs but no other batsman reached even two. South African spinner Imran Tahir gave four wickets for 29 runs and Chris Gayle gave 13 runs in the Hindi Cup. You can also click here to see South Africa's Twitter account for the first time.
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130215_india_politicians_rapecase_ia
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https://www.bbc.com/hindi/india/2013/02/130215_india_politicians_rapecase_ia
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कुछ नेता भी हैं बलात्कार के अभियुक्त
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मनोज कुमार पारस उत्तर प्रदेश सरकार में स्टैंप ड्यूटी के मंत्री हैं. नगीना विधानसभा क्षेत्र से चुने गए विधायक मनोज कुमार पारस पर एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के आरोप हैं.
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दिल्ली बलात्कार की घटना के बाद पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आवाज़े उठने लगीं थीं. पिछले साल (2012) दिसंबर में दिल्ली में एक बस में एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और फिर उनकी मौत के बाद भारत सरकार ने कहा था कि वे महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए यौन अपराध के मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तुरंत इंसाफ़ दिलाने की कोशिश करेगी. दिल्ली बलात्कार मामले के पांच अभियुक्त गिरफ़्तार हो चुके हैं और फ़ास्ट ट्रैक अदालतों में उस केस की सुनवाई भी हो रही है. लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार के इन दावों का उत्तर प्रदेश पर कोई ख़ास असर नही है. मंत्री मनोज कुमार पारस पर छह साल पहले बलात्कार के आरोप लगे थे लेकिन आज तक उनके ख़िलाफ़ न तो अदालत ने कोई कार्रवाई की है और न ही इस मामले को ख़ारिज किया है. लेकिन पारस का मामला अकेला नहीं है जिसमें किसी राजनेता या मंत्री पर इस तरह के आरोप लगे हैं. कई राजनेताओं पर बलात्कार या महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन शोषण के आरोप हैं. एक तिहाई नेताओं पर आपराधिक मामले वर्मा कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे. राजनेताओं पर नज़र रखने वाली दिल्ली स्थित ग़ैर-सरकारी संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार भारत में 4835 निर्वाचित नेताओं में से लगभग एक तिहाई ने अपने नामांकन पर्चे में अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकार की है. उनमें उत्तर प्रदेश तो शायद सबसे आगे है क्योंकि यहां के मौजूदा 58 मंत्रियों में से 29 पर कोई न कोई आपराधिक मामला दर्ज है. उत्तर प्रदेश में ही मनोज कुमार पारस के साथी, परिवहन मंत्री महबूब अली पर अपने राजनीतिक विरोधी की हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है. लेकिन महबूब अली अपने ऊपर लगे आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहते हैं, ''हो सकता है कि अदालत या पुलिस थाने में मेरे ख़िलाफ़ कोई शिकायत दर्ज हो लेकिन अगर जाँच होती है, तो आरोप ग़लत साबित होंगे.'' मनोज कुमार पारस भी अपने ऊपर लगे बलात्कार के आरोप को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि ये उनके राजनीतिक विरोधियों की साज़िश है. भारतीय समाज में हालाकि एक महिला के लिए बलात्कार का मामला दर्ज करवाना बहुत ही असाधारण बात है क्योंकि उलटे पीड़ित लड़की या महिला को ही पारिवारिक और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. लेकिन भारतीय क़ानून के अनुसार आरोप चाहे कितने भी गंभीर हों जब तक वे साबित नहीं हो जाते राजनेता अपनी कुर्सी पर बने रह सकते हैं. एडीआर के राष्ट्रीय संयोजक अनिल बैरवाल कहते हैं कि अक्सर राजनेता अपने पद का इस्तेमाल करके मामले को वर्षो नहीं बल्कि दशकों तक टालने में सफल हो जाते हैं. एडीआर के मुताबिक़ आपराधिक मामलों के अभियुक्त नेताओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. एडीआर के अनुसार 1448 सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें 641 पर तो हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर अपराध के आरोप हैं. लोकतंत्र को ख़तरा कांग्रेस पार्टी के मौजूदा 206 सांसदों में से 44 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि पूरे देश में सभी पार्टियों को मिलाकर छह विधायकों पर बलात्कार के मामले दर्ज हैं. दिल्ली बलात्कार के बाद बनी जस्टिस वर्मा कमेटी के सदस्य गोपाल सुब्रमण्यम कहते हैं कि 'भारतीय लोकतंत्र ख़तरे में है.' वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफ़ारिश की थी कि गंभीर आरोप झेल रहे सभी राजनेताओं को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. लेकिन उनकी सिफ़ारिश को सरकार ने मानने से इनकार कर दिया है. एडीआर के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रोफ़ेसर जगदीप चोकर कहते हैं, ''राजनीतिक पार्टियां केवल इस बात में विश्वास रखती हैं कि चुनाव जीतना ही असल मुद्दा है. चुनाव कैसे जीते जाएं इससे कोई लेना देना नहीं.''
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Some leaders are also accused of rape.
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Manoj Kumar Paras, an elected MLA from Nagina assembly constituency, is accused of gang-raping a girl.
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After the Delhi rape incident, the central government's claims about the safety of women began to be heard all over the country. Minister Manoj Kumar Paras was accused of rape six years ago. Minister Manoj Kumar Paras was accused of rape. ADMLAs were called rapists. ADMLAs were called rapists. ADMLAs were called rapists. The ADMLAs were called rapists. The ADMLAs were called rapists. The ADMLAs were called rapists. The ADMLAs were called rapists. In fact, the ADMLAs were called rapists. The ADMLAs were called rapists. The ADM Anil Kumar Verma may not be considered a criminal. The Indian Transport Committee may not be considered a criminal. But Paras's case is not the only one in which the Indian parliamentarians resigned. After the gang-rape of a paramedic student in a bus in Delhi in December last year. Gopal Verma was accused of rape or sexual abuse of women. The Indian government said that the criminal charges against the accused in the Delhi rape case are serious. According to the CRM Report, Verma was a victim of the criminal case for 64 years. According to the CRM Report, Verma was the victim of the most serious criminal cases. If these political leaders had not been accused of rape. If the ADM, a member of the Uttar Pradesh Women's Association, could have been accused of a criminal case for almost 48 years. If the ADMahorsi, a member of the National Democratic Women's Association, had been successful in registering a criminal case against a political party, then ADMahorsi, then ADMahorsi and ADM, a member of the political party in every political party in the country, then ADMahorsi, then ADMahorsi, then ADMahorsi, then ADMahorsi, then ADMahorsi, then ADMahorsi, and ADMahorsi, a member of the member of the political party's of the political party's political party's political party's political party, then a criminal case in law, then ADMahors's office, then ADMaharsi, then ADMahorsi, then ADMaharsi, then ADMahari, then ADMa, then ADMahors of the political party's, then ADMah
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https://www.bbc.com/hindi/india-42971699
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उत्तर प्रदेश: बोर्ड परीक्षा के पहले ही दिन क्यों गायब रहे पौने दो लाख छात्र
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अभूतपूर्व इंतज़ाम के बीच मंगलवार से शुरू हुई उत्तर प्रदेश माध्यमिक बोर्ड परीक्षा के पहले दिन एक लाख अस्सी हज़ार छात्र परीक्षा देने ही नहीं पहुंचे.
