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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/07/050710_londonblast_splcentre
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परिजनों की मदद की ज़िम्मेदारी मंत्री पर
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ब्रितानी सरकार ने लंदन के बम धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों की मदद करने की ज़िम्मेदारी एक मंत्री टेसा जॉवल को दी है.
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टेसा जॉवल का कहना है कि मृतकों और लापता लोगों के परिजनों की मदद के लिए एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने इस हादसे के तीन के बाद भी मृतकों की सूची जारी करने में हो रही देरी के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है शवों की ठीक पहचान होना ज़रूरी है. पुलिस के अनुसार धमाकों में मारे गए लोगों की संख्या अब 49 हो गई है और अब भी 20 से ज़्यादा लोग लापता हैं. पुलिस के अनुसार लंदन पर हमले योजनाबद्ध तरीके से हुए और भूमिगत रेलगाड़ियों में विस्फोट तो 50 सैकेंड के भीतर हुए. पहचान की प्रक्रिया किंग्स क्रॉस स्टेशन के पास सुरंग में धमाके से क्षतिग्रस्त रेल कोचों में अब भी पड़े शवों के बारे में स्थिति साफ नहीं है और पुलिस ने आगाह किया है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है. पुलिस, न्यायिक अधिकारियों, चिकित्सकों और अन्य विशेषज्ञों का एक आयोग बनाया गया है जिसकी देख-रेख में शवों की पहचान की प्रक्रिया पूरी होगी. महत्वपूर्ण है कि गुरुवार को लंदन में मृतकों के सम्मान में सार्वजनिक समारोह होगा जिसमें उन्हें श्रद्धाँजलि दी जाएगी और दो मिनट का मौन रखा जाएगा. पुलिस का कहना है कि वह इस्लामी चरमपंथी संगठन अबू हफ़्स अल-मासरी ब्रिगेड्स का इन धमाकों के बारे में किए गए दावे को गंभीरता से ले रही है. 'धमाके पचास सेकेंड में हुए' पुलिस के अनुसार लंदन पर हुए हमले योजनाबद्ध तरीके से किए गए थे. पुलिस के अनुसार भूमिगत रेलों में तीन बम अलग-अलग जगहों लगभग अचानक फटे थे. इसलिए पुलिस को संदेह है कि धमाकों में टाइमिंग उपकरणों का उपयोग किया गया होगा. यह भी तथ्य सामने आया है कि धमाकों में आधुनिक किस्म के विस्फोटकों का उपयोग किया गया था. पहले माना जा रहा था कि हमलों में देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया होगा. पुलिस मुख्यालय स्कॉटलैंड यार्ड में सहायक उपायुक्त ब्रायन पैडिक ने बताया कि भूमिगत रेलों में तीन धमाके 50 सेकेंड के अंतराल के भीतर हुए थे. धमाके गुरुवार सुबह आठ बजकर पचास मिनट पर हुए थे. लंदन अंडरग्राउंड से मिली विस्तृत तकनीकी सूचनाओं से यह तथ्य सामने आया है. इससे पहले बम धमाकों में अच्छे खासे अंतराल की बात की जा रही थी.
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The responsibility of helping the family rests with the minister.
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The British government has appointed a minister, Tessa Jowell, to help the families of those killed in the London bombings.
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Tessa Jowell says that a centre is being set up to help the families of the dead and missing. A commission of police, judicial officers, medics and other experts has been set up underground to look into the delay in releasing the list of the dead. The bodies need to be properly identified. According to the police, the number of people killed in the blasts in London on Thursday is now 49 and more than 20 people are still missing. According to the police, the attacks on London took place in a planned manner and the explosions in the underground trains took place within 50 seconds. According to the police, the situation is not clear about the fifty bodies still lying in the train coaches damaged by the blast in the tunnel near King's Cross station. The police have warned that the number of casualties may increase. A commission of police, judicial officers, doctors and other experts has been set up underground, which will complete the process of identifying the bodies on Thursday. It is important that on Thursday there will be a public ceremony in honor of the dead. According to the police, they were given separate explosions in London, and within two minutes, they will be kept silent. According to the London police, the technical information about the explosion of the bomb was also taken seriously by the police, according to the fact that it was carried out in the Abu Huffadik, in Abu Huffadik, that was used in the second bomb blasts, according to the fact that the police in Abu Huffadik, fifty police were used in these explosions. According to the police. According to the police, the victims of the explosion, the second bomb, the number of the bomb was used in the second bomb, in these explosions.
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061105_guwahati_blast
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/11/061105_guwahati_blast
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गुवाहाटी में तीन बम धमाके, 15 की मौत
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भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के अधिकारियों ने बताया है कि राज्य की राजधानी गुवाहाटी में हुए तीन बम विस्फोटों में 15 लोगों की मौत हो गई है.
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इन विस्फोटों में कम से कम 30 लोगों के घायल होने की भी ख़बर मिली है. पुलिस के मुताबिक पहला धमाका गुवाहाटी के भीड़-भाड़ वाले इलाके फ़ैंसी बाज़ार में हुआ है. फ़ैंसी बाज़ार में जहाँ पर विस्फोट हुआ है वहाँ असम से लगे हिंदी भाषी राज्य बिहार के कुछ लोग कीर्तन करने के लिए इकट्ठा हुए थे. इस समारोह में हुए धमाके में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई. दूसरा धमाका शहर के दक्षिणी हिस्से में एक ऐसी जगह पर हुआ जहाँ पर पत्थर तोड़ने का काम किया जाता है. इस धमाके में दो लोगों की मौत हो गई. तीसरा धमाका गुवाहाटी के एक अंदरूनी इलाके में स्थित बालाजी मंदिर में हुआ है. इस धमाके से मंदिर की इमारत को नुकसान पहुँचा है पर इसमें अभी तक किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं मिली है. शक की सुई हालांकि अभी तक किसी चरमपंथी संगठन ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है पर पुलिस का कहना है कि इनके पीछे अलगाववादी गुट उल्फ़ा का हाथ हो सकता है. राज्य पुलिस के खुफ़िया विभाग के प्रमुख खगेन सर्मा ने बताया है कि उल्फ़ा ने पिछली कुछ घटनाओं की तरह इस बार भी हिंदी भाषी लोगों को अपना निशाना बनाया है. ग़ौरतलब है कि इसी वर्ष सितंबर महीने में भारत सरकार और उल्फ़ा के बीच बातचीत टूट गई थी. इसके बाद से रविवार की घटना अभी तक की सबसे बड़ी हिंसक घटना है.
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Three bombs explode in Guwahati, 15 killed
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Authorities in India's northeastern state of Assam say three bombs have exploded in the state capital, Guwahati, killing 15 people.
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At least 30 people were also reported to have been injured in the blasts. According to police, the first blast took place in Fancy Bazar, a crowded area in Guwahati. Some people from the Hindi-speaking state of Bihar adjoining Assam had gathered to chant kirtan at the site of the blast in Fancy Bazar. At least 13 people were killed in the blast at the event. The second blast took place at a site in the southern part of the city where stone-pelting work is carried out. Two people were killed in the blast. The third blast took place at the Balaji temple in an interior area of Guwahati. The blast damaged a temple building but no casualties have been reported so far. The needle of suspicion is that no extremist organisation has yet claimed responsibility for the attacks. Police say the separatist group ULFA may be behind them on Sunday. State police intelligence chief Khagen Sarmah has said that the ULFA has been targeted in similar incidents since September last year. ULFA has been the target of some violent incidents in India.
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india-39377028
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https://www.bbc.com/hindi/india-39377028
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शिवसेना सांसद गायकवाड़ पर पाँच एयरलाइन्स ने लगाया प्रतिबंध
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एयर इंडिया के कर्मचारी पर हमला करने के आरोप में शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ पर एयर इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) ने प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के बाद अब गायकवाड़ कई एयरलाइंस में हवाई सफर नहीं कर पाएंगे.
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इस मामले में एयर इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) ने बयान जारी किया है. इस फेडरेशन में इंडिगो, जेट एयरवेज़, स्पाइसजेट और गो एयर शामिल हैं. सबने इस वाकये की कड़ी निंदा की है. इन्होंने गायकवाड़ पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. एफआईए के असोसिएट निदेशक उज्ज्वल डे ने बयान में कहा है, ''हमारे किसी भी कर्मचारी पर हमला हम सब पर हमला है.'' एयर इंडिया और एफआईए सदस्यों ने गायकवाड़ को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने का फ़ैसला किया है. एफआईए ने कहा, ''हमारा मानना है कि यह कार्रवाई मिसाल की तरह होगी ताकि आगे कोई हमारे कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करे. यह लोगों की सुरक्षा के हक़ में है. हम ऐसे यात्रियों को 'नो फ्लाई' लिस्ट में डालने का प्रस्ताव रखते हैं. ऐसे यात्रियों का हम स्वागत नहीं करेंगे और हमें इस मामले में सरकार के साथ सुरक्षा एजेंसियों की मदद चाहिए. एयर इंडिया ने गायकवाड़ के पुणे का टिकट भी रद्द कर दिया है. पीटीआई ने एयरलाइन के सूत्रों को हवाले से यह ख़बर दी है. इससे पहले रविंद्र गायकवाड़ा ने एयर इंडिया के ऑफिसर पर हमले के मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि 'काहे का पाश्चाताप'. गायकवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने एयर इंडिया के मैनेजर पर प्लेन में हमला किया. वह हमले के बाद ख़ुद ही बता रहे थे कि उन्होंने उस अधिकारी को चप्पल से 25 बार मारा. वह एक वीडियो में ऐसा कहते हुए ख़ुश दिख रहे हैं. गायकवाड़ ने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने से साफ़ इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह ख़राब सेवा के लिए एयर इंडिया की शिकायत करेंगे. गायकवाड़ का कहना है कि उनके साथ एयर इंडिया के मैनेजर ने दुर्व्यवहार किया था. महाराष्ट्र में ओसमानबाद से सांसद गायकवाड़ फ़्लाइट में बिज़नेस क्लास के टिकट नहीं मिलने से नाराज़ थे. वह पुणे से दिल्ली आ रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस फ़्लाइट में कोई बिज़नेस क्लास की सीट नहीं थी और इसकी सूचना उन्हें पहले ही दे दी गई थी. उन्हें वीआईपी सुविधा मिले इसके लिए वह पहली पंक्ति में बैठाया गया था. गायकवाड़ इतने भर से ख़ुश नहीं थे. जब फ़्लाइट दिल्ली पहुंची तो उन्होंने उतरने से इनकार कर दिया. इसके बाद ड्यूटी मैनेजर शिव कुमार केबिन में पहुंचे और उन्होंने उन्हें मनाने की कोशिश की. इसी दौरान गायकवाड़ ने उन पर हमला बोल दिया. एयर इंडिया के कर्मचारी ने अपनी शिकायत में लिखा है कि इस देश को भगवान ही बचा सकता है. शिव सेना का कहना है कि वह तथ्यों को देखने के बाद ही कुछ कहेगी. हालांकि पार्टी ने कहा कि वह हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Five airlines ban Shiv Sena MP Gaikwad
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Shiv Sena MP Ravindra Gaikwad has been banned by Air India and the Federation of Indian Airlines (FIA) for assaulting an Air India employee.
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In this case, Air India and Federation of Indian Airlines (FIA) have issued a statement. IndiGo, Jet Airways, SpiceJet and GoAir are part of this federation. All of them have strongly condemned the incident. They have demanded strict action against Gaikwad. FIA Associate Director Ujjwal Dey has said in the statement, "Any attack on any of our employees is an attack on all of us." FIA said, "We believe that this action will be exemplary so that no one will further treat our employees like this. It is in the interest of people's safety. We propose to put such passengers on the 'No fly' list. Such passengers, however, are not welcome and we need the help of security agencies with the government. Air India has also cancelled Gaikwad's ticket to Pune. Air India MP Shivlal Pawar has said in a statement to the news agency. According to PTI, he was happy when Gaikwad's ticket was cancelled. According to the airline's official Twitter handle, Shiv Pawar said," You can't even try to call the Air India Air India staff on Facebook to ask for some information about the attack on the singer's cabin in the Air India V-Class. Ravinder Kumar says that the Air India Air India Airline Manager is not going to show us the 'Businessman's' list. He said that the Air India Air India Airline Manager was attacked in the Air India Air India's Business Class V-Class for this reason. He told the Air India Airline Manager that the Air India Airline Manager was attacked in the Air India's Cabinto-Air, "He said," The Air India Air India can'talka-Bar. "He said that the Air India Air India Air India's Airline staffer can's cabin crew was attacked in the Air India's cabin's cabin," For this, "He said that the Air India Air India Air India Air India Air India can's Airline's Airline's staffer can's's's staff is not show us the Businessman's seat in the Businessman's seat.'s seat.'s seat.'s seat in the flight." For the Air India's. He said that the Air India Air India Air India Air India Air India Air India Airline's cabin, "For the Airline '
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131220_domestic_help_minimum_wage_vr
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https://www.bbc.com/hindi/india/2013/12/131220_domestic_help_minimum_wage_vr
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क्या घरेलू कामगारों को मिलता है न्यूनतम वेतन?
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अमरीका में रह रहीं भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के मामले के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि भारत से विदेश ले जाए जा रहे घरेलू नौकरों की तनख्वाह और वहाँ के न्यूनतम वेतन के बारे में प्लेसमेंट एजेंसियों को कोई जानकारी भी है या नहीं.