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इसकी वजह परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए किए गए अभूतपूर्व सरकारी इंतेज़ामों को माना जा रहा है. परीक्षा केंद्रों के बाहर पुलिस बल तैनात हैं. छात्रों की बेहद सख़्ती से सघन जांच की जा रही है और परीक्षा कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिनकी निगरानी की जा रही है. यूपी बोर्ड के शिक्षा निदेशक अवध नरेश शर्मा से जब हमने बात की तब वो उपमुख्यमंत्री और राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफ़ेसर दिनेश शर्मा के साथ परीक्षा केंद्र के दौरे पर थे. शर्मा कहते हैं, "इस बार बोर्ड का पूरा ध्यान किसी भी तरह से नकल को पूरी तरह रोकने पर है. हमने परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी लगाए हैं और नकल रोकने के लिए उड़न दस्ते परीक्षा केंद्रों पर छापे मार रहे हैं." आईआईटी में समोसे बेचने वाले का बेटा बिना ट्यूशन, किसान का बेटा यूपी में अव्वल. दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा बोर्ड शर्मा कहते हैं, "मैं अभी उपमुख्यमंत्री के साथ एक परीक्षा केंद्र के दौरे पर हूं. हमारे प्रयास कामयाब हो रहे हैं और परीक्षाएं बेहद सुरक्षित माहौल में हो रही हैं." छात्रों की संख्या के लिहाज से यूपी बोर्ड दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं करवाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा बोर्ड है. इस साल भी 66 लाख 33 हज़ार छात्रों ने परीक्षा फ़ार्म भरे हैं. लेकिन परीक्षा के पहले दिन एक लाख 80 हज़ार छात्र परीक्षा से नदारद रहे. इस पर अवध नरेश शर्मा कहते हैं, "जिन छात्रों ने परीक्षा की तैयारी नहीं की थी वो ही ग़ायब रहे हैं. जिन्होंने तैयारी की है वो पेपर देने आ रहे हैं." लेकिन ये संख्या बहुत ज़्यादा है और दर्शाती है कि एक बड़ी तादाद में बच्चे पढ़ाई जारी नहीं रख पाएंगे. इस पर शर्मा कहते हैं, "जब स्कूलों में पढ़ाई होगी तो ये नौबत नहीं आएगी. जो बच्चा पढ़ेगा वो धड़ल्ले से परीक्षा देगा. पढ़ने वाले बच्चे परीक्षा देने के लिए उत्साहित रहते हैं. परीक्षाएं कड़ी करना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की शुरुआत है." तनाव दूर करने के लिए मोदी ने लिखी किताब प्यार-परीक्षा-बेचैनी, कहीं आप शिकार तो नहीं? अवध नरेश शर्मा ने माना कि पौने दो लाख बच्चे परीक्षा से गैरहाजिर रहे सोलह छात्र नकल करते हुए पकड़े गए... इस बार यूपी बोर्ड ने उन्हीं विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया है जो सीधे सड़क मार्गों से जुड़े हैं और जहां बाकी सभी इंतेज़ाम भी है. अवध नरेश शर्मा कहते हैं, "इस बार परीक्षा केंद्रों के गेट पर ही सघन चेकिंग की जा रही है. परीक्षा लेने वाले सभी परीक्षकों के पहचान पत्र बनाए गए हैं. जिस विषय की परीक्षा है उसके शिक्षकों की ड्यूटी उस दिन नहीं लगाई गई है. निगरानी समितियां बनाई गई हैं जो परीक्षा केंद्र पर नज़र रख रही हैं." इन बेहद सख़्त इंतेज़ामों की वजह से छात्र नकल नहीं कर पा रहे हैं. परीक्षा के पहले दिन पूरे उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ सोलह छात्र नकल करते हुए पकड़े गए. दसवीं की परीक्षा देकर लौटे एक छात्र ने बताया, "स्कूल के बाहर ही गहन तलाशी ली गई. पेपर शुरू होने से पहले बताया गया कि आप सीसीटीवी की निगरानी में हैं." छात्र ने बताया, "माहौल बेहद सख़्त था, परीक्षकों के पास डंडे भी थे. किसी को गर्दन भी नहीं हिलाने दी. जो बच्चे तैयारी से आए थे वो लिख रहे थे. जो नहीं आए थे वो परेशान थे और इधर-उधर देख रहे थे लेकिन नकल नहीं कर पा रहे थे." सख़्ती का असर अवध नरेश शर्मा बताते हैं कि नकल की किसी भी गुंजाइश को ख़त्म करने के लिए परीक्षा की तैयारी सितंबर से ही शुरू कर दी गई थी. परीक्षाओं में इस सख़्ती का असर बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों पर भी रहेगा. अवध नरेश शर्मा इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं, "सख्ती होगी तो वही बच्चा सफल होगा जिसने पढ़ाई की है. निश्चित रूप से इसका नतीजों पर असर होगा. हो सकता है कि पहली बार ये लगे कि रिज़ल्ट गिर गया है. लेकिन ये अच्छी शुरुआत है." "बच्चों को जब अहसास हो जाएगा कि अब नकल नहीं होगी तो वो साल भर मेहनत से पढ़ेंगे और शिक्षक भी ध्यान से पढ़ाएंगे. ख़राब रिज़ल्ट का असर बच्चों के करियर पर भी पड़ेगा. ऐसे में वो और अधिक ज़िम्मेदार होंगे. व्यवस्था सकारात्मक रूप से बदल रही हैं." मेरिट में मुकाबला शर्मा ये भी कहते हैं कि जिन स्कूलों के नतीजें खराब रहे उनकी ज़िम्मेदारी तय की जाएगी और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी. वहीं एक ग्रामीण क्षेत्र में परीक्षा केंद्र के बाहर कई सालों से दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति ने बीबीसी से कहा, "पहले कभी इस तरह की सख़्ती नहीं होती थी. ये पहली बार है जब इतने सख़्त इंतज़ाम किए गए हैं." वो कहते हैं, "ऐसा लग रहा है जैसे छात्रों के हाथ-पैर काट दिए गए हैं और धड़ तड़प रहा है. ये छात्रों के साथ एक तरह की नाइंसाफ़ी भी है. इतनी सख़्ती में परीक्षा देने वाले छात्र पिछली सरकारों के दौरान पास हुए छात्रों से मेरिट में मुकाबला कैसे कर पाएंगे?" "पहले छात्र आसानी से 80 प्रतिशत नंबर लेकर पास हो गए, अब जो परीक्षा दे रहे हैं वो तो पास होने के लिए ही संघर्ष करते दिख रहे हैं." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Uttar Pradesh: Why two and a half lakh students were missing on the first day of board exams
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One lakh eighty thousand students did not appear for the first day of the Uttar Pradesh Secondary Board examination, which began on Tuesday amid unprecedented arrangements.
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The reason for this, says Sharma, is that when we spoke to Deputy Chief Minister and Education Minister of the state, Prof. Dinesh Sharma, he was on a visit to the examination center. This time, says Sharma, "The Board has installed CCTVs in the examination centers and flying squads to prevent copying," he says. Merit centers will not be able to accept the results. Merit centers will not be so tight. Merit centers will not be able to arrange tuition, Naresh Sharma says, "The number of students who are preparing for the 10th grade will not be very high. The schools will not be able to arrange the results. The number of children who are preparing for the 10th grade is not so high. Naresh Sharma says," The children who are preparing for the 10th grade will not be able to prepare for the 10th grade, but the children who are preparing for the 10th grade will not be able to prepare for the 10th grade, "he says.
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2013/03/130308_shahrukhkhan_womensday_ks
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शाहरुख़ की फिल्म में हीरोइन का नाम पहले
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महिला दिवस के दिन जहां चारों ओर औरत के हालातों पर चर्चा हो रही है, वहीं शाहरुख़ ख़ान ने भी इस मौके पर अपनी तरफ से एक कदम उठाया है जो थोड़ा अनूठा है.
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फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' में शाहरुख ख़ान और दीपिका पादुकोण मु्ख्य भूमिका में है मीडिया से बात करते हुए शाहरुख़ ने कहा कि अब से उनकी हर फिल्म के क्रेडिट रोल्स में उनसे पहले हीरोइन का नाम आएगा. ये पहल शाहरुख़ अपनी नई फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस से शुरु करना चाहते हैं जिसमें उनके साथ दीपिका पादुकोण है. शाहरुख़ का कहना है "जिन लोगों के साथ मैं काम कर रहा हूं उनसे मेरी दरख़्वास्त है कि वो ऐसा अभी से करना शुरु कर दें. मुझे नहीं पता इससे कुछ बदलाव आएगा लेकिन ये सोचने लायक बात है. " फिल्मों में हीरोइन फिल्मों में अभिनेत्रियों के चित्रण पर बात करते हुए शाहरुख़ ने कहा "महिलाएं हमारे काम में रीढ़ की हड्डी का काम करती हैं और उन्हें उचित श्रेय दिया जाना चाहिए. मैं अपनी सभी फिल्मों में ध्यान रखता हूं कि हीरोइन को अच्छी तवज्जो मिले. मैं सिर्फ दिखावे के लिए महिलाओं पर फिल्म बनाना नहीं चाहूंगा." वहीं एक दफे बीबीसी से बातचीत में शबाना आज़मी ने भी हिंदी फिल्मों में महिलाओं के चित्रण और दकियानूसी सोच के बारे में चर्चा की थी जिसमें उन्होंने अपनी ही एक फिल्म का ज़िक्र किया था जिसे करने के लिए उन्हें महिला संस्थाओं में कड़ी डांट भी पड़ी. उस फिल्म का नाम था थोड़ी सी बेवफाई. अवार्ड समारोह में भी पीछे वहीं शाहरुख़ ने अवार्ड समारोह में भी अभिनेत्रियों को कम अहमियत दिए जाने पर आपत्ति जताई. शाहरुख़ के अनुसार अवार्ड समारोह में हीरो का पुरस्कार आखिरी में घोषित किया जाता है जिसे सबसे ज़्यादा तालियां मिलती हैं, क्यों नहीं हीरोइन के अवार्ड की घोषणा आखिरी में की जाती है. वहीं पिछले दिनों स्क्रीन अवार्ड समारोह में लगातार चौथी साल पुरस्कार जीतने वाली विद्या बालन का मानना है कि ये वक्त है जब ऐसे कार्यक्रमों में स्त्री और उसके योगदान की बात की जाए और स्त्रीत्व का जश्न मनाया जाए. देखना होगा कि विद्या की फिल्मों के चयन और शाहरुख़ की फिल्मों में उनसे पहले हीरोइन का नाम दिखाने की पहल, क्या ये वाकई में फिल्मों की भीड़ में महिलाओं को आगे ला पाएगी?
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The name of the heroine in Shah Rukh's film
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While the situation of women is being discussed all around on Women's Day, Shah Rukh Khan has also taken a step from his side on this occasion which is a little unique.
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Shahrukh Khan and Deepika Padukone are in the lead role in the film 'Chennai Express'. Speaking to the media, Shahrukh said that from now on every film of his will have the name of the heroine before him in the credit rolls. Shah Rukh wants to start this initiative with his new film Chennai Express, in which he has Deepika Padukone with him. Shah Rukh said, "My request to the people with whom I am working is that they should start doing this now. I don't know if this will bring some change in the first actors but it is worth thinking about." Talking about the portrayal of heroines in films, Shah Rukh said, "Women are the backbone of our work and they should be given due credit. I see that in all my films heroines get good attention. I don't want to make films on women just for show." In a conversation with the BBC, Shabana Azmi also expressed her concern about the portrayal of women in Hindi films and the thought of the next year. In the last film of the female hero award ceremony, when Vidya Shah was given the name of the female hero, she was also given the name of the female hero. In the last film of the film, Vidya Shah was also given the name of the female hero, who was selected for the female hero award. In the last film ceremony of the film, she was also given the name of the female hero.
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160109_modi_pathankot_dp
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/01/160109_modi_pathankot_dp
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे पठानकोट
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पठानकोट पहुंच गए हैं जहां वह एयरबेस पर हुए चरमपंथी हमले के बाद वहां के हालात का जायज़ा लेंगे.
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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ मोदी के दौरे को लेकर पठानकोट में तैयारी पूरी हो गई है. माना जा रहा है कि इस दौरान वह सीमावर्ती इलाक़ों का हवाई निरीक्षण भी कर सकते हैं. पठानकोट में सुरक्षा बलों का तलाशी अभियान पूरा हो गया है और एयरबेस को पूरी तरह सुरक्षित घोषित कर दिया है. गत दो जनवरी को चरमपंथियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था. सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई में छह चरमपंथी मारे गए. इस दौरान सात सुरक्षाकर्मी भी मारे गए जबकि 20 अन्य घायल हो गए. समाप्त इस घटना से एक हफ्ते पहले मोदी ने पाकिस्तान का आकस्मिक दौरा कर प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से मुलाकात की थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Prime Minister Narendra Modi has reached Pathankot.
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Prime Minister Narendra Modi has reached Pathankot where he will take stock of the situation following the militant attack on the airbase.
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According to news agency PTI, preparations have been completed in Pathankot for Modi's visit. It is believed that during this time he can also conduct an aerial survey of the border areas. The search operation of the security forces in Pathankot has been completed and the airbase has been declared completely safe. On January 2, militants attacked the Pathankot airbase. Six militants were killed in the action of the security personnel. Seven security personnel were also killed during this action while 20 others were injured. A week before this incident, Modi made a surprise visit to Pakistan and met Prime Minister Nawaz Sharif. (For BBC Hindi's Android app, you can click here. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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https://www.bbc.com/hindi/international/2013/09/130904_britain_parliament_porn_dp
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ब्रितानी संसद के कंप्यूटरों में 'चलता है पोर्न'
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ब्रिटेन में आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक़ संसद में पिछले साल पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स को खोलने की 3 लाख से ज़्यादा बार कोशिश की गई.
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अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने किन वेबसाइट को पोर्न की श्रेणी में रखा है. हाउस ऑफ़ कॉमंस के अधिकारियों का कहना है कि ये साफ नहीं है कि सांसदों ने ये कोशिश की या उनके स्टाफ ने. उनका कहना है कि इन आंकड़ों का मतलब ये नहीं है कि हर बार जानबूझकर पोर्न साइट देखने की कोशिश की गई. संभव है कि ख़ुद-ब-ख़ुद लोड होने वाले थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर या बेवसाइट ने इसे बढ़ाचढ़ाकर पेश किया हो. ब्रितानी संसद में करीब पांच हज़ार लोग काम करते हैं. सूचना 'हफिंगटन पोस्ट यूके' ने सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत ये जानकारी मांगी थी जिसके बाद ये आंकड़े जारी किए गए हैं. हफिंगटन पोस्ट यूके ने इसे 'ओह यस मिनिस्टर!' शीर्षक से प्रकाशित किया है. आंकड़ों के मुताबिक़ नवंबर में पोर्न वेबसाइट देखने की 114,844 कोशिश की गई जबकि फरवरी में केवल 15 बार ऐसा करने की कोशिश की गई. हाउस ऑफ कॉमंस की प्रवक्ता ने कहा, "हम नहीं मानते हैं कि ये आंकड़े सही हैं." उनका कहना था कि कई बार ऐसी वेबसाइट एक ही बार में कई हिट दर्ज कर लेती है या कुछ वेबसाइट पॉप-अप के ज़रिए दूसरी वेबसाइट से जोड़ लेती हैं. घोषणा प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने जुलाई में ऐलान किया था कि इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियां घरों में पोर्नोग्राफी को ब्लॉक कर देंगी जब तक कि कोई पोर्न वेबसाइट देखना न चाहे. उन्होंने कहा था कि ऑनलाइन पोर्नोग्राफी से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और सेक्स और संबंधों के बारे में उनकी समझ खराब हो रही है. ब्रिटेन की सबसे बड़ी इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों ने उस फिल्टर स्कीम पर सहमति जताई है जिसके तहत 95 फीसदी घरों में पोर्न बेवसाइट ब्लॉक हो जाएंगी. लेकिन कैमरन के एक सलाहकार और विकीपीडिया के सह संस्थापक जिमी वेल्स ने इस योजना को बेतुका बताया है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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British Parliament computers' run on porn'
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According to official records in the UK, there were more than 300,000 attempts to open pornographic websites in Parliament last year.
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Officials did not say which website they classified as porn. House of Commons officials say it is unclear whether MPs tried it or their staff tried it. They say the figures do not mean that every time there was a deliberate attempt to view a porn site. It is possible that a third-party software or website that automatically loads porn on children's homes may have exaggerated it. About five thousand people work in the British Parliament. The Huffington Post UK has asked for this information under the Freedom of Information Act. The Huffington Post UK has published it under the title 'Oh Yes Minister!' According to the data, 114,844 attempts were made to view a porn website in November, while in February only 15 attempts were made to do so. The House of Commons spokeswoman said, "We do not believe that these figures are correct." She said that under the Hindi website, children's porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, porno, etc. The Prime Minister's website asked for this information under the Freedom of Information Act, after which Huffington Post UK published it. Huffington Post UK published it under the title 'Oh Yes Minister!'. According to Wikipedia, in July, 114,844 attempts were made to view the porn website, while the founders of the companies filtered it only 15 times. According to block the website, but David Andrews, co-plugging on the popo, on the popo, on the website, on the website, and on the pop-camera.