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बीबीसी नें जिन कुछ एक प्लेसमेंट एजेंसियों से बात की उनमे से ज़्यादातर को न तो देश में लागू किये नियुनतम मज़दूरी के क़ानून के बारे में जानकारी है और ना ही विदेशों के श्रम क़ानूनों के बारे में ही कोई मालूमात है. कुछ एक एजेंसियों के संचालकों नें गोपनीयता की शर्त पर बताया कि कई मामलों में घरेलु काम के लिए विदेश ले जाए जा रहे लोगों को जिस क़रार के तहत ले जाया जाता है, उनपर कोई खरा नहीं उतरता. यानि मिसाल के तौर पर अगर किसी घरेलू नौकर को तीस हज़ार रूपए देने का क़रार किया जाता है तो उन्हें सिर्फ दस हज़ार तक ही मिल पाते हैं. (सांसद की नौकरानी अस्पताल में भर्ती) हैप्पी होम केयर नाम की प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाले जॉर्ज ने बीबीसी को बताया कि दक्षिण एशियाई देशों में घरों में काम करने वालों का न्यूनतम मानदंड तय है. उनका कहना है कि सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जहाँ घरेलू नौकरों की न्यूनतम मज़दूरी के बारे में कोई चर्चा नहीं की जाती. जो जैसे चाहता है वैसे नौकरों से काम लेता है. एजेंसियों की भूमिका हाल ही में उनके जानने वाली एक एजेंसी ने सिंगापुर में घरेलू काम करने के लिए किसी को भेजा तो उसे 250 सिंगापुरी डॉलर मिल रहे हैं. वो कहते हैं, "अमरीका और यूरोपीय देशों में तो ये दर ज़्यादा है. मगर ज़्यादातर एजेंसियों को पता ही नहीं है कि हमारे देश में ही घरेलू काम करने वालों के लिए भी न्यूनतम मज़दूरी लागू है." वहीं ह्यूमन हेल्पिंग हैंड्स नाम की एजेंसी चलाने वाले विमल मेहता का कहना है कि घरेलू नौकर उपलब्ध कराने वाली एजेंसियां विदेश भेजने का काम नहीं करतीं. वो कहते हैं कि घरेलू नौकर भेजने का काम सिर्फ वो पंजीकृत एजेंसियां करती हैं जो अमूमन विदेशों में मज़दूर भेजने का काम करती हैं. इसके लिए अलग से लाइसेंस लेना पड़ता है. जॉर्ज और मेहता का कहना है कि घरेलु नौकर उपलब्ध कराने वाली ज़्यादातर एजेंसियों को पता ही नहीं है कि न्यूनतम मज़दूरी क्या है और क्या दिया जा रहा है. जॉर्ज ने बताया, "हमें पता है कि नियुनतम मज़दूरी क्या है, इस लिए हम महानगरों में भी सात से आठ हज़ार रूपए प्रति महीना से नीचे नौकरों को नहीं भेजते. आस्ट्रेलिया जैसे देशों में तो हम 35 से 40 हज़ार रुपये तक दिलवाते हैं घरों में काम करने वाले नौकरों को." न्यूनतम मज़दूरी लंबे अरसे से घरेलू कामगारों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे झारखण्ड निवासी गौतम बोस कहते हैं कि वर्ष 2010 में न्यूनतम मज़दूरी क़ानून लागू किया गया था, मगर कई राज्य ऐसे हैं जहाँ इस क़ानून को लागू नहीं किया गया है. यही कारण है कि शोषण थमने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. उनका कहना है कि ज़्यादातर राज्यों में इस क़ानून की अधिसूचना ही जारी नहीं की गई है जबकि कुछ राज्यों ने इसे न्यूनतम मज़दूरी के दायरे में रखा है. वो कहते हैं, "काफ़ी संघर्ष के बाद ये क़ानून लाया तो गया मगर श्रम विभाग के लोगों ने इसे सख़्ती के साथ लागू करने की कोशिश ही नहीं की. न्यूनतम मज़दूरी की दर 180 रुपए प्रतिदिन तय की गई है. मगर ऐसे भी मामले हैं जब घर में काम करने वालों को महीने में 200 रुपए भी नहीं मिल पाते हैं." (इनके पास न तो संगठन है...) घरेलू काम करने के क्षेत्र में मज़दूरी की अनियमितता ने मानव तस्करी को ही बढ़ावा दिया है. बड़े बड़े महानगरों में छोटे शहरों, कस्बों और गावों से बड़ी संख्या में लड़कियां घरेलू नौकरानियों के रूप में काम कर रही हैं. आयोग इनमें से ज़्यादातर लड़कियां औने पौने मजदूरी में ही काम करने को मजबूर हैं. कई मामलों में इनके साथ हुए शोषण के किस्से अख़बारों की सुर्ख़ियां बने. बढ़ रहे शोषण और तस्करी के मामलों के बाद झारखंड की सरकार ने इसे रोकने के लिए एक आयोग का गठन किया है. इस आयोग के उपाध्यक्ष संजय मिश्रा ने बीबीसी से बात करते हुए स्वीकार किया कि न्यूनतम मज़दूरी के क़ानून के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है और महानगरों से काम करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियां ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से ही काम कर रही हैं. वो कहते हैं कि यही एजेंसियां घरेलू काम के लिए लोगों को अन्य देशों में भेजने का काम भी कर रही हैं. काम की न्यूनतम उम्र को लेकर अभी विचार चल रहा है. निर्धारण होने के बाद अभियान चलाया जाएगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Do domestic workers receive a minimum wage?
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After the case of Devyani Khobragade, an Indian diplomat living in the United States, there is now a debate about whether placement agencies have any information about the salaries and minimum wages of domestic servants being taken abroad from India.
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Most of the placement agencies that the BBC spoke to, for example, could only get up to ten thousand rupees if they were contracted to pay a domestic worker thirty thousand rupees. (MP's maid admitted to the hospital) George, who runs a placement agency called Happy Home Care, told us that the 200-year-old girls, who work in the metropolitan city of Jharkhand. George, who runs a recruitment agency called Town Home Care, told us that the 200-year-old girls, who work in the metropolitan city of Jharkhand, told us that the employment agencies are not sending 180-year-old men to work every day. Twitterati, who read out the news, told us that the minimum wage law in most of the big metropolitan states is not the minimum wage in many cities, and the minimum wage in many cities is not the minimum wage in many countries. The operators of some agencies, on the condition of confidentiality, told us that the minimum wage of domestic workers is not the same as the minimum wage in many countries. What is the role of Armaan, who runs the non-domestic domestic workers, and what is the long-term domestic worker's job in many countries, is not the minimum wage available in the name of domestic workers, that is not the minimum wage in the name of helpers, that is not the minimum wage in the name of helpers. (MP's maid's job is the reason). George, who runs a placement agency named Happy Home Care, who runs the placement agency. The 200-year-a-a-money agency, the 200-a-day-a-day-day-day-a-day-day-day-a-day-day-a-a-day-day-day-a-a-day-day-a-day-day-a-day-a-day-day-a-day-a-day-a-day. George, who runs the 200-year-year-year-year-year-year-year-year-a-a-a-day agency-day-day-a-day-day-day-day-day-day-a-day-day-a-day-day-day-day-day-a-a-day-day-day-a-day-day-day-day-day-day-day-day-a-day-day-day-day-a-
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international-55715773
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https://www.bbc.com/hindi/international-55715773
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पीएम मोदी की तस्वीरों के साथ पाकिस्तान के सिंध में अलग देश के लिए निकली रैली
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रविवार को कुछ अलगाववादी समूहों ने रैलियां निकालीं. ये रैलियां सिंधी राष्ट्रवादी नेता जीएम सईद के 117वें जन्मदिवस समारोह के दौरान निकाली गईं.
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इन रैलियों की अगुआई कुछ राष्ट्रवादी संगठन कर रहे थे. रैलियां सन बाईपास से शुरू हुई थीं और जामशुरू ज़िले में मौजूद जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुईं. इन रैलियों में कुछ भी नया नहीं था. हर साल सिंधी राष्ट्रवादी और अलगाव समूह जीएम सईद की जयंती बड़े धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन इस साल इन रैलियों में कुछ चौंकाने वाले दृश्य दिखे. इस बार 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' नाम के संगठन के लोग दुनिया के अलग-अलग नेताओं के पोस्टर और बैनर लेकर चल रहे थे उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तस्वीरें थीं. कुछ लोग तख़्तियां लिए हुए थे, जिनमें लिखा था 'सिंध को पाकिस्तान से आज़ादी चाहिए.' ये रैलियां बहुत बड़ी नहीं थीं. स्थानीय मीडिया में इसे ज़्यादा कवरेज भी नहीं मिली लेकन इनमें शामिल नरेंद्र मोदी की तस्वीरें तुरंत पूरे भारत में छा गईं. समाप्त रैलियों में शामिल लोग स्वायत्त 'सिंधुदेश' और अलगाववादी नेता जीएम सईद के समर्थन में नारे लगा रहे थे. रैली जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुई. उनके अनुयायियों ने वहां गुलाब की पखुंड़ियां बिखेरकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. कौन हैं जीएम सईद? जाने-माने सिंधी नेता जीएम सईद पाकिस्तान की स्थापना करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. उन्होंने बंटवारे से पहले सिंध की असेंबली में पाकिस्तान की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था. पाकिस्तान की संसद की ओर से 1973 में देश के संविधान को मंज़ूरी मिलने के बाद जीएम सईद ने ख़ुद को संसदीय राजनीति से अलग कर लिया था. उनका मानना था कि इस संविधान के ज़रिये कभी भी सिंध के अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे. उसी साल छात्रों की एक रैली में जीएम सईद ने एक आज़ाद 'सिंधुदेश' की अवधारणा पेश की. इसी दौरान उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़-ए-अवाल' की स्थापना की. बाद में कुछ और अलगवादी संगठन इस बैनर के तले इकट्ठा हो गए और नए संगठन का नाम रखा गया- 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़'. जीएम सईद एक सिंधी लेखक, राजनीतिज्ञ और आंदोलनकारी थे. उनका विश्वास अहिंसक संघर्ष में था. उन्होंने सिंधुदेश आंदोलन की नींव रखी और फिर जीवन भर वह सिंध के लोगों की पहचान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे. उन्हें सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक माना जाता है. सईद की नज़र में पाकिस्तान की हुकूमतों का रवैया 'सिंध विरोधी' था. लिहाज़ा उन्होंने इसका विरोध शुरू किया और इस वजह से उन्हें अपनी ज़िंदगी के लगभग 35 साल नज़रबंदी में बिताने पड़े. 1995 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हे 'प्रिज़नर ऑफ कॉन्शस' का दर्जा दिया. उसी साल नज़रबंदी के दौरान कराची में उनकी मौत हो गई. यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी टीवी प्रेजेंटर इक़रारुल हसन भारत की तारीफ़ कर निशाने पर आए अहिंसक आंदोलन से चरमपंथ तक साल 2000 में 'जिए सिंध मुत्ताहिदा महाज़' का शफ़ी मोहम्मद बारफ़त के नेतृत्व में पुनर्गठन हुआ. संगठन का वैचारिक आधार वही था, जिसे जीएम सईद ने स्थापित किया था. लेकिन बारफ़त के आने से संगठन में चरमपंथी तत्व जुड़ गए. उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' के चरमपंथी धड़े को खड़ा किया. इस संगठन का नाम था- 'सिंध लिबरेशन आर्मी'. इसके बाद रेल पटरियों पर बम धमाके होने शुरू हुए. सिंध के अंदरूनी इलाक़ों में हाई पावर ट्रांसमिशन लाइनों पर हमले किए गए. ठीक इसी समय बलोच अलगाववादी आंदोलन भी ज़ोर पकड़ रहे थे. लेकिन 2003 से पाकिस्तानी सुरक्षा एंजेंसियों ने सिंध में हो रहे विद्रोह को दबाना शुरू किया. कई अलगाववादी नेता लापता हो गए. बारफ़त समेत कुछ दूसरे नेताओं को पश्चिमी देशों में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी. बाद में जिये सिंध आंदोलन से जुड़े कई अलगाववादी गुटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जिन संगठनों पर बैन लगाया वो राजनीतिक मुहिम नहीं चला सकते थे और न ही पैसा इकट्ठा कर सकते थे. उन पर पाकिस्तान में कहीं भी एक जगह इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. यह भी पढ़ें: कोरोना वैक्सीनः चीन और रूस के भरोसे पाकिस्तान, पर राह आसान नहीं पाकिस्तान को बारफ़त की चरमपंथ हमलों से जुड़े कई मामलों में तलाश है. फ़िलहाल वह फ़रार हैं. ज़्यादातर सिंधी अलगावादी समूह खुलकर सक्रिय नहीं हैं. लेकिन हर साल जी.एम. सईद की जयंती पर वे अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. इस साल जिस तरह की रैलियां हुईं वैसी ही रैलियां हर साल होती हैं. हालांकि इस साल रैलियों में जो बैनर दिख रहे थे उसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें दिख रही थीं. एक बैनर पर लिखा था, "श्रीमान मोदी जी, सिंध पाकिस्तान से आज़ादी चाहता है." यह बैनर सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया गया. 'हम हर क्रांतिकारी तरीक़े का इस्तेमाल करेंगे' जीएम सईद की जयंती पर जो रैलियां निकाली गईं, उनमें एक की अगुआई नवगठित 'जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट' कर रहा था. ह्यूस्टन में रहने वाले सिंधी ज़फ़र सहितो इस संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि वह पाकिस्तान से सिंध की आज़ादी के लिए हर संभव तरीक़ा अपनाएंगे. उन्होंने कह, "चाहे वह राजनीतिक आंदोलन हो या सोशल मीडिया के ज़रिये आंदोलन का रास्ता हो. चाहे हमें इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की ज़रूरत पड़े. हम हर उस चीज़ की मदद लेंगे जो सिंध फ्रीडम मूवमेंट को उसका मक़सद हासिल करने में मददगार साबित होगी." यह भी पढ़ें: हज़ाराः पाकिस्तान में ‘निशाने’ पर रहते मुसलमान सहितो 2004 से ही विदेश में रह रहे हैं. वह आख़िरी बार 2015 में पाकिस्तान आए थे. जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान में जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट के लोग आंदोलन करते क्यों नहीं दिखते तो उन्होंने कहा कि संगठन ने अभी यहां किसी को अपना प्रतिनिधि नहीं बनाया है. कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की चिंता की वजह से संगठन ने ऐसा नहीं किया है. हालांकि सहितो ने रैलियों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के सवालों पर दूरी बनाए रखी. उन्होंने कहा कि वह दूसरे समूहों की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वैसे उनका मानना है कि इस तरह के विवाद इस मुक़ाम पर आंदोलन के मक़सद को नुक़सान पहुंचाएंगे. विश्लेषकों का मानना है कि अलगावादी संगठन अभी तक सिंध में अपनी पहचान बनाने में नाकाम रहे हैं. ये संगठन साल के ज़्यादातर समय निष्क्रिय रहते हैं और सिर्फ़ मीडिया के ज़रिये एक बार जीएम सईद की जयंती पर दिखते हैं. ऐसा नहीं है कि ये संगठन सिर्फ़ दमन के डर से बाहर नहीं निकलते बल्कि हक़ीक़त यह कि इनके पास सिंध में ज़्यादा लोगों का समर्थन नहीं है. अर्नब गोस्वामी के बारे में क्या बोले इमरान ख़ान? (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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A rally for a separate country was taken out in Pakistan's Sindh with pictures of PM Modi
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Some separatist groups held rallies in Pakistan's Sindh province on Sunday, coinciding with the 117th birthday celebrations of Sindhi nationalist leader GM Saeed.