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080601_bjp_meeting
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/06/080601_bjp_meeting
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भाजपा ने उठाया 'धर्मनिरपेक्षता' का मुद्दा
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कर्नाटक में मिली जीत से उत्साहित भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कार्यकर्ताओं से दिल्ली पर कब्ज़े और लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए कमर कसने को कहा है.
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लोकसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी इस बार 'धर्मनिरपेक्षता' बनाम 'पंथनिरपेक्षता' को मुद्दा बनाएगी. भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की दो दिन की बैठक रविवार सुबह पार्लियामेंट एनेक्सी में शुरू हुई. दिल्ली पर नज़र इसमें पार्टी के सभी पदाधिकारी और भाजपा शासित राज्यों में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित थे. पहले यह बैठक राजस्थान की राजधानी जयपुर में होने वाली थी. लेकिन वहाँ हुए बम विस्फोटों के बाद बैठक का स्थान बदलकर दिल्ली कर दिया गया. अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने यूपीए सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए उसपर तगड़ा प्रहार किया. उन्होंने महँगाई, खाद्य संकट, किसानों की आत्महत्या, देश में बढ़ती चरमपंथी घटनाओं और बांग्लादेशी घुपैठियों के लिए सरकार की ढुलमुल नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया. 'धर्मनिरपेक्ष' बनाम 'पंथनिरपेक्ष' लोकसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर 'धर्मनिरपेक्षता' का मुद्दा उठा लिया है. इस बार यह मुद्दा 'धर्मनिरपेक्ष' बनाम 'पंथनिरपेक्ष' का है. भाजपा का कहना है कि भारत धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता है.क्योंकि 'सेक्युलर' शब्द का सही अनुवाद 'पंथनिरपेक्ष' होता है, 'धर्मनिरपेक्ष' नहीं. भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है इसे देखते हुए अब धर्मनिरपेक्ष शब्द के प्रयोग पर रोक लगाई जानी चाहिए. पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि बैठक में राजस्थान का गुर्जर आंदोलन का मुद्दा छाया रहेगा और शायद गुजर नेता बैठक में बाधा पहुँचाएँ. इसे देखते हुए बैठक स्थल पार्लियामेंट एनेक्सी से भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय तक तगड़ा पुलिस बंदोबस्त किया गया है. दरअसल इस बैठक का मक़सद कर्नाटक में मिली जीत पर अपनी पीठ थपथपाने की है. पार्टी पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मिली जीत के बाद अब मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी अपना परचम फहराना चाहती है, दिल्ली की कुर्सी पर उसकी नज़र तो पहले से ही है. भले ही पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा का ‘इंडिया शाइनिंग’ का नारा नहीं चल पाया हो, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि इस बार भाजपा शाइनिंग का नारा चल निकलेगा.
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BJP raises issue of 'secularism'
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Buoyed by the victory in Karnataka, BJP president Rajnath Singh has asked party workers to gear up to capture Delhi and see LK Advani as the prime minister.
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In view of the Lok Sabha elections, the party will make the issue of 'secularism' versus' secularism 'this time. The two-day meeting of the BJP's national executive began on Sunday morning in the Parliament Annexe. This time the party's office bearers and the chief ministers of all BJP-ruled states were present. The meeting was earlier scheduled to be held in Jaipur, the capital of Rajasthan. But after the bomb blasts there, the venue of the meeting was changed to Delhi. In his speech, Rajnath Singh attacked the UPA government, calling it a failure on every front. He blamed the government's sloppy policies for inflation, food crisis, farmers' suicides, increasing extremist incidents in the country and Bangladeshi infiltrators. Perhaps in view of the 'secular' versus' secular 'Lok Sabha elections in Rajasthan, the party has once again taken up the issue of' secularism '. The BJP's national spokesperson in Karnataka, Shai Ravi Shankar Prasad, said that the BJP's' secularism 'slogan is no longer used in the state assembly. Even if the BJP's secularism meeting is held in Delhi, after the secularism attack on the BJP's secularism front office, it is not expected that the secularism of the secular party in Madhya Pradesh will be brought to the meeting. The BJP's national executive meeting in Himachal Pradesh. Even if the BJP's's slogan is used in the state assembly. The BJP's's slogan is used in Karnataka, then the slogan' secularism's slogan's slogan's slogan is used in Himachal Pradesh,'s slogan's slogan's slogan's slogan's' can't be used in Himachal Pradesh,'s's's's's' can't is't,'s's's's' can't,'s's's's' can's's's's's' can's's's's' can's's's' can's's's's's's' can's's's's's's's' can's's's's' can's's's's's's's's' can's's's's's's's's's's's's
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130325_us_afghanistan_bagram_dp
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https://www.bbc.com/hindi/international/2013/03/130325_us_afghanistan_bagram_dp
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बगराम जेल अफगानिस्तान के हवाले
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अमरीकी सेना ने आखिरकार विवादास्पद बगराम जेल को औपचारिक रूप से अफगानिस्तान के हवाले कर दिया है.
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बगराम जेल गुआंतानामो की तरह ही बदनाम है और इसमें कैदियों के साथ दुर्व्यवहार के कई मामले सुर्खियों में रहे अफगानिस्तान में ये एकमात्र जेल थी जिस पर अब भी अमरीकी सेना का नियंत्रण था और इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी आ गई थी. बगराम जेल को अफगानों के हवाले करने के लिए सितंबर में एक करार हुआ था लेकिन इस जेल में बंद खतरनाक कैदियों के भविष्य को लेकर बात नहीं बन पा रही थी. अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के अघोषित दौरे पर अफगानिस्तान पहुंचने के बाद अमरीकी सेना ने बगराम जेल को परवान में औपचारिक रूप से स्थानीय प्रशासन के हवाले कर दिया. गुआंतानामो जेल की तरह बगराम जेल भी बदनाम रही है और यहां कैदियों के साथ कथित ज्यादतियों के कई मामले सुर्खियों में रहे. कभी ये जेल बगराम वायुसैनिक अड्डे में हुआ करती थी जो कि अफगानिस्तान में तैनात नेटो सेनाओं का सबसे बड़े सैन्य ठिकानों में से एक था. बगराम जेल के कुछ मील दूरी पर परवान में नई जेल बनाई गई है और 2010 से कैदियों को वहां रखा जाने लगा.
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Bagram prison handed over to Afghanistan
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The US military has finally formally handed over the controversial Bagram prison to Afghanistan.
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Bagram prison is as notorious as Guantanamo and has had several cases of abuse of prisoners in the headlines It was the only prison in Afghanistan still controlled by the US military and relations between the two countries were strained over this issue. An agreement was reached in September to hand over Bagram prison to Afghans but the future of dangerous prisoners held in this prison was not on the table. After US Secretary of State John Kerry arrived in Afghanistan on an unannounced visit, the US military formally handed over Bagram prison to the local administration in Parwan. Like Guantanamo prison, Bagram prison has also been notorious and has had several cases of alleged abuse of prisoners. The prison once housed the Bagram Air Force Base, one of the largest military bases of NATO forces stationed in Afghanistan. A new prison was built a few miles from Bagram prison and was opened in 2010.
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150313_sharad_yadav_anti_women_statement_fma
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https://www.bbc.com/hindi/india/2015/03/150313_sharad_yadav_anti_women_statement_fma
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सांवली औरतों का ज़िक्र पड़ा शरद को भारी
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राज्यसभा सांसद शरद यादव के दक्षिण भारतीय महिलाओं के रंग पर दिए गए एक बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
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शरद यादव सदन में बीमा विधेयक पर जारी बहस पर बोल रहे थे. इसी क्रम में वो गोरे रंग के प्रति भारतीयों की दीवानगी के बारे में बोलने लगे. उनके मुताबिक़, जैसा कि उन्होंने गुरूवार को अपने भाषण में कहा, बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 26 से 49 प्रतिशत करने के पीछे यही पागलपन काम कर रहा है. 'गोरे रंग का रोब' उन्होंने कहा कि भारत में लोग गोरी चमड़ी की धाक में है. उन्होंने कहा कि शादी के रिश्तों के लिए दिए जाने वाले इश्तिहार में लोग गोरे रंग की कन्या की मांग करते देखे जा सकते हैं. समाप्त शरद यादव अचानक भाषण के दौरान दक्षिण भारतीय महिलाओं के सांवले रंग और उनके जिस्म की बनावट के बारे में कहने लगे. हालांकि उन्होंने उनके शरीर की बनावट को लफ़्ज़ों में बयां नहीं किया लेकिन उनके हाथ का इशारा बहुत कुछ कह रहा था. उनके इस बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि उन्हें बयान के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए. सीपीएम नेता वृंदा करात ने इसे शर्मनाक और अनुचित बताया और कहा कि उसे रिकार्ड से हटा दिया जाना चाहिए. 'पुरुषवादी मानसिकता ...' वामपंथी पार्टी के एक और नेता पी राजीव का कहना था कि जब बहस बीमा विधेयक पर हो रही थी लेकिन मुझे नहीं बताया कि उसमें उन्हें महिलाओं को जिस्म पर कमेंट करने की क्या ज़रूरत पेश आ गई. ये उस तरह के सांसदों के पुरूषवादी मानसिकता को दर्शाता है. बीजेडी सदस्य जय पांडा ने कहा कि इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. प्रजांतत्र के मंदिर में इन मामलों पर संवेदनशील होना चाहिए. इधर जनता दल यूनाइटेंड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि अगर पार्टी नेता के इस बयान से किसी को दुख हुआ है तो उन्हें इसका खेद है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Sharad was overwhelmed by the sight of dusky women.