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These rallies were led by posters and banners of various leaders of the world, including Indian Prime Minister Narendra Modi. These rallies this time had some shocking visuals. Some people were carrying placards that said, 'Sindh needs freedom from Pakistan.' These rallies were called anti-Russian media, 'We don't need to take refuge in Pakistan.' We are looking for a new political identity, including GM's name, 'Pakistan's political identity. GM's political identity, including GM's identity,' Pakistan's political identity, including GM's identity, 'Pakistan's political identity, including GM's identity,' Pakistan's political identity, Mr. Syed's political identity, including GM's political identity, Mr. India's internal media identity, Mr. Saeed's political identity, including GM's identity, 'Pakistan's political identity, Mr. Saeed's political identity,' Pakistan's political identity, Mr. Hussain's political identity, 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan's political identity', 'Pakistan', 'Sindh's political identity', 'Sindh' Sindh ',' Sindh's history ',' Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh, Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ', Sindh', Sindh ',
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070508_clinton_aidsdeal
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2007/05/070508_clinton_aidsdeal
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क्लिंटन फ़ाउंडेशन का अहम समझौता
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पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने घोषणा की है कि उनकी फ़ाउंडेशन ने दो भारतीय दवा कंपनियों से समझौता किया है ताकि एचआईवी या एड्स से पीड़ित लोगों को कम क़ीमत पर दवाएँ उपलब्ध हो सकें.
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बिल क्लिंटन ने घोषणा की है कि वे चाहते हैं कि विकासशील देशों में एचआईवी-एड्स दवाओं की कीमत में 25 से 50 फ़ीसदी तक की कमी हो. क्लिंटन फ़ाउंडेशन ने भारत की दो दवा कंपनियों सिपला और मैट्रिक्स लेबोरेटरीज़ के साथ एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के लिए समझौता किया है. दूसरी श्रेणी की ये एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ तब इस्तेमाल होती हैं जब एचआईवी-एड्स का सस्ती दवाओं से इलाज संभव नहीं होता है. ये दवाएँ अफ़्रीका, एशिया, लातिनी अमरीका और कैरिबियाई 60 से अधिक देशों में उपलब्ध होंगी. सस्ती दवाएँ बिल क्लिंटन ने कहा कि इन देशों में सात करोड़ लोगों को एचआईवी-एड्स के इलाज की आवश्कता है लेकिन महंगी दवाओं के कारण लोग इलाज नहीं करा पाते हैं. उनका कहना था,'' कोई कंपनी एड्स की दवाओं में कमी से ख़त्म नहीं होगी लेकिन इससे पीड़ित रोगी की मौत हो सकती है.'' साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वो बौद्धिक संपदा में विश्वास रखते हैं और चाहते हैं कि दवा निर्माता अपनी दवा की खोज की लागत और लाभ निकालें. क्लिंटन फ़ाउंडेशन यूनिटेड नामक संगठन के सहयोग से काम कर रहा है जिसे फ्रांस, ब्राज़ील, चिली, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे देशों ने स्थापित किया है और वह इस कार्यक्रम को वित्तीय सहयोग प्रदान कर रहा है. उल्लेखनीय है कि भारत एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए सस्ती जेनेरिक दवाएँ बनाता है जो कई देशों में निर्यात भी की जाती हैं. लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बौद्धिक संपदा क़ानूनों के तहत जेनरिक दवाए बनाए जाने का विरोध करती हैं. ग़ौरतलब है कि दुनिया भर में लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग एचआईवी का शिकार हैं. उनमें से दो तिहाई तो अफ़्रीकी देशों में रहते हैं और जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज़्यादा है वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है.
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The Clinton Foundation's landmark agreement
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Former US President Bill Clinton has announced that his foundation has tied up with two Indian pharmaceutical companies to make low-cost medicines available to people living with HIV or AIDS.
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Bill Clinton has announced that he wants the price of HIV-AIDS drugs to be reduced by 25 to 50 percent in developing countries. The Clinton Foundation has signed agreements with two Indian pharmaceutical companies, Cipla and Matrix Laboratories, for antiretroviral drugs. The second category of antiretroviral drugs are used when HIV-AIDS cannot be treated with cheap drugs. These drugs will be available in more than 60 countries in Africa, Asia, Latin America, and the Caribbean. Cheaper adult drugs. Bill Clinton said that 70 million people in these countries need treatment for HIV-AIDS, but people are not able to get treatment due to expensive drugs. He said, "No company will end up with a shortage of AIDS drugs, but the patient suffering from it can die." He also made it clear that he believes in remarkable intellectual property and wants drug manufacturers to benefit from the cost of their intellectual property and African drug discovery. These drugs will be available in more than 60 countries in Africa, Asia, Latin America, and the Caribbean. Cheap adult drugs Bill Clinton said that people need treatment for HIV-AIDS in these countries, but because of the expensive drugs, people are not able to get treatment due to the expensive vibrations. He said, "In every country like Chile, where India, three million people are victims of HIV, but in every country," Clinton establishes financial support for this financial assistance to countries like France, France, France, Germany, Germany, Germany, Germany, Germany, France, Germany, Germany, Germany, Germany, and the United Kingdom, which is providing financial assistance to every country, to every country for every country where people suffering from HIV infection.
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160510_bangladesh_execution_fma
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https://www.bbc.com/hindi/international/2016/05/160510_bangladesh_execution_fma
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बांग्लादेश में शीर्ष इस्लामी नेता को फांसी
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बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी के नेता को युद्ध अपराध के लिए फांसी पर लटका दिया गया है.
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मुतीउर रहमान निज़ामी की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी. अधिकारियों का कहना है कि मुतिउर रहमान निज़ामी को ढाका की केंद्रीय जेल में फांसी दी गई. जमाते इस्लामी के नेता निज़ामी को 1971 में पाकिस्तान से आजा़दी के लिए हुई जंग में मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का दोषी पाया गया थाय साल 2013 से लेकर अबतक फांसी दिए जाने वाले वो पांचवे बड़े नेता हैं. पहले दी गई फ़ांसियों का मुल्क में विरोध हुआ है. समाप्त बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निज़ामी की दया याचिका ख़ारिज कर दी थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Top Islamist leader executed in Bangladesh
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The leader of Bangladesh's largest Islamic fundamentalist party has been hanged for a war crime.
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Mutiur Rahman Nizami's mercy petition was rejected by the Supreme Court. Officials say Mutiur Rahman Nizami was hanged in Dhaka's Central Jail. Nizami, the leader of Jamaat-e-Islami, was found guilty of crimes against humanity in the 1971 war for independence from Pakistan. He is the fifth major leader to be executed since 2013. The earlier sentences have been met with protests in the country. The Bangladesh Supreme Court rejected Nizami's mercy petition on Monday. (For BBC Hindi's Android app, you can click here. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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060918_somalia_attack
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2006/09/060918_somalia_attack
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सोमालिया के राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला
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सोमालिया के अंतरिम राष्ट्रपति अब्दुल्लाही युसूफ़ पर जानलेवा हमला हुआ है. राष्ट्रपति युसूफ़ के काफ़िले के पास हुए एक कार बम धमाके में पाँच लोग मारे गए हैं.
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लेकिन राष्ट्रपति युसूफ़ को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा है. सोमालिया के विदेश मंत्री इस्माईल हूरे ने कहा है कि हमले में राष्ट्रपति के भाई भी मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि हमला करने वाले छह लोग गोलीबारी में मारे गए. ये हमला बैदोवा शहर में अंतरिम संसद भवन के बाहर हुआ. उन्होंने बताया कि हमला राष्ट्रपति को जान से मारने की कोशिश थी. सोमवार को संसद भवन में इस पर चर्चा शुरू हुई है कि क्या सरकार को इस्लामी गठबंधन के साथ सत्ता में भागीदारी करनी चाहिए. नियंत्रण राजधानी मोगादीशू के साथ-साथ दक्षिणी सोमालिया में भी इस इस्लामी गठबंधन का नियंत्रण है. जबकि अंतरिम सरकार बैदोवा और इसके आसपास के छोटे इलाक़े पर भी नियंत्रण रख पाई है. अमरीका का आरोप है कि द यूनियन और इस्लामिक कोर्ट का संबंध अल क़ायदा से है. लेकिन यह गुट इन आरोपों से इनकार करता है. बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि इन धमाकों के कारण युद्ध से ग्रस्त सोमालिया में और तनाव बढ़ने की आशंका है. सोमालिया में पिछले 15 वर्षों से पूर्ण कामकाज संभालने वाली राष्ट्रीय सरकार नहीं है. दस दिन पहले ही बैदोवा के विद्रोही नेता मोहम्मद इब्राहिम हबसदे ने बीबीसी को बताया था कि अगर सरकार के सदस्य शांतिपूर्वक बैदोवा छोड़कर नहीं जाएँगे, तो विद्रोही उन्हें वहाँ से निकाल बाहर करेंगे.
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Deadly attack on Somalia's president
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Somalia's interim president Abdullahi Yusuf has been fatally attacked. Five people have been killed in a car bomb explosion near President Yusuf's convoy.
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But President Yusuf is unharmed. Somalia's Foreign Minister Ismail Hooray says the president's brother was also killed in the attack. He says the six attackers were killed by gunfire. The attack took place outside the interim parliament building in the city of Baidoa. He says the attack was an attempt to kill the president. On Monday, the parliament building began discussing whether the government should share power with the Islamist coalition. The Islamist coalition controls the capital Mogadishu as well as southern Somalia. The interim government also controls Baidoa and a small area around it. The United States alleges that The Union and the Islamic Court are linked to al-Qaeda. But the group denies the allegations. BBC reporters say the blasts are likely to further inflame tensions in war-torn Somalia. The national government in Somalia has not been fully functioning for the past 15 years. Baidoa's leader, Mohamed Ibrahim, told the BBC that the rebels would not leave the government there if Baidoa were to leave peacefully.
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050824_najaf_fighting
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/08/050824_najaf_fighting
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नजफ़ में शिया गुटों में संघर्ष, पाँच मरे
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इराक़ के दक्षिणी शहर नजफ़ में कट्टरपंथी शिया नेता मुक़्तदा अल सद्र समर्थकों की एक प्रतिद्वंद्वी शिया समूह के लोगों से भिड़ंत में कम से कम पाँच लोग मारे गए हैं.
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संघर्ष के दौरान सद्र के दफ़्तर में आग लगा दी गई. नजफ़ में संघर्ष की शुरूआत तब शुरू हुई जब सद्र समर्थकों ने इमाम अली के मज़ार के पास अपना दफ़्तर फिर से खोल दिया. एक सद्र समर्थक मंत्री ने कहा है कि स्थिति को नियंत्रित किए जाने तक वह सरकार के कामकाज़ से ख़ुद को अलग रखेंगे. नजफ़ का तनाव ऐसे समय सामने आया है जब इराक़ी संसद देश के नए संविधान पर मतदान की तैयारी कर रही है. सद्र प्रस्तावित संविधान के विरोधी हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले साल सद्र समर्थकों ने इराक़ में मौजूद अमरीकी सैनिकों के ख़िलाफ़ विद्रोह शुरू किया था. इस बीच सुन्नी समुदाय के एक नेता ने कहा है कि शियाओं के प्रभाव वाला आंतरिक मंत्रालय सुन्नियों को गिरफ़्तार करने का अभियान चला रहा है ताकि वो संविधान पर होने वाले जनमतसंग्रह में हिस्सा न ले सकें. सुन्नी नेताओं ने संघीय ढाँचे के मुद्दे को लेकर संविधान का मसौदा तैयार करने में सहयोग न करने की बात कही है. हिंसा का दौर उधर इराक़ की राजधानी बग़दाद में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस के अनुसार बुधवार को बग़दाद में एक कार बम धमाके समेत हिंसा की विभिन्न घटनाओं में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है. कार बम धमाके में पुलिस को निशाना बनाया गया था. उसके बाद नकाबपोश बंदूकधारियों ने जम कर गोलियाँ चलाईं. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस हमले में मारे गए लोगों में कम से कम तीन पुलिसकर्मी शामिल थे. इस घटना में 50 से ज़्यादा लोग घायल भी हुए.
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Five killed as Shia groups clash in Najaf
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At least five people have been killed as supporters of hardline Shi'ite leader Muqtada al-Sadr clashed with those of a rival Shi'ite group in Iraq's southern city of Najaf.
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Sadr's office was set on fire during the conflict. The conflict in Najaf began when Sadr supporters reopened their office near Imam Ali's Mazar. A pro-Sadr minister has said he will stay away from government activities until the situation is brought under control. Najaf's tensions have come to the fore as the Iraqi parliament prepares to vote on the country's new constitution. Sadr opposes the proposed constitution. Sadr supporters launched an insurgency against US troops in Iraq last year. Meanwhile, a Sunni community leader says the Shiite-dominated Interior Ministry is campaigning to arrest Sunnis so they cannot participate in a referendum on the constitution. Sunni leaders have said they will not cooperate in drafting a constitution over the federal structure. A round of violence in the Iraqi capital Baghdad has left more than 50 people injured. According to sources, 17 people, including police officers, have been killed in various car bomb attacks since Wednesday. Less than one person has been killed in car bomb attacks in Baghdad.
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050709_london_investigation
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2005/07/050709_london_investigation
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बड़ा जाँच अभियान, अपनों की तलाश भी
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लंदन पुलिस ने गुरूवार को हुए बम धमाकों के मामले में एक बड़ा जाँच अभियान शुरू किया है जिसमें बड़े पैमाने पर ख़ुफ़िया एजेंसियों और फ़ोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.