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A controversy has erupted over a statement made by Rajya Sabha MP Sharad Yadav on the colour of South Indian women.
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Sharad Yadav was speaking on the ongoing debate on the Insurance Bill in the House. He went on to speak about Indians' obsession with blondes. According to him, as he said in his speech on Thursday, this is the madness at work behind the increase in foreign investment in the insurance sector from 26 to 49 percent. 'Gorhe Rang Ka Rob'. He said that people in India are in awe of blondes. He said that people can be seen demanding blondes in advertisements for marriage relationships. Sharad Yadav suddenly said during the speech about the dark complexion of South Indian women and their body shape. Though he did not describe their body shape in words, his hand gesture was saying a lot. Condemning his statement, Congress leader Rajiv Shukla said that he should apologize for the statement. CPM leader Brinda Karat called it shameful and inappropriate and said that it should be removed from the record. Like the Hindi app, Rajiv Gandhi said that the members of the Hindi film industry and Rajiv Gandhi's daughter-in-law can also be seen demanding a blonde bride.
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sport-43676130
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https://www.bbc.com/hindi/sport-43676130
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क्या छोटे क़द ने मीराबाई चानू को दिलाया सोने का तमगा?
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5 अप्रैल को सोने का मेडल गले में लटकाए 4 फुट 11 इंच की मीराबाई चानू पोडियम पर खड़ीं थी.
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राष्ट्रमंडल खेलों में वेटलिफ़्टिंग में महिलाओं के 48 वर्ग के फ़ाइनल में प्रदर्शन करतीं मीराबाई चानू अब तक तो आपको पता भी चल गया है कि 23 साल की चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया है. ये भी कि वेटलिफ़्टिंग खेल के महिलाओं के 48 किलो वर्ग में कुल 196 किलो ( स्नैच में 86 और क्लीन एंड जर्क में 110 किलो) का वज़न उठाया. लेकिन ऐसे बड़े-बड़े कारनामे कर दिखाने वाली चानू के क़द पर गौर किया? दरअसल जीत के बाद बीबीसी से ख़ास बातचीत के दौरान मीराबाई चानू ने एक ऐसी बात कही जिसने हमे उनके क़द पर गौर करने को मजबूर कर दिया. बीबीसी संवाददाता रेहान फ़जल ने जब मीराबाई चानू से पूछा कि 'आप क़द में इतनी छोटी हैं तो खेल में आपको दिक़्कत नहीं होती?' जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि छोटे क़द का तो उन्हे अपने खेल में नुकसान नहीं बल्कि फ़ायदा मिलता है. अमूमन जितने भी खेल होते हैं उसमें खिलाड़ी का बड़ा क़द उसको खेल में आगे बढ़ने में काफ़ी मदद करता है लेकिन वेटलिफ़्टिंग में इसका उल्टा है. 1988 सियोल ओलंपिक में वेटलिफ़्टिंग के पुरुष वर्ग के 60 किलो स्पर्धा में भाग लेते नईम सुलेमानोग्लू (स्नैच प्रतियोगिता) जो जितना छोटा, इस खेल में उतना ऊंचा! जब वेटलिफ़्टिंग के खेल में छोटे क़द और ऊंचे पद की बात होती है तो तुर्की में राष्ट्रीय हीरो का दर्जा प्राप्त वेटलिफ़्टर स्वर्गीय नईम सुलेमानोग्लू का ज़िक्र ज़रूर होता है. नब्बे के दशक में वेटलिफ़्टिंग के खेल में सबसे लोकप्रिय रहे नईम सुलेमानोग्लू का क़द केवल 4 फुट, 10 इंच था. लेकिन क्लीन एंड जर्क की प्रतिस्पर्धा में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने वज़न से 3 गुना अधिक भार उठाया था. उन्होंने 1988, 1992 और 1996 में आयोजित हुए ओलंपिक के खेलों में लगातार 3 गोल्ड मेडल जीते थे. वह अपने क़द और अच्छे प्रदर्शन के कारण लोगों में 'द पॉकेट हरक्यूलिस' के नाम से प्रसिद्ध थे. 18 नवंबर 2017 में उनका देहांत हो गया था. 1988 के सियोल ओलंपिक खेलों में नईम सुलेमानोग्लू स्वर्ण पदक के साथ छोटे क़द के फ़ायदे अब ज़रा मीराबाई चानू पर वापस आते हैं और आपको समझाते हैं कि आखिर ये क़द का चक्कर है क्या? मीराबाई चानू के कोच, विजय शर्मा ने बीबीसी से बातचीत के दौरान इसके पीछे के विज्ञान को समझाया. उनके मुताबिक़, छोटा क़द होने से इस खेल में मूल रूप से दो फ़ायदे होते हैं : 1. छोटे क़द के खिलाड़ी को भार उठाते समय गुरुत्वाकर्षण बल कम महसूस होता है. सरल भाषा में कहें तो वज़न को उठाने की प्रक्रिया में धरती के विरुद्ध लगने वाला बल कम लगाना पड़ता है. 2. इस खेल में बॉडी वेट को संतुलित रखना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. छोटे क़द के खिलाड़ी को बॉडी वेट संतुलित करने में ख़ासा परेशानी नहीं होती इसके अलावा वरिष्ठ खेल पत्रकार राजेश राय का कहना है कि मांसपेशियों में इस खेल से खींचतान ज़्यादा होती है और वज़न उठाते समय मांसपेशियों का फटना सबसे ज़्यादा आम है. ऐसे में बड़े क़द के खिलाड़ी छोटे क़द के खिलाड़ी की अपेक्षा इस समस्या से ज़्यादा जूझते है. स्वर्ण पदक के साथ भारत की स्वर्ण परी मीराबाई चानू मीराबाई चानू ने जीत के बाद और क्या कहा... तो अब आपको समझ आया कि क्यों मीराबाई चानू छोटा पैकेट बड़ा धमाका हैं. उनके कौशल और प्रतिभा को जितना उनके कोच ने ट्रेनिंग के द्वारा निखारा है उतना ही साथ उनको अपनी प्राकृतिक बनावट से भी मिला है. रेहान फ़जल से बात करते दौरान उन्होंने इस बात का ज़िक्र भी किया कि वो इस जीत के बाद और प्रोत्साहित हैं और भविष्य में होने वाले एशियन गेम्स में कुल 200 किलो से ज़्यादा वज़न उठाकर दिखाएंगी. यही नहीं उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की भी मंशा जताई. राष्ट्रमंडल खेलों के पहले दिन वेटलिफ़्टिंग में महिलाओं के 48 किलो वर्ग की प्रतियोगिता के निर्णय के बाद की तस्वीर क्या है मीराबाई चानू की निजी पसंद राष्ट्रमंडल खेल और इस जीत से आगे बढ़ते हुए जब उनसे ये पूछा गया कि उनको किस तरह का खाना पसंद है, किस तरह का संगीत वह सुनती हैं, तो इन प्रश्नों का एक मासूम सी मुस्कान के साथ उन्होंने उत्तर दिया. उन्होंने बताया कि मणिपुर में उनके गांव में एक चटनी मिलती है- इरोम्बा, जो उन्हे बेहद पसंद है. खाने के साथ-साथ गाना सुनना पसंद करती हैं मीराबाई चानू. नेहा कक्कड़ की आवाज़ की दीवानी हैं. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Did the small stature win Mirabai Chanu the gold medal?