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इन धमाकों में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. स्पेन से एक जाँच दल लंदन रवाना हो रहा है जो मार्च 2004 में मैड्रिड में रेलगाड़ी में हुए भीषण धमाकों की जाँच में अपनी विशेषज्ञता लंदन पुलिस को मुहैया कराएगा. इस बीच ज़मीन के क़रीब सौ फुट नीचे बने लंदन के भूमिगत रेल स्टेशन किंग्स क्रॉस में शव ऊपर पहुँचाने का काम जारी है. पुलिस इन चार बम धमाकों के समय पर फिर से ध्यान दे रही है. पुलिस इस तथ्य पर ध्यान दे रही है कि सभी धमाके पाँच-पाँच मिनट के अंतराल पर हुए. पहले पुलिस ने समझा था कि चारों धमाके 25 मिनट के भीतर हुए. फ़ोरेंसिक जाँच दल भूमिगत रेल सुरंगों और अन्य घटनास्थलों पर तेज़ी से काम कर रहे हैं और वहाँ से जाँच क लिए नमूने इकट्ठे कर रहे हैं. ये दल यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन धमाकों के लिए कौन से विस्फोटक और तरीक़ा इस्तेमाल किया गया. मैट्रोपोलिटन पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, "अगले कुछ दिनों में बहुत कुछ काम होगा और फ़ोरेंसिक जाँच के लिए बहुत से नमूने इकट्ठे किए जाएंगे." कैमरों की जाँच लंदन में बड़ी संख्या में ऐसे कैमरे लगे हैं जिनमें हर समय रिकॉर्डिंग चलती रहती है और कोई भी संदिग्ध गतिविधि उनमें रिकॉर्ड हो जाती है. पुलिस सभी घटनास्थलों के आसपास लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग की जाँच में लग गई है. पुलिस ने आम लोगों से कोई भी सूचना तुरंत देने की अपील की है जिसके लिए एक आतंकवाद निरोधक हॉटलाइन बनाई गई है. मैट्रोपोलिटन पुलिस के आयुक्त सर इयन ब्लेयर ने कहा कि पुलिस इन बम धमाकों के ज़िम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा, "ऐसी कोई भी ठोस सूचना या सबूत नहीं है जिसके आधार पर इसे आत्मघाती हमला बताया जा सके या इस संभावना को नकारा जा सके." बीबीसी के सुरक्षा मामलों के संवाददाता फ्रेंक गार्डिनर का कहना है कि जाँच अधिकारी बहुत से सवालों का विश्लेषण कर रहे हैं. "सबसे अहम सवाल ये है कि क्या हमलावर ब्रितानी ही थे, ब्रितानी आतंकवादी या फिर ये लोग हमला करने के लिए किसी अन्य देश से आए थे." इस संभावना की भी जाँच की जा रही है कि बम बनाने वाला कोई विशेषज्ञ रहा होगा जिसने हमलावरों को समुचित दिशा निर्देश दिए होंगे. तलाश इस बीच धमाकों के बाद से लापता लोगों के परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में लगे हैं और जगह-जगह भटक रहे हैं. लंदन में बने आपात केंद्र में ऐसे परिजनों के अब तक एक लाख से ज़्यादा टेलीफ़ोन आ चुके हैं. रिश्तेदार और दोस्त अपने प्रियजनों की तलाश के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं और उनके फ़ोटो घटनास्थल पर भी ले जाकर लोगों को दिखा रहे हैं. इस बीच देश भर में प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया और लंदन में भी श्रद्धांजलि सभाएँ हुईं जिनमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया. इस बीच लंदन में परिवहन व्यवस्था सामान्य हो रही है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि भूमिगत रेल का जो हिस्सा धमाकों से प्रभावित हुआ उसे बहाल होने में कई सप्ताह का समय लग सकता है.
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A big investigation campaign, also looking for their own
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London police have launched a major investigation into Thursday's bombings, drawing on a wide range of intelligence agencies and forensic experts.
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The number of people killed in these blasts has risen to 50 within a span of five minutes. The police are looking at the fact that all four blasts occurred within 25 minutes. The forensic investigation team is moving to London to find out more than a thousand people missing in the underground railway tunnels and other places. The London Metropolitan Police are trying to find out which family members and explosive devices were used in the London underground hospitals. Meanwhile, a spokesman of the Metropolitan Police said, "In the next few days, the important information of the London underground railway station King's Cross, which is about a hundred feet below the ground, is being sent up. The police are looking at the timing of these four bombings. The police are paying attention to the fact that these four bombings will be shown on the scene of the London underground railway station or the site of the suicide bombing, which is also a solid tribute to the families of the victims of the terrorist attack," said Blankensky. The police have not been able to find out any concrete information about the possibility of a terrorist attack taking place in the vicinity of this meeting, and the police officers have been called "a large number of people in the country," and the security guards have been instructed to conduct an investigation of the terrorist attack. "A large number of security personnel have been sent to the site for investigation." It is said that the possibility of such a terrorist attack. "A large number of people have been killed in this time."
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080222_mills_boon
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https://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2008/02/080222_mills_boon
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भारत पहुँचा 'किताबी' रोमांस
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रोमांस को किताब की शक्ल में लोगों तक पहुँचाने वाले ब्रितानी प्रकाशक ‘मिल्स एंड बून’ ने अब अपनी किताबें बेचने के लिए भारत का भी रुख़ किया है.
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कंपनी को उम्मीद है कि उसका कामुक कथानक भारत के लोगों के दिलों में जगह बना लेगा और उसका साहित्य यहाँ अपने लिए बाज़ार तलाश कर लेगा. तो दिल्ली के महिला रीडिंग ग्रुप में रोमांटिक उपन्यास के बारे में क्या सोच है, जहाँ एक विचारमग्न नायक हमेशा कुँवारी स्त्री से ही विवाह करता है. पढ़ने का शौक रखने वाले औरत के इस वर्ग से मैं राजधानी दिल्ली के एक कैफ़े में मिली. बातचीत में सीमा मोनहॉट ने बताया कि उनके लिए किसी भी उपन्यास का मुख्य आकर्षण 'फ़ील गुड फ़ैक्टर' होता है. सीमा को किसी भी कहानी का सुखद अंत पसंद हैं. सीमा कहती हैं, “रोमांस, किसी लड़की के लिए तब तक चलने वाली अनवरत प्रक्रिया है जब तक वो मर न जाए. उम्र का इससे कोई ताल्लुक नहीं होता, आपको हमेशा वही प्यार चाहिए होता है जिसकी अनुभूति पहली बार अपने ब्वायफ़्रैंड के साथ, मंगेतर के साथ या जिसे आप सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं उसके साथ हुई होती है.” हालांकि 'मिल्स एंड बून'- जिसका अपने शहर ब्रिटेन में प्यार के बाज़ार में तीन चौथाई हिस्सा है, केवल भारत में ही शुरुवात कर रहा है. इनकी किताबें देश में पहले से ही प्रचलित हैं, उसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि ये अनाधिकृत रूप से विदेश से आतीं रहीं हैं. किताबों के शौकीन ख़ुद को लंबे समय से इनका मुरीद बताते हैं. रचना श्रीवास्तव की ही बात करते हैं. वो कहती हैं, "इन्हीं किताबों के बीच वो बड़ी हुई हैं, इससे उनके ज़ेहन में एक आदर्श आदमी की छवि को आकार मिला है. मैं हमेशा एक ऐसी रात की कल्पना करती हूँ जिसमें चमकदार कवच में, लंबा, गहरे रंग का और ख़ूबसूरत... कोई आ रहा है, मुझे नींद से जगा रहा है और कहीं दूर ले जा रहा है.” “वो मेरे लिए हमेशा इसी तरह का रहा है.” मैंने समूह में औरतों से पूछा कि उनका भारतीय पुरुषों में आदर्श ख़याली नायक कौन होगा. उनका जवाब था कि ‘वो’ बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रौशन और शाहरुख़ ख़ान, व्यवसायी अनिल अंबानी और उद्दोगपति सुनील मित्तल का मिलाजुला रूप होना चाहिए. वाकई ये दिलचस्प है, यही आज के आदर्श भारतीय पुरूष हैं - महिलाएँ अब पुराने महाराजाओं की तरफ़ नहीं देखतीं. डार्क एंड हैंडसम सविता जैन कहती हैं, “समकालीन भारत की पसंद समकालीन पुरुष है, एक ऐसा पुरुष जिसने ख़ुद को अपने आप बनाया हो, पूर्वजों की संपत्ति पर निर्भर न हो. ये उन्हे ज़्यादा रोचक बनाता है.” सविता की सहेलियाँ इस पर चुटकी लेने से नहीं चूकीं कि सपनों का शहज़ादा लंबा, गहरे रंग वाला, ख़ूबसूरत, अमीर होगा और उसके पास ख़ुद का हवाई जहाज़ होगा. उन्होंने बताया कि वास्तविक जीवन में पुरुषों में जितनी अच्छाइयाँ होती हैं उतनी ही बुराइयाँ भी रहती हैं लेकिन इन काल्पनिक कहानियों के पुरुषों में अलग ये होता है कि उसकी कमियों का कोई अस्तित्व नहीं होता है. शायद बदक़िस्मती से लेकिन वास्तविक भारतीय पुरुष के बारे में महिलाएँ कहतीं हैं कि उपन्यास के हिस्से कई बार वास्तविक जीवन में उनकी पसंद को प्रभावित करते हैं. सविता जैन कहतीं हैं, “जब आप किताब पढ़ें, उन क्षणों को अपने प्रियतम के साथ फिर से जिएँ जब आप उन्हें मिलें.” किरन चौधरी कहती हैं, “मुझे तो लगता है कि ये कहानियाँ केवल कल्पना हैं. जब आप इन्हें पढ़ रहे होते हैं तब तक उनके साथ खुश रहते हैं, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसे हीरो नहीं मिलते हैं.” “अपने लिए आदर्श जीवन साथी तलाश करना बहुत मुश्किल है.‘मिल एंड बून’ के हिसाब से, आप सपनों की दुनिया में पहुँच जाते हैं और बाद में निराश होते हैं.” वास्तव में इस एक आलोचना ने मिल्स एंड बून के स्तर को समान कर दिया है - वास्तविता का पूर्ण अभाव कथानक में और चरित्रों दोनों में दिख रहा है लेकिन एक और रीडिंग समूह की मीनाक्षी जैन का मानना है कि वास्तविकता उनकी पसंद की चीज़ों में सबसे आख़िरी स्थान पर आती है. उन्होंने कहा, “जिस दुनिया में हम रह रहे हैं, वो तनाव से भरी है. इस तरह की किताबें उस तनाव से कम से कम कुछ देर की राहत तो देती हैं. आप ख़ुद को हीरोइन की जगह रख कर कल्पना की दुनिया में खो सकते हैं.”
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'Booked 'romance reaches India
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Mills & Boon, the British publisher that brought romance to the masses in book form, has now turned to India to sell its books.
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The company really hopes that its erotic plot is the 'feel good factor' of any novel. Sima Monhaut says, "Romance, for a girl, is a continuous process that lasts until she dies, and Savita Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the real Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita. Savita is the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Savita, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the ideal Rani, the beautiful Rani, the beautiful Rani, the Queen, the Queen of the Queen, the Queen of the City, the Queen of the City, the Queen of the City, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the story, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length, the length and the hero, the hero, the hero, the
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https://www.bbc.com/hindi/international-38403620
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पाकिस्तान: हिंदुओं को मिली मंदिर और श्मशान के लिए जगह
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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की एक प्रशासनिक इकाई ने बताया है कि हिंदू समुदाय के लोगों को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ख़ास जगह मुहैया कराई गई है.
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बीबीसी से बात करते हुए इस्लामाबाद के डिप्टी मेयर ज़ीशान नक़वी ने बताया, "हिंदू समुदाय की लंबे समय से यह मांग थी कि राजधानी में उन्हें कुछ जगह दी जाए, ताकि अंतिम संस्कार के लिए वे श्मशान घाट बना सकें. साथ ही एक सामुदायिक केंद्र और मंदिर भी बना सकें." ज़ीशान नक़वी ने बताया कि हिंदुओं को इस्लामाबाद के सेक्टर-एच में एक प्लॉट दिया गया है और हिंदू समुदाय के परामर्श से ही यहां निर्माण कार्य किया जाएगा. नक़वी ने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग अब तक अंतिम संस्कार के लिए बौद्धधर्मियों के श्मशान घाट का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन अब उनके पास अपना श्मशान घाट और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इन्हें भी देख सकते हैं: समाप्त पाकिस्तान में हिंदू होने का मतलब... पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों पर एक किताब किस हाल में हैं पाकिस्तान के हिंदू मंदिर? इस्लामाबाद में हिंदू पंचायत के महासचिव अशोक चंद के अनुसार शहर में हिंदुओं की धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जगह देने की मांग काफी पुरानी है. बेनज़ीर भुट्टो की सरकार में भी इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. हालांकि बीते सात-आठ सालों में इस मांग ने बहुत तेज़ी पकड़ी है. अशोक ने कहा कि इस समय इस्लामाबाद में करीब 125 हिंदू परिवार बसे हैं और कुल एक हज़ार के करीब लोग हैं. लाहौर के एक मंदिर में प्रार्थना करता हिंदू परिवार. (फ़ाइल फ़ोटो) अशोक चंद ने जगह मिलने पर हिंदू समुदाय की ओर से खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ी, जिसमें नेशनल कमीशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ने उनकी बहुत मदद की. उन्होंने बताया कि पहले उन्हें कहा गया था कि बौद्धधर्मियों के लिए आरक्षित जगह को ही हिंदू अपने अंतिम धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन मानवाधिकार आयोग ने इसका विरोध किया और कहा कि बौद्धधर्मियों के अधिकारों को मारा नहीं जाए. साथ ही हिंदू भी पाकिस्तान के नागरिक हैं, इसलिए उन्हें उनके अधिकार दिए जाएं. अशोक की मानें, तो इस्लामाबाद स्थित हिंदू समुदाय के ज्यादातर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए सिंध जाना पड़ता है. इसके अलावा रावलपिंडी और अटक में एक श्मशान घाट है, जो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता है. अशोक चंद ने बताया कि जल्द ही आवंटित ज़मीन पर सामुदायिक केंद्र, मंदिर और श्मशान घाट बनाए जाएंगे. अगर सरकार की ओर से कोई वित्तीय मदद नहीं मिली, तो हिंदू समाज चंदा इकट्ठा करके यहां मंदिर और अन्य सुविधाएं तैयार करेगा. तस्वीरों में: पाकिस्तान के हिंदू मंदिर शरणार्थी वक्फ संपत्ति बोर्ड के चेयरमेन रशीद ने बीबीसी को बताया कि वह इस्लामाबाद में हिंदुओं को मंदिर और अन्य सुविधाएं तैयार करने में मदद करेंगे. स्थानीय लोगों की मानें, तो इस फैसले के बाद पाकिस्तान को उस नकारात्मक प्रचार से छुटकारा मिल सकेगा, जिसके तहत उसे दुनिया के 'अल्पसंख्यकों के प्रति कट्टर' देशों में शामिल किया गया है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Hindus in Pakistan get space for temple, crematorium
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An administrative unit of Pakistan's capital Islamabad has said that the Hindu community has been provided with a special place for religious rituals.
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Speaking to the BBC, Islamabad's Deputy Mayor Zeeshan Naqvi said, "It has been a long-standing demand of the Hindu community that they should be given some space in the capital, Islamabad, so that they can build cremation grounds for Hindus in the city. Also a community centre and a temple can be built." Zeeshan Naqvi reported that Hindus have been given a plot in Sector-H of Islamabad and construction work can be done here only in consultation with the Hindu community. The issue was also raised in Benazir Bhutto's government. Most of them were given no religious facilities except for a hearing in the Sindh Civil Society. The government of Sindh, and the Hindu citizens of Pakistan have been demanding that they can build a Hindu crematorium in Islamabad. The Hindu Waqf Board and the Hindu Waqf Board can also be used for this purpose. "If the Hindu community gets a donation from the Hindu community for the last rites of the Hindu family in Pakistan, then they will get the final rights of the Hindu family," he said.
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https://www.bbc.com/hindi/social-39645758
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सोशल: एक लड़की के सोनू निगम से पूछे गए सवाल हुए वायरल
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धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर सवाल उठाने वाले गायक सोनू निगम से एक लड़की ने सवाल किया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
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ख़ुद का नाम यासमीन अरोड़ा मुंशी बताने वाली इस लड़की ने 17 अप्रैल को अपने फ़ेसबुक पेज पर सोनू निगम से सवाल करते हुए एक लाइव वीडियो पोस्ट किया था. 8 लाख बार देखा जा चुका है और डेढ़ लाख लोगों ने इसे शेयर किया है. इस लड़की ने सवाल किया था, "सोनू निगम जी, आप करीब 50 साल के हो गए हैं. आपको पचास साल बाद अचानक कैसे याद आया कि आपको अज़ान से तकलीफ़ होती है. क्या यह सवाल देश की हुकूमत देखकर उठाया गया है." सोनू निगम ने ट्विटर पर अपने पोस्ट में धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर सवाल उठाए थे, जिसमें सबसे पहले अज़ान का ज़िक्र किया गया था. सोनू निगम ने कहा था कि ये 'धार्मिक गुंडागर्दी है बस'. अपने वीडियो में यासमीन ने कहा, "जब गोमांस खाने के नाम पर महिलाओं से बलात्कार कर दिया जाता है, क्या उसे गुंडागर्दी नहीं कहते?" यासमीन ने अपने वीडियो में कहा कि गौरक्षा के नाम पर पहलू ख़ान और अख़लाक़ की हत्या गुंडागर्दी नहीं थी? लेकिन तब आपने ट्वीट नहीं किया. अपने वीडियो में यासमीन ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया. वहीं सोशल मीडिया पर कई अन्य मुस्लिम महिलाओं ने भी सोनू निगम के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी. इनमें लोगों ने सोनू के पक्ष और विपक्ष में राय पेश की. एरीना अकबर ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''मैं सोनू निगम से इस बात पर सहमत हूं कि सुबह की अज़ान के लिए लाउडस्पीकर इस्तेमाल नहीं होना चाहिए लेकिन इसको गुंडागर्दी का नाम देना कुछ ज़्यादा हो गया. गुंडागर्दी का मतलब होता है लूट-मार करना, ख़ून-ख़राबा करना, लेकिन किसी को नींद से उठाना गुंडागर्दी में शामिल नहीं है.'' एक और पोस्ट में एरीना सोनू निगम के ज़रिए गुंडागर्दी शब्द के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हुए लिखती हैं, ''एक ग़लत शब्द का इस्तेमाल एक उचित दलील को भी नष्ट कर देता है. हां, मुसलमानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना चाहिए. लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच नहीं करना चाहिए. लेकिन अज़ान को गुंडागर्दी कहना अत्यंत असंवेदनशील है.'' एरीना अक़बर के सवाल लेकिन इसी के साथ वो आगे ये भी लिखती हैं, ''जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं वहां मुसलमानों को अपने पड़ोसियों की नींद का ख़्याल रखना चाहिए और सुबह को लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ये मामूली सा शिष्टाचार है.'' उनके अनुसार रमज़ान में ख़ासकर सुबह की अज़ान से पहले बार-बार घोषणा करना कि अब रोज़े में 10 या पांच मिनट बाक़ी हैं, ग़ैर-मुस्लिम लोगों को परेशान करना है. वो आगे लिखती हैं, ''क़ुरान में भी मुसलमानों को पड़ोसियों के अधिकारों के बारे में नसीहत दी जाती है, लेकिन रमज़ान में लाउडस्पीकर से लगातार घोषणा करते रहने से हम अपने पड़ोसियों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. मैं खाड़ी के एक देश में रही हूं और लाउडस्पीकर का ऐसा इस्तेमाल मैंने वहां नहीं देखा. तमाशाबाज़ी तो हम भारतीयों को ही आती है, चाहे वो जागरण हो या रमज़ान में बार-बार की जाने वाली घोषणाएं.'' (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Social: A girl's question to Sonu Nigam goes viral
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Singer Sonu Nigam, who has questioned the use of loudspeakers in religious places, has been questioned by a girl, whose video is going viral on social media.
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The girl, who identified herself as Yasmeen Arora Munshi, had posted a live video on her Facebook page on April 17 questioning Sonu Nigam. It has been viewed 8 lakh times and shared 1.5 lakh times. This girl had questioned, "Sonu Nigam ji, how did you suddenly remember after fifty years that you are disturbed by the azaan in the name of cow vigilantism. Sonu Nigam had raised this question after seeing the ruling of the country." Sonu Nigam had raised this question in his post on Twitter. Sonu Nigam had also used the word azaab along with Ram Nigam in the same way for Muslims to sleep for six consecutive nights. Sonu Nigam has also used the word azaab in the same way. "Sonu Nigam has also used the word azaab in favor of Ram Nigam." Sonu Nigam has also used the word azaab several times in his tweets. Sonu Nigam has also used the word azaab in the name of Ram Nigam. "But Sonu Nigam does not use the word azaab in the same way in the name of Muslims. But according to Sonu Nigam's tweet," But I do not use the word azaab in the name of Yasmeen Nigam, "But according to Sonu Nigam's tweet," But I do not use the word azaab in the name of Ram Nigam in the social media, "But Sonu Nigam does not use a word in the same word in the social media," Yes, "Yes," La La La La La La La La, La La La La La, La, La La La, La, La, La, La, La.
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india-55201464
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https://www.bbc.com/hindi/india-55201464
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#FarmersProtest: सरकार ने किसानों से कहा- बुज़ुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दें
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दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार की बातचीत में ये तय हुआ है कि दोनों पक्ष अगले दौर की बातचीत अब 9 दिसंबर को करेंगे.
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समाचार एजेंसियों के मुताबिक, सरकार ने 9 दिसंबर को फिर बैठक की पेशकश करते हुए किसान यूनियनों से समय मांगा ताकि आगे की बातचीत के लिए ठोस प्रस्ताव तैयार किया जा सके. बैठक के बाद विज्ञान भवन से बाहर निकले किसान नेताओं के मुताबिक, केंद्र सरकार का कहना है कि वो उन्हें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेगी. किसान नेता उस प्रस्ताव पर किसानों के बीच चर्चा के बाद उसी दिन बैठक में हिस्सा लेकर अपनी बात रखेंगे. किसान नेताओं से बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं से कहा, "हमने किसानों से कहा है कि सरकार उनके सभी पक्षों पर विचार करेगी. यदि हमें किसान नेताओं से सुझाव मिलें तो समाधान खोजना आसान होता. हमने किसान यूनियंस से कहा है कि ठंड और कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए बुजुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दें." साइलेंट प्रोटेस्ट इस नतीजे पर पहुंचने से पहले विज्ञान भवन के भीतर सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कठोर रुख़ दिखाया और सरकार से जानना चाहा कि किसानों की मांग पर 'हाँ' या 'ना' में से उनका क्या कहना है. समाप्त बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा के मुताबिक, बैठक में मौजूद किसान नेता ने बताया कि सरकार ने पुरानी बातें दोहराई, जिसके बाद किसान नेताओं ने चुप रहकर "साइलेंट प्रोटेस्ट' किया." इससे पहले, किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से कहा कि वो पिछली बैठक के बारे में बिंदुवार जवाब दे. सरकार ने इस पर सहमति जताई. बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से कहा कि उन्हें समाधान चाहिए, सरकार की प्रतिबद्धता चाहिए. किसान नेताओं ने बैठक के दौरान कहा कि वो इस बारे में और चर्चा नहीं करना चाहते और ये जानना चाहते हैं कि सरकार ने किसानों की मांग के बारे में क्या फ़ैसला किया है. बैठक में सरकार ने कहा कि वो पंजाब के किसानों की भावनाएं समझती है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है. विज्ञान भवन में दोनों पक्ष शनिवार को दूसरी बार बैठक कर रहे थे. इससे पहले गुरुवार को दोनों पक्षों में बातचीत हुई थी जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी. प्रदर्शनकारी 'किसान विरोधी काले क़ानून' वापस लेने की बात कर रहे हैं जबकि सरकार उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश कर रही है. सरकार की ये कोशिश शनिवार को नाकाम हुई और अब दोनों पक्ष नौ दिसंबर को एक बार फिर बैठक करेंगे. दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की पड़ोसी राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर आज भी किसान डटे रहे. हरियाणा-दिल्ली के बीच सिंघु बॉर्डर पर जानेमाने सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ ने प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि किसानों ने नया इतिहास रच दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दिलजीत दोसांझ ने कहा, "केंद्र से हमारा एक ही आग्रह है... प्लीज़ हमारे किसानों की मांगें पूरी करो. यहां हर कोई शांतिपूर्ण तरीक से बैठा है और पूरा देश किसानों के साथ है." विज्ञान भवन में बातचीत के पिछले दौर की तरह इस बार भी किसान नेताओं ने अपना लाया खाना खाया. इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसान अपने नेताओं के रूख़ को लेकर काफ़ी उत्साहित नज़र आए. टिकरी बॉर्डर पर बीबीसी संवाददाता पीयूष नागपाल ने प्रदर्शनकारी किसानों से बात की जो पूरी तैयारी के साथ आए हुए हैं. बीबीसी संवाददाता ने बताया कि बैठक के दौरान किसान साफ़-सफ़ाई और खाना बनाने में जुटे हुए थे, साथ ही बैठक के नतीजों का इंतज़ार कर रहे थे. दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों का कहना है कि वो अपने साथ कई दिनों के लिए खाना-पानी लेकर आए हैं और मांगें पूरी होने तक इसी तरह डटे रहेंगे. बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा को मिली जानकारी के मुताबिक अब किसान यूनियनों के नेताओं ने रविवार की सुबह 10 बजे बैठक करने का फ़ैसला किया है. दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों के विरोध प्रदर्शन का शनिवार को दसवां दिन था. इतने दिनों से हरियाणा, पंजाब और अन्य प्रदेशों के किसान दिल्ली के बॉर्डर इलाक़ों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है और कहा है कि उस दिन वे दिल्ली के सभी टोल प्लाज़ा को घेरेंगे. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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#FarmersProtest: The government told the farmers - send the elderly and children back home
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At Saturday's talks between the government and farmer leaders in Delhi's Vigyan Bhawan, it has been decided that the two sides will now hold the next round of talks on December 9.
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According to news agencies, the government has assured the farmers that the government will consider all their options. According to news agencies, after the meeting with the farmers, the government has said that it will be easy to find a solution. We have told the farmer unions that the government is ready to talk to the farmers once again. We have told the farmer unions that the central government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The government is ready to talk to the farmers once again. The government is ready to talk to the farmers again. The government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The government is ready to talk to the farmers once again. The government is ready to talk to the farmers once again. The farmer leaders are ready to talk to the government on this issue. The central government is ready to talk to the farmers once again. According to the news agency, keeping in mind the cold and the corona virus.
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140530_twitter_treasure_hunt_hidden_cash_rd
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https://www.bbc.com/hindi/international/2014/05/140530_twitter_treasure_hunt_hidden_cash_rd
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ट्विटर पर सुराग़ पाओ और ढूंढो छुपाया हुआ पैसा
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अमरीका के सैन फ्रांसिस्को में एक अज्ञात ट्वीटर ने एक ऐसा चलन शुरू किया है जो दुनिया भर में फैलना शुरू हो गया है- ट्विटर ख़ज़ाने, नक़द पैसे की खोज.
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आख़िर कौन नहीं चाहेगा कि उसे रुपयों से भरा लिफ़ाफ़ा मिल जाए? शायद यही वजह है कि क़रीब 2,50,000 लोगों ने @हिडेनकैश (@HiddenCash) अकाउंट को फ़ॉलो करना शुरू कर दिया है. जैसे कि इस ख़बर में पहले भी बताया गया है कि इस अकाउंट का संचालक अनाम रहना चाहता है. वह सैन फ़्रांसिस्को में घर में किसी अज्ञात जगह पर कुछ पैसे छुपा रहा है और उन्हें ढूंढने के सुराग़ ट्विटर पर दे रहा है. एक हफ़्ते पहले जब इस अकाउंट से पहला सुराग़ ट्वीट किया गया तो इसी तरह के और अकाउंट तुरंत पैदा हो गए. इनमें से ज़्यादातर अमरीका-फ़्लोरिडा, कोलोराडो, टेक्सस और अन्य जगह हैं लेकिन ऐसा लगता है कि यह चलन विश्व भर में फैल रहा है. नाइजीरिया, भारत, हॉंग-कॉंग, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन सभी जगह इस तरह के अकाउंट खोले जा रहे हैं. 'दोनों को फ़ायदा' बुधवार को @हिडनकैश_यूके नाम का नया अकाउंट शुरू करने वाले व्यक्ति कहते हैं, "मैंने इसे इंटरनेट पर वायरल होते हुए देखा और सोचा 'यह सचमुच में एक बहुत मज़ेदार आइडिया है'." ब्रिटेन में ट्विटर, खजाने की खोज, का इनाम जीतने वाले बिजली मिस्त्री हैरी मैकक्यावेन को पहले-पहल इस पर विश्वास ही नहीं हुआ. उन्होंने बीबीसी ट्रेंडिंग को बताया कि वह पैसे से भरे लिफ़ाफ़े को देश के दूसरे कोने में छुपाने की योजना बना रहे हैं. पहली बार- 50 पौंड (क़रीब 4940.96 रुपये) भरा लिफ़ाफ़ा- लीड्स में छुपाया गया था जो एक बिजली मिस्त्री हैरी मैकक्योवन को मिला. उन्हें इस छुपाए गए पैसे के बारे में एक डेंटिस्ट के पास टीवी देखते हुए पता चला. पांच मिनट बाद ही उन्हें ट्विटर पर पहला सुराग़ मिला. वह कहते हैं, "मेरे दोस्त ने कहा कि 'किसी ने मज़े लेने के लिए यह किया होगा' और मैंने सोचा कि मैं ढूंढते हुए थोड़ा मूर्ख लगूंगा. लेकिन यह तो सही निकला." "और मुझे लगा 'यह नहीं हो सकता'." अगला लिफ़ाफ़ा कहीं मैनचेस्टर में छुपा होगा और और उसके बाद शुक्रवार को अगला लंदन में. सैन फ़्रांसिस्को वाले व्यक्ति की तर्ज़ पर ब्रिटेन में इस अकाउंट का संचालने करने वाले व्यक्ति भी अनाम रहना चाहते हैं. वह कहते हैं कि वह पैसे छुपाने के लिए नज़दीकी दोस्तों और देश भर में मौजूद पहचान वाले लोगों पर भरोसा कर रहे हैं. लेकिन वह ऐसा कर क्यों रहे हैं? उनका जवाब है, "मेरे लिए यह मज़ेदार है, और इससे लोगों को मदद मिलती है- इसलिए इससे दोनों को फ़ायदा है." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Find clues and find hidden money on Twitter.