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On April 5, a 4ft 11in Mirabai Chanu stood on the podium with the gold medal around her neck.
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Mirabai Chanu lifted a total of 196 kg (86 kg in snatch and 110 kg in clean and jerk) in the women's 48 kg category of weightlifting at the Commonwealth Games. But in an exclusive conversation with the BBC after the win, Mirabai Chanu said something that made us think about her weightlifting. Mirabai Chanu is the only weightlifter in the world who can compete with Chanu in this sport. Chan weightlifter is not the only weightlifter in this sport. Mirabai Chanu is the only weightlifter in this sport. Mirabai Chanu is the only weightlifter in this sport. Mirabai Chanu is the only weightlifter in the world. Mirabai Chanu is the only weightlifter in this sport. Mirabai Chanu won a new weightlifting gold in November 2017. Why did Mirabai Chanu win a gold medal in weightlifting?
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160815_kejriwal_sleeping_aa
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/08/160815_kejriwal_sleeping_aa
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मोदी के भाषण में केजरीवाल की नींद वायरल?
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स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले से भाषण दिया पीएम नरेंद्र मोदी ने, लेकिन सोशल मीडिया पर छाए हुए है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी.
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मोदी के भाषण के दौरान केजरीवाल की एक तस्वीर ट्विटर पर ख़ासी चल रही है जिसमें उन्हें सोता हुआ बताया गया है. आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने इसे मीडिया का पूर्वाग्रह बताया है. उन्होंने ट्वीट किया, "मीडिया इतना पूर्वाग्रह से ग्रस्त क्यों है? सिर्फ़ आप/केजरीवाल को निशाना बनाता है? जेटली/पर्रिकर सो रहे थे, मीडिया उनको नहीं दिखा रहा है? क्यों? क्यों?" ट्विटर हैंडल @TrollKejri से ट्वीट किया गया, "मोदी के सामने तीन घंटे तक बिना बुलेट प्रूफ ग्लास के बैठना एक उपलब्धि है." समाप्त वहीं @Babu_Bhaiyaa से ट्वीट किया गया, "केजरीवाल को चुप रह कर मोदी का भाषण सुनना पड़ा. कहां है आज़ादी? हम किस बात का जश्न मना रहे हैं?" सत्यमेव जयते ने @IndiaReligion से लिखा, "केजरीवाल सपना देख रहे थे कि वो भी देश को इसी तरह संबोधित करेंगे. फिर तालियों से उनकी नींद खुल गई." सिवराम ने @ThirdEye_siva से ट्वीट किया, "अरविंद केजरीवाल संदेह का लाभ ले सकते हैं. विपश्यना अभ्यास जारी है." (बीबीसी हिंदी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Kejriwal's sleep in Modi's speech viral?
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Prime Minister Narendra Modi delivered his Independence Day speech from the ramparts of the Red Fort, but social media was abuzz with reactions from Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal.
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A picture of Kejriwal during Modi's speech is doing the rounds on Twitter, showing him sleeping. Aam Aadmi Party leader Ashutosh called it media bias. He tweeted, "Why is the media so prejudiced? Only targeting you / Kejriwal? Jaitley / Parrikar were sleeping, media is not showing them? Why?" Twitter handle @TrollKejri tweeted, "Sitting in front of Modi without bullet proof glasses for three hours is an achievement." Ended up with @Babu_Bhaiyaa tweeting, "Kejriwal had to listen to Modi's speech silently. Where is azaadi? What are we celebrating?" Satyamev Jayate wrote @IndiaReligion, "Kejriwal was dreaming that he will also address the nation in the same way. Then his sleep was broken." Sivaram tweeted @ThirdEye_siva, "Arvind Kejriwal has the benefit of doubt. Keep practicing."
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031219_rashid_onmusharraf
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2003/12/031219_rashid_onmusharraf
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'संयुक्त राष्ट्र दरकिनार नहीं'
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पाकिस्तान के सूचना मंत्री शेख रशीद ने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के बयान पर स्पष्टीकरण दिया है.
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शेख रशीद ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने कहा था कि बुनियादी तौर पर तो हमारा संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव है. लेकिन भारत कोई संजीदा बात करे और इस मसले को हल करना चाहे तो हमारे जहन में और भी खाके हैं. पाकिस्तान के सूचना मंत्री का कहना था कि हम उसमें लचक दिखा सकते हैं क्योंकि 50 साल हो गए, ऐसी कुछ बातें हैं जिन पर अमल करने में दिक्कतें हों, तो हम कश्मीरियों से बात कर उन्हें बेहतर तौर पर पेश कर सकते हैं. ये इस फलसफे की बुनियाद है. शेख रशीद का कहना था कि अमरीका और पश्चिमी देशों ने इसका स्वागत कर दिया लेकिन देखना है कि भारतीय प्रधानमंत्री इसको कैसे देखते हैं. वो चार जनवरी को सार्क की बैठक में यहाँ आ भी रहे हैं. उनका कहना था कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने 'बोल्ड' बयान दे दिया है. और कश्मीर का मसला हल करने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए. राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने कहा था कि वो संयुक्त राष्ट्र को दरकिनार नहीं बल्कि लचक दिखाने को तैयार है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री शेख रशीद का कहना था," राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने कहा था कि वो संयुक्त राष्ट्र को दरकिनार नहीं बल्कि लचक दिखाने को तैयार है." पाकिस्तान के सूचना मंत्री का कहना था कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने कहा था कि हम संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के पक्ष में हैं. अगर भारत कहे कि इस पर संजीदगी से बात करनी है तो हम लचक दिखाने को तैयार हैं. उनका कहना था कि कश्मीर के मसले पर हम भारत के साथ खुले दिल, दिमाग और सोच के साथ बात करना चाहते हैं. शेख रशीद का कहना था कि ये असल मुद्दा है और हम इसे हल करना चाहते हैं. सौभाग्य से राष्ट्रपति मुशर्रफ़ के रूप में हमारे पास नेतृत्व मौजूद है जो इस मसले को हल करने की स्थिति में है. और भारत को ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए. उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के पक्ष में है और अगर भारत समझता है कि इस मसले को हल करना है तो हम खुले दिल से बात करते हैं कि ये कैसे हल हो सकता है. शेख रशीद का कहना था कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने इस मसले पर वाकई एक लचक दिखाई है. अब देखना है कि भारत इस पेशकश को कैसे लेता है. या फिर पुरानी रागिनी अलापते रहते हैं कि ये अटूट अंग है तो फिर बड़े सारे मसले हैं.
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'United Nations not sidelined'
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Pakistan's Information Minister Sheikh Rasheed has issued a clarification on President Pervez Musharraf's statement.
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Sheikh Rasheed told the BBC that President Musharraf had said that basically we have a UN resolution. But if India wants to have a serious talk and solve the issue of Kashmir, we have more plans. Pakistan's information minister said that we can show flexibility in that because it has been 50 years, there are some things that are difficult to implement, so we can talk to the Kashmiris and present them better. This is the basis of this philosophy. Sheikh Rasheed said that the US and Western countries have welcomed it. But let's see how the Indian prime minister sees it. He is coming here on January 4 to discuss old issues. He said that President Musharraf has made a 'bold' statement. And there should be no obstruction in solving the issue of Kashmir. President Musharraf said that he did not bypass the UN resolution, but he was ready to show Pakistan's leadership that it was his heart's desire. Sheikh Rasheed said that if India is ready to talk to the United Nations again. And Sheikh Rasheed said that if the Indian Prime Minister is ready to talk to the United Nations on the issue of Kashmir, then how can he say that we are ready to talk to the United Nations again. And Sheikh Rasheed said that if India is ready to talk to the United Nations on the old issue. And Sheikh Musharif Sheikh Rasheed said that India is ready to talk to the United Nations on the UN resolution of the issue again. And Sheikh Musharr is ready to talk to the United Nations again.
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081208_election_analysis_sanjeev
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/12/081208_election_analysis_sanjeev
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कांग्रेस की जीत, जीत भाजपा की भी
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लोकसभा चुनावों की लगभग पूर्व संध्या में हुए इन चुनावों के नतीजों का अगर हम आकलन करते हैं तो कम से कम अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों कि दृष्टि से कोई स्पष्ट विजेता उभर कर सामने नहीं आता है.