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An anonymous tweeter in San Francisco, USA, has started a trend that is starting to spread around the world - Twitter Treasure, the search for cash.
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After all, who wouldn't want to be the first to tweet the first clue? Maybe that's why almost 2,50,000 people started following the @ह IDenCash (@HiddenCash) account all over the world. 2,50,000 Twitter friends in Nigeria, India, Hong Kong, the Netherlands, and the UK started searching for clues on Friday. @ह Twitter friends on Wednesday @ह ID1 > IDenCash (@HiddenCash). < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > 2,50,000 2,50,000 < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID2 > < / ID2 > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID = "ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < / ID > < /
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https://www.bbc.com/hindi/india/2014/12/141217_spicejet_grounded_flight_rd
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स्पाइसजेट की उड़ान बंद
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भारत की एक एयरलाइंस स्पाइस जेट के नक़द भुगतान करने के बाद तेल कंपनियों ने बुधवार को उसे ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी.
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समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की एक तेल कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने ईंधन की आपूर्ति बंद की ही नहीं थी. हमने कल (मंगलवार) दोपहर बाद तक उन्हें ईंधन की आपूर्ति की थी." "उसके बाद वह ईंधन ख़रीदने आए ही नहीं इसलिए हमने उन्हें दिया भी नहीं. वह आज (बुधवार) दोपहर आए इसलिए हम आपूर्ति कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि स्पाइस जेट को छह महीने पहले ही 'पैसे दो और ले जाओ' की श्रेणी में डाल दिया गया था. इसका अर्थ यह है कि विमान कंपनी को तभी ईंधन आपूर्ति होती थी जब वह इसके लिए भुगतान करते थे. 'उधार की सीमा बढ़ी' स्पाइस जेट रोज़ क़रीब 5.5 करोड़ रुपये का ईँधन भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) से ख़रीदा करता था लेकिन छह महीने पहले उसने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ से भी कुछ ख़रीदना शुरू कर दिया. समाप्त लेकिन तबसे स्पाइसजेट के अपनी उडानों में कटौती करने और बेड़े में कमी करने के चलते यह उपभोग कम हो गया. बुधवार सुबह भुगतान समस्या के चलते स्पाइसजेट का कोई भी विमान उड़ान नहीं भर पाया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि एयरपोर्ट संचालकों को विमान कंपनियों को भुगतान के लिए 15 दिन का समय देने को कहा जाएगा और सरकारी तेल कंपनियों को भी 15 दिन का उधार देने को कहा जाएगा. सूत्रों के अनुसार तेल कंपनियों ने लेटर ऑफ़ क्रेडिट या बैंक गारंटी के ज़रिए भुगतान सुरक्षित होने के बाद ही उधार की सीमा बढ़ाई है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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SpiceJet flights cancelled
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Oil companies started supplying fuel to SpiceJet, an Indian airline, on Wednesday after it made a cash payment.
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According to news agency PTI, a senior official at a public sector oil company said, "We had not stopped fuel supply. We had also started buying fuel from Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries till yesterday (Tuesday) afternoon." "After that, he did not come to buy fuel, so we did not give it to him. He came today (Wednesday) afternoon, so we are supplying." He said that SpiceJet was put in the category of "give and take money" six months ago. This means that the airline used to get fuel supply only when they paid for it. "The borrowing limit has been increased." SpiceJet used to buy fuel worth about Rs 55 million every day from Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) but six months ago, it also started buying some from Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries. But since SpiceJet cut its flights and reduced the fleet consumption, it has not been able to pay for the fuel, "he said." You can also click on the Civil Aviation Ministry's flight time guarantee after 15 days. "" SpiceJet also said on Twitter that companies will start lending fuel to Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) and Reliance Industries after six months. "But since then, SpiceJet's credit card is safe." "Yes," "" Yes, "" Yes, "" Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes," Yes, "Yes,"
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160603_migrant_crisis_sdp
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https://www.bbc.com/hindi/international/2016/06/160603_migrant_crisis_sdp
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ग्रीस: 340 प्रवासियों को डूबी नौका से बचाया
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ग्रीस के अधिकारियों का कहना है कि भूमध्यसागर में एक नौका के डूबने के बाद लगभग 340 प्रवासियों को बचाया गया है. अभी तक नौ शव भी समुद्र से निकाले गए हैं.
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ग्रीस के क्रेट द्वीप से दक्षिण में 75 समुद्री मील की दूरी पर मिली इस नौका में सवार बाकी लोग लापता माने जा रहे हैं. हवाई जहाज़, पानी के जहाज़ और हेलीकाप्टर्स की मदद से राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है. समचार एजेंसी एपी के मुताबिक, एक अन्य घटना में, लीबिया के तट से 100 से अधिक शव बरामद किए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि क्रेट द्वीप के तट पर डूबी नौका संभवत: अफ्रीका से रवाना हुई होगी. हालांकि अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये नौका कहां से चली थी. समाप्त प्रवासियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रमुख डेनियल एसड्रास ने बीबीसी को बताया कि इस विशाल नौका की लंबाई 25 मीटर है जिस पर कम से कम 700 लोग सवार हो सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वर्ष 2016 में अभी तक पश्चिमी यूरोप की ओर जाते हुए 2500 से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं. मौसम में हाल में आए सुधार की वजह से भूमध्यसागर को पार करने वाली नौकाओं की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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Greece: 340 migrants rescued from capsized ferry
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Greek authorities say about 340 migrants have been rescued after a ferry sank in the Mediterranean Sea. Nine bodies have also been pulled from the sea so far.
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In another incident, more than 100 bodies have been recovered off the coast of Libya, according to news agency AP. Officials say the boat that sank off the coast of Crete Island may have sailed from Africa. It is unclear where the boat came from. Daniel Esdras, head of the International Organization for Migration, told the BBC that the boat is 25 metres long and can carry at least 700 people. The United Nations says more than 2,500 people have lost their lives so far in 2016, heading to western Europe. Recent improvements in the weather have led to an increase in the number of boats crossing the Mediterranean. Click here to follow us on Facebook (BBC's Android app).
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india-40990807
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https://www.bbc.com/hindi/india-40990807
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शाम तक तय हो हादसे की ज़िम्मेदारीः रेल मंत्री
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उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले में ख़तौली के पास हुए रेल हादसे पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सेंट्रल रेलवे बोर्ड को आज शाम तक हादसे की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं.
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रेल मंत्री ने ट्वीट किया कि 'रेलवे बोर्ड की तरफ से किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आज का दिन पूरा होने तक सेंट्रल रेलवे बोर्ड प्रथम दृष्ट्या सबूतों के आधार पर हादसे की जिम्मेदारी तय करे.' मुज़फ्फ़नगर रेल हादसे में अभी तक 23 लोगों के मारे जाने की ख़बर है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. प्रभु के इस्तीफे की मांग इस हादसे के बाद से रेल मंत्री सुरेश प्रभु विपक्ष के निशाने पर हैं. उनके इस्तीफ़े की मांग उठने लगी है. आरजेडी प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब लोगों को रेलवे में सुरक्षा की गारंटी ही नहीं है तो वे कैसे रेल में सफ़र कर सकते हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार बनने के बाद से अभी तक सैकड़ों लोग रेल हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं, सरकार कब जागेगी. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया कि रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया गया, नतीजा हमारे सामने है. 'ट्रेन का डिब्बा उछलकर मेरे घर पर गिरा, जैसे फ़िल्मों में होता है' '.... आवाज़ सुनकर लगा कि हम मर जाएंगे' पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश प्रभु ने 9 नवंबर 2014 को रेलमंत्री का पदभार संभाला था. उसके बाद से अभी तक देश में करीब 6 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई है. सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बनने के बाद हुए रेल हादसे: (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Responsibility for the accident should be fixed by the evening: Railway Minister
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Following the train accident near Khatauli in Muzaffarnagar district of Uttar Pradesh, Railway Minister Suresh Prabhu has directed the Central Railway Board to fix responsibility for the accident by this evening.
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The Railway Minister tweeted that "No laxity on the part of the Railway Board will be tolerated. Till the completion of this day, the Central Railway Board should fix responsibility for the accident on the basis of prima facie evidence." The Muzaffarnagar train accident has so far killed 23 people while hundreds of people have been injured. Prabhu's resignation has been demanded by the opposition. There have been calls for his resignation. RJD chief and former Railway Minister Lalu Prasad Yadav told the media that when people are not guaranteed safety in the railways, how can they travel by train. Congress spokesperson Randeep Surjewala tweeted that since the formation of the Modi government, hundreds of people have lost their lives in railway accidents so far, when will the government wake up. CPM leader Sitaram Yechury tweeted that the railway budget was merged with the general budget, the result is in front of us. "Listening to the train accident, hundreds of people took charge of the train. After the accident, Suresh Prabhu has become a chartered accountant in the Indian Railways." You can also click on Suresh Prabhu's Twitter account. "Suresh Prabhu has lost his voice in the country after the accident.
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040504_abrar_dead
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2004/05/040504_abrar_dead
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राजस्थान काँग्रेस अध्यक्ष का निधन
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राजस्थान काँग्रेस के अध्यक्ष अबरार अहमद का मंगलवार तड़के एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया है.
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मंगलवार को सुबह क़रीब साढ़े चार बजे अबरार अहमद की कार टोंक ज़िले में एक ट्रक से टकरा गई. अबरार अहमद की मौक़े पर ही मौत हो गई. वे 48 वर्ष के थे. अबरार अहमद के साथ दो अन्य लोग भी मारे गए हैं. जिनमें उनका ड्राइवर और सुरक्षा गार्ड भी शामिल हैं. एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. अबरार अहमद केंद्र की नरसिंह राव सरकार में वित्त राज्य मंत्री रह चुके थे और उन्होंने पार्टी महासचिव का भी पद संभाला था. अबरार अहमद को नारायण सिंह के स्थान पर पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वे फ़िलहाल राज्यसभा सांसद थे. काँग्रेस ने प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने के लिए अबरार अहमद को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था. उनके निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. कुछ वर्ष पहले राजस्थान के ही वरिष्ठ काँग्रेसी नेता राजेश पायलट का भी एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था.
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Rajasthan Congress chief passes away
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Rajasthan Congress president Abrar Ahmed died in a road accident in the early hours of Tuesday.
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At around 4: 30 am on Tuesday, Abrar Ahmed's car collided with a truck in Tonk district. Abrar Ahmed died on the spot. He was 48 years old. Abrar Ahmed was killed along with two others, including his driver and a security guard. One person is seriously injured. Abrar Ahmed was a minister of state for finance in the Narasimha Rao government at the Centre and also held the post of party general secretary. Abrar Ahmed was appointed president of the party in place of Narayan Singh. He was currently a Rajya Sabha MP. The Congress made Abrar Ahmed the president of the party to woo Muslim voters of the state. His death has come as a shock to the party. A few years ago, senior Congress leader from Rajasthan, Rajesh Pilot, also died in a road accident.
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150529_look_ahead_news_alert_blatter_america_iran_ac
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https://www.bbc.com/hindi/india/2015/05/150529_look_ahead_news_alert_blatter_america_iran_ac
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अमरीका और ईरान में परमाणु विवाद पर चर्चा
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विवादों में घिरे सेप ब्लैटर अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से जीतने के बाद शनिवार को पहली बैटक की अध्यक्षता करेंगे.
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इस दौरान 2018 और 2022 के विश्व कप आयोजनों पर चर्चा होने की उम्मीद है. अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी और ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ स्विटज़रलैंड के जेनेवा शहर में मुलाक़ात करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों देश परमाणु समझौते को लेकर चर्चा करेंगे. ख़बरों के अनुसार आज रूस की राजधानी मॉस्को में 'गे प्राइड मार्च' निकाला जा सकता है. समाप्त हालांकि प्रशासन ने रैली की इजाज़त नहीं दी है लेकिन आयोजनकर्ताओं का कहना है कि वे किसी न किसी रूप में यह इसे ज़रूर निकालेंगे. मिस्र की एक अदालत 73 अभियुक्तों पर फ़ैसला सुनाएगी. इन पर 74 लोगों की हत्या के आरोप हैं. आरोपों के अनुसार इन सभी ने 2012 में पोर्ट सईद स्टेडियम में स्थानीय फ़ुटबॉल टीमों के मैच के दौरान भड़के दंगों के बीच हत्या की थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
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US, Iran discuss nuclear dispute
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Controversial Sepp Blatter will preside over the first bout on Saturday after winning re-election as president of the International Football Federation.
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During this time, the 2018 and 2022 World Cup events are expected to be discussed. US Secretary of State John Kerry and Iranian Foreign Minister Mohammad Javad Zarif will meet in Geneva, Switzerland. It is believed that both countries will discuss the nuclear deal during this time. According to the news, a 'Gay Pride March' can be taken out in the Russian capital Moscow today. It is over. Although the administration has not given permission for the rally, but the organizers say that they will take it out in some way. An Egyptian court will give a verdict on 73 accused. They are accused of killing 74 people. According to the allegations, they all committed murder during the riots that broke out during a match of local football teams in Port Said Stadium in 2012. (Click here for the Android app of BBC Hindi. You can also follow us on Facebook and Twitter.)
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160228_budget_2016_five_reason_sr
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https://www.bbc.com/hindi/india/2016/02/160228_budget_2016_five_reason_sr
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क्या बेमतलब लगने लगा है बजट?
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भारत का बजट सोमवार को आ रहा है. लगभग हर टीवी चैनल, हर अख़बार बजट की ख़बरों से रंगे हुए हैं. पर आम आदमी के लिए यह कवरेज और बजट बेतुका है.
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पर क्यों? इसके पाँच बड़े कारण निम्न हैं. वित्तीय घाटा: सारे वित्तमंत्री और विशेषज्ञ बजट में वित्तीय घाटे के बारे में ख़ूब बोलते हैं. भारत की सभी सरकारें साल 2008 तक क़ानूनन देश के वित्तीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन फ़ीसदी के बराबर लाने के लिए बाध्य थीं. ऐसा फ़िस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट 2003 के तहत किया जाना था. लेकिन सरकारें ऐसा नहीं करतीं. वो संसद से इस सीमा को लांघने की इजाज़त ले लेती हैं. पिछली बार जेटली ने भी यही किया था. वो इस बार फिर ऐसा कर सकते हैं. उनके पहले भी ऐसा हुआ है. जब संसद के पास किए क़ानून को सांसद आगे खिसका देते हैं और साल भर में वित्तीय घाटे के टारगेट रिवाइज़ होते हैं, बजट कि ओर क्यों ताकें? समाप्त महंगाई: सरकारें साल के बीच में सेस या अधिभार लागू कर पैसा वसूलती हैं. इससे महंगाई बढ़ती है. हालिया उदाहरण है स्वच्छ भारत अधिभार. सरकार ने यह सेस नवंबर में लगाया. जनता की जेब से फ़रवरी तक 1,917 करोड़ रुपए निकल कर सरकार की तिजोरी में चले गए. इसी तरह से बीते दिसंबर में किराए बढ़ा दिए गए. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय क़ीमतों में आई भारी गिरावट से हो रही बचत का 70-75 फ़ीसद हिस्सा (डीज़ल और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाकर) सरकार ख़ुद अपनी तिजोरी में रख रही है. जबकि इसका 25-30 फ़ीसद हिस्सा पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में कम करके जनता को दिया जा रहा है. अगर क़ीमतें और कम की जातीं तो इससे महंगाई भी कम होती, खाद्य पदार्थों की, क्योंकि ट्रांसपोर्ट लागत में डीज़ल की क़ीमतों का अहम हिस्सा होता है. भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि होलसेल प्राइस इंडेक्स पिछले 15 महीनों से नकारात्मक रहा है. लेकिन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ रहा है. सरकार ने ये सब तो नहीं बताया था बजट में कि ऐसा करेंगे. अब बताइए, बेचारे आम आदमी के लिए बजट हुआ ना बेमतलब का. आयकर: लेकिन हर अख़बार, टीवी यहाँ तक की एफ़एम तक टैक्स में छूट...टैक्स में छूट चिल्लाते हैं. लेकिन 120 करोड़ से ज़्यादा लोगों के इस मुल्क में 97 फ़ीसदी लोग आयकर या इनकम टैक्स नहीं देते हैं. अप्रत्यक्ष कर: आम आदमी के लिए उत्पादन कर, सेवा कर जैसे या इस तरह की दूसरी ड्यूटी महत्व रखती है. इससे उसके इस्तेमाल की चीज़ें सस्ती या महंगी होती हैं. इससे इतर समझने की बात यह है कि हर वित्त मंत्री बताता है कि देंगे क्या, पर ये सब छुपा जाते हैं कि लेंगे क्या. मसलन उत्पादन कर सरकार ने बार-बार बढ़ाया. पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच अप्रत्यक्ष करों से वसूली क़रीब 33 फ़ीसदी बढ़ी. ऐसा नहीं कि इस दौरान देश में उत्पादन बढ़ा हो. सरकार ने ख़ुद बताया कि देश में उत्पादन कम हुआ है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था: इस बार तय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली जी बजट में ज़ोर शोर से बताएंगे कि वो किसानों के लिए, गाँवों में रहने वाले भूमिहीन मज़दूरों के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए क्या हैं. पिछली बार भी बताया था लेकिन बाद में हुआ क्या? बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार योजना (मनरेगा) बजट में भले कम पैसे का प्रावधान किया हो. लेकिन बाद में पैसे की कमी नहीं होगी. हुआ क्या? राज्यों ने जब पैसा माँगा तो सरकार ने दिया आधे से भी कम. नतीजा मज़दूरों को सूखा प्रभावित इलाक़ों में भी लंबे समय तक मज़दूरी नहीं मिली. मज़दूर अब इस योजना से भागने लगा है. बजट में यह तो नहीं बताया था. मज़दूरों और गाँवों में काम करने वाले कहते हैं कि यूपीए-2 और एनडीए दोनों इस योजना को मारना चाहते हैं. बजट की हक़ीक़त पता लगती हैं आठ-दस महीने बाद. उसके पहले बजट में जो प्रावधान करते हैं, उसे ख़र्चते नहीं हैं. नए-नए बहानों तरीक़ों से पैसे जनता से निकालते रहते हैं. आम लोग अब समझते हैं कि बजट में सरकारें बात बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हैं. लेकिन असलियत और कुछ होती है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Is the budget out of whack?
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India's budget is coming on Monday. Almost every TV channel, every newspaper is full of news about the budget. But for the common man, the coverage and the budget is absurd.
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But why villages? Five major reasons for this would have been inflation. Fiscal deficit: All NDA governments, except Gandhi's, say indirect tax cuts, and UPA's, say, price hikes over the years. In fact, in the last three months, the government would have been able to reduce the budget deficit to 3 percent of gross domestic product (GDP). The recent example is the Swachh Bharat surcharge. You raised the cess during the 2008 budget. Didn't you raise the cess during the November budget? People's pocket money - February 1, 2008 - February 1, 2013 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2003 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2013 - February 1, 2016 - February 1, 2020 - February 1, 2018 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 1, 2020 - February 20, 2020 - February 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021 - April 20, 2021
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080609_reporter_tribute
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/06/080609_reporter_tribute
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दास्तां, एक दिलेर पत्रकार की...
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अफ़ग़ानिस्तान के कई इलाकों में ख़बरों को खोजते और दुनिया के बाकी लोगों तक पहुँचाते पहुँचाते बीबीसी ने अपना एक युवा जुझारू पत्रकार खो दिया.
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रोहानी कहा करता था- मछली तभी स्वस्थ रहेगी जब वो पानी में हो. इस अफ़ग़ानी कहावत के कहने का मतलब होता था कि जब वो लोगों के बीच मौके पर जाकर ख़बरें कर रहा होता था, उस वक्त वो खुद को सबसे संजीदा पाता था. मैं पिछले आठ साल से काबुल में बीबीसी के साथ काम कर रहा हूँ. बीबीसी के कई पत्रकार अफ़ग़ानिस्तान के कई कठिन, दुर्गम और ख़तरों भरे इलाकों में तैनात हैं और उनसे मैं लगातार संपर्क में रहता हूं. ये वो बहादुर और निर्भीक पत्रकार हैं जो अपने घर-परिवार से दूर इन इलाकों में इसलिए बने हुए हैं ताकि लोगों का पता चल सके कि यहाँ आम लोग किन कठिनाइयों में रह रहे हैं. इसी कड़ी का एक नाम था समद रोहानी का. रोहानी वर्ष 2006 में बीबीसी से जुड़े और वो केवल पस्तो भाषा में ही काम नहीं करते थे बल्कि बीबीसी के अंग्रेज़ी स्टाफ़ को भी ख़ास मदद औऱ जानकारी मुहैया कराते थे. एक चुनौतीपूर्ण मोर्चा हेलमंद प्रांत का इलाका तालेबान लड़ाकों के सर्वाधिक प्रभाव वाले इलाकों में है. यहाँ बड़े पैमाने पर ब्रितानी सैनिक तैनात हैं और ऐसे में यह जगह ब्रिटेन में बीबीसी के दर्शकों, श्रोताओं के लिए ख़ास महत्व की हो जाती है. रोहानी की ख़ास बात यह थी कि हेलमंद के बारे में उनको जितनी जानकारी थी, उतनी जानकारी वाला आदमी मुझे दूसरा नहीं मिला. रोहानी हेलमंद में ही पैदा हुए और यहाँ एक पत्रकार ही नहीं रहे, स्थानीय स्तर पर एक अच्छे कवि बनकर भी उभरे. हेलमंद में शायद ही कोई दिन किसी घटना के बिना बीतता है और रोहानी तो अक्सर मेरे साथ फोन के ज़रिए दिनभर जुड़ा रहता था. मुझे इस व्यक्ति की बहादुरी हमेशा याद रहेगी. वो चाहते थे कि तालेबान के नियंत्रण वाले इलाके के लोगों की ज़िंदगी जो कुछ देख रही है, उसे दूसरों तक पहुँचाया जाए. अक्सर ऐसा हुआ जब रोहानी काबुल में हमारे घर पर रुके. जब भी वो घर पर होते, मेरा और मेरे दोस्तों का अपनी रोमांटिक पश्तो कविताओं से दिल बहलाते थे. पर रोहानी के साथ शाम का वक्त बहुत सारी रुकावटों भरा होता था. उन्हें लगातार सरकारी मुलाज़िमों, कबायली नेताओं और स्थानीय व्यापारियों के फोन आते रहते थे. ऐसा भी कई बार हुआ कि उनसे दिनभर कोई संपर्क ही नहीं हो पाता था. कारण, कि वो किसी ज़िले के दौरे पर होते थे जहाँ नेटवर्क नहीं होता था और इस तरह हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाता था. आजकल मेरा काफी वक्त अमरीका में कुछ अध्ययन करते हुए बीत रहा है. इस दौरान भी समद का लगातार फोन आता रहता था. अक्सर तब जब में रात को सो रहा होता था और ऐसा उन्हें याद दिलाने पर वो बहुत सरलता से कहते थे- अफ़ग़ानिस्तान में तो दिन निकल आया है न. इस सारी बातों से यह हुआ कि हम केवल एक साथ काम करने वाले साथी भर नहीं रह गए बल्कि एक गहरी दोस्ती भी विकसित हो गई हमारे बीच. अलविदा दोस्त...अलविदा मैं जब भी काबुल आता था, समद सबसे पहले फोन करने वालों में होते थे. वो कहते थे, "हमारे अफ़ग़ानिस्तान में आपका स्वागत है. मैं हेलमंद के एक गाँव से आपको शुभकामनाएं भेज रहा हूँ." पर शनिवार को ऐसा नहीं हुआ. मुझसे उनकी बात नहीं हुई तो मैंने उनसे संपर्क करना चाहा. रोहानी का पता नहीं चल रहा था और उनके फोन भी स्विच ऑफ़ थे. मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है पर आशा कर रहा था कि रोहानी किसी अंदरूनी इलाके में ख़बर खोजने गए होंगे. इसके बाद एक अशुभ समाचार मिला.... एक अनजान व्यक्ति ने हेलमंद में मौजूद बीबीसी के एक अन्य सदस्य से फोन पर कहा कि रोहानी के शव को ले जाने की व्यवस्था करें. यह मुझे अंदर तक हिलाकर रख देने वाली ख़बर थी. ऐसा लगा जैसे पूरी दुनिया ही बिखर गई हो. रोहानी की स्मृतियाँ हमेशा मेरे साथ रहेंगी. एक अफ़ग़ान के रूप में मैं सदा इस बात पर गर्व करूंगा कि रोहानी मेरे मित्र थे और सहयोगी भी. समद ने अपनी ज़िंदगी लोगों तक सच बताने और अफ़ग़ानिस्तान की सहायता करने के नाम कर दी थी. मुझे यह तो नहीं मालूम कि रोहानी की हत्या किसने की पर एक बात विश्वास के साथ कह सकता हूँ- हममें से और भी ज़्यादा लोग सच को सामने लाते रहेंगे और सच हमेशा अपनी रक्षा करता रहेगा.
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The story, of a courageous journalist...
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The BBC has lost one of its young, combative journalists as it scoured news in many parts of Afghanistan and reached out to the rest of the world.
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Rohani used to say - Fish will be healthy only if they live in a particular village, in a particular area, in a particular village, in a particular area, in a particular area, away from their family. This is the brave and fearless journalist who has been in constant touch with Rohani, who has always been a proud colleague, who has always been in a certain area of Afghanistan. Rohani has been in contact with a very good listener, who has been in contact with Rohani in a particular area of Rohani's house, also in a particular area of Rohani's house. This is what Samad Rohani, one of the staff members of this series, says. My best wishes to the Afghan leaders. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. My best wishes to the Afghan people. I did not come to Kabul as often as the Afghan people. I did not come to them as often as the Afghan people. I did not know the local news, and I did not know the local news. I did not know the local news, but I did not know the local news, and I did not know the language, but the English language, and the poetry, which was the most influential in the area of the Taliban fighters.
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040306_china_defence
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https://www.bbc.com/hindi/news/story/2004/03/040306_china_defence
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चीन के सैनिक बजट में भारी बढ़ोतरी
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चीन ने एक बार फिर अपने सैनिक बजट में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है.
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वित्त मंत्री जिन रेनकिंग ने देश की संसद नेशनल पीपुल्स काँग्रेस के वार्षिक बैठक में सरकारी ख़र्च में सात प्रतिशत की वृद्धि का ऐलान किया. घोषणा के अनुसार चीन अपने क़रीब 25 लाख सैनिकों पर ख़र्च में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी करेगा. चीन का कहना है कि सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ख़र्च में बढ़ोतरी की जा रही है. आधिकारिक रूप से चीन का सैनिक ख़र्च 25 अरब डॉलर प्रति वर्ष है लेकिन जानकारों का कहना है कि सच्चाई कुछ और ही है और चीन इससे दोगुना इस पर ख़र्च करता है. बीजिंग से बीबीसी संवाददाता रुपर्ट विंगफ़ील्ड हेज़ का कहना है कि दिन-प्रतिदिन चीनी सैनिकों को आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है. और इसी कारण चीन ने इतनी बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है. लेकिन जानकारों का मानना है कि इतनी बढ़ोतरी के बावजूद चीन की सेना को पूरी तरह आधुनिक बनने में सालों लग सकते हैं. चीन के पड़ोसी देश जापान के साथ-साथ ताइवान ने इस पर चिंता जताई है.