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भारतीय जनता पार्टी ने दो राज्य जीते हैं, कांग्रेस ने तीन और दोनों ही इस स्थिति में हैं कि इन चुनावी नतीजों का आकलन करने में वे अपनी पीठ थपथपा सकते हैं. कांग्रेस की बात करें तो उसे एंटी इनकमबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) के लॉजिक से या सत्ता में रहने के कारण जो सत्ताधारी दल को नुकसान होता है उसके चलते राजस्थान ही नहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीतने चाहिए थे. वैसे इन परिणामों ने सत्ता विरोधी लहर को लेकर आम धारणा को तोड़ दिया है. वो ऐसे कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए उसमें से तीन में सत्ता विरोधी लहर का कोई असर नहीं रहा और वो राज्य रहे, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश. पर कांग्रेस इन तीन में से सिर्फ़ एक ही राज्य जीत पाई और वहाँ भी यानि राजस्थान में कांग्रेस, बीजेपी की वह गत बनाने में असमर्थ रही जो पिछली बार कांग्रेस की बनी थी या वर्ष 1998 में भैरोसिंह शेखावत की बीजेपी का हश्र हुआ था. याद रहे पिछली बार कांग्रेस 200 सदस्यीय विधानसभा में 50 के आसपास सिमट गई थी और 1998 में बीजेपी 200 मे से 40 सीटें भी नहीं जीत पाई थी. जीत का सेहरा पर मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ नहीं जीत पाने का ग़म काफ़ी हद तक दिल्ली की जीत से कम हो जाता है. हालांकि दिल्ली की जीत कितनी कांग्रेस की और कितनी शीला दीक्षित की जीत है उस पर जनता की राय शायद ही किसी से छिपी है. फिर दिल्ली में कांग्रेस की जीत का सेहरा काफ़ी हद तक बीजेपी के सिर पर भी बंधना चाहिए जिन्होंने शीला दीक्षित के सामने वीके मल्होत्रा को उम्मीदवार बना कर एक तरह से चुनावी मुहिम शुरु होने से पहले ही अपनी हार सुनिश्चित कर ली थी. खैर, अगर हम चुनावी नतीजों से उभरने वाली तस्वीर पर नज़र डाले तो कुछ बातें ख़ास तौर पर ध्यान देने योग्य है. पहला- आतंकवाद का मुद्दा किसी पार्टी, दल या राजनीतिक सोच का विशेषाधिकार नहीं है. इस मुद्दे पर समुचित संवेदना नहीं दिखाने और कहीं राजनीति खेलने का ख़ामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा ख़ासकर दिल्ली में जहाँ मतदाता ज़्यादा सयाना और राजनीतिक दृष्टि से परिपक्व है. चरमपंथ पर राजनीति अगर इस मुद्दे पर बीजेपी ज़्यादा चतुरता और एक दीर्घकालीक सोच के साथ कांग्रेस को घेरती तो उसको ज़्यादा लाभ मिलता पर जनता ने उस की इस मुद्दे पर खुल्मखुल्ला राजनीति करने कि कोशिश को नकार दिया. दूसरा- शीला दीक्षित और शिवराज चौहान दोनों अपने काम और विकास के नारे पर जीत कर आए. दिल्ली में कांग्रेस कि विजय शायद कांग्रेस आलाकमान को अब तक का सबसे स्पष्ट संकेत है जनता का कि अगर पार्टी आलाकमान क्षेत्रीय नेताओं को सशक्त बनाती है और उनके लोकप्रिय होने कि स्थिति मे उनकी जड़े नहीं कटवाती है तो उससे पार्टी को लाभ मिलता है और आलाकमान और मजबूत होता है. तीन, बीजेपी का बढ़ता प्रभाव भी इन चुनावों के विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण भाग है. दिल्ली, मध्य प्रदेश एवँ राजस्थान सभी जगह बहुजन समाज पार्टी का मत-प्रतिशत बढ़ा है. पर एक नई बात जो निकल कर सामने आई है वह है कि बीएसपी चाहे कांग्रेस के वोट बैंक में अधिक सेंध लगाती हो पर वोट बीजेपी के खाते से भी लेती है. जरा सोचिए बीजेपी का मत-प्रतिशत दिल्ली मे वर्ष 2003 में चुनावों के मुक़ाबले लगभग दोगुना हो गया है. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद कांग्रेस का आंकड़ा 50 पार कर जाता. और अंत में इन चुनावों का शायद सबसे सकारात्म पहलू. आम तौर पर चुनावी नतीजे प्रेक्षकों कि आशा के अनुरुप ही रहे. 19-20 का फ़र्क़ चलता है. लेकिन वह प्रेक्षक और राजनेता जिनकी हर गणित जातीय समीकरणों पर आधारित थी उनको कहीं मतदाता ने एक बार फिर यह दिखलाने का प्रयास किया है कि वह इन मुद्दों पर उतना बँटा नहीं है जितना कि शायद हमारे नेता एवँ प्रेक्षक सोचते हैं और कुछ चाहते भी हैं.
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The victory of the Congress is also the victory of the BJP.
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If we evaluate the results of these elections, which took place almost on the eve of the Lok Sabha elections, no clear winner emerges, at least with a view to the general elections next year.
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The Bharatiya Janata Party has won two states, the Congress has won three, and both are in a position to make a dent in the electoral equation. Perhaps more than the Delhi-Delhi electoral equation, Sheila Dikshit would not have been able to make a dent in the BJP's electoral fortunes. If the Congress had been able to get a long-term advantage in the Delhi-Delhi elections, or Vijay Singh Shekhawat's BJP in the 1998 elections. If the Congress had been able to win in Madhya Pradesh and Chhattisgarh, not only because of the logic of anti-incumbency, or because of the loss of the ruling party due to staying in power, then it would have been able to win in Madhya Pradesh and Chhattisgarh. However, these results have been an attempt to break the anti-incumbency wave in three out of the five states that went to the assembly elections. The BJP has been able to win a significant number of seats, especially in Delhi, Chhattisgarh and Chhattisgarh, and it is clear that the BJP has not been able to win a significant share of the popular vote in these two states. How much the BJP has been able to win in Madhya Pradesh, especially in these three states, and how much the BJP has been able to win in Chhattisgarh, is not clear. Even if the BJP has been able to win in Delhi, how much the BJP has not been able to win in Delhi, and how much the BJP has been able to win in Delhi.
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151006_iraq_blast_va
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https://www.bbc.com/hindi/international/2015/10/151006_iraq_blast_va
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इराक़ में कई धमाके, 63 की मौत
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इराक़ में पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 63 लोग मारे गए हैं.
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एक बड़ा धमाका दियाला प्रांत में शिया बहुल कस्बे खालिस में हुआ जहाँ कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है. एक और धमाका अल ज़ुबैर कस्बे में हुआ जो बसरा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है. वहाँ 10 लोगों के मारे जाने की ख़बर है. तीसरे बम धमाके में कम से कम 13 लोग मारे गए हैं. एपी के अनुसार राजधानी बग़दाद में हुए एक धमाके में कम से कम 25 लोग घायल हुए हैं. समाप्त बसरा धमाके की ज़िम्मेदारी चरमपंथी गुट आईएस ने कहा है कि बसरा के पास धमाका उन्होंने किया, लेकिन दूसरे धमाकों की ज़िम्मेदारी किसी ने नहीं ली है. आईएस चरमपंथियों ने कई बार शिया इलाक़ों और सरकारी इमारतों को निशाना बनाया है. चरमपंथी शियाओं को काफ़िर समझते हैं. संवाददाताओं का कहना है कि बसरा में धमाके की ख़बर सबके लिए हैरान करने वाली थी क्योंकि ये शिया बहुल इलाका है और यहाँ सुन्नी चरमपंथियों के लिए हमला करना उतना आसान नहीं रहा है जितना कि बग़दाद या अन्य हिस्सों में है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Blasts kill 63 in Iraq
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Police officials in Iraq say at least 63 people have been killed in a series of bombings.