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Huge increase in China's military budget
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China has once again announced a huge increase in its military budget.
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Finance Minister Jin Renqing announced a seven percent increase in government spending at the annual meeting of the National People's Congress, the country's parliament. According to the announcement, China will increase spending on its nearly 2.5 million soldiers by 12 percent. China says the spending is being increased to further modernize the military. Officially, China's military spending is $25 billion a year, but experts say the reality is different and China spends twice that. BBC correspondent Rupert Wingfield Hayes from Beijing says efforts are being made to modernize Chinese troops on a daily basis. That is why China has announced such a large increase. But experts believe that despite the increase, it may take years for China's military to fully modernize. China's neighbor Japan, as well as Taiwan, have raised concerns about this.
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061024_pranab_analysis
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https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2006/10/061024_pranab_analysis
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मुखर्जी के विदेश मंत्री बनने का महत्व
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वरिष्ठ कांगेस नेता प्रणव मुखर्जी को विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपा जाना कितना महत्वपूर्ण है और नए विदेश मंत्री के सामने क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?
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सामरिक मामलों के जानकार सिद्धार्थ वरदराजन का मानना है कि मनमोहन सिंह सरकार के नज़रिए से और भारत के नज़रिए से देखा जाए तो यह एक अहम कदम है. उनका कहना है कि लगभग एक साल से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही विदेश मंत्रालय का काम देख रहे थे और अलग से कोई विदेश मंत्री नहीं था और इसके कोई अच्छे नतीजे नहीं हुए हैं. वरदराजन का कहना है कि द्विपक्षीय रिश्तों के मामले में भारत सक्रिय भूमिक नहीं निभा पाया. साथ ही वे मानते हैं कि कूटनीतिक स्तर पर जो महत्वपूर्ण काम भारत कर सकता था वो नहीं हो पाए हैं और यही कमी नीतियों में भी महसूस हो रही थी. सिद्धार्थ वरदराजन का कहना है कि इसी कारण से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर विदेश मंत्री नियुक्त करना का काफ़ी दबाव था और माना जा रहा था कि एक साल के बाद अब प्रधानमंत्री को कोई फ़ैसला करना ही चाहिए. सामरिक मामलों के विशेषज्ञ वरदराजन का कहना है कि प्रणव मुखर्जी ख़ुद विदेश मंत्रालय में जाना नहीं चाहते थे लेकिन उन्हें जाना ही पड़ा. उनके अनुसार ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुखर्जी की सरकार और गठबंधन के कारोबार को संभालने में अहम भूमिका रही है और उनकी राजनीतिक अहमियत तो है ही. वे कहते हैं कि राजनीतिक दृष्टिकोण से मनमोहन सिंह इतने अनुभवी नेता नहीं है और भारत को जिस तरह की विदेश नीति की ज़रूरत है, उसके लिए सक्रिय विदेश मंत्री होना ज़रूरी था. लेकिन काँग्रेस में किसी भी नाम पर सर्वसम्मति नहीं थी, चाहे एक-दो अन्य नामों पर भी विचार हुआ और मुखर्जी को विदेश मंत्रालय में जाना ही पड़ा. विदेश मंत्री का दायित्व पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि आज के दिन विदेश मंत्रालय के लिए लगातार चुनौतियाँ आती रहती हैं. कुछ प्रमुख मुद्दों की चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि 'आतंकवाद' का सामना करने के विषय पर आगे कैसे बढ़ा जाए, चीन के साथ संबंध और बेहतर कैसे हों और अमरीका के साथ असैनिक परमाणु समझौता कुछ अहम मुद्दे हैं. पूर्व विदेश सचिव शशांक से पूछा गया कि क्या विदेश मंत्री के होने से परिस्थियों कुछ और होतीं? उनका कहा था कि मंत्रिमंडल की संयुक्त ज़िम्मेदारी तो होती ही है, लेकिन विदेश मंत्री की अपनी अहम भूमिका होती है. विदेश मंत्री के दायित्वों में शिखर वार्ता के दौरान कूटनीति, कूटनीतिक दृष्टिकोण से अन्य देशों, विशेष तौर पर पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों से संपर्क साधना इसमें शामिल हैं. ईमानदार छवि वाले एंटनी रक्षा मंत्री बनाए गए, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी की ईमानदार नेता की छवी रही है वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के अनुसार यही उनकी सबसे बड़ी योग्यता है. उनका मानना है कि रक्षा मंत्रालय ऐसा है कि भले ही मंत्री भ्रष्ट न हो लेकिन व्यवस्था ऐसी बनी हुई है जिसपर नियंत्रण पाना बहुत ज़रूरी है. वरदराजन का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के हथियारों संबंधित सौदों में ऐसा ढांचा बनाना ज़रूरी है जिससे इन सौदों में बिचौलियों और भ्रष्टाचार की भूमिका कम से कम किया जा सके. सिद्धार्थ वरदराजन के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि यदि रक्षा मंत्रालय की छवि सुधारनी है तो एंटनी से बेहतर व्यक्ति नहीं है. हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि एंटनी फ़ैसला आसानी से नहीं लेते लेकिन रक्षा मंत्री के लिए जल्द फ़ैसला करने की क्षमता होना ज़रूरी है. वे कहते हैं कि आगे चल कर ही पता चलेगा कि एंटनी कैसे फ़ैसले लेते हैं.
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The Importance of Mukherjee Becoming Foreign Minister
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How important is it for senior Congress leader Pranab Mukherjee to be given the charge of the Ministry of External Affairs and what are the challenges before the new External Affairs Minister?
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Strategic analyst Siddharth Varadarajan believes that for this reason, Prime Minister Manmohan Singh has not been able to play an active role in terms of bilateral relations, and this lack is also being felt in policies. Strategic analyst Siddharth Varadarajan believes that India has not been able to play an active role in terms of policies. For this reason, Prime Minister Manmohan Singh has been able to appoint External Affairs Minister Shashank Singh. From the point of view of representatives of defense, and from the point of view of India. Strategic Affairs Expert Varadarajan says that Pranab Mukherjee himself did not want to take any responsibility from the point of view of the Defense Ministry. According to him, for almost a year, Prime Minister Manmohan Singh was looking for corruption in the Ministry of External Affairs. According to Mukherjee, his important role in handling the business of the government and the alliance countries was not important, and his political role was not important. If the name of the former External Affairs Minister is also not needed to be active in these countries, and if Varadarajan's role in the Ministry of Foreign Affairs is also important, then how come he is not able to say that the name of the External Affairs Minister is also a very important role to be active in the Ministry of Foreign Affairs, and that Varadkar's role in the Ministry of Foreign Affairs is also important.
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india-47167788
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https://www.bbc.com/hindi/india-47167788
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एमपी में राम भक्त राहुल और हनुमान भक्त कमलनाथ
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की शुक्रवार की सभा से पहले लगे पोस्टर ने विवाद पैदा कर दिया है.
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इस पोस्टर में राहुल गांधी को राम भक्त बताते हुये लिखा है कि वह अयोध्या में सर्वसम्मति से भव्य राम मंदिर बनवायेंगे. मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिये आ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस सम्मेलन के ज़रिये राहुल गांधी प्रदेश में लोकसभा चुनाव की मुहिम की शुरुआत करेंगे. पार्टी ने इस कार्यक्रम के लिये 2 लाख लोगों का लक्ष्य रखा है. यही वजह है कि पार्टी का हर नेता इसे कामयाब बनाने के लिये ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है. पूरा शहर पोस्टर और होर्डिंग से पटा पड़ा है. लेकिन, कांग्रेस नेता महेश मकवाना के पोस्टर ने सभी का ध्यान खींचा है जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण राहुल गांधी ही करेंगे. कांग्रेस ने किया अलग महेश मकवाना ने बताया, "हमें यह विश्वास है कि राहुल गांधी जी ही राम मंदिर का निर्माण करवायेंगे और यह निर्माण वह सर्वसम्मति से करेंगे. इसलिये उनके स्वागत के लिये यह पोस्टर लगाया गया है." वही कांग्रेस पार्टी ने अपने आप को इस पोस्टर से अलग कर लिया है. पार्टी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, "उनके स्वागत के लिये पूरी पार्टी लगी हुई है. हर कोई अपनी तरह से उनका स्वागत करना चाह रहा है. यही वजह है कि कुछ उत्साही कार्यक्रताओं ने इसे लगा दिया है." ख़ास बात यह है कि प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो पार्टी ने राहुल गांधी को शिव भक्त के तौर पर प्रचारित किया था. लेकिन, अब इस पोस्टर में उन्हें राम भक्त बताया जा रहा है. दोनों दलों में बहुत ज़्यादा फ़र्क नहीं वहीं, भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, "इस पोस्टर से कुछ भी साबित नहीं होता है. अगर सही में कांग्रेस राम मंदिर को लेकर गंभीर है तो वह उसे बनाने का प्रयास करे और उनसे जुड़े वक़ीलों से कहे कि वह सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अड़ंगा न डाले." राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का मानना है कि इस मामले में कांग्रेस और भाजपा में सिर्फ इतना फ़र्क है कि कांग्रेस अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर बनवाने की बात करती है जबकि भाजपा इसे आस्था का मुद्दा मानती है. वो कहते हैं, "यह वही प्रदेश है जहां पर कांग्रेस कार्यालय में गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और सभी कर्मकांड किये जाते हैं. इसलिये कांग्रेस और भाजपा में बहुत ज़्यादा फ़र्क है, यह कहना ग़लत होगा. पार्टी लोकसभा चुनाव के लिये तैयार है और उसे इस तरह की चीज़ों से परहेज़ नहीं है." मध्यप्रदेश में पिछले चार दिनों में पांच लोगों पर रासुका के तहत कारवाई की गई है. तीन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने गौवध किया है तो दो लोगों पर अवैध रुप से उन्हें ले जाने का आरोप है. यह बताता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के आने के बाद स्थिती ज़्यादा नहीं बदली है. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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Ram Bhakt Rahul and Hanuman Bhakt Kamal Nath in MP
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Posters ahead of Congress party president Rahul Gandhi's Friday rally in Madhya Pradesh's capital Bhopal have sparked a controversy.
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This is the reason why every leader of the party is pushing hard to make this event successful. That is why the whole city is full of posters and hoardings. But, Congress leader Mahesh Makwana's poster has caught everyone's attention in which people are claiming that he will build a grand Ram temple in Ayodhya. People are saying that he will build a grand Ram temple in Ayodhya unanimously. Congress has returned to power in Madhya Pradesh after 15 years. Congress party president Rahul Gandhi is coming to address a farmers' conference. It is believed that Rahul Gandhi will build a grand Ram temple in Madhya Pradesh. We believe that Rahul Gandhi will build a Ram temple in Madhya Pradesh and he will build it unanimously. It is believed that Rahul Gandhi will build a statue on the temple. The party has put up a similar poster on YouTube to welcome him.
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060925_cat_allergy
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https://www.bbc.com/hindi/science/story/2006/09/060925_cat_allergy
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अब बिक रही हैं एलर्जी फ्री बिल्लियाँ
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दुनिया की पहली एलर्जी मुक्त बिल्लियाँ अमरीकी बाज़ार में बिक रही हैं.
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दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें बिल्लियों से एलर्जी है, बिल्ली के संपर्क में आने पर लोगों को छींके आनी शुरू होती हैं, आँखे लाल हो जाती हैं और कई लोगो को तो दमे का दौरा पड़ जाता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या का निदान ढूँढ निकाला है, लोगों को बिल्ली से एलर्जी एक ख़ास तरह के प्रोटीन के कारण होती है. अमरीकी कंपनी एलेर्का का कहना है कि इन बिल्लियों में से उस प्रोटीन को निकाल दिया गया है. अब इनकी क़ीमत भी सुन लीजिए, बिल्लियों के भाग से कंपनी के लिए छींका टूटा है एक बिल्ली की क़ीमत है लगभग चार हज़ार डॉलर यानी तकरीबन दो लाख रूपए से अधिक. अगर आप इतनी रक़म खर्च करने को तैयार भी हों तो ऐसी नायाब बिल्ली आपके हाथ आसानी से नहीं आने वाली, इसके लिए आपको ऑर्डर देना होगा तब आपके लिए विशेष बिल्ली तैयार होगी. कंपनी ने स्पष्ट किया है कि बिल्लियों के जीन में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है बल्कि ऐसी बल्लियों को चुनकर उनका प्रजनन किया जा रहा है जिनमें ग्लाइकोप्रोटीन डी-वन नहीं है. एलेर्का के स्टीव मे का कहना है कि यह वैज्ञानिक विधि से बिल्लियों की गहन जाँच करके उनका प्राकृतिक प्रजनन करने का कार्यक्रम है. उनका कहना है कि तकरीबन पचास हज़ार बिल्लियों में से एक बिल्ली ऐसी होती जिसमें ग्लाइकोप्रोटीन डी-वन नहीं पाया जाता है. कंपनी का कहना है कि ऐसी बिल्लियों को ढूँढकर निकालना और उनका प्रजनन करना एक कठिन और समय लेने वाला काम था इसलिए इनकी क़ीमत इतनी अधिक है. कंपनी का मानना है कि ऐसे लोग बड़ी तादाद में हैं जो बिल्लियों से तो प्यार करते हैं लेकिन उससे होने वाली एलर्जी से घबराते हैं, ऐसे ही लोगों पर कंपनी की उम्मीदें टिकी हैं. कंपनी का कहना है कि वह जल्द ही इन बिल्लियों का निर्यात भी करने की योजना बना रही है.
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Allergy-free cats are now on sale.
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The world's first allergy-free cats are on sale in the US market.
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There are millions of people in the world who are allergic to cats, people start sneezing when they come in contact with a cat, their eyes become red, and many people have asthma attacks. But now scientists have found a cure for this problem, people are allergic to a certain type of protein. American company Alerka says that the protein has been removed from these cats. Now listen to their price, the company has sneezed from the part of the cats. The price of a cat is about four thousand dollars, or about two hundred thousand rupees more. If you are willing to spend this amount, such a new cat will not come to you easily, so you will have to order a special cat for you. The company has made it clear that no changes have been made in the genes of the cats, but they are being bred by choosing such lizards, in which the people who make these allergies say that they do not have enough glycoprotein.
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