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A large explosion occurred in the Shiite-majority town of Khalis in Diyala province, killing at least 40 people. Another explosion occurred in the town of Al-Zubair, some 15 kilometers from Basra. 10 people were reported killed. A third bomb killed at least 13 people. At least 25 people were wounded, according to AP, in a blast in the capital Baghdad. The militant group IS claimed responsibility for the Basra blast, but no one has claimed responsibility for the other blasts. IS militants have targeted Shiite areas and government buildings several times. The extremists consider Shiites to be infidels. Reporters say the news of the blast in Basra came as a surprise to everyone because it is a Shiite-majority area and it has not been as easy for Sunni militants to strike as in Baghdad or other parts of the country. Click here to follow us on Facebook and follow us on Facebook.
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international-45855717
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https://www.bbc.com/hindi/international-45855717
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वाक़ई प्रेमिका ने सिकंदर को पनडुब्बी में डूबने छोड़ दिया था?
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सिकंदर का नाम इतिहास के सबसे बड़े सैन्य कमांडरों में दर्ज है. सिकंदर को दुनिया सिकंदर महान, या 'अलेक्ज़ेंडर द ग्रेट' कहती है.
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उनका जन्म 356 ईपू के दौरान मेसेडोनिया के शाही परिवार में हुआ था. सिकंदर को महान इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने बहुत कम उम्र में यूरोप से लेकर एशिया तक अपनी सत्ता का विस्तार कर लिया था. उनका साम्राज्य ग्रीस से लेकर तुर्की, सीरिया, मिस्र, ईरान, इराक, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारतीय सीमा तक फैला था. उस वक्त ग्रीस की संस्कृति और भाषा दुनिया के कई इलाकों तक पहुंची. सिकंदर को कई शहरों की स्थापना करने का श्रेय भी दिया जाता है. इतिहास की किताबों में उनका नाम एक महान विजेता और एक ऐसे शख्स के रूप में दर्ज है जो धरती की सबसे रहस्यमयी और अनदेखी जगहों पर गया. समंदर की गहराईयों में जाने वाले पहले शख़्स? सिकंदर ने कई बड़े युद्ध लड़े. अपनी पूरी ज़िंदगी में उन्होंने कई ऐसे काम किए जिन्हें महान कहा जाता है. लेकिन इस बीच उन्होंने रोमांच के लिए भी जगह रखी. वो समंदर के अंदर की दुनिया को देखना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने समुद्र की गहराईयों में जाने का फ़ैसला किया. कहा जाता है कि दार्शनिक और सिकंदर के उस्ताद अरस्तू ने ही पहली बार चौथा शताब्दी ईसा पूर्व में पनडुब्बी का ज़िक्र किया था. जिस घटना का उन्होंने ज़िक्र किया था वो सिकंदर महान से जुड़ी थी. लेकिन ऐसी ज़्यादातर घटनाओं का ज़िक्र मध्यकालीन युग में आता है. उस वक्त के कई हस्तलेख और चित्र भी मौजूद हैं. इनमें कई कहानियां हैं, कुछ में कहा जाता है कि सिकंदर की जिज्ञासा उन्हें वहां ले गई. वो समंदर के नीचे की दुनिया को देखना चाहते थे. वहीं कई दूसरों का कहना है कि ये उनकी सैन्य रणनीति का हिस्सा था. वो आक्रमण करने के लिए समुद्र के रास्ते होकर जाया करते थे. जब सिकंदर की प्रेमिका ने दिया धोखा मछलियों के बीच समुद्र की गहराई में मौजूद सिकंदर ऊपर नाव में बैठे जोड़े को देख रहे हैं. सिकंदर की प्रेमिका अपने नए प्रेमी की आंखों में आंखे डाले हाथ पकड़कर बैठी है सिकंदर के समुद्री रोमांच से जुड़ा एक किस्सा काफ़ी दिलचस्प है. कहते हैं एक बार सिकंदर कांच के एक बड़े से जार में बैठकर समुद्र के नीचे गए. वो जार बिल्कुल बंद था. उसमें पानी नहीं जा सकता था और कांच होने की वजह से सिकंदर उसके पार देख सकते थे. वो अपने साथ एक कुत्ते, एक बिल्ली और एक मुर्गे को भी लेकर गए थे. कांच का ये जार एक ज़ंजीर से जुड़ा था. इस ज़ंजीर की मदद से ही वो दोबारा बाहर आ सकते थे. वो ये ज़ंजीर अपने सबसे विश्वस्त व्यक्ति के हाथ में देना चाहते थे. उन्होंने ये ज़ंजीर अपनी प्रेमिका को दी और खुद पानी में उतर गए. जैसे ही सिकंदर कांच के जार में बैठकर समुद्र की गहराई में चले गए, तभी उनकी प्रेमिका के एक नए प्रेमी ने आकर प्रस्ताव दिया कि वो ये ज़ंजीर पानी में फेंक दे और उनके साथ भाग चले. उस शख़्स ने वो ज़ंजीर सिकंदर की प्रेमिका के हाथ से लेकर समुद्र में ही फेंक दी. जंजीर अब समुद्र में गिर चुकी थी और सिकंदर को खुद ही समुद्र से बाहर निकलना था पर वे निकल आए. कांच का जार सिकंदर महान ने कई लड़ाईयां लड़ी और जीतीं एक और कहानी कई अध्ययनों के बाद सामने आई है. कहते हैं सिकंदर ने ट्रॉय द्वीप पर चढ़ाई कर दी थी. लेकिन ट्रॉय के सैनिकों ने सिकंदर को द्वीप में घुसने ही नहीं दिया. कई महीनों की कोशिश के बाद सिकंदर ने अपने सैनिकों को एक समुद्री रास्ता बनाने का निर्देश दिया. इस समुद्री रास्ते के ज़रिए सिकंदर ने ट्रॉय द्वीप पर चढ़ाई की. कहते हैं सिकंदर को रोकने वाले ट्रॉय के हज़ारों लोगों को बाद में मार डाला गया या गुलाम के तौर पर बेच दिया गया. लेकिन एक मध्यकालीन हस्तलेख के मुताबिक, ट्रॉय की लड़ाई के दौरान सिकंदर महान ने कांच का एक बड़ा सा जार बनवाया था, जिसके ज़रिए वो कुछ देर के लिए पानी में उतरते और बिना गीले हुए वापस आ जाते. हस्तलेख के मुताबिक सिकंदर के जहाज़ों का बेड़ा ऊपर होता और वो नीचे कांच के जार में बैठकर सफ़र तय करते. वो जार उन्हें इतना पसंद आया कि चढ़ाई के दौरान उन्होंने अपने सैनिकों के लिए भी कई सारे वैसे ही जार बनवा दिए. हालांकि इन चित्रों की कोई प्रमाणिकता नहीं है. ये बहुत ही पुराने हैं, हो सकता है इन्हें ऐसे ही बनाया गया हो. लेकिन इस तरह का कांच का जार कोई साहित्यिक आविष्कार नहीं था. इस तरह के उपकरण एजियन समुद्र में जाने वाले मछुआरे सदियों से इस्तेमाल करते रहे थे. दूसरी बात सिकंदर वो पहले शख़्स थे जिसने इतिहास की पहली पनडुब्बी का इस्तेमाल किया. देखना होगा कि ये दावा कितना सच है, लेकिन एक बात ज़रूर है कि सिकंदर के समुद्री रोमांच और सैन्य रणनीति से जुड़ी कई बेहतरीन किस्से कहानियां हमें सुनने को मिली हैं. सिकंदर महान ने सिर्फ़ 32 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनकी ज़िंदगी की तरह ही उनकी मौत को लेकर भी कई किस्से कहानियां हैं. कुछ का कहना है कि उन्हें ज़हर देकर मारा गया था. लेकिन कई इतिहासकार कहते हैं कि उनकी लंबी बीमारी (मलेरिया) से मौत हुई थी. ये भी पढ़ें... (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Did the girlfriend really leave Alexander to drown in the submarine?
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Alexander's name is recorded among the greatest military commanders in history. The world calls Alexander the Great, or 'Alexander the Great'.
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Alexander is also credited in history books as a great conqueror and a man who went to the depths of the sea to visit the most mysterious and unseen places of the earth. He was the first person to go into the depths of the sea. Alexander was also credited as the founder of many cities and the first person to go into the depths of the sea. Alexander fought many great battles. Alexander the great Romantic says, Alexander the great Romantic says, Alexander the great Romantic says. Alexander the great Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, Alexander the great, the great, Alexander the great, Alexander the great, the
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